10-12-2023, 05:48 PM
जोरू का गुलाम भाग ११२
मॉल में माल
दिया अब चल सेल के बारे में बोल ,माल कितनी दूर है ,... मैंने फिर दिया से कहा।
बस आ गया
मूड ठीक करने के लिए मैंने दिया से सेल्स की बात शुरू कर दी।
" अरे यार तू सच में उस दूकान वाले को जानती है न ,... " मैंने दिया को उकसाया।
…………………………
"एकदम ,और मेरी भाभी जिस साडी पे हाथ रख दें ,उस पे ५० % डिस्काउंट ,मेरा राखी वाला भाई है " दिया ने जेठानी के कंधे पर हाथ रहते हुए ,उनका गाल छू केकहा।
जेठानी के गोरे गोरे गाल एक बार फिर ख़ुशी से दमक उठे।
और मॉल आ गया। वाकई बड़ा था। चार मंजिल का।
लेकिन असली चीज थी लड़के ,
तीन तीन शोख ख़ूबसूरत इंटर पास करने की पार्टी करने वाली किशोरियां ,
लड़के लस लिए।
और मैंने कत्तई बुरा नहीं माना। आखिर जहाँ कलियाँ होंगी भौंरे आएंगे ही।
एक ने कमेंट किया , वाकई बड़ा है।
कमेंट पंजाबी कुड़ी के लिए था , पर मेरी जेठानी उसे अपने लिए समझ बैठीं ,फूल के कुप्पा।
मुझ से बोलीं , ई लड़के भी।
" सही तो बोल रहे हैं आप देख लीजिये , पूरे मॉल में इत्ता बड़ा कहाँ किस का होगा। " मैंने उन्हें और चढ़ाया।
तब तक छन्दा आ गयी और जोर से चीखी ,भाभी , और मेरे गले लग गयी।
ननद गले लगे और ननद रानी के जुबना न मसले जाएँ ये तो ननद भाभी वाली बात नहीं होती तो उभार उसके खूब कस कस के मसले भी गए , रगड़े भी गए ,
बिना इस बात की परवाह किये की हम लोग मॉल में है और कम से कम छह सात लड़के इन लड़कियों के चक्कर में चक्कर काट रहे हैं।
छन्दा शलवार सूट में ही थी लेकिन कत्तई बहन जी टाइप नहीं लग रही थी। एक छोटी सी प्याजी रंग की कुर्ती ,एकदम टाइट जिसमे उसके गोल गोल उभार उछल के सामने आ रहे थे ,बिना कुछ भी छुपने ढकने की कोशिश किये , चुन्नी थी लेकिन गर्दन से एकदम चिपकी।
और शलवार भी हिप्स पे एकदम टाइट , कुर्ती छोटी थी तो नितम्बों का कड़ापन भी साफ़ साफ़ दिख रहा था।
" आज तो मॉल एकदम मालामाल हो गया है " एक लौंडा बोला।
पर तबतक छन्दा को मैंने जेठानी जी की ओर इशारा किया और वो उनके गले भी भी , ... थोड़ी देर में छन्दा उनसे लहक लहक के बात कर रही थीं।
दिया ने तो पहले ही मेरी जेठानी जी को शीशे में उतार लिया था। और अब छन्दा ने भी उन्हें पटा लिया था , बस गुड्डी से अभी भी वो थोड़ी अलफ़
वो सेल वाली दूकान तीसरी मंजिल पर थी , हम लोग एस्केलेटर पर पहुंचे पर जेठानी जी के पैर डगमगाने लगे।
छन्दा मुझसे बोली , आप दिया के साथ एस्केलेटर से चली जाइये हम लोग लिफ्ट से आते हैं।
मतलब साफ़ था , लड़के। वो और गुड्डी जरा उन लड़कों को अपने जोबन का जलवा नितम्बों की थिरकन दिखाते , फिर लिफ्ट में घुसने निकलने में इतनी भीड़ होती है तो थोड़ा उन बिचारों को स्पर्श सुख भी ,आखिर इतनी देर से पीछा कर रहे थे ,
फिर मैंने भी छन्दा को इशारा कर दिया था की ज़रा अपनी बड़ी भाभी को घुमाते टहलाते ले आये , आधे घंटे हम लोगों के पहुंचने के बाद ही उस दूकान पर पहुंचे जहाँ उन्हें साड़ियां खरीदनी थीं।
Last edited: Dec 27, 2021
मॉल में माल
दिया अब चल सेल के बारे में बोल ,माल कितनी दूर है ,... मैंने फिर दिया से कहा।
बस आ गया
मूड ठीक करने के लिए मैंने दिया से सेल्स की बात शुरू कर दी।
" अरे यार तू सच में उस दूकान वाले को जानती है न ,... " मैंने दिया को उकसाया।
…………………………
"एकदम ,और मेरी भाभी जिस साडी पे हाथ रख दें ,उस पे ५० % डिस्काउंट ,मेरा राखी वाला भाई है " दिया ने जेठानी के कंधे पर हाथ रहते हुए ,उनका गाल छू केकहा।
जेठानी के गोरे गोरे गाल एक बार फिर ख़ुशी से दमक उठे।
और मॉल आ गया। वाकई बड़ा था। चार मंजिल का।
लेकिन असली चीज थी लड़के ,
तीन तीन शोख ख़ूबसूरत इंटर पास करने की पार्टी करने वाली किशोरियां ,
लड़के लस लिए।
और मैंने कत्तई बुरा नहीं माना। आखिर जहाँ कलियाँ होंगी भौंरे आएंगे ही।
एक ने कमेंट किया , वाकई बड़ा है।
कमेंट पंजाबी कुड़ी के लिए था , पर मेरी जेठानी उसे अपने लिए समझ बैठीं ,फूल के कुप्पा।
मुझ से बोलीं , ई लड़के भी।
" सही तो बोल रहे हैं आप देख लीजिये , पूरे मॉल में इत्ता बड़ा कहाँ किस का होगा। " मैंने उन्हें और चढ़ाया।
तब तक छन्दा आ गयी और जोर से चीखी ,भाभी , और मेरे गले लग गयी।
ननद गले लगे और ननद रानी के जुबना न मसले जाएँ ये तो ननद भाभी वाली बात नहीं होती तो उभार उसके खूब कस कस के मसले भी गए , रगड़े भी गए ,
बिना इस बात की परवाह किये की हम लोग मॉल में है और कम से कम छह सात लड़के इन लड़कियों के चक्कर में चक्कर काट रहे हैं।
छन्दा शलवार सूट में ही थी लेकिन कत्तई बहन जी टाइप नहीं लग रही थी। एक छोटी सी प्याजी रंग की कुर्ती ,एकदम टाइट जिसमे उसके गोल गोल उभार उछल के सामने आ रहे थे ,बिना कुछ भी छुपने ढकने की कोशिश किये , चुन्नी थी लेकिन गर्दन से एकदम चिपकी।
और शलवार भी हिप्स पे एकदम टाइट , कुर्ती छोटी थी तो नितम्बों का कड़ापन भी साफ़ साफ़ दिख रहा था।
" आज तो मॉल एकदम मालामाल हो गया है " एक लौंडा बोला।
पर तबतक छन्दा को मैंने जेठानी जी की ओर इशारा किया और वो उनके गले भी भी , ... थोड़ी देर में छन्दा उनसे लहक लहक के बात कर रही थीं।
दिया ने तो पहले ही मेरी जेठानी जी को शीशे में उतार लिया था। और अब छन्दा ने भी उन्हें पटा लिया था , बस गुड्डी से अभी भी वो थोड़ी अलफ़
वो सेल वाली दूकान तीसरी मंजिल पर थी , हम लोग एस्केलेटर पर पहुंचे पर जेठानी जी के पैर डगमगाने लगे।
छन्दा मुझसे बोली , आप दिया के साथ एस्केलेटर से चली जाइये हम लोग लिफ्ट से आते हैं।
मतलब साफ़ था , लड़के। वो और गुड्डी जरा उन लड़कों को अपने जोबन का जलवा नितम्बों की थिरकन दिखाते , फिर लिफ्ट में घुसने निकलने में इतनी भीड़ होती है तो थोड़ा उन बिचारों को स्पर्श सुख भी ,आखिर इतनी देर से पीछा कर रहे थे ,
फिर मैंने भी छन्दा को इशारा कर दिया था की ज़रा अपनी बड़ी भाभी को घुमाते टहलाते ले आये , आधे घंटे हम लोगों के पहुंचने के बाद ही उस दूकान पर पहुंचे जहाँ उन्हें साड़ियां खरीदनी थीं।
Last edited: Dec 27, 2021