14-01-2024, 05:53 PM
मेरी गुलाम मंजू मेरा मैसेज पढ़ते ही बाहर आ गई। मंजु ने सिर्फ पैंटी पहना हुआ था वो भई पतली डोर वाली।
मैंने कमरें से आती मंजु को ईशारा किया कि चुपचाप नीतू के पीछे आ जा। मेरे कहे अनुसार मंजू नीतू की पीछे खड़ी हो गई।
मैं दीवाल से अड़कर खड़ा था और नीतू पूरे मजे लेकर मेरा लंड चूस रही थी। मैंने अपने हाथों से उसके सर को पकड़ रखा था और पूरी तेजी से लंड को अंदर बाहर कर रहा था। नीतू के पीछे मंजू खड़ी थी, मैंने मंजू को इशारा किया कि वो नीतू को पीठ पर किस करना शुरू करे।
मंजू ने नीतू के गरदन के पिछले हिस्से पर हाथ फेरा और अपने जीभ से चाटना शुरू किया। मेरा लंड चूस रही नीतू की अचानक से सिसकी निकल पड़ी लेकिन मैं उसके सर को पकड़े रखा ताकि वो पीछे नहीं देख सके।
मंजु नीतू के पूरी पीठ को चाटते हुई नीतू को और गर्म कर रही थी और नीतू वो पूरी गर्मी मेरे लंड चूसने में निकाल रही थी। तभी मैंने नीतू को उठाया और पास में उसको रेलिंग के पास ले गया।
रेलिंग के पास एक गद्दे वाली कुर्सी पड़ी थी और खुले आसमान के नीचे हल्की रोशनी में बस वही कुर्सी चमक रही थी। मैंने नीतू को उस कुर्सी पे रखा और उसके चूत में अपना लंड डाल दिया।
थोड़ी देर में मेरे लंड से पानी निकल गया तो मैंने नीतू को उठाया। अब नीतू को भी होश आया कि वहाँ पर मंजु खड़ीं है। मंजु को देख नीतू शर्मायी तो मैंने नीतू की गाल पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा- शर्मा मत, तुम दोनों मेरा ही माल हों।
नीतू उठी और शर्माते हुए बाथरूम की ओर गई और मैं उसी कुर्सी पर बैठ गया। फिर मंजु ने मेरा लंड जीभ से अच्छे से साफ किया।
इसके बाद मैं कमरे में आ गया। मंजु और नीतू भी मेरे साथ कमरे में आ गए। आज मेरे डबल बेड का पूरा इस्तेमाल हो रहा था। मैं बीच में लेट गया और मेरे दोनों बाहों में एक तरफ मंजु और दूसरी तरफ़ नीतू थी।
कभी नीतू मेरा लंड सहला रही होती तो कभी मंजू। फिर इधर उधर की बाते करते हम सो गए।
मैंने कमरें से आती मंजु को ईशारा किया कि चुपचाप नीतू के पीछे आ जा। मेरे कहे अनुसार मंजू नीतू की पीछे खड़ी हो गई।
मैं दीवाल से अड़कर खड़ा था और नीतू पूरे मजे लेकर मेरा लंड चूस रही थी। मैंने अपने हाथों से उसके सर को पकड़ रखा था और पूरी तेजी से लंड को अंदर बाहर कर रहा था। नीतू के पीछे मंजू खड़ी थी, मैंने मंजू को इशारा किया कि वो नीतू को पीठ पर किस करना शुरू करे।
मंजू ने नीतू के गरदन के पिछले हिस्से पर हाथ फेरा और अपने जीभ से चाटना शुरू किया। मेरा लंड चूस रही नीतू की अचानक से सिसकी निकल पड़ी लेकिन मैं उसके सर को पकड़े रखा ताकि वो पीछे नहीं देख सके।
मंजु नीतू के पूरी पीठ को चाटते हुई नीतू को और गर्म कर रही थी और नीतू वो पूरी गर्मी मेरे लंड चूसने में निकाल रही थी। तभी मैंने नीतू को उठाया और पास में उसको रेलिंग के पास ले गया।
रेलिंग के पास एक गद्दे वाली कुर्सी पड़ी थी और खुले आसमान के नीचे हल्की रोशनी में बस वही कुर्सी चमक रही थी। मैंने नीतू को उस कुर्सी पे रखा और उसके चूत में अपना लंड डाल दिया।
थोड़ी देर में मेरे लंड से पानी निकल गया तो मैंने नीतू को उठाया। अब नीतू को भी होश आया कि वहाँ पर मंजु खड़ीं है। मंजु को देख नीतू शर्मायी तो मैंने नीतू की गाल पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा- शर्मा मत, तुम दोनों मेरा ही माल हों।
नीतू उठी और शर्माते हुए बाथरूम की ओर गई और मैं उसी कुर्सी पर बैठ गया। फिर मंजु ने मेरा लंड जीभ से अच्छे से साफ किया।
इसके बाद मैं कमरे में आ गया। मंजु और नीतू भी मेरे साथ कमरे में आ गए। आज मेरे डबल बेड का पूरा इस्तेमाल हो रहा था। मैं बीच में लेट गया और मेरे दोनों बाहों में एक तरफ मंजु और दूसरी तरफ़ नीतू थी।
कभी नीतू मेरा लंड सहला रही होती तो कभी मंजू। फिर इधर उधर की बाते करते हम सो गए।