19-01-2024, 02:17 PM
मेरा वाला,.... लॉलीपॉप
चौथी बार में आइस क्यूब लगाने पर भी जेठानी एक ही गुहार कर रही थीं
झाड़ दे ,मुझे झाड़ दे प्लीज , झाड़ दे मुझे ,
और मैंने उन्हें बिना झाड़े छोड़ दिया।
मैं क्या कोई भी लौंडियाँ छोड़ देती।
सामने कुतुबमीनार ,
लम्बा मोटा टनटनाया , कड़ा खड़ा बौराया , पूरे बालिश्त भर का मेरे सैंया का लंड ,
जिसके बारे में सोच सोच के मेरी सारी ससुरालवालियों की गीली हो रही थी।
जो बहुत जल्द भाभीचोद ,बहनचोद और मादरचोद होने वाला था।
और मैंने बिना कुछ सोचे उसे गड़प कर लिया।
क्या मस्त रसीला मोटा सुपाड़ा था ,मुजफफरपुर की लीची मात।
चूसती चुभलाती मैंने कनखियों से देखा ,
देवर ने भौजाई का ब्लाइंडफोल्ड खोल दिया।
…………………………….
अब तो मेरी जेठानी ,मुझे चूसते चाटते देख कर ये ललचा रही थीं की ,
लेकिन कोई भी लड़की औरत हो नहीं सकती थी जो इनके मूसलचंद को देख कर अपने पे काबू रख पाती थी। इनकी चीज थी है ऐसी।
मैंने भी सोचा ले देख खुल के , और सुपाड़े को आजाद कर दिया पल भर के लिए।
और कनखियों से जेठानी की ओर देखा ,
हालत खराब थी बिचारी की। ऐसे ललचा रही थीं जैसे इस के लिए कुछ भी ,कुछ करने को तैयार हो जायेगी वो।
जान बूझ के इनकी भौजी की इग्नोर मारते हुए , मैंने फ्रूट क्रीम बाउल से ढेर सारी फ्रूट क्रीम ले कर उनके मोटे मोटे सुपाड़े पर लिथड़ दी
और फिर प्लेट से अल्फांसो की पीसेज मुंह में लेकर सीधे एक बार फिर सुपाड़ा गड़प।
मैं जोर जोर से चूस रही थी चुभला रही थी ,
और जेठानी ललचा रही थीं ,
और मैं अब समझ रही थी, अपनी जेठानी की व्यथा कथा, मॉल जाते समय, जब दिया श्रुति और विनोदवा क किस्सा सुना रही थी तभी किसी बात पर उनके मुंह से निकल पड़ा,
" ज्यादातर के तो चार साढ़े चार इंच का ही होता है "
उसी समय मैं समझ गयी जेठ जी का, वो नीली वाली गोली खा के , मुट्ठ वुट्ठ मार के खींच तान के चार सवा चार का होता होगा, और वो भी टू मिनट मैगी नूडल, इसीलिए जेठानी हरदम छनछनाई रहती हैं , ...
लग रहा था मेरी सास इनकी बार तो लगातार गुड्डी की गली के बाहर जो गदहे खड़े रहते हैं उनके साथ हफ्ते भर लगातार, तो ये ,... और जेठ जी के टाइम कोई उनका पालतू खरगोश वरगोश रहा होगा , उसी पे दिल आ गया होगा,...
और अब जेठानी के सामने जेठ जी का पूरा दूना, बल्कि दूने से भी ज्यादा, लम्बा भी मोटा भी कड़ा भी,...
उन्हें दिखा के मैं और ज्यादा ,... जैसे शैतान लड़कियां अपनी सहेलियों को दिखा दिखा के लॉलीपॉप चाटती चूसती हैं , और सहेलियां ललचाती रहती हैं, यार एक लिक, बस एक लिक, प्रॉमिस
मैं भी जेठानी जी को दिखा के कभी सिर्फ पकड़ के उन्हें दिखाती, मुश्किल से मुट्ठी में आ रहा था , मोटा इतना और लम्बा की दो तिहाई मेरी मुट्ठी से बाहर ,
फिर उन्हें दिखा के जस्ट लिक कर लेती ,
कभी मोटा खुला सुपाड़ा तो कभी चर्म दंड. टच करती, हटा लेती, टच करती, हटा लेती, बस जीभ की टिप से
जेठानी के मुंह में पानी आ रहा था, वो सोच भी नहीं सकती थीं , इत्ता मोटा इत्ता मस्त ,उम्मीद से ज्यादा, बहुत ज्यादा
चौथी बार में आइस क्यूब लगाने पर भी जेठानी एक ही गुहार कर रही थीं
झाड़ दे ,मुझे झाड़ दे प्लीज , झाड़ दे मुझे ,
और मैंने उन्हें बिना झाड़े छोड़ दिया।
मैं क्या कोई भी लौंडियाँ छोड़ देती।
सामने कुतुबमीनार ,
लम्बा मोटा टनटनाया , कड़ा खड़ा बौराया , पूरे बालिश्त भर का मेरे सैंया का लंड ,
जिसके बारे में सोच सोच के मेरी सारी ससुरालवालियों की गीली हो रही थी।
जो बहुत जल्द भाभीचोद ,बहनचोद और मादरचोद होने वाला था।
और मैंने बिना कुछ सोचे उसे गड़प कर लिया।
क्या मस्त रसीला मोटा सुपाड़ा था ,मुजफफरपुर की लीची मात।
चूसती चुभलाती मैंने कनखियों से देखा ,
देवर ने भौजाई का ब्लाइंडफोल्ड खोल दिया।
…………………………….
अब तो मेरी जेठानी ,मुझे चूसते चाटते देख कर ये ललचा रही थीं की ,
लेकिन कोई भी लड़की औरत हो नहीं सकती थी जो इनके मूसलचंद को देख कर अपने पे काबू रख पाती थी। इनकी चीज थी है ऐसी।
मैंने भी सोचा ले देख खुल के , और सुपाड़े को आजाद कर दिया पल भर के लिए।
और कनखियों से जेठानी की ओर देखा ,
हालत खराब थी बिचारी की। ऐसे ललचा रही थीं जैसे इस के लिए कुछ भी ,कुछ करने को तैयार हो जायेगी वो।
जान बूझ के इनकी भौजी की इग्नोर मारते हुए , मैंने फ्रूट क्रीम बाउल से ढेर सारी फ्रूट क्रीम ले कर उनके मोटे मोटे सुपाड़े पर लिथड़ दी
और फिर प्लेट से अल्फांसो की पीसेज मुंह में लेकर सीधे एक बार फिर सुपाड़ा गड़प।
मैं जोर जोर से चूस रही थी चुभला रही थी ,
और जेठानी ललचा रही थीं ,
और मैं अब समझ रही थी, अपनी जेठानी की व्यथा कथा, मॉल जाते समय, जब दिया श्रुति और विनोदवा क किस्सा सुना रही थी तभी किसी बात पर उनके मुंह से निकल पड़ा,
" ज्यादातर के तो चार साढ़े चार इंच का ही होता है "
उसी समय मैं समझ गयी जेठ जी का, वो नीली वाली गोली खा के , मुट्ठ वुट्ठ मार के खींच तान के चार सवा चार का होता होगा, और वो भी टू मिनट मैगी नूडल, इसीलिए जेठानी हरदम छनछनाई रहती हैं , ...
लग रहा था मेरी सास इनकी बार तो लगातार गुड्डी की गली के बाहर जो गदहे खड़े रहते हैं उनके साथ हफ्ते भर लगातार, तो ये ,... और जेठ जी के टाइम कोई उनका पालतू खरगोश वरगोश रहा होगा , उसी पे दिल आ गया होगा,...
और अब जेठानी के सामने जेठ जी का पूरा दूना, बल्कि दूने से भी ज्यादा, लम्बा भी मोटा भी कड़ा भी,...
उन्हें दिखा के मैं और ज्यादा ,... जैसे शैतान लड़कियां अपनी सहेलियों को दिखा दिखा के लॉलीपॉप चाटती चूसती हैं , और सहेलियां ललचाती रहती हैं, यार एक लिक, बस एक लिक, प्रॉमिस
मैं भी जेठानी जी को दिखा के कभी सिर्फ पकड़ के उन्हें दिखाती, मुश्किल से मुट्ठी में आ रहा था , मोटा इतना और लम्बा की दो तिहाई मेरी मुट्ठी से बाहर ,
फिर उन्हें दिखा के जस्ट लिक कर लेती ,
कभी मोटा खुला सुपाड़ा तो कभी चर्म दंड. टच करती, हटा लेती, टच करती, हटा लेती, बस जीभ की टिप से
जेठानी के मुंह में पानी आ रहा था, वो सोच भी नहीं सकती थीं , इत्ता मोटा इत्ता मस्त ,उम्मीद से ज्यादा, बहुत ज्यादा