21-12-2023, 03:33 PM
अगले दिन सुबह मैं देर से उठा, मैंने देखा की समधी जी मिरर के सामने खड़े होकर शेविंग कर रहे थे। बहु मेरे बगल में चादर के अंदर लेटी थी। मैंने बहु को धीरे से उठाया
मै - बहु, उठो।।
सरोज - मैं सो नहीं रही बाबूजी। बस ऐसे ही लेती हू।
मै - लगता है समधी जी की तबियत आज ठीक है, वो शेविंग कर रहे है। उन्होंने हमे साथ में सोते हुए भी देख लिया। अब तुम उन्हें रिझाने की कोशिश शुरू कर दो।
सरोज - ओके बाबूजी।
बहु अपने बदन से चादर हटा कर फेंक दिया। उसने अपना गाउन घुटने के ऊपर अपनी जांघो तक खीच लिया और पैर मोड़ कर बिस्तर पे बैठ गई। फिर उसने एक सेक्सी अंगडाई ली और नशीले आवाज़ में अपने पापा से कहा।
सरोज - गुड मार्निंग पापा, आप कब उठ गए? आपकी तबियत अब कैसी है?
समधि जी - मैं अभी अच्छा फील कर रहा हूँ बेटी (समधी जी ने बिना बहु को देखे जवाब दिया)
सरोज - पापा इधर मेरे पास आइये न मुझे आपको किस करके गुड मॉर्निंग बोलना है।
समधि जी - अरे बेटी २ मिनट में हो गया बस।
सरोज - उम् आइये।।
समधि जी - ओके हो गया, (जैसे ही समधी जी पीछे मुड कर अपनी बेटी को देखा उनकी आंखे बड़ी और जुबान बाहर हो गई )
अपनी बेटी को इस तरह से उन्होंने कभी नहीं देखा था उनकी सेक्सी बेटी अपनी आधी चूचियां लटकाये और मांसल गोरी जांघो को खोले उनके सामने बैठी थी। उनके मुह से कुछ नहीं निकला वो बेड के पास आ गये। बहु ने अपना पोजीशन चेंज किया और झुकते हुए पापा के क़रीब आ गई। झुकने से उसकी चूचि इस बार पूरी बाहर निकल गई थी, बेड पे जब वो झुकि तो उसकी नंगी चूचिया बेड को छु रही थी। बहु अपनी गाउन के सरकने से जानबूझ कर अन्जान बनी हुई थी।
अगर वो बेड पे सटी न होती तो उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और उसके ब्राउन कलर के निप्पल समधी जी को साफ़ दिख जाता। समधी जी ने आगे बढ़ कर बहु को किस किया, लेकिन किस करते वक़्त पूरे टाइम उनकी नज़र अपनी बेटी के गाउन के अंदर निप्पल ढूंढने में लगी थी।
सरोज - आपको नींद तो ठीक से आयी न पापा?
समधि जी - हाँ बेटी ठीक से सोया मैं तो रात में, मुझे तो कुछ भी पता नहीं चला कब सुबह हो गई। और जब मैं सुबह उठा तो काफी अच्छा महसूस कर रहा था।
मैन मन में सोचता रहा, आखिर आपकी बेटी ने कल रात आपके लंड को चूस के मुट्ठ निकाला है तो आप तो फ्रेश ही महसूस करेंगे। मैं ऐसा सोच कर मन ही मन हंसने लगा
समधि जी - अरे देसाई जी आप क्यों मुस्कुरा रहे हैँ।
मै - कुछ नहीं मैं सोच रहा था की आपकी बेटी ने कल रात आपकी खूब सेवा की तभी आपको अच्छे से नींद आई।
संधि जी - अच्छा बेटी थैंकस, तुम्हे नींद आयी?
सरोज - हाँ पापा, थोड़ी सी आई
समधि जी - थोड़ी सी क्यों?
सरोज - वो बाबूजी आपसे थोड़े मोठे हैं न और मैं भी मोटी हो गई हूँ तो मुझे सोने के लिए जगह नहीं मिली।
समधि जी - नहीं बेटी तुम मोटी नहीं हो। (समधी जी ने अपनी बेटी को ऊपर से नीचे उसके बदन को घूरते हुए कहा) ऐसी बात थी तो तुम मेरे पास क्यों नहीं सो गई?
सरोज - हाँ पापा कल से मैं आपके पास ही सोऊँगी।
मैने मौका देखकर बेड के नीचे पड़े बहु की एक फोटोग्राफ को पैर से पुश कर समधी जी के पास पंहुचा दिया।
समधि जी - नीचे ये फर्श पे क्या गिरा है बेटी?
सरोज - कहाँ मुझे तो कुछ नज़र नहीं आ रहा।।
समधि जी - रुको मैं उठाता हूं, कहीं मेरे पॉकेट से कुछ गिरा तो नहीं (समधी जी ने फोटो उठा कर पलटा और फोटो में अपनी बेटी को देख कर चौंक गये। फोटो में बहु अपने पैरों में मेहंदी लगवा रही थी। उसने एक छोटी सी पेंटी पहनी थी जिसमें उसकी पूरी टाँग और जाँघें बिलकुल नंगी थी)
समधि जी - बेटी ये तो तुम्हारी फोटो है
सरोज - मेरी फोटो? दिखाइये।।।
समधि जी - ये देखो बेटी, (समधी जी ने बहु को फोटो दिखाया)
सरोज - अरे हाँ ये तो मैं हू।।।
समधि जी - ये कहाँ की फोटो है बहु? (समधी जी ने बहु के फोटो को घूरते हुये पूछा)
सरोज - पापा वो मेरी दोस्त है न शालीनी, उसकी शादी की है। हम सबलोग मेहंदी लगवा रहे थे। देखिये न इसमे मैं कितनी मोटी लग रही हू।
समधि जी - नहीं बेटी तुम मोटी तो बिलकुल नहीं ही, वो तो बस फोटोग्राफर के फोटो खीचने के वजह से।।
सरोज - फोटोग्राफर की वजह से क्या पापा?? (बहु ने और खुल के पूछना चाहा )
समधि जी - फोटो नीचे से ली गई है न तो इसलिए तुम्हारी जाँघें मोटी लग रही है।
(समधी जी बहुत हिचकिचाते हुये जाँघ शब्द का यूज किया, अपनी बेटी के जाँघ के बारे में कमेंट करने में उन्हें अजीब लग रहा था। लेकिन जैसा की मैंने बहु से कहा था थोड़ा बेशर्म होने के लिए बहु ने ठीक ऐसा ही कहा)
सरोज - नहीं पापा, मेरी जाँघ सच में बहुत मोटी है न। देखिये न फोटो में और मेरी अभी के जाँघो में आपको कोई अंतर दीखता है। मुझे तो मेरी जाँघें और मोटी लगती है।
समधि जी - बेटि, तुम्हारी जाँघे अच्छी है। मोटी जाँघ तो अच्छी लगती हैं।
सरोज - सच में पापा आपको मेरी मोटी जाँघ अच्छी लगती है?
समधि जी - हाँ बेटी।।। मुझे बहुत अच्छी लगती है। क्यों देसाई जी आप देखिये इस फोटो को
(समधी जी ने फोटो मेरी तरफ बढाते हुए कहा। मैं हैरान था की हमलोग आपस में इतना खुल गए हैं की बहु के जांघों के बारे में बातें कर रहे हैं)
मै - हाँ बहु तुम्हारी जाँघ बहुत अच्छी है।
सरोज - (खुश होती हुई।।) थैंक यू पापा।
मै - बहु, उठो।।
सरोज - मैं सो नहीं रही बाबूजी। बस ऐसे ही लेती हू।
मै - लगता है समधी जी की तबियत आज ठीक है, वो शेविंग कर रहे है। उन्होंने हमे साथ में सोते हुए भी देख लिया। अब तुम उन्हें रिझाने की कोशिश शुरू कर दो।
सरोज - ओके बाबूजी।
बहु अपने बदन से चादर हटा कर फेंक दिया। उसने अपना गाउन घुटने के ऊपर अपनी जांघो तक खीच लिया और पैर मोड़ कर बिस्तर पे बैठ गई। फिर उसने एक सेक्सी अंगडाई ली और नशीले आवाज़ में अपने पापा से कहा।
सरोज - गुड मार्निंग पापा, आप कब उठ गए? आपकी तबियत अब कैसी है?
समधि जी - मैं अभी अच्छा फील कर रहा हूँ बेटी (समधी जी ने बिना बहु को देखे जवाब दिया)
सरोज - पापा इधर मेरे पास आइये न मुझे आपको किस करके गुड मॉर्निंग बोलना है।
समधि जी - अरे बेटी २ मिनट में हो गया बस।
सरोज - उम् आइये।।
समधि जी - ओके हो गया, (जैसे ही समधी जी पीछे मुड कर अपनी बेटी को देखा उनकी आंखे बड़ी और जुबान बाहर हो गई )
अपनी बेटी को इस तरह से उन्होंने कभी नहीं देखा था उनकी सेक्सी बेटी अपनी आधी चूचियां लटकाये और मांसल गोरी जांघो को खोले उनके सामने बैठी थी। उनके मुह से कुछ नहीं निकला वो बेड के पास आ गये। बहु ने अपना पोजीशन चेंज किया और झुकते हुए पापा के क़रीब आ गई। झुकने से उसकी चूचि इस बार पूरी बाहर निकल गई थी, बेड पे जब वो झुकि तो उसकी नंगी चूचिया बेड को छु रही थी। बहु अपनी गाउन के सरकने से जानबूझ कर अन्जान बनी हुई थी।
अगर वो बेड पे सटी न होती तो उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और उसके ब्राउन कलर के निप्पल समधी जी को साफ़ दिख जाता। समधी जी ने आगे बढ़ कर बहु को किस किया, लेकिन किस करते वक़्त पूरे टाइम उनकी नज़र अपनी बेटी के गाउन के अंदर निप्पल ढूंढने में लगी थी।
सरोज - आपको नींद तो ठीक से आयी न पापा?
समधि जी - हाँ बेटी ठीक से सोया मैं तो रात में, मुझे तो कुछ भी पता नहीं चला कब सुबह हो गई। और जब मैं सुबह उठा तो काफी अच्छा महसूस कर रहा था।
मैन मन में सोचता रहा, आखिर आपकी बेटी ने कल रात आपके लंड को चूस के मुट्ठ निकाला है तो आप तो फ्रेश ही महसूस करेंगे। मैं ऐसा सोच कर मन ही मन हंसने लगा
समधि जी - अरे देसाई जी आप क्यों मुस्कुरा रहे हैँ।
मै - कुछ नहीं मैं सोच रहा था की आपकी बेटी ने कल रात आपकी खूब सेवा की तभी आपको अच्छे से नींद आई।
संधि जी - अच्छा बेटी थैंकस, तुम्हे नींद आयी?
सरोज - हाँ पापा, थोड़ी सी आई
समधि जी - थोड़ी सी क्यों?
सरोज - वो बाबूजी आपसे थोड़े मोठे हैं न और मैं भी मोटी हो गई हूँ तो मुझे सोने के लिए जगह नहीं मिली।
समधि जी - नहीं बेटी तुम मोटी नहीं हो। (समधी जी ने अपनी बेटी को ऊपर से नीचे उसके बदन को घूरते हुए कहा) ऐसी बात थी तो तुम मेरे पास क्यों नहीं सो गई?
सरोज - हाँ पापा कल से मैं आपके पास ही सोऊँगी।
मैने मौका देखकर बेड के नीचे पड़े बहु की एक फोटोग्राफ को पैर से पुश कर समधी जी के पास पंहुचा दिया।
समधि जी - नीचे ये फर्श पे क्या गिरा है बेटी?
सरोज - कहाँ मुझे तो कुछ नज़र नहीं आ रहा।।
समधि जी - रुको मैं उठाता हूं, कहीं मेरे पॉकेट से कुछ गिरा तो नहीं (समधी जी ने फोटो उठा कर पलटा और फोटो में अपनी बेटी को देख कर चौंक गये। फोटो में बहु अपने पैरों में मेहंदी लगवा रही थी। उसने एक छोटी सी पेंटी पहनी थी जिसमें उसकी पूरी टाँग और जाँघें बिलकुल नंगी थी)
समधि जी - बेटी ये तो तुम्हारी फोटो है
सरोज - मेरी फोटो? दिखाइये।।।
समधि जी - ये देखो बेटी, (समधी जी ने बहु को फोटो दिखाया)
सरोज - अरे हाँ ये तो मैं हू।।।
समधि जी - ये कहाँ की फोटो है बहु? (समधी जी ने बहु के फोटो को घूरते हुये पूछा)
सरोज - पापा वो मेरी दोस्त है न शालीनी, उसकी शादी की है। हम सबलोग मेहंदी लगवा रहे थे। देखिये न इसमे मैं कितनी मोटी लग रही हू।
समधि जी - नहीं बेटी तुम मोटी तो बिलकुल नहीं ही, वो तो बस फोटोग्राफर के फोटो खीचने के वजह से।।
सरोज - फोटोग्राफर की वजह से क्या पापा?? (बहु ने और खुल के पूछना चाहा )
समधि जी - फोटो नीचे से ली गई है न तो इसलिए तुम्हारी जाँघें मोटी लग रही है।
(समधी जी बहुत हिचकिचाते हुये जाँघ शब्द का यूज किया, अपनी बेटी के जाँघ के बारे में कमेंट करने में उन्हें अजीब लग रहा था। लेकिन जैसा की मैंने बहु से कहा था थोड़ा बेशर्म होने के लिए बहु ने ठीक ऐसा ही कहा)
सरोज - नहीं पापा, मेरी जाँघ सच में बहुत मोटी है न। देखिये न फोटो में और मेरी अभी के जाँघो में आपको कोई अंतर दीखता है। मुझे तो मेरी जाँघें और मोटी लगती है।
समधि जी - बेटि, तुम्हारी जाँघे अच्छी है। मोटी जाँघ तो अच्छी लगती हैं।
सरोज - सच में पापा आपको मेरी मोटी जाँघ अच्छी लगती है?
समधि जी - हाँ बेटी।।। मुझे बहुत अच्छी लगती है। क्यों देसाई जी आप देखिये इस फोटो को
(समधी जी ने फोटो मेरी तरफ बढाते हुए कहा। मैं हैरान था की हमलोग आपस में इतना खुल गए हैं की बहु के जांघों के बारे में बातें कर रहे हैं)
मै - हाँ बहु तुम्हारी जाँघ बहुत अच्छी है।
सरोज - (खुश होती हुई।।) थैंक यू पापा।