16-01-2024, 12:21 PM
दो माह की रेलम पेल चुदाई के बाद मेरे ससुराल वाले मेरी बीवी को ले जाने के लिए आए। मेरा और गरिमा का मन न होते हुए भी हम लोग कुछ न कह सके और मेरी बीवी अपने मायके चली गई। दोस्तों मेरा ससुराल मेरे घर से महज 12 किमी और मेरे शोरुम से 9 किमी ही है।
अब मेरी बीवी गरिमा दिन भर मुझसे वीडियो कॉल पर अपना जिस्म दिखाकर बातें करती और अपनी चूत में उंगली करती रहती। मैं भी अपने कानों में ईयरफोन लगाकर अपने शोरूम पर बैठा रहता और लंड मसल मसल कर बातें करता रहता। और दुकान पर काम करने वाले लड़के और लड़कियों को पता भी चल गया था कि सेठ किसी से रंगीन बातें करने में लगा रहता है, क्योंकि सब कभी न कभी लंड मसलते हुए देख चुके थे पर कोई कुछ नहीं कहता क्योंकि सबको मैं अच्छी खासी सैलरी को साथ साथ सम्मान भी बहुत देता था और मेरे शोरुम पर जितनी लड़कियां काम करती थीं वो तो और खुश रहती थीं क्योंकि मैं उनकी कभी कभार एक्सट्रा पैसों से मदद कर देता था बदले में वे मुझसे अपनी चूचियां दबवाकर, मेरे लंड का पानी अपने मुंह में लेकर मेरा मदद कर देती थीं।
अब आप सोच रहे होंगे की दुकान पर मैं उनके साथ ये सब हरकत कैसे करता था तो पहले तो ये जान लीजिए कि वो एक बड़ा शोरूम है और मेरा काम सिर्फ सीसीटीवी लगाकर लोगों पर नजर रखना है। मैं अपने 7×9 के केबिन में बैठकर सीसीटीवी देखता रहता हूँ और जब किसी से लंड चुसवाना होता तो वहीं पर बुलाकर मेज के नीचे बैठा लेता था।
दोस्तों मेरे केबिन का डिजाइन कुछ ऐसा है कि मेरे केबिन से ही होकर एक तरफ एक लेडिज चेंजिंग रूम है। मतलब अगर किसी लेडिज को कपड़े खरीदने के बाद उन्हें अपना फिटिंग साइज चेक करना है तो उन्हें मेरे केबिन में से होकर गुजरना पड़ता है। और एक चेंजिंग रूम बाहर की ओर से ही खुलता है। लेकिन फिर भी मेरे बैठने की जगह पर मेरा टेबल इस तरह सेट है कि चाहे मैं खड़ा रहूँ या बैठा रहूँ मेरे कमर के नीचे का जरा सा भी हिस्सा चेंजिंग रूम में जाने वाले को नहीं दिखाई देता। कभी कभार तो मैं अपने केबिन में बैठे बैठे किसी लड़की को अपना लंड चुसवा रहा होता हूँ और कोई चेंजिंग रूम में जाता है तो किसी को कुछ नहीं मालूम चल पाता लेकिन मेरी खुशी दोगुनी हो जाती थी।
अब मेरी बीवी गरिमा दिन भर मुझसे वीडियो कॉल पर अपना जिस्म दिखाकर बातें करती और अपनी चूत में उंगली करती रहती। मैं भी अपने कानों में ईयरफोन लगाकर अपने शोरूम पर बैठा रहता और लंड मसल मसल कर बातें करता रहता। और दुकान पर काम करने वाले लड़के और लड़कियों को पता भी चल गया था कि सेठ किसी से रंगीन बातें करने में लगा रहता है, क्योंकि सब कभी न कभी लंड मसलते हुए देख चुके थे पर कोई कुछ नहीं कहता क्योंकि सबको मैं अच्छी खासी सैलरी को साथ साथ सम्मान भी बहुत देता था और मेरे शोरुम पर जितनी लड़कियां काम करती थीं वो तो और खुश रहती थीं क्योंकि मैं उनकी कभी कभार एक्सट्रा पैसों से मदद कर देता था बदले में वे मुझसे अपनी चूचियां दबवाकर, मेरे लंड का पानी अपने मुंह में लेकर मेरा मदद कर देती थीं।
अब आप सोच रहे होंगे की दुकान पर मैं उनके साथ ये सब हरकत कैसे करता था तो पहले तो ये जान लीजिए कि वो एक बड़ा शोरूम है और मेरा काम सिर्फ सीसीटीवी लगाकर लोगों पर नजर रखना है। मैं अपने 7×9 के केबिन में बैठकर सीसीटीवी देखता रहता हूँ और जब किसी से लंड चुसवाना होता तो वहीं पर बुलाकर मेज के नीचे बैठा लेता था।
दोस्तों मेरे केबिन का डिजाइन कुछ ऐसा है कि मेरे केबिन से ही होकर एक तरफ एक लेडिज चेंजिंग रूम है। मतलब अगर किसी लेडिज को कपड़े खरीदने के बाद उन्हें अपना फिटिंग साइज चेक करना है तो उन्हें मेरे केबिन में से होकर गुजरना पड़ता है। और एक चेंजिंग रूम बाहर की ओर से ही खुलता है। लेकिन फिर भी मेरे बैठने की जगह पर मेरा टेबल इस तरह सेट है कि चाहे मैं खड़ा रहूँ या बैठा रहूँ मेरे कमर के नीचे का जरा सा भी हिस्सा चेंजिंग रूम में जाने वाले को नहीं दिखाई देता। कभी कभार तो मैं अपने केबिन में बैठे बैठे किसी लड़की को अपना लंड चुसवा रहा होता हूँ और कोई चेंजिंग रूम में जाता है तो किसी को कुछ नहीं मालूम चल पाता लेकिन मेरी खुशी दोगुनी हो जाती थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
