19-01-2024, 02:15 PM
आइस - क्रीम
वो सिसक रही थी लेकिन ठीक से सिसक भी नहीं पा रही थीं। जैसे कोई किसी लड़की के मुंह में मोटा लंड पेले बस उसी तरह उन्होंने अपनी जीभ पेल रखी थी और जेठानी जी चूस भी उसी तरह से रही थीं।
और मैं भी अब पूरी ताकत से अब इनकी भौजी के निप्स चूस रही थी कभी हलके से काट भी लेती। और उनका दूसरा निप मेरी उँगलियों के बीच।
कौन मरद होगा जो मेरी जेठानी की खड़ी कड़ी ३६ डीडी वाली चूँचियों को देख के अपने को रोक पायेगा ,और वो तो देवर थे उनका तो हक़ था अपनी भौजी के जुबना पे।
बस रसीले होंठों को छोड़ के सीधे जुबना पे उनके होंठ , पहले तो जो फ्रूट क्रीम मैंने लगायी लपेटी थी उसे अपनी बड़ी सी जीभ निकाल के अच्छे से चाट चाट के साफ़ किया और अब उनका एक हाथ भौजी की चूँची की रगड़ाई मसलाई तो दूसरी चूँची मेरे सैंयां के होंठों के कब्जे में।
मेरे होंठों ने नीचे की राह ली , बस उनकी पैंटी सरका के ,
थोड़ी सी व्हिप्पड क्रीम उनकी बुर के फांकों पे ,
और फिर अपने सैंया के लिए एक क्रीम में लिपटी चेरी सीधे जेठानी के निचले होंठों के बीच
जेठानी जोर जोर से सिसक रही थीं ,चूतड़ उछाल रही थीं , पर आँख बंद ,हाथ बंधे ,
और अब उन होंठों को बंद कराने की जिमेदारी मेरी थी , व्हिप्पड क्रीम में मैंने थोड़ी सी रेड वाइन डाली और फिर एक बड़े से चम्मच में उसे भर के सीधे जेठानी के सिसकते होंठों पर ,कुछ बहते हुए फिर जोबन पर आ रहा था और कुछ गालों पे , और फिर एक चेरी मेरे मुंह से उनके मुंह में तो कभी उनके मुंह से मेरे मुंह में ,
उधर मेरे सैंया ने पैंटी में छिपी चेरी देख ली थी। बस ट्रेजर हंट चालू हुयी ,पहले तो पैंटी सरका के जेठानी की बुर की पुत्तियों को उन्होंने चाटा चूसा , फिर नहीं रहा गया तो एक झटके में पैंटी उतारी नहीं ,फाड़ दी।
और सीधे उनका मुंह अपनी भाभी के बुर पे और क्या चटाई शुरू हुयी।
चूत चटोरे तो ये जबरदस्त थे ,मैं क्या ,मम्मी ,मंजूबाई ,गीता सब इनका लोहा मानती थीं। और आज तो दुगुने जोश में , अपनी भौजाई की इन्हे ऐसी की तैसी करनी थी , बस दो चार पांच मिनट में जेठानी जी झड़ने के कगार पर आ गयीं ,
पर मैं कौन सा अपनी जेठानी को झड़वाना चाहती थी ,वो भी इतनी जल्दी।
रात अभी बाकी थी , बात अभी बाकी थी।
मैं तो बस उन्हें तड़पा तड़पा कर ,
मैने एक बार फिर से बाउल से फ्रूट क्रीम निकाल के जेठानी की बड़ी चूँचियो पर लिथड़ दिया , और आज मैं उनकी बात मान गयी की जब उन्होंने अपने गाँव वाले कॉलेज से इंटर पास किया था तो उसी समय उनके उभार मेरे आज के उभार की साइज के हो गए थे बल्कि कप साइज बड़ी ही थी ३४ डी।
सच में उनकी चूँचियाँ इत्ती तोप ताप के वो रखती हैं वरना अगर मर्दों की निगाह पड़े तो बिना इनकी फाड़े न छोड़ें।
मैंने जोर से जेठानी के दोनों खड़े मूंगफली के बराबर निप्स एक साथ पिंच किये ,और वो चीख पड़ीं , मारे दर्द के बिलखने लगीं और ये तो शुरुआत थी।
मैंने उन्हें अपनी भौजी की बुर छोड़ कर भौजी की रसीली नंगी चूँचियों की दावत दी।
मेरी बात और वो टालें ,
उपर से अगर ३६ डीडी साइज का जोबन कौन मर्द छोड़ता है ,वो भी इत्ता गोरा कड़क ,मांसल भी सख्त भी
और अबकी उभारों के ऊपरी भाग से जो ब्लाउज के बाहर छलकता झलकता रहता है , वहीँ से उन्होंने लिक करना शुरू किया
और मैंने शहद के छत्ते का मोर्चा सम्हाला।
मेरे गुलाबी होंठों के बीच अबकी चेरी नहीं बल्कि आइस क्यूब थी।
मेरे होंठ आइस क्यूब हलके इनकी भौजी की चूत के होंठों पर बस हलके से रगड़ गए और
वो सिसक गयीं।
उनकी बुर अभी भी कसी थी , मुझसे चार साल पहले इनकी शादी हुयी थी ,और ये साफ़ थी की ये जोबन गाँव के लौंडो ने छोड़ा तो नहीं होगा
पर उतना इस्तेमाल लगता है इनका हुआ नहीं ,जितना होना चाहिए था
दोनों हाथों की उँगलियों से जेठानी जी की कसी फुद्दी मैंने फैलाई , पूरी ताकत से और अपने अपने होंठ सटा के ,
होंठ के अंदर का आइस क्यूब सीधे आधे से ज्यादा बुर में ,
उईईईईई उईईईईई , बहुत तेज से चीखीं वो ,
वो सिसक रही थी लेकिन ठीक से सिसक भी नहीं पा रही थीं। जैसे कोई किसी लड़की के मुंह में मोटा लंड पेले बस उसी तरह उन्होंने अपनी जीभ पेल रखी थी और जेठानी जी चूस भी उसी तरह से रही थीं।
और मैं भी अब पूरी ताकत से अब इनकी भौजी के निप्स चूस रही थी कभी हलके से काट भी लेती। और उनका दूसरा निप मेरी उँगलियों के बीच।
कौन मरद होगा जो मेरी जेठानी की खड़ी कड़ी ३६ डीडी वाली चूँचियों को देख के अपने को रोक पायेगा ,और वो तो देवर थे उनका तो हक़ था अपनी भौजी के जुबना पे।
बस रसीले होंठों को छोड़ के सीधे जुबना पे उनके होंठ , पहले तो जो फ्रूट क्रीम मैंने लगायी लपेटी थी उसे अपनी बड़ी सी जीभ निकाल के अच्छे से चाट चाट के साफ़ किया और अब उनका एक हाथ भौजी की चूँची की रगड़ाई मसलाई तो दूसरी चूँची मेरे सैंयां के होंठों के कब्जे में।
मेरे होंठों ने नीचे की राह ली , बस उनकी पैंटी सरका के ,
थोड़ी सी व्हिप्पड क्रीम उनकी बुर के फांकों पे ,
और फिर अपने सैंया के लिए एक क्रीम में लिपटी चेरी सीधे जेठानी के निचले होंठों के बीच
जेठानी जोर जोर से सिसक रही थीं ,चूतड़ उछाल रही थीं , पर आँख बंद ,हाथ बंधे ,
और अब उन होंठों को बंद कराने की जिमेदारी मेरी थी , व्हिप्पड क्रीम में मैंने थोड़ी सी रेड वाइन डाली और फिर एक बड़े से चम्मच में उसे भर के सीधे जेठानी के सिसकते होंठों पर ,कुछ बहते हुए फिर जोबन पर आ रहा था और कुछ गालों पे , और फिर एक चेरी मेरे मुंह से उनके मुंह में तो कभी उनके मुंह से मेरे मुंह में ,
उधर मेरे सैंया ने पैंटी में छिपी चेरी देख ली थी। बस ट्रेजर हंट चालू हुयी ,पहले तो पैंटी सरका के जेठानी की बुर की पुत्तियों को उन्होंने चाटा चूसा , फिर नहीं रहा गया तो एक झटके में पैंटी उतारी नहीं ,फाड़ दी।
और सीधे उनका मुंह अपनी भाभी के बुर पे और क्या चटाई शुरू हुयी।
चूत चटोरे तो ये जबरदस्त थे ,मैं क्या ,मम्मी ,मंजूबाई ,गीता सब इनका लोहा मानती थीं। और आज तो दुगुने जोश में , अपनी भौजाई की इन्हे ऐसी की तैसी करनी थी , बस दो चार पांच मिनट में जेठानी जी झड़ने के कगार पर आ गयीं ,
पर मैं कौन सा अपनी जेठानी को झड़वाना चाहती थी ,वो भी इतनी जल्दी।
रात अभी बाकी थी , बात अभी बाकी थी।
मैं तो बस उन्हें तड़पा तड़पा कर ,
मैने एक बार फिर से बाउल से फ्रूट क्रीम निकाल के जेठानी की बड़ी चूँचियो पर लिथड़ दिया , और आज मैं उनकी बात मान गयी की जब उन्होंने अपने गाँव वाले कॉलेज से इंटर पास किया था तो उसी समय उनके उभार मेरे आज के उभार की साइज के हो गए थे बल्कि कप साइज बड़ी ही थी ३४ डी।
सच में उनकी चूँचियाँ इत्ती तोप ताप के वो रखती हैं वरना अगर मर्दों की निगाह पड़े तो बिना इनकी फाड़े न छोड़ें।
मैंने जोर से जेठानी के दोनों खड़े मूंगफली के बराबर निप्स एक साथ पिंच किये ,और वो चीख पड़ीं , मारे दर्द के बिलखने लगीं और ये तो शुरुआत थी।
मैंने उन्हें अपनी भौजी की बुर छोड़ कर भौजी की रसीली नंगी चूँचियों की दावत दी।
मेरी बात और वो टालें ,
उपर से अगर ३६ डीडी साइज का जोबन कौन मर्द छोड़ता है ,वो भी इत्ता गोरा कड़क ,मांसल भी सख्त भी
और अबकी उभारों के ऊपरी भाग से जो ब्लाउज के बाहर छलकता झलकता रहता है , वहीँ से उन्होंने लिक करना शुरू किया
और मैंने शहद के छत्ते का मोर्चा सम्हाला।
मेरे गुलाबी होंठों के बीच अबकी चेरी नहीं बल्कि आइस क्यूब थी।
मेरे होंठ आइस क्यूब हलके इनकी भौजी की चूत के होंठों पर बस हलके से रगड़ गए और
वो सिसक गयीं।
उनकी बुर अभी भी कसी थी , मुझसे चार साल पहले इनकी शादी हुयी थी ,और ये साफ़ थी की ये जोबन गाँव के लौंडो ने छोड़ा तो नहीं होगा
पर उतना इस्तेमाल लगता है इनका हुआ नहीं ,जितना होना चाहिए था
दोनों हाथों की उँगलियों से जेठानी जी की कसी फुद्दी मैंने फैलाई , पूरी ताकत से और अपने अपने होंठ सटा के ,
होंठ के अंदर का आइस क्यूब सीधे आधे से ज्यादा बुर में ,
उईईईईई उईईईईई , बहुत तेज से चीखीं वो ,