18-12-2023, 11:40 PM
सरोज - उम् आह।।बहुत मज़ेदार है ये केला तो।। (बहु मेरे लंड को मुह में ले कर चूसने लगी।।)
प्यारेलाल - बेटी केला सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। रोज़ खाना चहिये
सरोज - (मेरा लंड मुह में लिए हुये बोली।।) उम्म्म पप।। केला बहुत मोटा है।। में।। इस्से रोज खाऊँगी।उम।। चाप-चाप।।
बहु को लंड मुह में लिए हुये अपने पापा से बात करता देख मेरे लंड का सारा पानी बहु के मुँह में निकल गया। बहु जोर से मेरा लंड अपने मुँह के अंदर गले तक ले ली।। बहु का मुह मेरे वीर्य से इतना भर गया की होठ के किनारे से छूने लगा मैं बहु के मुह में मुट्ठ गिरा कर आनन्द से भर उठा।
दिन बीतते गए मेरी जवान बहु अब काफी खुल गई थी, घर में बहु कम कपड़ों में रहती थी। मुझे जब चांस मिलता मैं बहु को चोद लिया करता। पुरे दिन मैं बहु के बारे में सोच या उसे देख मुट्ठ मारता या उसे चोदता और लंड चुसवाता। मुझे पूरा यकीन था, बहु के पापा भी अपनी बेटी को देख खुद को मुट्ठ मारने से रोक नहीं पाते होंगे। मैं बहु को अपने पापा से चुदते हुए देखना चाहता था, लेकिन मुझमे इतनी हिम्मत नहीं थी की इस बारे में मैं बहु या फिर समधि जी से कुछ कह पाता। किसमें इतनी हिम्मत होगी जो बाप-बेटी के बीच चुदाई की बात करे।।
लेकिन घर में जिस तरह बहु और समधी आपस में क्लोज थे मुझे धीरे-धीरे यकीन होने लगा था की शायद एक दिन ऐसा आये जब मेरा सपना पूरा हो।
समधि जी को सुबह जल्दी उठने की आदत थी, वो कमरे से बाहर निकल पौधों को पानी दे रहे होते थे। जब बहु की नींद खुलती वो सीधा अपने पापा के पास जाती और कस के उन्हें हग कर लेती। शुरू-शुरू में तो दोनों टाइट हग करते लेकिन कुछ दिनों से जब भी बहु उनसे लिपटती अपने नर्म होठ समधी जी के होठों से सटा लेती और उन्हें कस कर अपनी बाँहों में लेते हुये गुड मॉर्निंग पापा बोलती।
समधि जी भी अपनी बेटी को गुड मॉर्निंग किस देते और जब भी कभी मौका मिलता उसके नरम मुलायम जिस्म को सहला देते।आज सुबह जब बहु बिस्तर से उठी तो हमेशा की तरह मुझे गुड मॉर्निंग बोलते हुये सीधा अपने पापा से लिपट गई।
सरोज - पापा।। आपकी बॉडी इतनी गरम क्यों है? आप ठीक तो हैं?
प्यारेलाल - हाँ बेटि, तुम तो मेरी अच्छी बेटी हो। देखते ही पहेचान जाती हो की मेरी तबियत ठीक नहीं है।
सरोज - पापा।। आप अपना ख्याल नहीं रखते। मैं डॉक्टर को बुलाती हूँ (सरोज अपने पापा से लिपटते हुए बोली)
प्यारेलाल - (सरोज के कमर से गांड तक अपने हाथ से सहलाते हुये) नहीं बेटी मैं ठीक हू।
सरोज - पापा प्लीज आप आराम करिये मैं डॉक्टर को बुला रही हूँ।
बहु फ़ोन पे - हेलो डॉक्टर राव? दिस इस सरोज, यू रेमेम्बेर मी कम टू तो योर क्लिनिक लास्ट मंथ?
।।।।येस। माय फादर इस नॉट वेल।। प्लीज सर इफ़ यू आर बिजी प्लीज सेंड सम गुड डॉक्टर
अरजेंटली।
बहु अपने पापा के पास बैठी बातें करती रही। क़रीब १ घंटे बाद किसी ने डोर बेल बजाइ। बहु अपने नाईट गाउन में ही मेंन डोर की तरफ आगे बढि। मैं बहु को पीछे से उसकी मटकती भारी कूल्हों को देखता रहा।
दरवाज़े पे।।
हलो।। आई ऍम डॉक्टर रवि।।। आ।। डॉक्टर आर यु स्पोक टू यू दिस मोर्निंग।।।
बहु - ओह येस।। प्लीज कम।
डाक्टर रवि क़रीब ३० साल का जवान डॉक्टर था, बहु और डॉक्टर बातें कर रहे थे लेकिन उसकी नज़र लगातार मेरी बहु की भरी-भरी चूचियों पे थी जो बिना ब्रा के नाइटी में कसी हुई थी। मैं भी कमरे के एक कोने में दिवार से सट कर खड़ा हो गया
प्यारेलाल - बेटी केला सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। रोज़ खाना चहिये
सरोज - (मेरा लंड मुह में लिए हुये बोली।।) उम्म्म पप।। केला बहुत मोटा है।। में।। इस्से रोज खाऊँगी।उम।। चाप-चाप।।
बहु को लंड मुह में लिए हुये अपने पापा से बात करता देख मेरे लंड का सारा पानी बहु के मुँह में निकल गया। बहु जोर से मेरा लंड अपने मुँह के अंदर गले तक ले ली।। बहु का मुह मेरे वीर्य से इतना भर गया की होठ के किनारे से छूने लगा मैं बहु के मुह में मुट्ठ गिरा कर आनन्द से भर उठा।
दिन बीतते गए मेरी जवान बहु अब काफी खुल गई थी, घर में बहु कम कपड़ों में रहती थी। मुझे जब चांस मिलता मैं बहु को चोद लिया करता। पुरे दिन मैं बहु के बारे में सोच या उसे देख मुट्ठ मारता या उसे चोदता और लंड चुसवाता। मुझे पूरा यकीन था, बहु के पापा भी अपनी बेटी को देख खुद को मुट्ठ मारने से रोक नहीं पाते होंगे। मैं बहु को अपने पापा से चुदते हुए देखना चाहता था, लेकिन मुझमे इतनी हिम्मत नहीं थी की इस बारे में मैं बहु या फिर समधि जी से कुछ कह पाता। किसमें इतनी हिम्मत होगी जो बाप-बेटी के बीच चुदाई की बात करे।।
लेकिन घर में जिस तरह बहु और समधी आपस में क्लोज थे मुझे धीरे-धीरे यकीन होने लगा था की शायद एक दिन ऐसा आये जब मेरा सपना पूरा हो।
समधि जी को सुबह जल्दी उठने की आदत थी, वो कमरे से बाहर निकल पौधों को पानी दे रहे होते थे। जब बहु की नींद खुलती वो सीधा अपने पापा के पास जाती और कस के उन्हें हग कर लेती। शुरू-शुरू में तो दोनों टाइट हग करते लेकिन कुछ दिनों से जब भी बहु उनसे लिपटती अपने नर्म होठ समधी जी के होठों से सटा लेती और उन्हें कस कर अपनी बाँहों में लेते हुये गुड मॉर्निंग पापा बोलती।
समधि जी भी अपनी बेटी को गुड मॉर्निंग किस देते और जब भी कभी मौका मिलता उसके नरम मुलायम जिस्म को सहला देते।आज सुबह जब बहु बिस्तर से उठी तो हमेशा की तरह मुझे गुड मॉर्निंग बोलते हुये सीधा अपने पापा से लिपट गई।
सरोज - पापा।। आपकी बॉडी इतनी गरम क्यों है? आप ठीक तो हैं?
प्यारेलाल - हाँ बेटि, तुम तो मेरी अच्छी बेटी हो। देखते ही पहेचान जाती हो की मेरी तबियत ठीक नहीं है।
सरोज - पापा।। आप अपना ख्याल नहीं रखते। मैं डॉक्टर को बुलाती हूँ (सरोज अपने पापा से लिपटते हुए बोली)
प्यारेलाल - (सरोज के कमर से गांड तक अपने हाथ से सहलाते हुये) नहीं बेटी मैं ठीक हू।
सरोज - पापा प्लीज आप आराम करिये मैं डॉक्टर को बुला रही हूँ।
बहु फ़ोन पे - हेलो डॉक्टर राव? दिस इस सरोज, यू रेमेम्बेर मी कम टू तो योर क्लिनिक लास्ट मंथ?
।।।।येस। माय फादर इस नॉट वेल।। प्लीज सर इफ़ यू आर बिजी प्लीज सेंड सम गुड डॉक्टर
अरजेंटली।
बहु अपने पापा के पास बैठी बातें करती रही। क़रीब १ घंटे बाद किसी ने डोर बेल बजाइ। बहु अपने नाईट गाउन में ही मेंन डोर की तरफ आगे बढि। मैं बहु को पीछे से उसकी मटकती भारी कूल्हों को देखता रहा।
दरवाज़े पे।।
हलो।। आई ऍम डॉक्टर रवि।।। आ।। डॉक्टर आर यु स्पोक टू यू दिस मोर्निंग।।।
बहु - ओह येस।। प्लीज कम।
डाक्टर रवि क़रीब ३० साल का जवान डॉक्टर था, बहु और डॉक्टर बातें कर रहे थे लेकिन उसकी नज़र लगातार मेरी बहु की भरी-भरी चूचियों पे थी जो बिना ब्रा के नाइटी में कसी हुई थी। मैं भी कमरे के एक कोने में दिवार से सट कर खड़ा हो गया