18-12-2023, 11:27 PM
सरोज - बाबू जी मेरे निप्पल मत दबाइये मेरी चुत में पानी आ रहा है।
मै - (पेंटी के अंदर हाथ डाल कर अपनी ऊँगली बहु की चुत में डाल दी)।। बहु तेरी चुत तो पहले से ही गिली है। ला तेरा भी पानी निकाल दूँ (और फिर मैं उसकी चिपचिपी चुत में ऊँगली ड़ालने लगा)
बहु - आआआअह्ह बाबूजी।। अभी नहीं रात में। चलिये अभी मैं आपके लंड का पानी निकाल देती हूँ। (ये कहते हुए बहु नीचे बैठ गई और मेरे लंड को अपनी गरम मुह के अंदर ले लिया)
मैन रसोई के खिड़की के पास खड़ा था और बहु ठीक वहीँ पे नीचे बैठी मेरा लंड चूस रही थी। मैं वहां से समधी जी को देख पा रहा था। बहु जोर-जोर से मेरा लंड अपने मुह में पूरा अंदर तक ले रही थी, मेरा लंड बहु के लार से गिला और चिप चिपा हो गया था। बहु जब-जब मेरा लंड मुह में अंदर बाहर करती चप-चाप।।। चिप-चिप।।। की आवाज़ आती। बीच-बीच में बहु मज़े से उम्मम्मम्म।। आआह्ह्ह्।। मम्म्मूउ।। की आवाज़ भी निकाल रही थी। समधी जी को ये आवाज़ शायद सुनाइ दी तो पीछे मुड के बोले।।
प्यारेलाल - अरे समधी जी आप वहां किचन में क्या कर रहे हैं?
सामने किचन होने से समधी जी मुझे सिर्फ कमर तक देख पा रहे थे और बहु खिड़की के नीचे होने से छुपी थी।। मैं अपना एक हाथ कमर पर और एक हाथ से बहु के बाल पकड़ कर बोला।।
मै - कुछ नहीं समधी जी।। प्यास लगी थी तो पानी पीने आया था
प्यारेलाल - ठीक है। बेटी नज़र नहीं आ रही कहीं।।
मै - समधी जी आपकी बेटी यहीं है।। यहाँ किचन में नीचे बैठ के फ्रूट्स काट रही है
प्यारेलाल - सरोज बेटी आज सुबह-सुबह फ्रूट्स क्यों?
सरोज - (बहु अपना मुह मेरे लंड से हटाते हुये बोली।।) पापा वो मेरे जन्मदिन पे आपने, बाबूजी और पडोसी अंकल सबलोग बहुत सारे फल ले आए। सारे ख़राब हो रहे हैं इसलिए सोचा फ्रूट सलाद बना दुं।
प्यारेलाल - ओके बेटी, लेकिन फ्रुट्स को पील ऑफ मत करना बेटी, सारे एपल, ग्रेवस, कुकुम्बर को बिना छिले डालना बेटी अच्छा होता है।
सरोज - (मेरे लंड को हाथ में पकड़ अपने नीचे बैठे अपने पापा से बात करते हुये।) पापा आपको कौन से फल पसंद हैं? क्या-क्या डालूँ फ्रूट सलाद में?
प्यारेलाल - बेटी।। एप्पळ, ग्रापस, ऑरेंज ये सब डालना।
सरोज - केला पापा?? केले जल्दी ख़राब हो जाते हैं डाल दूँ?
प्यारेलाल - नहीं बेटी।। मुझे फ्रूट सलाद में केला नहीं पसंद है। उसे तुम खा जाओ।
सरोज - (मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ देखती हुई।।) पापा इस केले का छिलका बहुत पतला है।। क्या इसे भी बिना छिले खाते हैं?
प्यारेलाल - (हँसते हुए।। ) अरे नहीं बेटी।। भला कोई केला बिना छिले खाता है?
सरोज - अच्छा फिर कैसे? ये केला तो नरम है।
प्यारेलाल - बेटी।। पहले उसके छिलके को उतार दो।
सरोज - (मेरे लंड को मुट्ठी में ले कर, लंड के स्किन को खोल दिया।।) जी खोल दिया मेरा मतलब केला छील दिया।।
प्यारेलाल - हाँ अब खा जाओ।।
सरोज - (मेरे लंड को कस कर पकड़ कर।।) इस केले को ऐसे ही मुह में ले लूँ?
प्यारेलाल - हाँ बेटी ले लो।
मै - (पेंटी के अंदर हाथ डाल कर अपनी ऊँगली बहु की चुत में डाल दी)।। बहु तेरी चुत तो पहले से ही गिली है। ला तेरा भी पानी निकाल दूँ (और फिर मैं उसकी चिपचिपी चुत में ऊँगली ड़ालने लगा)
बहु - आआआअह्ह बाबूजी।। अभी नहीं रात में। चलिये अभी मैं आपके लंड का पानी निकाल देती हूँ। (ये कहते हुए बहु नीचे बैठ गई और मेरे लंड को अपनी गरम मुह के अंदर ले लिया)
मैन रसोई के खिड़की के पास खड़ा था और बहु ठीक वहीँ पे नीचे बैठी मेरा लंड चूस रही थी। मैं वहां से समधी जी को देख पा रहा था। बहु जोर-जोर से मेरा लंड अपने मुह में पूरा अंदर तक ले रही थी, मेरा लंड बहु के लार से गिला और चिप चिपा हो गया था। बहु जब-जब मेरा लंड मुह में अंदर बाहर करती चप-चाप।।। चिप-चिप।।। की आवाज़ आती। बीच-बीच में बहु मज़े से उम्मम्मम्म।। आआह्ह्ह्।। मम्म्मूउ।। की आवाज़ भी निकाल रही थी। समधी जी को ये आवाज़ शायद सुनाइ दी तो पीछे मुड के बोले।।
प्यारेलाल - अरे समधी जी आप वहां किचन में क्या कर रहे हैं?
सामने किचन होने से समधी जी मुझे सिर्फ कमर तक देख पा रहे थे और बहु खिड़की के नीचे होने से छुपी थी।। मैं अपना एक हाथ कमर पर और एक हाथ से बहु के बाल पकड़ कर बोला।।
मै - कुछ नहीं समधी जी।। प्यास लगी थी तो पानी पीने आया था
प्यारेलाल - ठीक है। बेटी नज़र नहीं आ रही कहीं।।
मै - समधी जी आपकी बेटी यहीं है।। यहाँ किचन में नीचे बैठ के फ्रूट्स काट रही है
प्यारेलाल - सरोज बेटी आज सुबह-सुबह फ्रूट्स क्यों?
सरोज - (बहु अपना मुह मेरे लंड से हटाते हुये बोली।।) पापा वो मेरे जन्मदिन पे आपने, बाबूजी और पडोसी अंकल सबलोग बहुत सारे फल ले आए। सारे ख़राब हो रहे हैं इसलिए सोचा फ्रूट सलाद बना दुं।
प्यारेलाल - ओके बेटी, लेकिन फ्रुट्स को पील ऑफ मत करना बेटी, सारे एपल, ग्रेवस, कुकुम्बर को बिना छिले डालना बेटी अच्छा होता है।
सरोज - (मेरे लंड को हाथ में पकड़ अपने नीचे बैठे अपने पापा से बात करते हुये।) पापा आपको कौन से फल पसंद हैं? क्या-क्या डालूँ फ्रूट सलाद में?
प्यारेलाल - बेटी।। एप्पळ, ग्रापस, ऑरेंज ये सब डालना।
सरोज - केला पापा?? केले जल्दी ख़राब हो जाते हैं डाल दूँ?
प्यारेलाल - नहीं बेटी।। मुझे फ्रूट सलाद में केला नहीं पसंद है। उसे तुम खा जाओ।
सरोज - (मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ देखती हुई।।) पापा इस केले का छिलका बहुत पतला है।। क्या इसे भी बिना छिले खाते हैं?
प्यारेलाल - (हँसते हुए।। ) अरे नहीं बेटी।। भला कोई केला बिना छिले खाता है?
सरोज - अच्छा फिर कैसे? ये केला तो नरम है।
प्यारेलाल - बेटी।। पहले उसके छिलके को उतार दो।
सरोज - (मेरे लंड को मुट्ठी में ले कर, लंड के स्किन को खोल दिया।।) जी खोल दिया मेरा मतलब केला छील दिया।।
प्यारेलाल - हाँ अब खा जाओ।।
सरोज - (मेरे लंड को कस कर पकड़ कर।।) इस केले को ऐसे ही मुह में ले लूँ?
प्यारेलाल - हाँ बेटी ले लो।