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Incest बहन - कंचन के बदन की गरमी
#81
दीदी, अब तो शायद झरने वाला हूँ बोलो कहाँ निकालूं?”

“ मेर चूत को भर दे मेरे राजा. अपना सारा रस उंड़ेल दे मेरी प्यासी चूत में.”

विकी के धक्के तेज़ होने लगे. मैं समझ गयी कि वो सुचमुच झड़ने वाला है. इतने में विकी ज़ोर से चीखा और उसका सारा बदन काँप उठा. मुझे अपनी चूत में बहुत तेज़ पिचकारी की धार के समान गरम गरम वीर्य भरने का एहसास होने लगा. विकी ने चार पाँच पिचकारी मेरी चूत में मार के लंड बाहर खींचा और गांद में जड़ तक घुसेड दिया. गांद में भी गरम वीर्य का एहसास होने लगा. मैं तो मानो नशे में थी. मेरी चूत और गांद विकी के वीर्य से लबालूब भर गये थे. चार पाँच पिचकारी गांद में मारने के बाद विकी ने लंड मेरे मुँह में पेल दिया. बाप रे! कितना वीर्य है इसके बॉल्स में? ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रहा था. मेरा मुँह भी विकी के वीर्य से भर गया. मैं और ना सह सकी और फिर से होश खो बैठी. 15-20 मिनिट के बाद होश आया. मैं तो मानो विकी के वीर्य मैं नहाई हुई थी. मेरी चूत में से वीर्य निकल रहा था. मेरी गांद में से वीर्य निकल रहा था, और मेरे मुँह से भी वीर्य निकल रहा था. ये वीर्य शायद काफ़ी देर से निकल रहा था क्योंकि चादर विकी के वीर्य और मेरी चूत के रूस के मिश्रण से गीली हो चुकी थी.

विकी ने टवल से मेरी गांद से निकालते हुए वीर्य को सॉफ किया और फिर मुझे चित लिटा के मेरी टाँगें चौड़ी करके मेरी चूत और झाँटें भी सॉफ करने लगा. उसका लंड सिकुड चुक्का था लेकिन सिकुड़ी हुई हालत में भी 8 इंच लंबा था और उसकी टाँगों के बीच किसी मंदिर के घंटे की तरह झूल रहा था. सुबह के सात बज चुके थे. मेरा एक एक अंग दर्द कर रहा था. सबसे ज़्यादा दर्द तो मेरी गांद में हो रहा था. चूत भी बुरी तरह सूज गयी थी और ऐसा दर्द हो रहा था जैसा सुहाग रात को मेरी कुँवारी चूत की चुदाई के बाद हुआ था. पूरा बदन टूट सा रहा था. मैं विकी के होंठों को चूमते हुए बोली,“ हो गयी तेरी ख्वाहिश पूरी? तू खुश तो है ना? लेकिन मेरे राजा अपनी सग़ी बेहन को चोदना पाप है . आज के बाद इस बारे में कभी सोचना भी मत. भूल जा की तूने दीदी को कभी चोदा भी है.”

“ जी दीदी. मैं पूरी कोशिश करूँगा. आज के बाद मैं आपको एक भाई की तरह ही प्यार करूँगा.”

“ वेरी गुड ! जा अब नहा ले. मैं भी इस कमरे को सॉफ करके नहा लूँगी.” विकी अपने कमरे में चला गया. मैं भी उठी लेकिन गिरते गिरते बची. चूत इतनी सूज गयी थी की मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. गांद में भी बहुत दर्द हो रहा था. किसी तरह से कमरे की सफाई की और फिर नहा धो के खुद भी सॉफ हुई. हालाँकि दर्द बहुत हो रहा था लेकिन जो आनंद विकी ने दिया वो ना तो मेरे पति ने और ना ही मेरे देवर ने दिया था.

अगले दिन पापा और मम्मी वापस आ गये. मैं जब अगले दिन सो के उठी तो मेरा और भी बुरा हाल था. चूत और भी ज़्यादा सूज गयी थी और गांद का दर्द भी ठीक नहीं हुआ था. डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी था. अगले दिन मैं एक लेडी डॉक्टर के पास गयी. लेडी डॉक्टर को देखते ही मेरे होश उड़ गये. वो मेरे कॉलेज की दोस्त वीना निकली. वो भी मुझे देखते ही पहचान गयी और खूब गले मिली,

“ अरे कंचन तू! तू यहाँ कैसे. कितने दिनों बाद मिल रही है.”

“ हां वीना, कॉलेज के बाद अब मिल रहे हैं. कैसी है तू?” वीना भी मेरी अच्छी दोस्त थी. पढ़ाई में अच्छी थी, इसलिए आज डॉक्टर बन गयी थी. हम दोनो बचपन की खूब बातें करते रहे.

“ कंचन मुझे अच्छी तरह याद है तू कॉलेज की सुबसे सेक्सी लड़की थी.”

“ हट ! तू कौन सी कम थी?”

“ भाई जीजाजी को क्यों नहीं साथ लाई?”

“ वो तो मुझे छोड़ने आए थे. चले गये. मेरी मा की तबीयत थोड़ी खराब थी.”

“ अच्छा बता डॉक्टर के पास कैसे आना हुआ?” अब मैं सकपका गयी. हड़बड़ा के बोली

“ नहीं वैसे ही, कोई ख़ास बात नहीं है. फिर कभी दिखा लूँगी.”

“ अरे कंचन तू पागल है क्या. तेरी दोस्त डॉक्टर है और तू मुझे कुच्छ बताना नहीं चाहती.”

“ नहीं कुच्छ ख़ास नहीं.”

“ अब तू ये ही कहती रहेगी या कुच्छ बताएगी भी. डॉक्टर से क्या च्छुपाना.” मैं साहस जुटा के बोली,

“ देख वीना मेरे टाँगों के बीच की जगह में दर्द हो रहा है.”

“ ओ ! तो तू इसलिए इतना शर्मा रही है! चल उतार अपनी सलवार. देखें क्या प्राब्लम है.”

“ मैने तो आज तक किसी के सामने सलवार नहीं उतारी.” मैं शरमाते हुए बोली.

“ अच्छा ! जीजाजी के सामने भी नहीं?”

“ ओह हो! वो तो दूसरी बात है.”

“ जब एक मरद के सामने सलवार उतार सकती है तो औरत के सामने उतारने में कैसी शर्म? वो भी एक डॉक्टर के सामने.” वीना ने मेरी सलवार का नारा खींच दिया.

“ चल अब बिस्तेर पे लेट जा, और पॅंटी भी उतार दे.” मैं बिस्तेर पे लेट गयी लेकिन पॅंटी नहीं उतारी. वीना ने ही मेरी पॅंटी भी उतार दी. मैने टाँगें ज़ोर के चूत को छुपा रखा था.

“ कंचन, चल टाँगें फैला. देखें क्या प्राब्लम है.” मैने शरम से आँखें बंद कर लीं और टाँगें फैला दी.

“ बाप रे ! कंचन, इतना जंगल क्यों उगा रखा है?” वीना ने मेरी झाँटें हटा के चूत को देखने लगी, “ हाई राम ! ये क्या ? तेरी चूत तो बहुत ज़्यादा सूज गयी है. और भी कहीं दर्द है?”

“ हां पीछे भी दर्द हो रहा है.” मैं हिचकिचाते हुए बोली. वीना ने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरे चूतरो को दोनो हाथों से फैला के मेरे गांद के छेद को देखने लगी.

“ हे भगवान ! कंचन तू क्या कर रही थी ? ये तो फॅट गयी है.” मैं तो मारे शरम के लाल हो गयी. “ और भी कहीं दर्द है?”

“ हां पूरे बदन में ही दर्द हो रहा है.”

“ हूँ! चल कपड़े पहन ले, फिर बात करते हैं.” मैने अपनी पॅंटी और सलवार पहन ली. वीना बोली

“ देख मैने ऐसे केसस पहले भी देखे हैं. लेकिन वो सब ऐसी लड़कियो के थे जिनकी नयी शादी हुई थी और वो सुहाग रात के बाद या हनिमून के बाद मेरे पास आई थी. आमतौर पे लड़कियाँ छ्होटे कद की थी और उनकी शादी लंबे तगड़े मर्द से हो गयी. सुहाग रात को कुँवारी चूत को चोदना हर मर्द को नहीं आता. ऐसे में अगर मरद का लंड मोटा और बड़ा हो और लड़की की चूत छोटी हो तो उसकी ये हालत हो जाती है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बहन - कंचन के बदन की गरमी - by neerathemall - 10-12-2023, 04:29 PM



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