09-01-2024, 07:50 PM
नीरज स्वाति के छत के ऊपर देख कर बुरी तरह डर गया। मैंने नीरज से पूछा कि बीबी से क्या बता के आए थे मेरे यहां तो बोला कि बस यह कहा था फ्रेंड के घर डिनर पार्टी है।
यह सुन मैंने कहा कि नीरज रिलैक्स हो जाओ। मैं तुम्हारे साथ अंदर चलता हूँ।
मैंने नीतू से कहा कि वो कार में ही नीचे छिपी रहें। इतनी देर में गाड़ी नीरज के घर के सामने तक पहुँच गई। नीरज का घर काफी बेहतरीन था।
मैं और नीरज अंदर आ गए। नीरज स्वाति के सामने नजरे नहीं उठा पा रहा था वहीं स्वाति गुस्से से नीरज को घूरे जा रही थी। शायद मेरी वजह से वहाँ गृहयुद्ध नहीं हो रहा था जो मेरे जाते ही शुरू होने वाला था। मैंने चुप्पी को तोड़ते हुए स्वाति से बोला- भाभी जी, माफ कीजिएगा। नीरज जी आज मेरी वजह से इतना लेट हो गए।
स्वाति- आपकी वजह से क्यों?
मैं- जी सभी दोस्त दूर से थे, सबसे नजदीक के रहने वाले यही थे और सबसे पहले यही वापिस आ रहे थे तो मैंने इन्हें रोक लिया था। मैंने कहा था कि आपका घर सबसे नजदीक है इसलिए आप सबसे लेट जाओगे।माफ कीजिएगा मेरी वजह से आप परेशान हो गए।
स्वाति (जबरदस्ती अपने चेहरे पर हल्की की मुस्कान लाते हुए)- ठीक है भाई साहब
फिर एक दो मिनट माहौल को हल्का करने के बाद मैं नीरज के घर से बाहर निकला। स्वाति थोड़ी दबंग औरत लगी जिसका नीरज पर पूरा नियंत्रण था।
जल्दी से मैं बाहर आया और कार का गेट खोला।
कार के अंदर नीतू डरी सहमी बैठी थी। मैंने कार स्टार्ट की और तेज़ी से चलाकर कार को दो मिनट में नीरज के घर से थोड़ी दूर लाया। फिर मैंने नीतू को आगे आकर बैठने को कहा।
नीतू ब्रा पैंटी और उसके ऊपर ट्रांसपेरेंट मिड्डी जैसी नाइटी में बहुत ही ज्यादा शर्मा रही थी। उसके बड़े बड़े बूब्स जो बरा में समाते नहीं थे, मैंने उन्हें और ऊपर की और खींचा और दबाने लगा। एक हाथ स्टीयरिंग पर और दूसरा नीतू के बूब्स पर।
फिर मैंने नीतू से बोला की मंजु को फ़ोन कर के बोले की हम दोनों आ रहे है वो छत पर मेरे कमरे में जाए और हम दोनों का इंतजार करे।
नीतू ने मंजु को फ़ोन किया और जो मैंने कहा था वो बोल दिया। अब मैंने नीतू से कहा कि अपनी ब्रा पैंटी उतार दे और पूरी तरह नंगी हो जाए। नीतू के ये सुनते ही प्राण सुख गए। जब उसने ब्रा पैंटी नहीं उतारी तो मैंने उसकी ओर गस्से से देखा। मुझे ग़ुस्से में देखते ही उसने बिजली से तत्परता से अपने कपड़े उतार दिए और वो पूरी नंगी हो गई।
मैं भी उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरता तो कभी बूब्स दबाता तो कभी उसकी चूत के पास उँगलियाँ सहलाता। ऐसे धीरे धीरे हम दोनों घर के गेट के पास पहुँच गए।
यह सुन मैंने कहा कि नीरज रिलैक्स हो जाओ। मैं तुम्हारे साथ अंदर चलता हूँ।
मैंने नीतू से कहा कि वो कार में ही नीचे छिपी रहें। इतनी देर में गाड़ी नीरज के घर के सामने तक पहुँच गई। नीरज का घर काफी बेहतरीन था।
मैं और नीरज अंदर आ गए। नीरज स्वाति के सामने नजरे नहीं उठा पा रहा था वहीं स्वाति गुस्से से नीरज को घूरे जा रही थी। शायद मेरी वजह से वहाँ गृहयुद्ध नहीं हो रहा था जो मेरे जाते ही शुरू होने वाला था। मैंने चुप्पी को तोड़ते हुए स्वाति से बोला- भाभी जी, माफ कीजिएगा। नीरज जी आज मेरी वजह से इतना लेट हो गए।
स्वाति- आपकी वजह से क्यों?
मैं- जी सभी दोस्त दूर से थे, सबसे नजदीक के रहने वाले यही थे और सबसे पहले यही वापिस आ रहे थे तो मैंने इन्हें रोक लिया था। मैंने कहा था कि आपका घर सबसे नजदीक है इसलिए आप सबसे लेट जाओगे।माफ कीजिएगा मेरी वजह से आप परेशान हो गए।
स्वाति (जबरदस्ती अपने चेहरे पर हल्की की मुस्कान लाते हुए)- ठीक है भाई साहब
फिर एक दो मिनट माहौल को हल्का करने के बाद मैं नीरज के घर से बाहर निकला। स्वाति थोड़ी दबंग औरत लगी जिसका नीरज पर पूरा नियंत्रण था।
जल्दी से मैं बाहर आया और कार का गेट खोला।
कार के अंदर नीतू डरी सहमी बैठी थी। मैंने कार स्टार्ट की और तेज़ी से चलाकर कार को दो मिनट में नीरज के घर से थोड़ी दूर लाया। फिर मैंने नीतू को आगे आकर बैठने को कहा।
नीतू ब्रा पैंटी और उसके ऊपर ट्रांसपेरेंट मिड्डी जैसी नाइटी में बहुत ही ज्यादा शर्मा रही थी। उसके बड़े बड़े बूब्स जो बरा में समाते नहीं थे, मैंने उन्हें और ऊपर की और खींचा और दबाने लगा। एक हाथ स्टीयरिंग पर और दूसरा नीतू के बूब्स पर।
फिर मैंने नीतू से बोला की मंजु को फ़ोन कर के बोले की हम दोनों आ रहे है वो छत पर मेरे कमरे में जाए और हम दोनों का इंतजार करे।
नीतू ने मंजु को फ़ोन किया और जो मैंने कहा था वो बोल दिया। अब मैंने नीतू से कहा कि अपनी ब्रा पैंटी उतार दे और पूरी तरह नंगी हो जाए। नीतू के ये सुनते ही प्राण सुख गए। जब उसने ब्रा पैंटी नहीं उतारी तो मैंने उसकी ओर गस्से से देखा। मुझे ग़ुस्से में देखते ही उसने बिजली से तत्परता से अपने कपड़े उतार दिए और वो पूरी नंगी हो गई।
मैं भी उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरता तो कभी बूब्स दबाता तो कभी उसकी चूत के पास उँगलियाँ सहलाता। ऐसे धीरे धीरे हम दोनों घर के गेट के पास पहुँच गए।