18-01-2024, 04:00 PM
बीच रात में मैं बाथरूम जाने के लिए उठा। इस कमरे में बाथरूम नहीं था बाकी के दोनों के कमरों में बाथरूम साथ में था। इसलिए जब मैं हॉल में आया तो मेरे होश उड़ गए और मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
मैंने देखा कि डिम्पल भाभी के कमरे के पास झुकी चाबी वाले छेद से अन्दर देख रही थी, एक हाथ से अपनी चूची को मसल रही थी और दूसरा हाथ पजामे में डाल कर चूत को रगड़ रही थी। उसका टीशर्ट गले तक ऊपर उठा हुआ था।
मैंने अपने आप को संभाला और चुपके से डिम्पल के पीछे जा कर खड़ा हो गया। वो भैया-भाभी की चुदाई देखने में इतनी मग्न थी कि उसको पता ही नहीं चला कि कब मैं उसके पीछे आकर खड़ा हो गया। मैंने अपने दोनों हाथ धीरे से डिम्पल की चूचियों के ऊपर रख कर मसलते हुए उसके कान में कहा- ज़रा मुझे भी दिखाओ क्या देख रही हो?
डिम्पल घबरा गई और पीछे देखा। मैंने जल्दी से डिम्पल के मुँह पर हाथ रखा और पीछे ले जाते हुए कहा- क्या देख रही हो? तो डिम्पल बोली- कुछ नहीं! मैंने डिम्पल को छोड़ दिया और धीरे से बोला- एक मिनट! मैं भी देख कर आता हूँ! और उसकी चूची को जोर से रगड़ दिया।
मैंने भैया के कमरे में छेद से देखा तो भैया भाभी की चूत चाट रहे थे और भाभी भैया का लण्ड चूस रही थी।
और जब मैंने डिम्पल को देखा तो वो अपना टीशर्ट ठीक कर रही थी। मैंने डिम्पल के पास में जाकर कहा- छी छी! तुम अपने भैया के, वो भी सगे भैया के कमरे में झांक रही हो? शरम नहीं आती? मैंने तुमको ऐसा नहीं सोचा था।
डिम्पल मेरे सामने सर झुकाए खड़ी थी, वो पूरी मेरी पकड़ में आ चुकी थी।
डिम्पल जैसे ही अपने कमरे में जाने लगी, मैं भी उसके पीछे पीछे हो लिया और जैसे ही वो दरवाजा बंद करने लगी, तभी मैंने रोक लिया और कहा- मैं तुम से बात करना चाहता हूँ।
मैं अन्दर गया और दरवाजा बन्द कर लिया। डिम्पल सर झुकाए खड़ी थी। मैंने उसे पूछा- तुम कितने दिनों से देख रही हो? सच सच बताना।
वो कुछ नहीं बोली। मैंने उसके चेहरे को ऊपर उठा कर पूछा- तुम नहीं बताओगी तो मैं भैया को सब कुछ बता दूँगा।
तो वो बोली- प्लीज़! ऐसा मत करना, मुझे शर्म आ रही है।
मैंने उसको शान्त किया- देखो डिम्पल, इस उम्र में सब जायज़ है। डरो मत, मैं किसी को कुछ नहीं कहूँगा।
और उसका हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर पर बिठाया, कहा- मैं टॉयलेट जाकर आता हूँ, तुम बैठी रहना।
मैं टॉयलेट होकर जल्दी डिम्पल के पास आकर बैठ गया, डिम्पल तब भी सर झुकाए चुपचाप बैठी थी। तभी मैंने डिम्पल के चेहरे को ऊपर उठाया और उसके होंठों के पर ऊँगली से सहलाया, फिर पूछा- बताओ ना, कितने दिनों से देख रही हो?
डिम्पल ने कहा- आज पहली बार ही देखा है भैया, आज के बाद मैं कभी नहीं देखूँगी। प्लीज़ भैया, मुझे माफ़ कर दो आज! ऐसा कभी नहीं करुँगी मैं! और उठने लगी।
तभी मैंने डिम्पल का हाथ पकड़ कर बिठाया और पूछा- ओ के ,तो कल तुम और भाभी क्या कर रही थी? तो बोली- कुछ नहीं!
तो मैंने ही बता दिया- कल तुम और भाभी कही एक दूसरे की चूत चाट रही थी। डिम्पल मेरे मुँह से चूत शब्द सुन कर चौंक गई और बोली- नहीं, मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ। मैंने कहा- वो तो मुझे मालूम है कि तुम कैसी हो।
मैंने उसको पूरा बताया कि कैसे मैंने भाभी के कमरे में देखा, तो वो कुछ नहीं बोली। तभी मैंने डिम्पल के चेहरे को अपने दोनों हाथ से पकड़ कर उसके होंठों पर चुम्बन किया और जैसे ही मैंने डिम्पल के होंठों से मेरे होंठ छुए, वो छटपटाने लगी और मुझे धक्का देने लगी। मैंने भी जोर से पकड़ कर रखा था और चुम्बन करते करते उसके नीचे वाले होंठ को थोड़ा सा दांतों से काट दिया तो उसने मुझे जोर से धक्का दिया लेकिन मैंने भी उसको कस कर पकड़ रखा था, मैं उससे बोला- क्यों इतने नखरे करती हो? देखो ना मेरा लण्ड को कितना तड़प रहा है!
और मैंने जल्दी से अपनी निक्कर अन्डरवीयर समेत नीचे सरका कर उतार दी और उसका हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रखा और हाथ हटाने नहीं दिया, ऐसे ही पकड़ कर लण्ड को मैंने आगे-पीछे करने लगा। तभी डिम्पल दूसरे हाथ से मेरे हाथ को हटाने लगी। मैंने उसका हाथ छोड़ दिया और दूसरे हाथ से उसको अपने ऊपर खींचा।
वह मेरे ऊपर गिर गई, मैंने उसको बाहों में ले लिया और उसको अपने नीचे कर लिया, मैं उसके ऊपर आ गया।
मैंने अपने दोनों हाथों से उसका टीशर्ट को एक ही झटके में निकाल दिया, डिम्पल को ऊपर से नंगी कर दिया और उसकी दोनों चूची को जोर जोर से मसलने लगा।
डिम्पल कहने लगी- नहीं, प्लीज़ ऐसा मत करो भैया! मैं किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहूँगी।
मैंने उसको गले के ऊपर चूमते हुए कहा- एक बार मुझे प्यार करने दो, कल रात से तुम दोनों को एक दूसरे की चूत को चाटते हुए देखा है तो मेरी तो नींद और चैन ही गुल हो गए हैं।
मैं उसकी चूची पकड़ कर जोर जोर से मसलने लगा साथ में उसके गले और कान को चाटने लगा।डिम्पल भी तड़पने लगी और नहीं ऊँ! नहीं ऊह! करने लगी और मैं उसकी दोनों चूचियों को मसलने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं उसके एक चुचूक को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ से दूसरी चूची के चुचूक को जोर से मसलने लगा।
करीब दस मिनट के बाद मैं दूसरे चुचूक को चूसने लगा और दूसरे हाथ से उसका पजामा नीचे करने लगा।
डिम्पल पजामा उतरने नहीं दे रही थी, तभी मैंने उसे नीचे से थोड़ा ऊपर उठाया और एक झटके में उसका पजामा उतार कर फेंक दिया।तब मैंने दोनों हाथ से उसके चेहरे को पकड़ कर उसके होंठों को फिर से चूमा।
डिम्पल को भी मज़ा आने लगा और वो भी अब धीरे धीरे नहीं नहीं आआआ भैया आआअ नो नो भैया आह मेरे साथ ऐसा मत करो कहने लगी और मेरा साथ देने से शर्मा रही थी और थोड़ा थोड़ा साथ भी देने लगी।
मैं डिम्पल के चेहरे, गाल, गर्दन, कान को चाटने लगा और कुछ देर उसको कुत्ते की तरह ऐसे ही चाट चाट कर पूरा गीला कर दिया। जब मैंने उसकी नाभि में जीभ घुमाई तो उसको गुदगुदी होने लगी, वो मछली की तरह तड़पने लगी, मेरे बाल नोचने लगी।
पांच मिनट के बाद में मैंने साफ़ और सीधे सीधे डिम्पल से कहा- अब क्या इरादा है?
वो कुछ बोली नहीं। मैंने फिर पूछा- बोलो न मेरी रानी! तो वो बोली- भैया, मुझे छोड़ दो!
मैंने डिम्पल से कहा- क्यों? कल तो तुम भाभी की चूत को बड़ी मस्त हो कर चाट रही थी और अपनी चूत भाभी से चटवा रही थी?आज तुम मेरा लण्ड और मैं तुम्हारी चूत चाट लेता हूँ।
डिम्पल मुझे घूरते हुए बोली- भैया, आपको शर्म नहीं आती ऐसी बातें करते हुए?
मैंने कहा- प्यार में शर्म क्यों? और तुम भी तो अपनी जवानी को सहन नहीं कर सकती इसलिए तुम भाभी से जवानी लुटवा रही थी। तुम्हें चाहिए एक लण्ड जो चूत को पसंद है। तेरी चूत के लिए मेरा लण्ड ही काफी है। और तुमको भी कोई चोदेगा जरूर! या फिर सारी उम्र ऐसे ही भाभी के साथ मस्ती करोगी? क्यों ना आज ही मैं तेरी चूत की सारी गर्मी निकाल दूँ? अब इतना नाटक ना करो और मेरे लण्ड से खूब खेलो और चुदवाओ!
मेरी इस गन्दी बात से डिम्पल झटका लगा और अपनी आंखे बंद करती हुए बोली- नहीं, आप ऐसा नहीं कर सकते।
मैंने कहा- देखो डिम्पल!
और मैंने उसकी टांगों को अपने दोनों हाथों से अलग किया और एक हाथ उसकी चूत पर रखा, उसकी चूत गीली थी, मैंने डिम्पल से कहा- डिम्पल, अब तुम्हारी चूत भी मेरा लण्ड लेने को तैयार है, तो तुम्हें क्यों ऐतराज़ है?
मैंने देखा कि डिम्पल भाभी के कमरे के पास झुकी चाबी वाले छेद से अन्दर देख रही थी, एक हाथ से अपनी चूची को मसल रही थी और दूसरा हाथ पजामे में डाल कर चूत को रगड़ रही थी। उसका टीशर्ट गले तक ऊपर उठा हुआ था।
मैंने अपने आप को संभाला और चुपके से डिम्पल के पीछे जा कर खड़ा हो गया। वो भैया-भाभी की चुदाई देखने में इतनी मग्न थी कि उसको पता ही नहीं चला कि कब मैं उसके पीछे आकर खड़ा हो गया। मैंने अपने दोनों हाथ धीरे से डिम्पल की चूचियों के ऊपर रख कर मसलते हुए उसके कान में कहा- ज़रा मुझे भी दिखाओ क्या देख रही हो?
डिम्पल घबरा गई और पीछे देखा। मैंने जल्दी से डिम्पल के मुँह पर हाथ रखा और पीछे ले जाते हुए कहा- क्या देख रही हो? तो डिम्पल बोली- कुछ नहीं! मैंने डिम्पल को छोड़ दिया और धीरे से बोला- एक मिनट! मैं भी देख कर आता हूँ! और उसकी चूची को जोर से रगड़ दिया।
मैंने भैया के कमरे में छेद से देखा तो भैया भाभी की चूत चाट रहे थे और भाभी भैया का लण्ड चूस रही थी।
और जब मैंने डिम्पल को देखा तो वो अपना टीशर्ट ठीक कर रही थी। मैंने डिम्पल के पास में जाकर कहा- छी छी! तुम अपने भैया के, वो भी सगे भैया के कमरे में झांक रही हो? शरम नहीं आती? मैंने तुमको ऐसा नहीं सोचा था।
डिम्पल मेरे सामने सर झुकाए खड़ी थी, वो पूरी मेरी पकड़ में आ चुकी थी।
डिम्पल जैसे ही अपने कमरे में जाने लगी, मैं भी उसके पीछे पीछे हो लिया और जैसे ही वो दरवाजा बंद करने लगी, तभी मैंने रोक लिया और कहा- मैं तुम से बात करना चाहता हूँ।
मैं अन्दर गया और दरवाजा बन्द कर लिया। डिम्पल सर झुकाए खड़ी थी। मैंने उसे पूछा- तुम कितने दिनों से देख रही हो? सच सच बताना।
वो कुछ नहीं बोली। मैंने उसके चेहरे को ऊपर उठा कर पूछा- तुम नहीं बताओगी तो मैं भैया को सब कुछ बता दूँगा।
तो वो बोली- प्लीज़! ऐसा मत करना, मुझे शर्म आ रही है।
मैंने उसको शान्त किया- देखो डिम्पल, इस उम्र में सब जायज़ है। डरो मत, मैं किसी को कुछ नहीं कहूँगा।
और उसका हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर पर बिठाया, कहा- मैं टॉयलेट जाकर आता हूँ, तुम बैठी रहना।
मैं टॉयलेट होकर जल्दी डिम्पल के पास आकर बैठ गया, डिम्पल तब भी सर झुकाए चुपचाप बैठी थी। तभी मैंने डिम्पल के चेहरे को ऊपर उठाया और उसके होंठों के पर ऊँगली से सहलाया, फिर पूछा- बताओ ना, कितने दिनों से देख रही हो?
डिम्पल ने कहा- आज पहली बार ही देखा है भैया, आज के बाद मैं कभी नहीं देखूँगी। प्लीज़ भैया, मुझे माफ़ कर दो आज! ऐसा कभी नहीं करुँगी मैं! और उठने लगी।
तभी मैंने डिम्पल का हाथ पकड़ कर बिठाया और पूछा- ओ के ,तो कल तुम और भाभी क्या कर रही थी? तो बोली- कुछ नहीं!
तो मैंने ही बता दिया- कल तुम और भाभी कही एक दूसरे की चूत चाट रही थी। डिम्पल मेरे मुँह से चूत शब्द सुन कर चौंक गई और बोली- नहीं, मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ। मैंने कहा- वो तो मुझे मालूम है कि तुम कैसी हो।
मैंने उसको पूरा बताया कि कैसे मैंने भाभी के कमरे में देखा, तो वो कुछ नहीं बोली। तभी मैंने डिम्पल के चेहरे को अपने दोनों हाथ से पकड़ कर उसके होंठों पर चुम्बन किया और जैसे ही मैंने डिम्पल के होंठों से मेरे होंठ छुए, वो छटपटाने लगी और मुझे धक्का देने लगी। मैंने भी जोर से पकड़ कर रखा था और चुम्बन करते करते उसके नीचे वाले होंठ को थोड़ा सा दांतों से काट दिया तो उसने मुझे जोर से धक्का दिया लेकिन मैंने भी उसको कस कर पकड़ रखा था, मैं उससे बोला- क्यों इतने नखरे करती हो? देखो ना मेरा लण्ड को कितना तड़प रहा है!
और मैंने जल्दी से अपनी निक्कर अन्डरवीयर समेत नीचे सरका कर उतार दी और उसका हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रखा और हाथ हटाने नहीं दिया, ऐसे ही पकड़ कर लण्ड को मैंने आगे-पीछे करने लगा। तभी डिम्पल दूसरे हाथ से मेरे हाथ को हटाने लगी। मैंने उसका हाथ छोड़ दिया और दूसरे हाथ से उसको अपने ऊपर खींचा।
वह मेरे ऊपर गिर गई, मैंने उसको बाहों में ले लिया और उसको अपने नीचे कर लिया, मैं उसके ऊपर आ गया।
मैंने अपने दोनों हाथों से उसका टीशर्ट को एक ही झटके में निकाल दिया, डिम्पल को ऊपर से नंगी कर दिया और उसकी दोनों चूची को जोर जोर से मसलने लगा।
डिम्पल कहने लगी- नहीं, प्लीज़ ऐसा मत करो भैया! मैं किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहूँगी।
मैंने उसको गले के ऊपर चूमते हुए कहा- एक बार मुझे प्यार करने दो, कल रात से तुम दोनों को एक दूसरे की चूत को चाटते हुए देखा है तो मेरी तो नींद और चैन ही गुल हो गए हैं।
मैं उसकी चूची पकड़ कर जोर जोर से मसलने लगा साथ में उसके गले और कान को चाटने लगा।डिम्पल भी तड़पने लगी और नहीं ऊँ! नहीं ऊह! करने लगी और मैं उसकी दोनों चूचियों को मसलने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं उसके एक चुचूक को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ से दूसरी चूची के चुचूक को जोर से मसलने लगा।
करीब दस मिनट के बाद मैं दूसरे चुचूक को चूसने लगा और दूसरे हाथ से उसका पजामा नीचे करने लगा।
डिम्पल पजामा उतरने नहीं दे रही थी, तभी मैंने उसे नीचे से थोड़ा ऊपर उठाया और एक झटके में उसका पजामा उतार कर फेंक दिया।तब मैंने दोनों हाथ से उसके चेहरे को पकड़ कर उसके होंठों को फिर से चूमा।
डिम्पल को भी मज़ा आने लगा और वो भी अब धीरे धीरे नहीं नहीं आआआ भैया आआअ नो नो भैया आह मेरे साथ ऐसा मत करो कहने लगी और मेरा साथ देने से शर्मा रही थी और थोड़ा थोड़ा साथ भी देने लगी।
मैं डिम्पल के चेहरे, गाल, गर्दन, कान को चाटने लगा और कुछ देर उसको कुत्ते की तरह ऐसे ही चाट चाट कर पूरा गीला कर दिया। जब मैंने उसकी नाभि में जीभ घुमाई तो उसको गुदगुदी होने लगी, वो मछली की तरह तड़पने लगी, मेरे बाल नोचने लगी।
पांच मिनट के बाद में मैंने साफ़ और सीधे सीधे डिम्पल से कहा- अब क्या इरादा है?
वो कुछ बोली नहीं। मैंने फिर पूछा- बोलो न मेरी रानी! तो वो बोली- भैया, मुझे छोड़ दो!
मैंने डिम्पल से कहा- क्यों? कल तो तुम भाभी की चूत को बड़ी मस्त हो कर चाट रही थी और अपनी चूत भाभी से चटवा रही थी?आज तुम मेरा लण्ड और मैं तुम्हारी चूत चाट लेता हूँ।
डिम्पल मुझे घूरते हुए बोली- भैया, आपको शर्म नहीं आती ऐसी बातें करते हुए?
मैंने कहा- प्यार में शर्म क्यों? और तुम भी तो अपनी जवानी को सहन नहीं कर सकती इसलिए तुम भाभी से जवानी लुटवा रही थी। तुम्हें चाहिए एक लण्ड जो चूत को पसंद है। तेरी चूत के लिए मेरा लण्ड ही काफी है। और तुमको भी कोई चोदेगा जरूर! या फिर सारी उम्र ऐसे ही भाभी के साथ मस्ती करोगी? क्यों ना आज ही मैं तेरी चूत की सारी गर्मी निकाल दूँ? अब इतना नाटक ना करो और मेरे लण्ड से खूब खेलो और चुदवाओ!
मेरी इस गन्दी बात से डिम्पल झटका लगा और अपनी आंखे बंद करती हुए बोली- नहीं, आप ऐसा नहीं कर सकते।
मैंने कहा- देखो डिम्पल!
और मैंने उसकी टांगों को अपने दोनों हाथों से अलग किया और एक हाथ उसकी चूत पर रखा, उसकी चूत गीली थी, मैंने डिम्पल से कहा- डिम्पल, अब तुम्हारी चूत भी मेरा लण्ड लेने को तैयार है, तो तुम्हें क्यों ऐतराज़ है?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.