21-12-2023, 12:03 PM
बहु ने अपने सारे फोटोग्राफ्स मुझे दे दिए, मैं एक-एक कर उसकी फोटो देखने लगा। बहु के फोटो बहुत ही उत्तेजित करने वाले थे। किसी फोटो में बहु साड़ी में अपनी मक्खन जैसी मुलायम नाभि दिखाती हुई दीख रही थी तो कहीं सिर्फ ब्रा पेंटी में। और कहीं कहीं तो अपने हस्बैंड के साथ मस्ती करती हुई दिखी।
मै - ओह बहु, तुम्हारी ये फोटो को देख कर तो मुरदे के भी लंड से पानी निकल जाए।
सरोज - शरमाती हुई। बाबूजी आप भी न।
मै - अब देखना बहु समधी जी तुम्हारे इन फोटो को देख कर कैसे अपना कण्ट्रोल खोते हैं
सरोज - बाबूजी, कुछ फोटोग्राफ तो देखे जा सकते हैं लेकिन ये सब फोटो जब पापा देखेंगे तो मैं उनसे नज़रें कैसे मिला पाऊँगी (बहु एक फोटो अपने हाथ में लेती हुई बोली जिसमें बहु मेरे बेटे मनिष को कुर्ती उठा कर अपनी चूचि पीला रही थी)
मै - तुम उसकी चिंता मत करो। हम दोनों मिल कर इसका कुछ हल निकाल लेंगे।
सरोज - मुझे तो डर लग रहा है बाबूजी, मुझे पता है पापा ऐसे नहीं हैं लेकिन कहीं ये सब करके मैं उनकी नज़र में गन्दी बेटी न बन जाऊं।
मै - बहु, तुम ऐसा सब मत सोचो। मैं जानता हूँ मुझे क्या करना है। (मैंने बहु की सारी फोटो कहीं कहीं रूम में छुपा दि। कुछ बिस्तर के नीचे डाल दिया कुछ कबोर्ड में रख दिया तो कुछ टेबल के पास किताबों के बीच में।
रात के ११ बज रहे थे, मैंने बहु से आग्रह किया किया की अब हमदोनो को भी सो जाना चहिये। कमरे में केवल दो ही बेड थे। जिसमें से एक पे समधी जी सो रहे थे। मैंने बेड की तरफ इशारा करते हुए कहा।
मै - बहु।।। आओ हम दोनों इस बेड पे सो जाते हैं
सरोज - नहीं बाबूजी, सुबह पापा मुझे आपके साथ देखेंगे तो क्या सोचेंगे
मै - कुछ नहीं सोचेंगे बहु, आखिर मैं तुम्हारे पिता की तरह हू। समधी जी सोचेंगे की मैं ससुर नहीं एक पिता की तरह तुम्हे प्यार करता हू।
सरोज - हाँ ये ठीक है, वैसे भी पापा को मेरे और आपके बारे में कुछ पता तो नहीं है। और वो कभी ऐसा सोच भी नहीं सकते।
मै - हाँ बहु, अब जल्दी से कपडे बदल के बिस्तर पे आ जाओ।
सरोज - कपडे क्यों बदलना है बाबूजी?
मै - भूल गई अपना वादा बहु, मैंने क्या कहा था अगर तुम्हे जानना है की तुम्हारे पापा तुम्हारे बारे में क्या सोचते हैं तो तुम्हे उनके सामने कुछ सेक्सी कपडे पहनने पडेंगे। तुम्हे उन्हें अपना गदराया बदन दिखा कर रिझाना होगा।
सरोज - ठीक है बाबूजी मैं कुछ सेक्सी कपडे खोजती हू। जो मनीष मेरे लिए लाये थे।
मै - ओह बहु, तुम्हारी ये फोटो को देख कर तो मुरदे के भी लंड से पानी निकल जाए।
सरोज - शरमाती हुई। बाबूजी आप भी न।
मै - अब देखना बहु समधी जी तुम्हारे इन फोटो को देख कर कैसे अपना कण्ट्रोल खोते हैं
सरोज - बाबूजी, कुछ फोटोग्राफ तो देखे जा सकते हैं लेकिन ये सब फोटो जब पापा देखेंगे तो मैं उनसे नज़रें कैसे मिला पाऊँगी (बहु एक फोटो अपने हाथ में लेती हुई बोली जिसमें बहु मेरे बेटे मनिष को कुर्ती उठा कर अपनी चूचि पीला रही थी)
मै - तुम उसकी चिंता मत करो। हम दोनों मिल कर इसका कुछ हल निकाल लेंगे।
सरोज - मुझे तो डर लग रहा है बाबूजी, मुझे पता है पापा ऐसे नहीं हैं लेकिन कहीं ये सब करके मैं उनकी नज़र में गन्दी बेटी न बन जाऊं।
मै - बहु, तुम ऐसा सब मत सोचो। मैं जानता हूँ मुझे क्या करना है। (मैंने बहु की सारी फोटो कहीं कहीं रूम में छुपा दि। कुछ बिस्तर के नीचे डाल दिया कुछ कबोर्ड में रख दिया तो कुछ टेबल के पास किताबों के बीच में।
रात के ११ बज रहे थे, मैंने बहु से आग्रह किया किया की अब हमदोनो को भी सो जाना चहिये। कमरे में केवल दो ही बेड थे। जिसमें से एक पे समधी जी सो रहे थे। मैंने बेड की तरफ इशारा करते हुए कहा।
मै - बहु।।। आओ हम दोनों इस बेड पे सो जाते हैं
सरोज - नहीं बाबूजी, सुबह पापा मुझे आपके साथ देखेंगे तो क्या सोचेंगे
मै - कुछ नहीं सोचेंगे बहु, आखिर मैं तुम्हारे पिता की तरह हू। समधी जी सोचेंगे की मैं ससुर नहीं एक पिता की तरह तुम्हे प्यार करता हू।
सरोज - हाँ ये ठीक है, वैसे भी पापा को मेरे और आपके बारे में कुछ पता तो नहीं है। और वो कभी ऐसा सोच भी नहीं सकते।
मै - हाँ बहु, अब जल्दी से कपडे बदल के बिस्तर पे आ जाओ।
सरोज - कपडे क्यों बदलना है बाबूजी?
मै - भूल गई अपना वादा बहु, मैंने क्या कहा था अगर तुम्हे जानना है की तुम्हारे पापा तुम्हारे बारे में क्या सोचते हैं तो तुम्हे उनके सामने कुछ सेक्सी कपडे पहनने पडेंगे। तुम्हे उन्हें अपना गदराया बदन दिखा कर रिझाना होगा।
सरोज - ठीक है बाबूजी मैं कुछ सेक्सी कपडे खोजती हू। जो मनीष मेरे लिए लाये थे।