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चचेरी बहन की रजाई
(17-01-2024, 07:09 PM)neerathemall Wrote:
कामुक चचेरी बहन की पहली चुदाई

यह कहानी पांच साल पहले जून महीने की है। जब मैं छुट्टी में घर गया था। क्या बताऊँ दोस्तो, मैं अपने चाचा की लड़की यानि मेरी छोटी बहन (प्रिया) से पूरे दो साल बाद मिला था। वो देखने में एकदम भोजपुरी स्टार अक्षरा सिंह जैसी लग रही थी। वो मुझ से डेढ़ साल छोटी है, उसका फिगर 34-32-36 था.
मेरे चाचा जी आर्मी में हैं और मेरी चाची गृहिणी हैं. उनके तीन लड़के और दो लड़कियां हैं. चाचा बहुत कम ही घर पर रहते हैं. चाची अकेली घर का सारा काम करती है. चाचा के न होने के कारण चाची ही खेत का काम भी करती थी.
उस दिन बाहर खेतों में काम अधिक था इसलिए शाम को आते ही वह खाना खाकर सोने छत पर चली गयी। छत पर सबका बिस्तर लगा हुआ था. 
चाची के बगल में उनके तीन बच्चे सोये हुए थे. मेरा और चाचा के बड़े लड़के और प्रिया का बिस्तर दूसरी छत पर लगा हुआ था. मैं और मेरे चाचा का लड़का सो रहे थे.
कुछ देर बाद प्रिया सोने के लिए छत पर आयी और मैं और चाचा का लड़का एक साथ सोये थे. प्रिया चाचा के लड़के बगल में आकर सो गयी। मेरे सोने के कुछ समय बाद मुझे अहसास हुआ कि मेरा हाथ कहीं जा रहा है. कुछ समय तक मैं सोने का नाटक करता रहा।
मैं देखना चाहता था कि मेरा हाथ कौन टच कर रहा है. प्रिया ने मेरा हाथ अपनी चूची पर ले जाकर रख दिया. उसके बाद उसने कुछ समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं की क्योंकि भाई बीच में सोया था.
कुछ समय बाद वह अपनी चूची पर मेरा हाथ रख कर मसल रही थी. तभी भाई जग गया. भाई के जाग जाने के कारण अब हम दोनों में कोई भी हरकत नहीं करना चाह रहा था. प्रिया ने मेरा हाथ यूं का यूं रहने दिया. मुझे अब तक बहुत मजा आ रहा था लेकिन अब मेरी गांड भी फटने लगी थी कि कहीं भाई देख न ले और प्रिया को छेड़ने का सारा इल्जाम मेरे सिर पर आ जाये. 
उसकी चूची पर से अब भी मेरा हाथ नहीं हटा था. फिर जब भाई दोबारा सो गया तो कुछ समय बाद मैंने उसकी कुर्ती के अन्दर हाथ डालकर चूची बहुत तेज दबा दी. इधर मेरा लन्ड खड़ा होने लगा. कुछ समय बाद मैंने उसकी पजामी में हाथ डालना चाहा लेकिन उसने डालने नहीं दिया. शायद भाई बीच में सोया था इसलिए वो मुझे ऐसा नहीं करने देना चाहती थी.
फिर मैंने कामुक बहन की पजामी के ऊपर से ही उसकी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया.
कुछ समय बाद मुझे अपने हाथ पर पानी पानी सा लगा. उस समय तक वह झड़ चुकी थी. फिर वह उठ कर बैठ गयी. उसके बाद मैंने उस रात कुछ नहीं किया और हम सो गये।

अगले दिन हम दोपहर में टी.वी. देख रहे थे. उस समय घर पर छोटा भाई ही था और कोई नहीं था. तभी उसने मेरी जांघों पर हाथ चलाना शुरू कर दिया. मैं उसके हाथों को बार-बार हटा रहा था क्योंकि दिन का मामला था और कोई भी आ सकता था.
शाम हुई तो चाची खाना खाकर सोने गई. मैं टी.वी. देख रहा था. मैंने बोला- आप लोग सो जाओ. मैं टी.वी. देख कर सो जाऊंगा। 
सभी लोग छत पर जाकर सोने लगे। कुछ समय बाद प्रिया छत से नीचे आयी और मेरे बगल में बैठ गयी. वह अपने हाथ कभी मेरे पैर पर तो कभी मेरे गाल पर चला रही थी। काफी देर तक वो ऐसे ही करती रही.
मुझ से नहीं रहा गया और लाईट ऑफ करके मैंने प्रिया को अपने गोद में बैठा लिया. उसकी चूचियों को खूब रगड़ा और किस करने लगा.
लगभग पांच मिनट तक यही खेल चलता रहा. उसके बाद ऊपर से कोई आवाज आई और हम दोनों एक दूसरे से अलग हो गये. मुझे भी प्रिया के साथ ये सब करने में बहुत मजा आ रहा था. मेरा लंड खड़ा हो गया था और मैं उसके हाथ में लंड देना चाह रहा था लेकिन उसी वक्त फिर वो उठ कर चली गई. ऊपर छत पर जाने के बाद वो सो गई. 
अगले दिन प्रिया के तीनों भाई और बहन 9 बजे के करीब स्कूल चले गये. चाची किसी काम से बाजार गई थी. 
उनके जाते ही मैंने दरवाजे को कुन्डी लगाई और अन्दर आकर देखा तो प्रिया खाना बना रही थी. मैंने पीछे से जाकर प्रिया को पकड़ लिया. उसकी कुर्ती के ऊपर से उसके चूचों के साथ खेलना शुरू कर दिया.
वो मुझे हटाने लगी लेकिन मैंने उसके चूचों को नहीं छोड़ा और उनको दबाता रहा. मेरा लंड खड़ा हो गया था और मैंने प्रिया की गांड पर अपना लंड लगा दिया था. फिर उसने भी कुछ नहीं कहा और मैं आराम से प्रिया के चूचों को दबाने लगा. वो भी अब गर्म होने लगी थी.

फिर मैंने उसकी कुर्ती को निकाल दिया. उसकी ब्रा को भी निकाल दिया. वो ऊपर से नंगी हो गई और मैं उसके चूचों को पीने लगा. किचन में नंगी प्रिया के चूचों के साथ खेलते हुए मुझे भी जोश आने लगा था. मैंने उसकी चूचियों को जोर से पकड़ कर दबा दिया. बीच-बीच में मैं उसके चूचों के निप्पलों को काट भी लेता था. उसके मुंह से चीख सी निकल जाती थी लेकिन उसको भी मजा आ रहा था.
मैंने प्रिया का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखवा दिया तो वो मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी. 
फिर मैंने प्रिया की पजामी को नीचे करने की कोशिश की तो उसने मेरे हाथों को रोक लिया. मैंने थोड़ा जोर लगाया तो उसने अपने हाथ हटा लिये. मैंने प्रिया की पजामी को नीचे कर दिया और उसकी पैंटी मुझे मेरी नजरों के सामने दिखाई देने लगी. उसकी चूत उभरी हुई सी दिख रही थी.
मैंने प्रिया की चूत पर हाथ फेर दिया तो वो चिहुंक सी गई. उसकी चूत काफी गर्म हो चुकी थी. उसकी चूत पर हाथ लगाते ही मेरे लंड का जोश भी और ज्यादा बढ़ गया. मैंने अपनी पैंट की चेन को खोल कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया. मैं अब प्रिया के होंठों को चूसने लगा और मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखवा दिया.
वो मेरे लंड को पकड़ कर मेरे लंड के टोपे को आगे और पीछे करने लगी. मेरा लंड काफी देर से खड़ा हुआ था तो इस वजह से मेरे लंड को जब उसके हाथ का कोमल सा स्पर्श मिला तो मुझे बहुत मजा आने लगा.
मेरी कामुक बहन भी मेरे गर्म लंड को पकड़ कर मजे से उसके टोपे को आगे-पीछे करने में लगी हुई थी. उसको मेरे लंड का साइज पसंद आ गया था. वो उसको बार-बार हाथ में भर कर नाप रही थी. कभी मेरी गोलियों को छेड़ रही थी तो कभी मेरे लंड के सुपारे को मसल रही थी.

उसकी हरकतों से मेरे लंड के अंदर से भी कामरस निकलना शुरू हो गया था.
मैंने वहीं पर खड़े हुए ही उसकी चूत पर अपने लंड को सटा दिया. मेरा मन कर रहा था कि मैं वहीं पर उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दूं. मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था. फिर मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर प्रिया की चूत पर फिराया और अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी.
प्रिया एकदम से उछल पड़ी.

मैंने उसके अपनी बांहों में उठा लिया. उसकी गांड को दबाने लगा और उसकी चूत मेरे लंड पर आकर सट गई. मैं अपनी गांड को आगे धकेल कर उसकी चूत पर लंड के धक्के देने लगा.
मुझे बहुत मजा आ रहा था ये सब करने में.

मेरा लंड प्रिया की चूत में घुसने ही वाला था कि तभी उसने मुझे अपने से अलग कर दिया, वो बोली- अंदर चलो कमरे में.
उसके कहने पर हम कमरे की तरफ जाने लगे. उसकी गांड पीछे से नंगी दिखाई दे रही थी. जब वो चल रही थी तो मैं उसकी गांड को पकड़ कर दबा रहा था. मेरा लंड बार-बार झटके दे रहा था.
मैंने प्रिया की गांड को कस कर दबा दिया तो वो उछल गई और उसकी पजामी उसकी टांगों में उलझ गई जिसके कारण वो एकदम से संतुलन खो बैठी और नीचे गिर पड़ी. मगर उसने अपने हाथ नीचे जमीन पर टिका लिये.
उसकी नंगी गांड मेरे सामने उठ कर आ गई. मैंने अपने लंड को उसकी गांड पर लगा दिया और मैं भी प्रिया के ऊपर ही झुक गया. पीछे से उसकी नंगी गांड पर लंड लगा कर मैं उसके चूचों को दबाने लगा. उसको चोदने का मन करने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: चचेरी बहन की रजाई - by neerathemall - 17-01-2024, 07:11 PM



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