10-12-2023, 06:55 PM
मिली,
“ अरे कंचन तू! तू यहाँ कैसे. कितने दिनों बाद मिल रही है.”
“ हां वीना, कॉलेज के बाद अब मिल रहे हैं. कैसी है तू?” वीना भी मेरी अच्छी दोस्त थी. पढ़ाई में अच्छी थी, इसलिए आज डॉक्टर बन गयी थी. हम दोनो बचपन की खूब बातें करते रहे.
“ कंचन मुझे अच्छी तरह याद है तू कॉलेज की सुबसे सेक्सी लड़की थी.”
“ हट ! तू कौन सी कम थी?”
“ भाई जीजाजी को क्यों नहीं साथ लाई?”
“ वो तो मुझे छोड़ने आए थे. चले गये. मेरी मा की तबीयत थोड़ी खराब थी.”
“ अच्छा बता डॉक्टर के पास कैसे आना हुआ?” अब मैं सकपका गयी. हड़बड़ा के बोली
“ नहीं वैसे ही, कोई ख़ास बात नहीं है. फिर कभी दिखा लूँगी.”
“ अरे कंचन तू पागल है क्या. तेरी दोस्त डॉक्टर है और तू मुझे कुच्छ बताना नहीं चाहती.”
“ नहीं कुच्छ ख़ास नहीं.”
“ अब तू ये ही कहती रहेगी या कुच्छ बताएगी भी. डॉक्टर से क्या च्छुपाना.” मैं साहस जुटा के बोली,
“ देख वीना मेरे टाँगों के बीच की जगह में दर्द हो रहा है.”
“ ओ ! तो तू इसलिए इतना शर्मा रही है! चल उतार अपनी सलवार. देखें क्या प्राब्लम है.”
“ मैने तो आज तक किसी के सामने सलवार नहीं उतारी.” मैं शरमाते हुए बोली.
“ अच्छा ! जीजाजी के सामने भी नहीं?”
“ ओह हो! वो तो दूसरी बात है.”
“ जब एक मरद के सामने सलवार उतार सकती है तो औरत के सामने उतारने में कैसी शर्म? वो भी एक डॉक्टर के सामने.” वीना ने मेरी सलवार का नारा खींच दिया.
“ चल अब बिस्तेर पे लेट जा, और पॅंटी भी उतार दे.” मैं बिस्तेर पे लेट गयी लेकिन पॅंटी नहीं उतारी. वीना ने ही मेरी पॅंटी भी उतार दी. मैने टाँगें ज़ोर के चूत को छुपा रखा था.
“ कंचन, चल टाँगें फैला. देखें क्या प्राब्लम है.” मैने शरम से आँखें बंद कर लीं और टाँगें फैला दी.
“ बाप रे ! कंचन, इतना जंगल क्यों उगा रखा है?” वीना ने मेरी झाँटें हटा के चूत को देखने लगी, “ हाई राम ! ये क्या ? तेरी चूत तो बहुत ज़्यादा सूज गयी है. और भी कहीं दर्द है?”
“ हां पीछे भी दर्द हो रहा है.” मैं हिचकिचाते हुए बोली. वीना ने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरे चूतरो को दोनो हाथों से फैला के मेरे गांद के छेद को देखने लगी.
“ हे भगवान ! कंचन तू क्या कर रही थी ? ये तो फॅट गयी है.” मैं तो मारे शरम के लाल हो गयी. “ और भी कहीं दर्द है?”
“ हां पूरे बदन में ही दर्द हो रहा है.”
“ हूँ! चल कपड़े पहन ले, फिर बात करते हैं.” मैने अपनी पॅंटी और सलवार पहन ली. वीना बोली
“ देख मैने ऐसे केसस पहले भी देखे हैं. लेकिन वो सब ऐसी लड़कियो के थे जिनकी नयी शादी हुई थी और वो सुहाग रात के बाद या हनिमून के बाद मेरे पास आई थी. आमतौर पे लड़कियाँ छ्होटे कद की थी और उनकी शादी लंबे तगड़े मर्द से हो गयी. सुहाग रात को कुँवारी चूत को चोदना हर मर्द को नहीं आता. ऐसे में अगर मरद का लंड मोटा और बड़ा हो और लड़की की चूत छोटी हो तो उसकी ये हालत हो जाती है.
“ अरे कंचन तू! तू यहाँ कैसे. कितने दिनों बाद मिल रही है.”
“ हां वीना, कॉलेज के बाद अब मिल रहे हैं. कैसी है तू?” वीना भी मेरी अच्छी दोस्त थी. पढ़ाई में अच्छी थी, इसलिए आज डॉक्टर बन गयी थी. हम दोनो बचपन की खूब बातें करते रहे.
“ कंचन मुझे अच्छी तरह याद है तू कॉलेज की सुबसे सेक्सी लड़की थी.”
“ हट ! तू कौन सी कम थी?”
“ भाई जीजाजी को क्यों नहीं साथ लाई?”
“ वो तो मुझे छोड़ने आए थे. चले गये. मेरी मा की तबीयत थोड़ी खराब थी.”
“ अच्छा बता डॉक्टर के पास कैसे आना हुआ?” अब मैं सकपका गयी. हड़बड़ा के बोली
“ नहीं वैसे ही, कोई ख़ास बात नहीं है. फिर कभी दिखा लूँगी.”
“ अरे कंचन तू पागल है क्या. तेरी दोस्त डॉक्टर है और तू मुझे कुच्छ बताना नहीं चाहती.”
“ नहीं कुच्छ ख़ास नहीं.”
“ अब तू ये ही कहती रहेगी या कुच्छ बताएगी भी. डॉक्टर से क्या च्छुपाना.” मैं साहस जुटा के बोली,
“ देख वीना मेरे टाँगों के बीच की जगह में दर्द हो रहा है.”
“ ओ ! तो तू इसलिए इतना शर्मा रही है! चल उतार अपनी सलवार. देखें क्या प्राब्लम है.”
“ मैने तो आज तक किसी के सामने सलवार नहीं उतारी.” मैं शरमाते हुए बोली.
“ अच्छा ! जीजाजी के सामने भी नहीं?”
“ ओह हो! वो तो दूसरी बात है.”
“ जब एक मरद के सामने सलवार उतार सकती है तो औरत के सामने उतारने में कैसी शर्म? वो भी एक डॉक्टर के सामने.” वीना ने मेरी सलवार का नारा खींच दिया.
“ चल अब बिस्तेर पे लेट जा, और पॅंटी भी उतार दे.” मैं बिस्तेर पे लेट गयी लेकिन पॅंटी नहीं उतारी. वीना ने ही मेरी पॅंटी भी उतार दी. मैने टाँगें ज़ोर के चूत को छुपा रखा था.
“ कंचन, चल टाँगें फैला. देखें क्या प्राब्लम है.” मैने शरम से आँखें बंद कर लीं और टाँगें फैला दी.
“ बाप रे ! कंचन, इतना जंगल क्यों उगा रखा है?” वीना ने मेरी झाँटें हटा के चूत को देखने लगी, “ हाई राम ! ये क्या ? तेरी चूत तो बहुत ज़्यादा सूज गयी है. और भी कहीं दर्द है?”
“ हां पीछे भी दर्द हो रहा है.” मैं हिचकिचाते हुए बोली. वीना ने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरे चूतरो को दोनो हाथों से फैला के मेरे गांद के छेद को देखने लगी.
“ हे भगवान ! कंचन तू क्या कर रही थी ? ये तो फॅट गयी है.” मैं तो मारे शरम के लाल हो गयी. “ और भी कहीं दर्द है?”
“ हां पूरे बदन में ही दर्द हो रहा है.”
“ हूँ! चल कपड़े पहन ले, फिर बात करते हैं.” मैने अपनी पॅंटी और सलवार पहन ली. वीना बोली
“ देख मैने ऐसे केसस पहले भी देखे हैं. लेकिन वो सब ऐसी लड़कियो के थे जिनकी नयी शादी हुई थी और वो सुहाग रात के बाद या हनिमून के बाद मेरे पास आई थी. आमतौर पे लड़कियाँ छ्होटे कद की थी और उनकी शादी लंबे तगड़े मर्द से हो गयी. सुहाग रात को कुँवारी चूत को चोदना हर मर्द को नहीं आता. ऐसे में अगर मरद का लंड मोटा और बड़ा हो और लड़की की चूत छोटी हो तो उसकी ये हालत हो जाती है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.