16-01-2024, 12:24 PM
आह!!!! सरिता मेरी जान!!!! मेरी सेक्सी साली!!!! चूसो मेरे लंड को चूसो!!! जी भरकर चूसो मेरी जान!!!!! आज मेरा लंड जबतक फट न जाए तब तक चूसो तुम।
थोड़ी देर में मेंरा लंड फिर से खड़ा होकर सरिता को सलामी देने लगा तो सरिता बोली- अब क्या करना है जीजू????
मैंने कहा- मुझे तुम्हारी गांड लेनी है!!!! वो फिर से गांड की बात सुनकर डर गई और बोली नहीं मैं मर जाउंगी।
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, मैं इस तरह तुम्हारी गांड लूंगा कि तुम्हें जरा सा भी दर्द नहीं होगा। बस एक बार अपनी गांड मरवा लो प्लीज!!!! मैं सरिता के आगे हाथ जोड़ने लगा तो वो बोली- अरे जीजू आप हाथ मत जोड़िए। अब तो चाहे मैं मर ही जाऊँ पर अपने जीजू की चाहत पूरी करके रहूंगी।। (दोस्तों ये मेरा ट्रिक था गांड लेने का मैं जानता था कि अगर मैं सरिता के सामने हाथ जोड़ लूं तो वो गांड क्या सबकुछ मरवा लेगी) मैंने सरिता को कुतिया की तरह उल्टा झुकाया और उसकी गांड चाटने लगा। सरिता मजे लेकर गांड चटवाने लगी और मैं उसके गांड की छेद में अपनी जीभ घुसेड़ कर उसकी गांड चटाई कर रहा था।
कुछ देर की गांड चटाई के बाद मैंने उसकी गांड में एक उंगली भी डाल दी। उसे थोड़ा दर्द हुआ पर वो कुछ नहीं बोली। आह जीजू!!!!! आप कितना अच्छा गांड चाटते हो!!!! आह!!!!!
फिर कुछ देर बाद दूसरी फिर तीसरी करके धीरे धीरे चार उगलियां उसकी गांड में डाल कर उसके गांड को ढीला करने लगा।
कुछ देर बाद सरिता को उसी कुतिया वाले पोज में रहने को बोला और खूब ढेर सारा थूक उसकी गांड पर थूक कर फिर गांड पर मला और जब लगा की सरिता की गांड एकदम ढीली हो गई है तो मैंने अपने लंड को गांड पर सेट करके धीरे धीरे सरिता की गांड में डालना शुरू किया। लगभग तीन इंच जाने के बाद सरिता को थोड़ा दर्द महसूस हुआ तो मैं वहीं रूक कर धीरे धीरे सरिता की गांड मारने लगा। गांड मारते वक्त मैं उसकी कमर को पकड़े हुए धक्के लगाते हुए धीरे धीरे अपने लंड को सरिता की गांड की गहराइयों में उतारने लगा। जब उसे दर्द होता तो वो चीखती और मैं अंदर धकेलना रोककर चुदाई करने लगता। करीब 5 मिनट ऐसा करते करते मेरा पूरा लंड सरिता की गांड में जा चुका था तो मैंने कहा कि सरिता अब तो मेरा पूरा लंड तुम्हारी गांड में जा चुका है बताओ कितना दर्द हुआ। तो वो बोली सच कहूं जीजू तो मेरी जितना चूत दुखी है उतना गांड नहीं। तब मैंने कहा कि अगर तुमने पहले ही बता दिया होता कि तुम गरिमा नहीं सरिता हो तो शायद तुम्हारी चूत भी उतनी नहीं दुखती क्योंकि मेरे चोदने का स्टाइल सबसे अलग रहता है। सरिता बोली- अगर मैंने पहले ही अपना नाम बता दिया होता तो शायद आज हमारी ये चुदाई ही न हो पाती।
मैंने हंसते हुए कहा कि आज तो मैं किसी न किसी की चुदाई जरूर करता। चाहे सामने कोई भी आ जाता। इसी तरह लगभग आधे घंटे की गांड चुदाई के बाद मैंने कहा की सरिता अबकी बार कहाँ लोगी मेरे लंड का पानी तो वो बोली जीजू मेरी गांड में ही डाल दीजिए अपने लंड का पानी ।
तभी मैने धक्कों की स्पीड तेज करके और तेजी से सरिता की गांड चोदने लगा। दस पन्द्रह धक्कों के बाद मेरे लंड ने अपना पानी सरिता की गांड में छोड़ दिया।
फिर मैंने अपना लंड निकाल कर सरिता को साफ करने को दिया तो अबकी बार उसने अपने मुंह में लेने से मना कर दिया क्योंकि उसके गांड की गहराइयों का संडास भी मेरे लंड पर लग गया था।
वो उठी और मेरे लंड को कपड़े से साफ की। फिर मैंने लाइट जलाने को बोला तो सरिता ने लाइट तो जलाया लेकिन उजाले में मुझे और अपने आपको जन्मजात नंगी पाकर शरमाने लगी। उजाले में मैंने देखा कि पूरा चद्दर खून और सरिता के चूत की पानी से सना हुआ था। आज ही सरिता के चूत की सील टूटी थी और चुदाई होने के बीच बीच में उसकी चूत ने कई बार पानी छोड़ा था।
दोस्तों पूरी रात भर में मैंने दो तीन बार उसकी चूत मारी। दो बार गांड ली और दो बार उसके मुंह को चोदकर अपने लंड का पानी उसे पिलाया एक बार तो उसने मेरे लंड के पानी को अपने मुंह में से थोड़ा सा अपनी चूचियों पर गिरा लिया और चूचियों को मसल दिया।
उसके बाद सरिता ने वो चद्दर बदल दिया और साफ चद्दर बिछा कर हम दोनों अलग अलग चद्दर में सो गए।
सुबह मेरी नींद गरिमा के जगाने से खुली। वो चाय लेकर मेरे पास खड़ी थी और सरिता बिस्तर छोड़ कर जा चुकी थी। मैंने उसके हाथ से चाय लिया और मैं कुछ कहता उससे पहले ही वो बोल उठी- जानू रात को मम्मी की तबीयत कुछ खराब थी तो चाची उनका पैर हाथ दबा रही थीं और मैं वहीं सोफे पर बैठे बैठे ही सो गई। रात को आपको चुदाई करने का मौका नहीं मिल पाया इसके लिए सॉरी पर आज जरूर चुदवाउंगी। आज तो मुझे अपनी गांड मरवानी है आपसे। मैंने तुरंत गरिमा को पकड़ कर बिस्तर पर गिराया और उसे अपना लंड चूसने को बोला। गरिमा बोली कि कहीं कोई आ गया तो। मैं उठकर गया और कमरे की कुंडी लगा दिया। फिर बिस्तर पर आकर गरिमा से बोला अब कोई नहीं आएगा यहाँ।
गरिमा ने मेरा लंड तुरंत अपने मुंह में भरकर चूसना शुरू किया। फिर मैंने उसको उल्टा लिटाकर कर उसकी गांड पर थूक लगाकर एक बार में ही पूरा लंड गरिमा की गांड में डाल दिया।वो लगभग चीखकर बोली- आराम से डालो राजा जी दर्द होता है। मैनें कहा कोई बात नहीं, होने दो दर्द के साथ मजा भी तो आता है जानेमन। इधर मैं गरिमा की गांड मार ही रहा था कि अचानक से मेरी नजर खिड़की पर पड़ी मेरी चाची सास वहाँ खड़ी होकर अपनी चूत रगड़ रही थीं। मैं तो डर गया था लेकिन सरिता की बात अचानक याद आ गई तो मैंने गरिमा की गांड मारना जारी रखा। लगभग 30 मिनट की गांड चुदाई के बाद मैं छूटने को हुआ तो गरिमा सीधी हो गई और मैंने अपने लंड का पूरा पानी गरिमा के मुंह में छोड़ दिया। और मन ही मन सोचने लगा कि अच्छा हुआ रात को तुम नहीं थी क्योंकि गरिमा के न रहने से रात को सरिता की गुलाबी चूत मखमली गांड मिली, सुबह अपनी
थोड़ी देर में मेंरा लंड फिर से खड़ा होकर सरिता को सलामी देने लगा तो सरिता बोली- अब क्या करना है जीजू????
मैंने कहा- मुझे तुम्हारी गांड लेनी है!!!! वो फिर से गांड की बात सुनकर डर गई और बोली नहीं मैं मर जाउंगी।
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, मैं इस तरह तुम्हारी गांड लूंगा कि तुम्हें जरा सा भी दर्द नहीं होगा। बस एक बार अपनी गांड मरवा लो प्लीज!!!! मैं सरिता के आगे हाथ जोड़ने लगा तो वो बोली- अरे जीजू आप हाथ मत जोड़िए। अब तो चाहे मैं मर ही जाऊँ पर अपने जीजू की चाहत पूरी करके रहूंगी।। (दोस्तों ये मेरा ट्रिक था गांड लेने का मैं जानता था कि अगर मैं सरिता के सामने हाथ जोड़ लूं तो वो गांड क्या सबकुछ मरवा लेगी) मैंने सरिता को कुतिया की तरह उल्टा झुकाया और उसकी गांड चाटने लगा। सरिता मजे लेकर गांड चटवाने लगी और मैं उसके गांड की छेद में अपनी जीभ घुसेड़ कर उसकी गांड चटाई कर रहा था।
कुछ देर की गांड चटाई के बाद मैंने उसकी गांड में एक उंगली भी डाल दी। उसे थोड़ा दर्द हुआ पर वो कुछ नहीं बोली। आह जीजू!!!!! आप कितना अच्छा गांड चाटते हो!!!! आह!!!!!
फिर कुछ देर बाद दूसरी फिर तीसरी करके धीरे धीरे चार उगलियां उसकी गांड में डाल कर उसके गांड को ढीला करने लगा।
कुछ देर बाद सरिता को उसी कुतिया वाले पोज में रहने को बोला और खूब ढेर सारा थूक उसकी गांड पर थूक कर फिर गांड पर मला और जब लगा की सरिता की गांड एकदम ढीली हो गई है तो मैंने अपने लंड को गांड पर सेट करके धीरे धीरे सरिता की गांड में डालना शुरू किया। लगभग तीन इंच जाने के बाद सरिता को थोड़ा दर्द महसूस हुआ तो मैं वहीं रूक कर धीरे धीरे सरिता की गांड मारने लगा। गांड मारते वक्त मैं उसकी कमर को पकड़े हुए धक्के लगाते हुए धीरे धीरे अपने लंड को सरिता की गांड की गहराइयों में उतारने लगा। जब उसे दर्द होता तो वो चीखती और मैं अंदर धकेलना रोककर चुदाई करने लगता। करीब 5 मिनट ऐसा करते करते मेरा पूरा लंड सरिता की गांड में जा चुका था तो मैंने कहा कि सरिता अब तो मेरा पूरा लंड तुम्हारी गांड में जा चुका है बताओ कितना दर्द हुआ। तो वो बोली सच कहूं जीजू तो मेरी जितना चूत दुखी है उतना गांड नहीं। तब मैंने कहा कि अगर तुमने पहले ही बता दिया होता कि तुम गरिमा नहीं सरिता हो तो शायद तुम्हारी चूत भी उतनी नहीं दुखती क्योंकि मेरे चोदने का स्टाइल सबसे अलग रहता है। सरिता बोली- अगर मैंने पहले ही अपना नाम बता दिया होता तो शायद आज हमारी ये चुदाई ही न हो पाती।
मैंने हंसते हुए कहा कि आज तो मैं किसी न किसी की चुदाई जरूर करता। चाहे सामने कोई भी आ जाता। इसी तरह लगभग आधे घंटे की गांड चुदाई के बाद मैंने कहा की सरिता अबकी बार कहाँ लोगी मेरे लंड का पानी तो वो बोली जीजू मेरी गांड में ही डाल दीजिए अपने लंड का पानी ।
तभी मैने धक्कों की स्पीड तेज करके और तेजी से सरिता की गांड चोदने लगा। दस पन्द्रह धक्कों के बाद मेरे लंड ने अपना पानी सरिता की गांड में छोड़ दिया।
फिर मैंने अपना लंड निकाल कर सरिता को साफ करने को दिया तो अबकी बार उसने अपने मुंह में लेने से मना कर दिया क्योंकि उसके गांड की गहराइयों का संडास भी मेरे लंड पर लग गया था।
वो उठी और मेरे लंड को कपड़े से साफ की। फिर मैंने लाइट जलाने को बोला तो सरिता ने लाइट तो जलाया लेकिन उजाले में मुझे और अपने आपको जन्मजात नंगी पाकर शरमाने लगी। उजाले में मैंने देखा कि पूरा चद्दर खून और सरिता के चूत की पानी से सना हुआ था। आज ही सरिता के चूत की सील टूटी थी और चुदाई होने के बीच बीच में उसकी चूत ने कई बार पानी छोड़ा था।
दोस्तों पूरी रात भर में मैंने दो तीन बार उसकी चूत मारी। दो बार गांड ली और दो बार उसके मुंह को चोदकर अपने लंड का पानी उसे पिलाया एक बार तो उसने मेरे लंड के पानी को अपने मुंह में से थोड़ा सा अपनी चूचियों पर गिरा लिया और चूचियों को मसल दिया।
उसके बाद सरिता ने वो चद्दर बदल दिया और साफ चद्दर बिछा कर हम दोनों अलग अलग चद्दर में सो गए।
सुबह मेरी नींद गरिमा के जगाने से खुली। वो चाय लेकर मेरे पास खड़ी थी और सरिता बिस्तर छोड़ कर जा चुकी थी। मैंने उसके हाथ से चाय लिया और मैं कुछ कहता उससे पहले ही वो बोल उठी- जानू रात को मम्मी की तबीयत कुछ खराब थी तो चाची उनका पैर हाथ दबा रही थीं और मैं वहीं सोफे पर बैठे बैठे ही सो गई। रात को आपको चुदाई करने का मौका नहीं मिल पाया इसके लिए सॉरी पर आज जरूर चुदवाउंगी। आज तो मुझे अपनी गांड मरवानी है आपसे। मैंने तुरंत गरिमा को पकड़ कर बिस्तर पर गिराया और उसे अपना लंड चूसने को बोला। गरिमा बोली कि कहीं कोई आ गया तो। मैं उठकर गया और कमरे की कुंडी लगा दिया। फिर बिस्तर पर आकर गरिमा से बोला अब कोई नहीं आएगा यहाँ।
गरिमा ने मेरा लंड तुरंत अपने मुंह में भरकर चूसना शुरू किया। फिर मैंने उसको उल्टा लिटाकर कर उसकी गांड पर थूक लगाकर एक बार में ही पूरा लंड गरिमा की गांड में डाल दिया।वो लगभग चीखकर बोली- आराम से डालो राजा जी दर्द होता है। मैनें कहा कोई बात नहीं, होने दो दर्द के साथ मजा भी तो आता है जानेमन। इधर मैं गरिमा की गांड मार ही रहा था कि अचानक से मेरी नजर खिड़की पर पड़ी मेरी चाची सास वहाँ खड़ी होकर अपनी चूत रगड़ रही थीं। मैं तो डर गया था लेकिन सरिता की बात अचानक याद आ गई तो मैंने गरिमा की गांड मारना जारी रखा। लगभग 30 मिनट की गांड चुदाई के बाद मैं छूटने को हुआ तो गरिमा सीधी हो गई और मैंने अपने लंड का पूरा पानी गरिमा के मुंह में छोड़ दिया। और मन ही मन सोचने लगा कि अच्छा हुआ रात को तुम नहीं थी क्योंकि गरिमा के न रहने से रात को सरिता की गुलाबी चूत मखमली गांड मिली, सुबह अपनी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
