16-01-2024, 03:33 PM
रात को कई बार मैं उसके लंड पर हाथ रख देती तो कभी वो मेरे मम्मों हाथ रख कर सोने का नाटक करता। पिछले वर्ष जून में पापा को आफिस की ओर से एक महीने केलिए सिंगापुर का टूर मिला। मम्मी-पापा सिंगापुर चले गए। अब हम घर में अकेले थे और मौका भी था।
उस दिन मैंने सकर्ट और शर्ट पहनी जिस में मेरी मांसल जांघें दिख रहीं थीं और जानबूझकर शर्ट के दो बटन खुले छोड़ दिए जिस में से मेरे मम्मों की गोलाईयां बाहर निकल रहीं थीं और भाई के पास चली गई। वो मुझे एकटक देखता रह गया। मैंने देखा भाई का लंड खड़ा हो गया था।
मैंने भाई से कहा मुझे बाईक सीखना है। भाई ने हां कर दी। हमारा घर शहर से 7 कि मी है। उस रास्ते पर जंगलात महकमे की जमीन है और हमारा खेत व घर। शाम के पांच बजे के बाद उस रास्ते पे हमारे सिवा कोई आता-जाता नहीं। अब तो शाम के छ: बज गए थे।
भाई ने बाईक बाहर निकाली। मैं आगे बैठ गई और भाई पीछे। मैंने बैठते समय अपनी सकर्ट गांड तक ऊपर उठा ली। मेरे जिस्म का सपर्श पाते ही भाई का लंड तन गया। मैं धीरे-धीरे बाईक चलाने लगी। भाई का लंड मेरी गांड की दरार में घुस रहा था और उसके हाथ मेरे मम्मो पर थे। मैंने ब्रेक लगा दी।
उस दिन मैंने सकर्ट और शर्ट पहनी जिस में मेरी मांसल जांघें दिख रहीं थीं और जानबूझकर शर्ट के दो बटन खुले छोड़ दिए जिस में से मेरे मम्मों की गोलाईयां बाहर निकल रहीं थीं और भाई के पास चली गई। वो मुझे एकटक देखता रह गया। मैंने देखा भाई का लंड खड़ा हो गया था।
मैंने भाई से कहा मुझे बाईक सीखना है। भाई ने हां कर दी। हमारा घर शहर से 7 कि मी है। उस रास्ते पर जंगलात महकमे की जमीन है और हमारा खेत व घर। शाम के पांच बजे के बाद उस रास्ते पे हमारे सिवा कोई आता-जाता नहीं। अब तो शाम के छ: बज गए थे।
भाई ने बाईक बाहर निकाली। मैं आगे बैठ गई और भाई पीछे। मैंने बैठते समय अपनी सकर्ट गांड तक ऊपर उठा ली। मेरे जिस्म का सपर्श पाते ही भाई का लंड तन गया। मैं धीरे-धीरे बाईक चलाने लगी। भाई का लंड मेरी गांड की दरार में घुस रहा था और उसके हाथ मेरे मम्मो पर थे। मैंने ब्रेक लगा दी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.