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Incest बहन - कंचन के बदन की गरमी
#82
दीदी, अब तो शायद झरने वाला हूँ बोलो कहाँ निकालूं?”

“ मेर चूत को भर दे मेरे राजा. अपना सारा रस उंड़ेल दे मेरी प्यासी चूत में.”

विकी के धक्के तेज़ होने लगे. मैं समझ गयी कि वो सुचमुच झड़ने वाला है. इतने में विकी ज़ोर से चीखा और उसका सारा बदन काँप उठा. मुझे अपनी चूत में बहुत तेज़ पिचकारी की धार के समान गरम गरम वीर्य भरने का एहसास होने लगा. विकी ने चार पाँच पिचकारी मेरी चूत में मार के लंड बाहर खींचा और गांद में जड़ तक घुसेड दिया. गांद में भी गरम वीर्य का एहसास होने लगा. मैं तो मानो नशे में थी. मेरी चूत और गांद विकी के वीर्य से लबालूब भर गये थे. चार पाँच पिचकारी गांद में मारने के बाद विकी ने लंड मेरे मुँह में पेल दिया. बाप रे! कितना वीर्य है इसके बॉल्स में? ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रहा था. मेरा मुँह भी विकी के वीर्य से भर गया. मैं और ना सह सकी और फिर से होश खो बैठी. 15-20 मिनिट के बाद होश आया. मैं तो मानो विकी के वीर्य मैं नहाई हुई थी. मेरी चूत में से वीर्य निकल रहा था. मेरी गांद में से वीर्य निकल रहा था, और मेरे मुँह से भी वीर्य निकल रहा था. ये वीर्य शायद काफ़ी देर से निकल रहा था क्योंकि चादर विकी के वीर्य और मेरी चूत के रूस के मिश्रण से गीली हो चुकी थी.

विकी ने टवल से मेरी गांद से निकालते हुए वीर्य को सॉफ किया और फिर मुझे चित लिटा के मेरी टाँगें चौड़ी करके मेरी चूत और झाँटें भी सॉफ करने लगा. उसका लंड सिकुड चुक्का था लेकिन सिकुड़ी हुई हालत में भी 8 इंच लंबा था और उसकी टाँगों के बीच किसी मंदिर के घंटे की तरह झूल रहा था. सुबह के सात बज चुके थे. मेरा एक एक अंग दर्द कर रहा था. सबसे ज़्यादा दर्द तो मेरी गांद में हो रहा था. चूत भी बुरी तरह सूज गयी थी और ऐसा दर्द हो रहा था जैसा सुहाग रात को मेरी कुँवारी चूत की चुदाई के बाद हुआ था. पूरा बदन टूट सा रहा था. मैं विकी के होंठों को चूमते हुए बोली,“ हो गयी तेरी ख्वाहिश पूरी? तू खुश तो है ना? लेकिन मेरे राजा अपनी सग़ी बेहन को चोदना पाप है . आज के बाद इस बारे में कभी सोचना भी मत. भूल जा की तूने दीदी को कभी चोदा भी है.”

“ जी दीदी. मैं पूरी कोशिश करूँगा. आज के बाद मैं आपको एक भाई की तरह ही प्यार करूँगा.”

“ वेरी गुड ! जा अब नहा ले. मैं भी इस कमरे को सॉफ करके नहा लूँगी.” विकी अपने कमरे में चला गया. मैं भी उठी लेकिन गिरते गिरते बची. चूत इतनी सूज गयी थी की मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. गांद में भी बहुत दर्द हो रहा था. किसी तरह से कमरे की सफाई की और फिर नहा धो के खुद भी सॉफ हुई. हालाँकि दर्द बहुत हो रहा था लेकिन जो आनंद विकी ने दिया वो ना तो मेरे पति ने और ना ही मेरे देवर ने दिया था.

अगले दिन पापा और मम्मी वापस आ गये. मैं जब अगले दिन सो के उठी तो मेरा और भी बुरा हाल था. चूत और भी ज़्यादा सूज गयी थी और गांद का दर्द भी ठीक नहीं हुआ था
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बहन - कंचन के बदन की गरमी - by neerathemall - 10-12-2023, 04:33 PM



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