27-12-2023, 05:04 PM
समधि जी - तो कौन करता है बेटी? तुम्हारे ससुर जी? (समधी जी ने फिर से बहु को ट्रेस करते हुये कहा )
सरोज - पापा प्लीज फिर से आप????
एक जवान बहु के अपने ससुर और अपने पापा के साथ इस तरह की गन्दी बातें करते देख मेरा और समधी जी दोनों का लंड खड़ा हो गया था। जो बहु दूर से ही देख पा रही थी।
समधि जी - बेटी ये फोटो मुझे चहिये।।
सरोज - क्यों पापा?
समधि जी - क्योंकि इस फोटो में तुम्हारी जाँघे बहुत मोटी और अच्छी लग रही है। और तुम्हारे बूब्स आआअह्ह्ह्ह कितने सॉफ्ट दिख रहे है।। (समधी जी ने अपने लंड को पेंट के ऊपर से दबाते हुए कहा)
सरोज - क्या हुवा पापा, आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं?
समधि जी - आहः।। बेटी।।।(इस बार समधी जी ने अपने खड़े लंड को साफ़ अपनी बेटी के सामने पकड़ते हुए उसका नाम लिया)
सरोज - पापा क्या हुआ आपको?
समधि जी - बेटी काश तुम इस फोटो में पेंटी नहीं पहनी होती।।।। आह।।।।यह बेटी।। तुम्हारी।। ओ।।। उमं
सरोज - क्या पापा? आप मुझे बिना पेंटी के देखना चाहते हैं?
समधि जी - हाँ बेटी मैंने तुम्हारी जैसी जवान खूबसूरत और गदराई स्त्री नहीं देखी। आह।। दमाद जी कितने लकी है।
सरोज - ओह पापा।। मुझे शर्म आ रही है।। अगर मैं इस फोटो में पैंटी नहीं पहनी होती तो आप क्या करते?
समधि जी - मत पूछो बेटी मैं नहीं बोल सकता
सरोज - बोलिये न पापा।। प्लीज मुझे जानना है।।।
समधि जी - नहीं बेटी।। मैं नहीं बोल सकता मुझे माफ़ करो।।
सरोज - बोलिये पापा नहीं तो मैं आपको रियल में अपनी पेंटी उतार के दिखा दूंगी और फिर खुद देख लूँगी की आप क्या करते है।।
समधि जी - नहीं बेटी।।
सरोज - ठीक है मुझे ही कुछ करना पडेगा। (कहते हुये बहु ने एक झटके में अपनी कुर्ती और सलवार का नाडा खोल दिया। नाडा खुलते ही बहु अपने पापा के सामने सिर्फ एक ग्रीन कलर की पेंटी और ब्रा में खड़ी थी। बहु की मांसल जाँघे और बड़े मादक कुल्हे देख कर समधी जी की हालत ख़राब हो रही थी)
सरोज - अब बोलिये न पापा।
समधि जी - नहीं बेटी ये तुम क्या कर रही हो। तुम मेरी बेटी हो
सरोज - आप जबतक मेरे सवाल का जवाब नहीं देते मैं आपकी कोई बात नहीं मानुंगी। (ये कहते हुए बहु ने अपनी ब्रा उतार कर फेंक दी। दूसरे ही पल अपनी गदराई जाँघो से खिसकते हुये उसने अपनी पेंटी खोल दी)
सरोज - ये लिजीये पापा खोल दी मैंने अपनी पैंटी। क्या आप अब भी नहीं बताएँगे?
समधि जी - ओह बेटी तुम्हारी चूत देख मैं मुट्ठ मार लेता।
सरोज - क्या? तो लिजीये मैं आपके सामने अपनी चूत खोले खड़ी हूँ लेकिन आप तो कुछ नहीं कर रहे।
समधि जी - (अपने पेंट के ओर इशारा करते हुए, ये देखो बेटी मेरा मुट्ठ अंदर पेंट में ही लीक हो गया है।। तुम्हे ये गिला-गिला नहीं दिखाई देता)
सरोज - ओह पापा, आप का मुट्ठ मुझे देख के ही निकल गया।। ओह पापा।। क्या मैं देख सकती हूँ (ऐसा कहते हुए बहु अपने घूटने पे बैठ गई और समधी जी का पेंट खोल दी। बाहर निकलते ही समधी जी का लंड खड़ा होकर बहु के होठ के पास तना था। और उसमे से समधी जी का वीर्य टपक रहा था)
सरोज ने बिना देरी किये अपने पापा का खड़ा लंड हाथ में लेकर सहलाने लगी।।
सरोज - ओह पापा क्या ये मुझे देख कर खड़ा है?
समधि जी - हाँ बेटी तुम्हे नंगा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया है।।
बहु ने अपने पापा के लंड की स्किन नीचे कर खोल दी उनके लंड से महक आ रही थी, बहु अपनी नाक लंड पे रगडने लगी।।
सरोज - ओह पापा आपका लंड कितना अच्छा महक रहा है।।मैं इसे चुसना चाहती हूँ पापा।। (और फिर बहु ने अपने पापा का लण्ड अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी)।
सरोज - पापा प्लीज फिर से आप????
एक जवान बहु के अपने ससुर और अपने पापा के साथ इस तरह की गन्दी बातें करते देख मेरा और समधी जी दोनों का लंड खड़ा हो गया था। जो बहु दूर से ही देख पा रही थी।
समधि जी - बेटी ये फोटो मुझे चहिये।।
सरोज - क्यों पापा?
समधि जी - क्योंकि इस फोटो में तुम्हारी जाँघे बहुत मोटी और अच्छी लग रही है। और तुम्हारे बूब्स आआअह्ह्ह्ह कितने सॉफ्ट दिख रहे है।। (समधी जी ने अपने लंड को पेंट के ऊपर से दबाते हुए कहा)
सरोज - क्या हुवा पापा, आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं?
समधि जी - आहः।। बेटी।।।(इस बार समधी जी ने अपने खड़े लंड को साफ़ अपनी बेटी के सामने पकड़ते हुए उसका नाम लिया)
सरोज - पापा क्या हुआ आपको?
समधि जी - बेटी काश तुम इस फोटो में पेंटी नहीं पहनी होती।।।। आह।।।।यह बेटी।। तुम्हारी।। ओ।।। उमं
सरोज - क्या पापा? आप मुझे बिना पेंटी के देखना चाहते हैं?
समधि जी - हाँ बेटी मैंने तुम्हारी जैसी जवान खूबसूरत और गदराई स्त्री नहीं देखी। आह।। दमाद जी कितने लकी है।
सरोज - ओह पापा।। मुझे शर्म आ रही है।। अगर मैं इस फोटो में पैंटी नहीं पहनी होती तो आप क्या करते?
समधि जी - मत पूछो बेटी मैं नहीं बोल सकता
सरोज - बोलिये न पापा।। प्लीज मुझे जानना है।।।
समधि जी - नहीं बेटी।। मैं नहीं बोल सकता मुझे माफ़ करो।।
सरोज - बोलिये पापा नहीं तो मैं आपको रियल में अपनी पेंटी उतार के दिखा दूंगी और फिर खुद देख लूँगी की आप क्या करते है।।
समधि जी - नहीं बेटी।।
सरोज - ठीक है मुझे ही कुछ करना पडेगा। (कहते हुये बहु ने एक झटके में अपनी कुर्ती और सलवार का नाडा खोल दिया। नाडा खुलते ही बहु अपने पापा के सामने सिर्फ एक ग्रीन कलर की पेंटी और ब्रा में खड़ी थी। बहु की मांसल जाँघे और बड़े मादक कुल्हे देख कर समधी जी की हालत ख़राब हो रही थी)
सरोज - अब बोलिये न पापा।
समधि जी - नहीं बेटी ये तुम क्या कर रही हो। तुम मेरी बेटी हो
सरोज - आप जबतक मेरे सवाल का जवाब नहीं देते मैं आपकी कोई बात नहीं मानुंगी। (ये कहते हुए बहु ने अपनी ब्रा उतार कर फेंक दी। दूसरे ही पल अपनी गदराई जाँघो से खिसकते हुये उसने अपनी पेंटी खोल दी)
सरोज - ये लिजीये पापा खोल दी मैंने अपनी पैंटी। क्या आप अब भी नहीं बताएँगे?
समधि जी - ओह बेटी तुम्हारी चूत देख मैं मुट्ठ मार लेता।
सरोज - क्या? तो लिजीये मैं आपके सामने अपनी चूत खोले खड़ी हूँ लेकिन आप तो कुछ नहीं कर रहे।
समधि जी - (अपने पेंट के ओर इशारा करते हुए, ये देखो बेटी मेरा मुट्ठ अंदर पेंट में ही लीक हो गया है।। तुम्हे ये गिला-गिला नहीं दिखाई देता)
सरोज - ओह पापा, आप का मुट्ठ मुझे देख के ही निकल गया।। ओह पापा।। क्या मैं देख सकती हूँ (ऐसा कहते हुए बहु अपने घूटने पे बैठ गई और समधी जी का पेंट खोल दी। बाहर निकलते ही समधी जी का लंड खड़ा होकर बहु के होठ के पास तना था। और उसमे से समधी जी का वीर्य टपक रहा था)
सरोज ने बिना देरी किये अपने पापा का खड़ा लंड हाथ में लेकर सहलाने लगी।।
सरोज - ओह पापा क्या ये मुझे देख कर खड़ा है?
समधि जी - हाँ बेटी तुम्हे नंगा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया है।।
बहु ने अपने पापा के लंड की स्किन नीचे कर खोल दी उनके लंड से महक आ रही थी, बहु अपनी नाक लंड पे रगडने लगी।।
सरोज - ओह पापा आपका लंड कितना अच्छा महक रहा है।।मैं इसे चुसना चाहती हूँ पापा।। (और फिर बहु ने अपने पापा का लण्ड अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी)।