14-06-2019, 05:37 PM
मम्मी रूम से बाहर आयीं और उन्होंने राजीव को मेरे शॉर्ट्स और टिशर्ट देदी। वो अब भी भीगी हुई थी और उनकी लंबी घनी ज़ुल्फ़ें अब उनकी छाती पर चिपक गयी थीं। राजीव ने कपड़े लिए और अचानक से उठ कर मम्मी को हग करते हुए कहा " थैंक्यू आंटी"। हालांकि वो झप्पी देने के तुरंत बाद ही हट गया पर मुझे उसका चेहरा मम्मी की चुचियो पर दबाना साफ दिखाई दिया। उसने अपने हाथ भी कसकर मम्मी की कमर और गांड पर लपेटे और फिर तुरंत अलग हो गया। मम्मी को ये उसका बचपना लगा और उन्होंने हँसकर उसे "वेलकम बेटा" बोल कर प्यार से उसका गाल खिंच लिया और चेंज करने अपने रूम की तरफ जाते हुए बोली
"अयान फ्रिज में दूध रखा है उसे गरम करके तुम दोनों पियो तबतक मैं नहा के आती हूं।"
मैंने देखा राजीव कपड़े बदल रहा है, और मम्मी ने बाथरूम में घुसकर दरवाज़ा लगा लिया था। मैं उठा और फ्रिज से दूध का भगोना निकल कर उसे गरम करने चला गया। 10 मिनट के बाद मुझे लगा कि राजीव कुछ ज्यादा ही शांत है जबसे वो घर पर आया है। मैं दो गिलास दूध लेकर साइनिंग टेबल पर आया तो राजीव को वहां से नदारद पाया। टेबल पर दूध रख कर मैंने नजर घुमाई तो राजीव को बाथरूम के दरवाजे के पास खड़ा पाया। दरवाज़ा थोड़ा खुला था, मम्मी अंदर नहा रही थी और शायद जल्दी में दरवाज़ा लॉक करने की बजाए बस लगा के भूल गयीं थी। मैंने राजीव को आवाज़ दी तो उसने घूम कर मुह पर उंगली रख कर मुझे चुप होने का इशारा किया और हाथ के इशारे से मुझे बुलाकर फिर अंदर झांकने लगा। वहाँ पहुचकर अंदर झांकते ही मेरी घिग्घी बांध गयी। मम्मी की पीठ हमारी तरफ थी और वो शावर में खड़ी थीं। उनके चेहरे पर शावर की बौछारें गिर रही थीं और सिर से पैर तक बहते हुए आ रही थीं। उनका चिकना गोरा बदन cfl की दूधिया रोशनी में चमक रहा था और उनकी गांड के दो तकिये हमारी तरफ मटक रहे थे। पहली बार मैं ने औरत के शरीर को नंगा देखा था। मेरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गयी और चेहरा लाल होने लगा। तभी राजीव ने अपनी पैंट में अपना हाथ डाला और जोर जोर से अपना हाथ उसमे हिलाने लगा, जो मेरे उस अबोध दिमाग से परे था। तभी शावर में नहाती हुई मम्मी घूमी। एक सेकेंड के लिए मेरी नजरे उनके बड़ी छातियों पर टिक गयीं। मुझे इतना दिखा की मम्मी की आंखे बंद हैं, और जैसे ही मेरी नजर उन गोल चुचियो पर पड़ी और मुझे कुछ समझ आता राजीव नें मुझे जोर से किनारे खीच लिया और मुझे पकड़कर वो डाइनिंग टेबल की तरफ ले आया। शायद मम्मी को भी शावर में घूमने के बाद आंख खोलने पर अहसास हुआ होगा कि दरवाज़ा खुला छोड़ रखा है और उन्होंने दरवाज़ा बंद करके अंदर कुंडी लगा दी। कुंडी लगते ही राजीव ने जोर की सांस ली और छोड़ी, और मुझे देखकर मुस्कुराने लगा।मेरी तो गांड अब भी फटी थी कि कही मम्मी ने हमे देख न लिया हो।
मैंने कहा " क्या बेवकूफी कर रहे थे, मम्मी ने हमे देखा होगा तो अभी वो हमे पीटकर घर से निकाल देंगी। एकदम ही पागल हो गए हो क्या?"
राजीव:- "अगर उन्होंने देखा होता तो तभी शामत आ जाती।" दूध का गिलास उठाते हुए बोलना जारी रखा " भाई कसम से मजा आ गया। रियल लाइफ एक्सपेरिएंस.." अपने पैंट को ज़िप के पास से ऊपर से ही सहलाते हुए बोला " भाई प्लीज बुरा मत मानियो, (बाथरूम की तरफ देखते हुए) पर मेरे से कंट्रोल नही हुआ.। तेरा तो मुह ही सिकुड़ा है। देख अगर तुझे बुरा लगा तो मैं आज के बाद कभी यहां नही आऊंगा..। अब कुछ बोल ..."
उसकी बात को काट कर मैं बोल पड़ा " बस मरवा दोगे तुम। नाराज़ क्या होना मुझे तो पता ही नही इसमे मजा क्या है। नहाती ..हुई नंगी. औ..रत को देख.. ने.. " मुझे वो सीने दोबारा याद आने लगे। मटकती गांड, पानी में भीगी गर्दन से बलखाती बूंदे, बड़ी गोल चुचियों पर गिरता पानी। मैं चुप हो गया।
राजीव:- "देखा मजा आया ना। अब तुझे पता चला असली मजा क्या होता है ज़रा देख नीचे अपने पैंट को कैसा उछला पड़ा है खुशी के मारे"
मैने नीचे देखा। मेरा भी पैंट तंबू बन गया था। तो लंड खड़ा होने का ये मतलब होता है आज मेरी समझ में आ गया था।मैंने राजीव को देखा, उसने इशारे से उस तंबू को दबाने को बोला। मैंने अपना पैंट खोला, तो देखा मेरा हमेशा लटका हुआ छोटा सा नुन्नु बड़ी ताकत से उफान मारते हुए ऊपर नाभि तक तन गया। तुरंत मैने अपना पैंट बंद कर दिया। पैंट के इलास्टिक से दबते ही मुझे अपने नुन्नु में ज़ोर की सिहरन हुई। मैं सकपकाया और राजीव की ओर देखा।
राजीव:- "जो तूने देखा उसे लंड कहते हैं। " (हँसने लगा) अब असली मजा चाहिए तो दबा उसे नीचे। जबतक मजा आ रहा है दबाता रह। बस एक बात, जो नज़ारा अभी देखा उसे दिमाग में रखियो बस।
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