11-01-2024, 11:20 AM
(This post was last modified: 11-01-2024, 12:22 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
धीरे धीरे आखिरकार मेरे सहयोग से मुझे कुतिया वाली अवस्था में ले आया और फिर एक लय में दमादम धक्के मारने लगा. मैं भी एक लय में कराहने लगी और चादर को मुठ्ठी में भर लिया. उसका लिंग मेरी योनि में ऐसे चल रहा था मानो मेरी नाभि को भेद देगा.![[Image: 15206819_014_2e0a.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/1/171/15206819/15206819_014_2e0a.jpg)
कोई 5-7 मिनट तक लगातार एक ही रफ्तार से धक्के मारने के बाद वो अपनी मर्दानी आवाज में कराह उठा और पूरी ताकत से एक जोर का धक्का दे मारा. मैं और जोर से कराही और उसका लिंग मेरी योनि की गहराई में जा धंसा. मेरी बच्चेदानी के मुँह में लिंग का सुपारा जा लगा. उसी समय सुरेश मेरे ऊपर गिर गया. गिरते ही उसने एक हाथ ले जाकर मेरे पेट के नीचे से मुझे पकड़ा और दूसरे हाथ में मेरे एक स्तन को दबोच लिया.
अब वो हिचकी खाने की तरह कराह कराह कर अपनी कमर से झटके मारने लगा. उन हिचकियों के साथ साथ अपना वीर्य भी पिच-पिच कर छोड़ते हुए मेरी बच्चेदानी के मुँह में भरने लगा.![[Image: 15206819_015_f960.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/1/171/15206819/15206819_015_f960.jpg)
धीरे धीरे उसके झटके भी कम पड़ने लगे और वीर्य की बूंदें भी कम होती चली गईं. मैं उसके गर्म वीर्य का एहसास कभी नहीं भूल सकती. मुझे उसका एक अलग ही आनन्द मिला.
जब उसकी थैली पूरी खाली हो गयी, तो वो मेरे ऊपर से लुढ़क कर नीचे गिर गया. उसके गिरते ही मेरी योनि से उसका लिंग बाहर आ गया और गाढ़ा सफेद झाग सा वीर्य धीरे धीरे रिसता हुआ मेरी जांघों की ओर बहने लगा. जब तक मैं गर्म थी, मुझे कुछ एहसास नहीं हो रहा था … मगर ठंडी पड़ते ही कमर, चूतड़ों, स्तनों और पेट में हल्का हल्का दर्द उठने लगा.
मैं थोड़ी देर उसी तरह अपने चूतड़ों को उठाया, बिस्तर पर सिर गाड़े, आंखें बंद किए यूं ही सुस्ताती रही. वो उधर तेज साँसों से हांफता हुआ सुस्ताता रहा.
कुछ देर के बाद वो फिर मेरे पास आया और बोला- सॉरी सारिका, मैं जबरन नहीं करना चाहता था. मैंने इतना बोला तुम्हें … पर तुमने मेरी बात नहीं सुनी. मैं बचपन से तुमसे प्यार करता आया हूँ और जब तुम्हें न पा सका, तब मजबूर हो गया.
अब ये कह कर भी क्या फायदा था, उसे जो चाहिए था, उसने कर ही लिया. मैंने भी सोचा कि ये कुछ नया तो नहीं हुआ मेरे साथ … इसलिए मैं भी सब भूल गयी.
वो अपने कपड़े पहन चला गया और मैं कुछ देर वैसी ही पड़ी रही.
फिर मैंने एक तौलिया लपेट कर उठकर दरवाजा बंद किया और वापस आकर लेट गयी. पता नहीं ये क्या था. एक पल के लिए ऐसा लगा कि न मैं उसे दो रुपया उधार लौटने की कोशिश करती, न वो बहकता. एक पल के लिए लगा वो 2 रुपए का उधार ही चुकता कर गया.
अपनी आंखें बंद करते ही उसके साथ संभोग के एक एक दृश्य मेरे सामने आने लगे. जबरदस्ती ही सही, पर मुझे लगने लगा कि उसने मुझे अपने वश में कर लिया था. मुझे बार बार उसका कठोर लिंग दिखता, कभी ये दृश्य मन में बनता कि उसका लिंग मेरी बच्चेदानी पर बार बार चोट कर रहा था. कभी उसका बालों से भरा मर्दाना सीना दिखता, तो कभी मजबूत बाजू … तो कभी उसके चेहरे का भाव, जो वो मुझे धक्के मारते हुए बना रहा था … सब याद आ रहा था.
मैंने बहुत कोशिश की कि ये सब बात मेरे मन से निकल जाएं पर हो ही नहीं पा रहा था. शायद महीनों बाद संभोग के सुख मिला … या अपना था, इसलिए उसके प्रति सोच बनी रही थी.
मैं समझ ही नहीं पा रही थी कि मेरे साथ क्या हो रहा था. मेरी योनि में अभी भी वीर्य गहराई तक कुछ कुछ बाकी था, जो रिस रिस कर बाहर आ रहा था और चिपचिपे और गीलेपन का अहसास दिला रहा था. योनि में चिपचिपाहट, मुझे पल पल उसके लिंग से वीर्य छूटने सा दिखता.
अब एक बज गए थे, पर नींद नहीं आ रही थी. एक बार ख्याल आया कि सुरेश को फोन कर बहुत गालियां दूं, पर फिर रुक गयी. कुछ देर बाद क्या दिमाग में आया कि मैंने उसे एक संदेश भेज दिया और लिखा- तुम बहुत बदमाश हो.
दो मिनट बाद उसका फ़ोन आ गया.
मैं सोच रही थी कि वो सो गया होगा. अब मैंने सोचा कि अपने दिल की भड़ास निकाल लूं … पर ये मुझपे ही भारी पड़ गया.
उसने ऐसे मुझसे बातें करनी शुरू की कि मेरा दिल पिघल गया. शायद मुझे भी उसका साथ अच्छा लगा, इसलिए मैं अपने गुस्से को दिखा ही नहीं पाई.
उसने बताया कि दो साल में ये दूसरी बार उसे संभोग के मौका मिला. बीवी के जाने के बाद बहुत अकेला लगता था उसे.
उसकी बात जानकर मेरे दिल में भी हुआ कि उसने कुछ गलत नहीं किया … और मैंने भी मान लिया कि दोस्त की ही तो मदद की है.
![[Image: 15206819_014_2e0a.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/1/171/15206819/15206819_014_2e0a.jpg)
कोई 5-7 मिनट तक लगातार एक ही रफ्तार से धक्के मारने के बाद वो अपनी मर्दानी आवाज में कराह उठा और पूरी ताकत से एक जोर का धक्का दे मारा. मैं और जोर से कराही और उसका लिंग मेरी योनि की गहराई में जा धंसा. मेरी बच्चेदानी के मुँह में लिंग का सुपारा जा लगा. उसी समय सुरेश मेरे ऊपर गिर गया. गिरते ही उसने एक हाथ ले जाकर मेरे पेट के नीचे से मुझे पकड़ा और दूसरे हाथ में मेरे एक स्तन को दबोच लिया.
अब वो हिचकी खाने की तरह कराह कराह कर अपनी कमर से झटके मारने लगा. उन हिचकियों के साथ साथ अपना वीर्य भी पिच-पिच कर छोड़ते हुए मेरी बच्चेदानी के मुँह में भरने लगा.
![[Image: 15206819_015_f960.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/1/171/15206819/15206819_015_f960.jpg)
धीरे धीरे उसके झटके भी कम पड़ने लगे और वीर्य की बूंदें भी कम होती चली गईं. मैं उसके गर्म वीर्य का एहसास कभी नहीं भूल सकती. मुझे उसका एक अलग ही आनन्द मिला.
जब उसकी थैली पूरी खाली हो गयी, तो वो मेरे ऊपर से लुढ़क कर नीचे गिर गया. उसके गिरते ही मेरी योनि से उसका लिंग बाहर आ गया और गाढ़ा सफेद झाग सा वीर्य धीरे धीरे रिसता हुआ मेरी जांघों की ओर बहने लगा. जब तक मैं गर्म थी, मुझे कुछ एहसास नहीं हो रहा था … मगर ठंडी पड़ते ही कमर, चूतड़ों, स्तनों और पेट में हल्का हल्का दर्द उठने लगा.
मैं थोड़ी देर उसी तरह अपने चूतड़ों को उठाया, बिस्तर पर सिर गाड़े, आंखें बंद किए यूं ही सुस्ताती रही. वो उधर तेज साँसों से हांफता हुआ सुस्ताता रहा.
कुछ देर के बाद वो फिर मेरे पास आया और बोला- सॉरी सारिका, मैं जबरन नहीं करना चाहता था. मैंने इतना बोला तुम्हें … पर तुमने मेरी बात नहीं सुनी. मैं बचपन से तुमसे प्यार करता आया हूँ और जब तुम्हें न पा सका, तब मजबूर हो गया.
अब ये कह कर भी क्या फायदा था, उसे जो चाहिए था, उसने कर ही लिया. मैंने भी सोचा कि ये कुछ नया तो नहीं हुआ मेरे साथ … इसलिए मैं भी सब भूल गयी.
वो अपने कपड़े पहन चला गया और मैं कुछ देर वैसी ही पड़ी रही.
फिर मैंने एक तौलिया लपेट कर उठकर दरवाजा बंद किया और वापस आकर लेट गयी. पता नहीं ये क्या था. एक पल के लिए ऐसा लगा कि न मैं उसे दो रुपया उधार लौटने की कोशिश करती, न वो बहकता. एक पल के लिए लगा वो 2 रुपए का उधार ही चुकता कर गया.
अपनी आंखें बंद करते ही उसके साथ संभोग के एक एक दृश्य मेरे सामने आने लगे. जबरदस्ती ही सही, पर मुझे लगने लगा कि उसने मुझे अपने वश में कर लिया था. मुझे बार बार उसका कठोर लिंग दिखता, कभी ये दृश्य मन में बनता कि उसका लिंग मेरी बच्चेदानी पर बार बार चोट कर रहा था. कभी उसका बालों से भरा मर्दाना सीना दिखता, तो कभी मजबूत बाजू … तो कभी उसके चेहरे का भाव, जो वो मुझे धक्के मारते हुए बना रहा था … सब याद आ रहा था.
मैंने बहुत कोशिश की कि ये सब बात मेरे मन से निकल जाएं पर हो ही नहीं पा रहा था. शायद महीनों बाद संभोग के सुख मिला … या अपना था, इसलिए उसके प्रति सोच बनी रही थी.
मैं समझ ही नहीं पा रही थी कि मेरे साथ क्या हो रहा था. मेरी योनि में अभी भी वीर्य गहराई तक कुछ कुछ बाकी था, जो रिस रिस कर बाहर आ रहा था और चिपचिपे और गीलेपन का अहसास दिला रहा था. योनि में चिपचिपाहट, मुझे पल पल उसके लिंग से वीर्य छूटने सा दिखता.
अब एक बज गए थे, पर नींद नहीं आ रही थी. एक बार ख्याल आया कि सुरेश को फोन कर बहुत गालियां दूं, पर फिर रुक गयी. कुछ देर बाद क्या दिमाग में आया कि मैंने उसे एक संदेश भेज दिया और लिखा- तुम बहुत बदमाश हो.
दो मिनट बाद उसका फ़ोन आ गया.
मैं सोच रही थी कि वो सो गया होगा. अब मैंने सोचा कि अपने दिल की भड़ास निकाल लूं … पर ये मुझपे ही भारी पड़ गया.
उसने ऐसे मुझसे बातें करनी शुरू की कि मेरा दिल पिघल गया. शायद मुझे भी उसका साथ अच्छा लगा, इसलिए मैं अपने गुस्से को दिखा ही नहीं पाई.
उसने बताया कि दो साल में ये दूसरी बार उसे संभोग के मौका मिला. बीवी के जाने के बाद बहुत अकेला लगता था उसे.
उसकी बात जानकर मेरे दिल में भी हुआ कि उसने कुछ गलत नहीं किया … और मैंने भी मान लिया कि दोस्त की ही तो मदद की है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
