14-01-2024, 09:53 PM
हम तीनों सुबह के लगभग चार बजे सोए होंगे।अब सिर्फ नीचे का मेन डोर लॉक रहता था, बाकी ऊपर नीचे ऐसे रहने लगे थे मानों एक ही परिवार हो।
मनीष और शिल्पी नीचे अपने कमरे में सोए थे और प्रीति मंजु के कमरे में। सुबह के सात बजे होंगे, ऊपर हम तीनों गहरी नींद में सोए थे वहीं नीचें तीनों के सुबह उठने का टाइम हो चुका था।
प्रीति की जब नींद खुली तो उसने बिस्तर पर मंजू को नहीं देखा। थोड़ी
देर उठने के बाद वो फ्रेश हो गई लेकिन उसे मंजू नजर नहीं आयी तो उसने मंजू को कॉल किया। मंजू एक दम मुझसे चिपक के सोयी थी और सोए हुए हाल में भी मेरा एक हाथ से मंजु को पकड़ रखा था और उसका एक बूब्स मेरी मुट्ठी में था।
प्रीति की कॉल से मंजू की नींद खुली। मंजू ने फोन पर प्रीति देखते ही आँखे खोला और उसे होश आया कि रात में वो प्रीति के साथ नीचे सोयी थी।
उसने प्रीति का कॉल उठाया।
प्रीति मंजू से- आप कहा हों?
मंजू- मैं थोड़ी देर पहले ऊपर आयी हूँ। वो राज जी का कॉल आया था उन्हें सुबह सर्दी जैसा लग रहा था। तू तैयार हो, मैं आ रहीं हूँ।
मंजू ने अपने बूब्स को मेरे क़ब्ज़े से आजाद किया और बेड से नीचे उतरी। यह क्या मेरे कॉल पर रात में तो वो ब्रा पैंटी में ही छत पर आयी थी। वो दोनों ब्रा सिर्फ कहने के लिए शरीर को ढकते थे लेकिन ढकनें से अधिक दिखाने का काम ही करते थे।
मंजु की नाइटीजो छत पर रखी थी, वों कल रात नीतू ने पहनीं थीं और अभी वह पहनने लायक़ हालत में नहीं थी। मंजू को समझ नहीं आ रहा था, इस हालत में वो नीचे कैसे जाए तभी उसकी नजर टॉवल पर पड़ी और उसने टॉवल से खुद को लपेटा और वो नीचे आ गई।
नीचे जा कर उसने जल्दी से सूट पहना, नाश्ता बनाया और तीनों को कॉलेज, कॉलेज के लिए रवाना किया। फिर नीचे उसने मेन डोर लॉक किया और वो अपने कमरे में जा कर सो गई।
दिन के लगभग दस बजे होंगे तभी मेरी नींद खुली। मैंने बिस्तर पर नीतू को देखा। मेरी आँखें खुलते ही उसकी भी नींद खुली। सुबह सुबह ऐसे भी लंड खड़ा ही रहता है और नीतू और मैं तो पूरे नंगे ही बेड पर थे।
नीतू एक दम दासी की तरह मेरे लिए समर्पित थीं।
मैं नीतू से- उठ गयी नीतू
नीतू- जी सर
मैं- तो अब क्या करेगी
नीतू- जो आप कहे
मैं- चल फिर पैर दबा।
नीतू तुरंत उठी और मेरे पैर दबाने लगी। तभी मैंने ऑफिस में मैसेज किया कि आज नहीं आऊँगा।
फिर थोड़ी देर में मैं उठ कर फ्रेश हुआ। तब तक नीतू ने पूरे घर की सफाई कर दी। मैं नहाने जा रहा तो नीतू मुझसे पूछ के नीचे गई।
मनीष और शिल्पी नीचे अपने कमरे में सोए थे और प्रीति मंजु के कमरे में। सुबह के सात बजे होंगे, ऊपर हम तीनों गहरी नींद में सोए थे वहीं नीचें तीनों के सुबह उठने का टाइम हो चुका था।
प्रीति की जब नींद खुली तो उसने बिस्तर पर मंजू को नहीं देखा। थोड़ी
देर उठने के बाद वो फ्रेश हो गई लेकिन उसे मंजू नजर नहीं आयी तो उसने मंजू को कॉल किया। मंजू एक दम मुझसे चिपक के सोयी थी और सोए हुए हाल में भी मेरा एक हाथ से मंजु को पकड़ रखा था और उसका एक बूब्स मेरी मुट्ठी में था।
प्रीति की कॉल से मंजू की नींद खुली। मंजू ने फोन पर प्रीति देखते ही आँखे खोला और उसे होश आया कि रात में वो प्रीति के साथ नीचे सोयी थी।
उसने प्रीति का कॉल उठाया।
प्रीति मंजू से- आप कहा हों?
मंजू- मैं थोड़ी देर पहले ऊपर आयी हूँ। वो राज जी का कॉल आया था उन्हें सुबह सर्दी जैसा लग रहा था। तू तैयार हो, मैं आ रहीं हूँ।
मंजू ने अपने बूब्स को मेरे क़ब्ज़े से आजाद किया और बेड से नीचे उतरी। यह क्या मेरे कॉल पर रात में तो वो ब्रा पैंटी में ही छत पर आयी थी। वो दोनों ब्रा सिर्फ कहने के लिए शरीर को ढकते थे लेकिन ढकनें से अधिक दिखाने का काम ही करते थे।
मंजु की नाइटीजो छत पर रखी थी, वों कल रात नीतू ने पहनीं थीं और अभी वह पहनने लायक़ हालत में नहीं थी। मंजू को समझ नहीं आ रहा था, इस हालत में वो नीचे कैसे जाए तभी उसकी नजर टॉवल पर पड़ी और उसने टॉवल से खुद को लपेटा और वो नीचे आ गई।
नीचे जा कर उसने जल्दी से सूट पहना, नाश्ता बनाया और तीनों को कॉलेज, कॉलेज के लिए रवाना किया। फिर नीचे उसने मेन डोर लॉक किया और वो अपने कमरे में जा कर सो गई।
दिन के लगभग दस बजे होंगे तभी मेरी नींद खुली। मैंने बिस्तर पर नीतू को देखा। मेरी आँखें खुलते ही उसकी भी नींद खुली। सुबह सुबह ऐसे भी लंड खड़ा ही रहता है और नीतू और मैं तो पूरे नंगे ही बेड पर थे।
नीतू एक दम दासी की तरह मेरे लिए समर्पित थीं।
मैं नीतू से- उठ गयी नीतू
नीतू- जी सर
मैं- तो अब क्या करेगी
नीतू- जो आप कहे
मैं- चल फिर पैर दबा।
नीतू तुरंत उठी और मेरे पैर दबाने लगी। तभी मैंने ऑफिस में मैसेज किया कि आज नहीं आऊँगा।
फिर थोड़ी देर में मैं उठ कर फ्रेश हुआ। तब तक नीतू ने पूरे घर की सफाई कर दी। मैं नहाने जा रहा तो नीतू मुझसे पूछ के नीचे गई।