Thread Rating:
  • 7 Vote(s) - 3.29 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Fantasy बूढ़े लोगों को सेवा।
#61
(18-12-2023, 03:54 PM)Basic Wrote: Update 6

साल दिसंबर 1942



       यह वो समय था जब भारत अंग्रेजो के राज में था। छत्तीसगढ़ के हनुमंत गांव में एक बुड्ढा आदमी रहता था जिसका नाम हल्दी था। हल्दी की उमर उस वक्त 62 साल की थी। हल्दी एक बहुत अच्छा शिकारी था। जंगल में अक्सर शिकार करता और अंग्रेजो को बेचता। इन सब में उसे कुछ खास पैसे नही मिलता। घर भी नही चलता। उसी गांव में एक बड़ा बिल्डर आया जिसका नाम सुरेश कुमार था। सुरेश कुमार अंग्रेजो का खास बिल्डर था। उसे काम दिया गया था गांव को खाली करके एक होटल बनाना।



    सुरेश कुमार का बड़ा भाई अंग्रेज सिक्युरिटी का कमिश्नर था। दोनो बही बहुत ही क्रूर और खराब इंसान थे। दोनो भाईयो ने बहुत सारे पैसे कमाए। लोगो को लूटा और जमीन हड़पी। बदन भाई सुशील कुमार क्रूर के साथ लुटेरा भी था।। बहुत से गांव के लोगो को कर्ज देकर लूटता। उस पर कई औरतों की इज्जत लूटने का इल्जाम भी था। अब सुरेश का काम था गांव खाली करवाना। दोनो भाईयो ने गांव पर अत्याचार किया। आधे लोग जमीन खो दिए।



     सुरेश की एक पत्नी थी जिसका नाम दिव्या था। दिव्या की उमर 23 साल की थी। बेहद खूबसूरत और आकर्षण से भरपूर। वो बहुत दयालु थी। सुरेश और उसका संबंध अच्छा नही था। सुरेश उसपर  कई दफा घुसा करता। उसे मारता भी। कभी कभी ज्यादा मार देता। है रोज जिल्लत की जिंदगी देता। कई औरतों के साथ अवैध संबंध भी था। दिव्या का कभी कभी मन करता की उसे मार डाले। एक दिन की बात है दोनो में लड़ाई हुई। गुस्से में आकर दिव्या गांव से बाहर एक जंगल में गई। वहां उसके सामने एक शेर आया। शेर को सामने देख वो घभराई। शेर उसपे हमला करने जाए कि हल्दी ने दूर से उसपर कुल्हाड़ी का वार किया। शेर के जबड़े पर कुल्हाड़ी धस गया। शेर तुरंत हल्दी की तरफ दौड़ा। हल्दी ने दूसरे कुल्हाड़ी से उसपर वार किया। फिर बड़े से चाकू हाथ में लिए पीठ के गहराई में घुसाकर मार दिया।



      हल्दी की बहादुरी देख दिव्या दंग रह गई साथ ही साथ अति प्रसन्न हुई। हल्दी ने जब दिव्या को देखा तो देखता रह गया। दूध सा गोरा रंग और जवानी की जलती ज्वाला। हल्दी को एक बुड्ढा और निम्न स्तर का आदमी था उसे पहली बार में दिव्या पसंद आ गई। हल्दी बहादुर तो था ही लेकिन सटीक से बात करनेवाला आदमी भी।



हल्दी दिव्या के करीब आया और बोला "तुम हो बला की खूबसूरत लेकिन इतनी रात इस जंगल में क्या कर रही हो ?"



दिव्या को अपने पति के हुई लड़ाई के बारे में याद आ गया और मुंह चढ़ाकर बोली "पता नही।"



बीड़ी का कश लेकर हल्दी पूछा " तू तो उस दरिंदा आदमी सुरेश की औरत है न ?"



दिव्या बोली "किसे दरिंदा बोला तू ? पता भी है कौन है वो ? पलक झपकते ही तुम्हारे खानदान को खत्म कर देगा "



गुस्से से तिलमिलाया हल्दी कुल्हाड़ी को हवा में लहराते हुए बोला "उसके खानदान को मैं अकेला खत्म कर दूंगा। उस दरिंदे ने मेरे परिवार को बीच चौराहे में मार डाला था। बहुत अत्याचार किया है उसने हम गांव वालो पर।"



"किया तो है लेकिन बदला कैसे लोगे ?"



हल्दी थोड़ा सा चकराया और पूछा "यह तुम क्या कह रही हो ? उसे मारना आसान नहीं।"



दिव्या हंसते हुए बोली "अभी तो कह रहे थे की खानदान खत्म कर दोगे उसका और अब जल्दी पलट भी गए ?"



"अरे बात वो नही है। वो तो मैने गुस्से में बोला था। उसके खानदान को मरना मुश्किल है।"



"लेकिन नामुमकिन नहीं।"



हल्दी का दिमाग चकराया और बोला "मतलब ?"



दिव्या ने अपने पति की दरिंदगी हल्दी को बताई। हल्दी से वादा किया कि वो उसकी मदद करेगी।



जाते जाते दिव्या ने एक बात साफ साफ कह दिया "अगर तुम उस दरिंदे को मारने में असफल होते हो तो मेरी इसमें गलती नही। मैं तुम्हे पहचानने से साफ साफ इंकार कर दूंगी।"



"और अगर सफल हुआ तो ?"



"तो को मांगोगे वो दूंगी।"



"तो सुन लो। अगर मैं कमियाब हुआ तो तुम्हे मेरे पास आना होगा। खुद को मेरे हवाले कर देना।"



दिव्या सोची की ये बुड्ढा क्या ही कर लेगा। कुछ उखाड़ नही पाएगा सुरेश का। वो भी बोल पड़ी "ठीक है। जिस दिन ये हुआ समझो उसी दिन तुम मुझे उठाकर ले जाना फिर को करना चाहो कर लेना।"



       करीब दो महीना बीता और आखिर वो दिन आ ही गया जब एक दिन सुरेश शिकार करने गया। सुरेश को जंगल में देख हल्दी ने उसके चार आदमियों को छुपकर मार डाला और फिर कुल्हाड़ी से सुरेश के शरीर के ४० टुकड़े किए। खून से लतपत हल्दी हवेली में जा पहुंचा। हवेली में दिव्या ने जब हल्दी को खून से लतपत देखा और हाथ में कुल्हाड़ी देखा तो समझ गई कि हल्दी नेनापना काम पूरा कर दिया।



     हल्दी बिना कुछ बोले दिव्या को उठा लिया और हवेली से बाहर ले गया। बिना रुके हवेली से दूर जंगल में अपने झोपड़ी में ले गया। उसके बाद दिव्या के जिस्म से अपने शारीरिक भूख को मिटाने का काम शुरू किया। बियाबान जंगल में दिव्या बिना कपड़े के गोरे बदन के साथ हल्दी के झोपड़ी में उसके साथ सेक्स कर रही थी। वो अब हल्दी से प्रभावित हो गई। एक बुड्ढा बदसूरत आदमी उसके जिस्म से खेल रहा था। दोनो ने पूरी रात एक दूसरे के जिस्म की भूख को मिटाया। दिव्या ने ऐसा सेक्स कभी नही किया था।



   दोनो भयंकर सेक्स के बाद एक दूसरे की बाहों में थे। दोनो को आंखे एक दूसरे से मिली। हल्दी बोला "वाह दिव्या आज तो तुम्हे इस झोपड़ी में लाकर तुम्हारे साथ रात बिताने में मजा आ गया। लेकिन साथ ही साथ ऐसा लग रहा है की शेर के मुंह में खून लग गया। एक बार नही ऐसी १०० राते तेरे साथ बिताने का मन हो रहा है।"



"मैंने कहा था ना की उस जल्लाद को मार दोगे तो मेरा जिस्म तुम्हारा। तो अब अपने इस शर्त में जीते हुए इनाम का को उपयोग करना है करो। अब से तुम इसके मालिक।"



हल्दी दिव्या के स्तन को हाथो से मसलते हुए कहा "तो चल दिव्या। अब यहां से दूर चले। दुनिया से दूर। भाग चल। क्योंकि अब मुझे बाकी की सारी उमर तेरे साथ बिताना है।"



    हल्दी उसी रातों रात दिव्या को शहर से दूर ले गया। वो उसे बिलवाड़ा गांव के किल्ले में ले गया। दोनो ने उसे अपना घर बना लिया। हल्दी दिव्या को इस किल्ले के मंदिर में ले गया और शादी कर ली। ठीक ९ महीने बाद दिव्या ने हल्दी के बच्चें को जन्म दिया। ऐसे ही दुनियां से छुपकर दोनो ने एक दूसरे की जरूरत पूरी की। ६ साल में दिव्या ने हल्दी के ४ बच्चो को जन्म दिया। सब कुछ अच्छा चल रहा था लेकिन इनकी खुशी को सुशील कुमार की नजर लागी। शुशील कुमार ने दोनो को ढूंढ निकाला उसके बाद शुशील ने भयानक मौत का खेल खेला। हल्दी और दिव्या के चार बच्चों को मार डाला और दिव्या को भी। ये सब देख हल्दी पागल हो गया। हल्दी ने सुशील को मौत के घाट उतार दिया। उसके बाद उसके आदमियों को मार डाला। किल्ले की दीवारें चीख पुकार से गूंज गई। इसके बाद हल्दी का मानसिक संतुला को गया।



   उसे आगे चलकर बाबा ने पनाह दी। दिव्या जो हल्दी की पत्नी थी वो इस जन्म ने अनामिका बनी। अब वक्त आ गया था अनामिका को हल्दी से मिलवाने का।



                        वास्तविक समय।





      सुबह सुबह अनामिका को किल्ला में बुलाया गया। बाबा ने उसे अगले सेवा का काम बताया। एक तायखाने में पड़ा  95 साल का बुड्ढा बदन पे कोई कपड़ा नहीं और पागलों की तरह दीवाल नोच रहा था। उस बुड्ढे को देख अनामिका अंदर से डर गई।



"ये कौन है बाबा ?"



बाबा ने अनामिका को पिछले जन्म की कहानी को दोहराया। यह सुनकर अनामिका अंदर से दुखी हुई और हल्दी के प्रत्ये सहानुभूति होने लगी उसे।



"तो क्या फैसला किया तुमने अनामिका ?"



"अब मैं अपने तीसरे सेवा कार्य को अंजाम दूंगी। पिछले जन्म न सही। इस जन्म में उसे प्यार मैं दूंगी। लेकिन करना क्या होगा मुझे ?"



"अब जो तुम्हे करना होगा उसके लिए तुम्हे अपने मन को मजबूत करना होगा। अब तुम हल्दी के साथ रहोगी। उसे जिंदगी का प्यार दोगी।"



"लेकिन मणि का क्या ? मेवा का क्या ?"



"दोनो को भी अपने साथ लेकर चलना होगा। मणि और मेवा दोनो मेरे परिवार का हिस्सा है और तुम भी।"



"मतलब ?"



"मतलब ये है इस सेवा की जिंदगी में तुम अपना पिछला जीवन को छोड़ चुकी हो। अब मैं मणि मेवा तुम हल्दी एक परिवार है।"



"क्या मेरा वो बीता हुआ परिवार सुखी है ?"



बाबा मुस्कुराकर बोले "अब से कभी उन्हें पैसों की कमी नही होगी। इतना धन मिलेगा की वो अब कभी मेहनत नहीं करेंगे। अब सारी ज़िंदगी ऐशो आराम में ही गुजरेगी।"



ये सुनकर अनामिका खुश हुई और बोली "अब मैं खुशी खुशी इस दुनिया में रहूंगी। अब से यही मेरा परिवार।"



"अनामिका अब से तुम हमारे साथ इस किल्ले में रहोगी हमेशाबके लिए।"



इतने में मेवा और मणि आए और बोले "हां अनामिका अब से हम सब साथ रहेंगे।"



बाबा बोले "मणि और मेवा अनामिका का सारा सामान कमरे में रख दो। मणि और अनामिका एक ही कमरे में रहेंगे। मेवा जाओ बाकी का काम पूरा करो। अनामिका कुछ देर के लिए मेरे साथ अकेले मेरे कमरे चलो।"



बाबा और अनामिका दोनो कमरे में आए।



"बाबा बताइए अब क्या करना होगा ?" अनामिका ने पूछा।



"अनामिका क्या तुम रूपा को जानती हो ?"



अनामिका चौक गई और बोली "रूपा मेरी दोस्त है। वो मुझसे दो साल छोटी है। क्या हुआ ? सब ठीक तो है न ?"



"बिलकुल नहीं। उसके घरवालों ने उसे छोड़ दिया। उसके पति ने उसके साथ रिश्ता तोड़ दिया और किसी और से शादी कर लिया।"



"ये तो बहुत बुरा हुआ।" अनामिका दुखी मन से बोली।



"अनामिका बहुत जल्द अब वो इस किल्ले में आएगी और हमारे swa कार्य को आगे बढ़ाएगी। बहुत जल्द वो भी हमारे साथ रहेगी।"



"बाबा एक सवाल पूछूं ?"



"पूछो।"



"आप ये सब क्यों कर रहे है ? इस सेवा कार्य से आपको क्या लाभ होगा ?"



"शांति मिलेगी। मुझे शक्ति मिलेगी। और तो और इसमें तुम मेरी मदद करेगी।"



"मैं सब कुछ करने को तैयार हूं।"



"पता है अनामिका ? तुमने जिस दिन मुझे मौत से बचाया था तब से मुझे विश्वास हो गया की तुम कितनी अच्छी हो। तब से मैंने ठान लिया था की तुम्हे अपने साथ रखूंगा। बस अनामिका तुम ऐसे ही साथ रहो। तुम्हारे सिवा मेरा अब कोई नही।" अनामिका के दोनो कंधो को हाथ में थामते हुए बाबा ने कहा "जब तक मैं जिंदा हूं तब तक मेरा साथ देना और छोड़कर मत जाना।"



अनामिका ने कहा "अब आप ही मेरा संसार हो। अब आप देखिए इस किल्ले में सिर्फ खुशियां ही खुशियां होंगी।"



बाबा ने अनामिका को गले से लगा लिया। दोनो एक दूसरे से लिपटे रहे। बाबा आगे बोले "अब जाओ मणि तुम्हारा इंतजार कर रहा है।"



अनामिका बाबा को प्रणाम करके बाहर गई। अपने कमरे में आई तो देखा मणि बिना किसी कपड़े के बिस्तर पर लेटा था। अनामिका मणि को देखकर मुस्कुराई। मणि ने अनामिका को बिस्तर पर आने का इशारा किया। साड़ी के पल्लू को बदन से हटाकर अनामिका बिस्तर पर आई मणि तुरंत अनामिका के होठ को चूमते हुए पूछा "कैसा लगा हमारा नया घर ?"



अनामिका अपने ब्लाउज को उतारते हुए बोली "बहुत अच्छा लग रहा है।"



"बाबा के कहने पर हम दोनो एक ही कमरे में रहेंगे। जैसे पति पत्नी।" मणि ने अनामिका का ब्रा उतारकर उसे फिर से चूमने लगा।



"माणि क्या अब बगीचे का काम इधर करोगे ?"



"हां और तुम हम सब की खयाल रखोगी।"



      मणि खुद को और अनामिका को निर्वस्त्र कर दिया। मणि और अनामिका एक दूसरे की बाहों में रात गुजारने लगे। दोनो प्रेमी ने खूब एक दूसरे को प्यार किया। अनामिका अगली सुबह ४ बजे उठी। कमरे से बाहर छत पर से पूरे गांव को देख रही थी। अनामिका को ठंडी हवा की खुशबू अच्छी लगी। अनामिका फिर गई मेवा के कमरे और उसे दूध पिलाया। दोस्तो बहुत जल्द अनामिका इस दास्तान आगे बढ़ेगी और कई मोड़ भी आयेगा इस सेवा के सफर में।
Kya mast likhte ho bhai ek dum gajab mind blowing
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.


Messages In This Thread
RE: बूढ़े लोगों को सेवा। - by Kung lee - 19-12-2023, 03:13 PM



Users browsing this thread: 11 Guest(s)