14-06-2019, 05:30 PM
राजीव मम्मी की चुचियो के संपर्क से अभी भी अभिभूत था। उनकी चुचियो को ही देखते हुए बोला "मम्मी.. बीमार थीं तो ..पापा थोड़ी देर में आने वाले थे। नही ..आये तो मैं चल दिया अयान के साथ।"
मम्मी ने अपना पल्लू खिचके अपने बड़े वक्षःस्थल को ढँका और फिर मुझे डांट लगाई " क्यों नही रुका मेरे लिए? आती न में तुझे लेने? अब भीग गया है तू देख सिर से पैरों तक"
"पर मम्मा आप भी तो पूरी भीग गयी हो, मुझे कैसे बचाती?छाता तो लाई नही आप"
मम्मी ऊपर से नीचे तक भीगी हुई थी। क्योंकि वो प्लेन रंग के कपड़े ही पहनती थी, तो साड़ी उनके शऱीर से चिपक सी गयी थी और पेटीकोट से ऊपर उनके बदन पर ब्लाउज और साड़ी पल्लू पारदर्शी ही हो गयी थी लगभग। उनके बालों से पानी टपक रहा था। उनकी ब्रा ब्लाउज और साड़ी के नीचे भी झलक रही थी, पूरी नही, transducent। उनका पूरा शेप सामने दिखाई पड़ रहा था। पिच्छे पानी टपकता हुआ पीठ से उनकी गांड की दरारों में गया था जिससे कुर्सी पर बैठने की वजह से साड़ी उनकी गांड से चिपक गयी थी और पूरे शेप में थी।
अब मम्मी सकपका गयीं। कमल से heated conversation में शायद वो भूल ही गयीं की एकतो छाता घर भूल आयी, ऊपर से तेज़ बारिश शुरू होने की वजह से वो सिर से कमर तक भीग भी गयीं हैं। जल्दी से उन्होंने अपनी साड़ी ठीक करने की नाकाम कोशिश करने लगीं। इस चक्कर में वो कभी झुकती, कभी अपने हाथों से अपने नितम्बो से चिपकी साड़ी छुड़ाती। मैंने देखा कि जबतक मम्मी अपनी मोडेस्टी छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी, दुकान के अंदर कमल भैया और एक वर्कर जिसका नाम सुल्तान था, दोनों एक दूसरे को देख के हस्ते फिर मम्मी को अजीब मुस्कुराहट से घूरते। मम्मी को भी शायद उनका उन्हें इस तरह घूरना अच्छा नही लग रहा था। राजीव तो अब भी एकटक मम्मी को घूरे जा रहा था। मैन फिर से अंदर देखा, तो सुल्तान अपने पॉकेट में हाथ डाल कर खड़ा था और कमल भैया शैतानी भारी निगाहों से मम्मी को देख रहे थे, और हाथों से सुल्तान को तरह तरह के इशारे करके दोनों है रहे थे। मम्मी ने आसमान की तरफ लाचारी से देखा। बारिश खत्म होने का नाम नही ले रही थी। तभी राजीव बोल पड़ा
"अरे आंटी, भीग तो गए ही हैं। अगर तेज चले तो जल्दी घर पहुच के सूख भी जाएंगे"
आईडिया तो अच्छा था। मम्मी को भी उन ठरकी निगाहों से बचना था। उन्होंने कुछ देर सोचा, फ़िर पिच्छे दुकान में देखा। सुल्तान अब भी पॉकेट में हाथ डाले खड़ा था और मम्मी को आँखों में देखते हुए अपने दांत दिख के मुस्कुरा रहा था। कमल भैया को जैसे ही उन्हओने देखा तो वो बोल पड़े " अरे , आईडिया अच्छा दिया है आपको मैंने। थोड़ा सोच लेना फिर आगे बहुत काम आएगा.." बोलकर उसने अपने सीने पर एक बार हाथ फिराया फिर सुल्तान को देखकर खी खी करके हल्की हँसी हंस दिया।
इतना सुन्ना था कि मम्मी ने मेरा हाथ पकड़ा और तुरंत ही उस तेज़ बारिश में हम घर की तरफ चल दिये। राजीव हमारे पीछे पीछे चल दिया। राजीव अब भी मम्मी के पीछे उनकी गांड को घूरता हुआ चला आ रहा था, उसी वक़्त मैंने उसके भीगे हुए पैंट को थोड़ा बाहर तना हुआ देखा। रास्ते में सब अपने दुकानों और घरों में बैठे हमे जाते देख रहे थे। अब तो मुझे लगता है कि कइयो ने उस दिन मम्मी को देख के मुठ मार दी होगी। पक्का उस दिन के बाद मम्मी उस मोहल्ले की हीरोइन बन चुकी होंगी।
हम घर पहुचते ही मम्मी तौलिया लेके आयी और मेरा सिर पोंछने लगीं। इस सारी जल्दी बाजी और बकचोदी के बीच उनको अब भी ध्यान नही गया कि वो पूरी भीग चुकी हैं और अब तो उनका पूरा बदन ही उस प्लेन साड़ी के ऊपर झलक रहा था (खासतौर पर उनकी गांड और चुचियाँ का क्लीवेज)। जल्दी से उन्होंने मुझे बाथरूम भेजा ताकि मैं कपड़े बदल लू फिर तौलया लेकर उन्होंने राजीव को सुखाना चालू कर दिया। राजीव डाइनिंग टेबल की कुर्सी पर बैठा था मम्मी की ओर चेहरा करके। मम्मी झुक कर उसके सिर और चेहरे को तौलिये से पोंछ रहीं थी। उनकी भीगी हुई हिलती चुचियाँ पूरी तरह से झलक रही थीं और राजीव चैन से उन्हें एकटक निहारे जा रहा था। पता नही मम्मी ने ये नोटिस किया या नही या नोटिस करके इग्नोर कर कर दिया क्योंकि उनकी नजर में राजीव अब भी बच्चा ही था। उसका सिर पोंछने के बाद मम्मी राजीव को पहनने को मेरे कुछ कपड़े लाने कमरे की तरफ चल दी तो उनकी बड़ी गांड भीगी हुई साड़ी और पेटीकोट के अंदर से ही झलक पड़ी। राजीव ने अपना सारा ध्यान मम्मी के ऊपर ही कंसन्ट्रेट कर दिया था। जैसे ही में कपड़े बदलकर आया तो देखा राजीव मम्मी के पीछे ही घूरे जा रहा है और अपना एक हाथ उसने अपने पैंट की ज़िप पर रखकर उसे दबा रहा है। मम्मी के रूम में घुसकर ओझल होते ही उसे मेरे वहां होने का ध्यान आया और उसने झट से अपना हाथ टेबल पर रख लिया। पर उसका पैंट तो अब भी छोटे तंबू की तरह तना हुआ ही था।