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चचेरी बहन की रजाई
#99
फ़िर भी स्नेहा ने एक आवाज तक नहीं निकाली। हमारा ये ओरल सेक्स चलता रहा। इस बीच हम दोनों का एक बार रस निकल भी चुका था।
फ़िर भी हम दोनों इस तरह का खेल करते रहे। जब हम दोनों एक-दूसरे से अलग हुए तो स्नेहा ने मेरी तरफ़ आकर जोरदार लिपकिस किया और मेरे होंठ को दाँतों से काट कर दरवाजा खोलकर चली गई।
अब मेरा उसका इस तरह का व्यवहार शुरू हो गया था।
उसके दो दिन बाद वो खुद मेरे पास आई और बोली- भैया मुझे किस करो ना!
मैं समझ गया कि इसकी चूत फड़क उठी है, मैंने उसे कमरे का दरवाजा बन्द करके आने को कहा।

वो जल्दी से दरवाजा बन्द करके मेरी गोद में आकर बैठ गई, मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया और कब हम दोनों के कपड़े उतरते चले गए.. हमें इस बात का भान ही नहीं हुआ।
अगले दस मिनट में मैं पूरी नंगी स्नेहा के ऊपर बिल्कुल नंगा पड़ा था, उसने अपनी बुर खोल दी और कहने लगी- भैया चोद दो मुझे अब रहा नहीं जाता..
मैंने अपना लंड उसकी बुर में लगा कर पेल दिया।


उसकी चीख निकली और कुछ देर के दर्द के बाद हम दोनों अपने पहले सेक्स के प्रोजेक्ट में पूरी जी-तोड़ मेहनत से लगे थे।
करीब दस मिनट में स्नेहा की बुर की सील खुल चुकी थी और वो मेरी बांहों में लिपटी पड़ी थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: चचेरी बहन की रजाई - by neerathemall - 17-01-2024, 07:08 PM



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