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Incest बहन - कंचन के बदन की गरमी
#79
ऊऊऊओिईईईईईईईईईईईईईई……………….आआआआआआआआआ आ…………..आआअहह… ऊऊिइ… म्‍म्मा..... आआ आ आ....... आआ…ऊओह…आहह मर गयी .” मेरी गांद का छेद बुरी तरह चौड़ा हो गया. मैं इतने ज़ोर से चीखी कि पूरे मुहल्ले में आवाज़ पहुँच गयी होगी. इससे पहले में संभाल पाती, विकी ने फिर एक ज़ोरदार धक्का लगाया और उसका लंड 5 इंच मेरी गांद के अंडर धँस गया.

“ आआआआआ…………ऊऊऊऊऊऊीीईईईईईईईईईईई.......... . मम्माआआअ विकी बस कर आहह…छोड़ मुझे …आऐईयईई ..आ मैं और नहीं झेल सकती. प्लीज़ मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ ….आआहह….निकाल ले ..अया.” मुझे पूरा विश्वास हो चला था था कि मैं उसके लंड को नहीं झेल पाउन्गि. दर्द के मारे बुरा हाल था. ऐसा लग रहा था जैसे गांद का छेद फॅट चुका था. आख़िर एक फुट लंबा लंड कैसे किसी औरत की गांद में जा सकता है ? मुझे पहले ही सोचना चाहिए था. लेकिन उस वक़्त तो विकी के मूसल से गांद मरवाने का भूत सवार था मेरे सिर पे. अभी मैं सोच ही रही थी के कैसे मनाउ विकी को अपना लंड मेरी गांद से बाहर निकालने के लिए, कि उसने लंड सुपारे तक बाहर खीच के पूरी ताक़त से एक और ज़बरदस्त धक्का लगा दिया.

“आआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ई……आआआआआआअहह……………” मैं बहुत ज़ोर से चिल्लाई. मेरी आँखों के सामने अंधेरा छ्छा गया. दर्द के मारे बुरा हाल था. मेरी गांद तो शायद फॅट ही गयी थी. लंड 10 इंच मेरी गांद में जा चुक्का था. बेहोशी सी छ्छा रही थी. बेहोश होने से पहले आखरी चीज़ जो मुझे याद है वो ये की विकी ने फिर से पूरा 10 इंच अंडर धंसा हुआ लॉडा बाहर निकाल के एक भयंकर धक्के के साथ पूरा का पूरा एक फुट का लंड मेरी गांद में उतार दिया, उसकी जांघें मेरे चूतरो से चिपक गयी और उसके बड़े बड़े बॉल्स जो उसकी टाँगों के बीच में किसी सांड के बॉल्स की तरह झूलते रहते थे मेरी गीली चूत से फ़च की आवाज़ के साथ टकरा गये. उसके बाद मैं अपना होश खो बैठी.

15 – 20 मिनिट के बाद होश आया. मैं पायट के बल नंगी ही बिस्तेर पे पड़ी हुई थी. दोनो टाँगें इस प्रकार फैली हुई थी जैसे विकी मुझे बेहोशी की हालत में भी चोद रहा हो. विकी मेरे सामने कुर्सी पे बैठा हुआ पानी के छींटे मेरे मुँह पे मार रहा था. काफ़ी घबराया हुआ लग रहा था. उसका लंड अब खड़ा तो नहीं था लेकिन सिकुदा हुआ भी नहीं था. उसकी टाँगों के बीच में किसी लंबे मोटे साँप के माफिक झूल रहा था. मुझे होश में आता देख घबरा के बोला,

“ दीदी ठीक तो हो ? ये क्या हो गया आपको?”

“ ये बात तू मुझसे क्यों पूछ रहा है? अपने इस मूसल से पूछ.” मैं उसके झूलते हुए लंड को प्यार से सहलाते हुए बोली. “ ये तो किसी भी औरत का बॅंड बजा देगा. और तूने भी तो कितने बेरहमी से चोदा है. ऐसे चोदा जाता है अपनी दीदी को? ”

“ मैं तो बहुत डर गया था. मेरी प्यारी दीदी को कुच्छ हो जाता तो?” विकी मेरे होंठों को चूमता हुआ बोला. लंड सहलाने के कारण फिर से खड़ा होने लगा था. मैं भी फिर से वासना की आग में जलने लगी. आख़िर मेरी चूत तो अभी तक प्यासी ही थी. विकी एक बार भी नहीं झारा था. सुबह के चार बज रहे थे. पूरी रात की भयंकर चुदाई के कारण मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा था. मेरी चूत और मेरी गांद का तो और भी बुरा हाल था. लेकिन विकी के लॉड की प्यास के सामने कुच्छ नहीं सूझ रहा था. विकी का लंड पूरी तरह तन गया था. ऊऊफ़ क्या भयंकर लग रहा था. सारी रात मेरी चूत का पानी जो पिया था.

“ अरे, ये तो फिर से खड़ा हो गया. अब क्या इरादा है ? सारी रात चोदने के बाद भी मन नहीं भरा तेरा?”

“ दीदी आप को चोद के किसी का मन भर सकता है क्या? आपने एक बार चोदने की इज़ाज़त दी है और अभी मैं झारा कहाँ हूँ?”

“ हाई राम ! तू तो सांड़ है. पता नहीं कब झरेगा. मेरी प्यासी चूत तडप रही है, तू उसकी प्यास कब बुझाएगा?” मैं उसके मोटे सुपरे को पागलों की तरह चाटने लगी.

“ ठीक है दीदी मैं आपकी इच्छा पूरी कर देता हूँ. चलो फिर से कुतिया बन जाओ.

मैं फिर से कुतिया बन गयी और अपने चूतेर ऊपर की ओर उभार दिए. मेरी चूत से अब रस बाहर निकलने लगा था. विकी ने मेरे मुँह से अपना सुपरा बाहर निकाला और मेरे चूतरो के पीछे आ कर कुत्ता बन गया. उसने फिर से अपने मूसल का सुपरा मेरी चूत के छेद पे टीका के एक ज़ोर का धक्का लगा दिया.

“ एयाया..हह…….ऊऊऊीीईईईईई….आअहह” मेरी चूत बुरी तरह से गीली तो थी ही और सारी रात चुदाई के कारण चौड़ी भी हो गयी थी. विकी का लॉडा चूत की दोनो फांकों को आसानी से चीरता हुआ आधा अंडर धँस गया. विकी ने मेरे चूतरो को पकड़ के लंड बाहर खींचा और एक भयंकर धक्के के साथ पूरा का पूरा लंड जर तक मेरी चूत में उतार दिया.

“ आआआआआआअ…………..वी….. माआआआ ……… आह…आह……आआहह….इससस्स आईईईईई.”

अब विकी पूरा लंड सुपरे तक बाहर निकाल कर जड़ तक अंडर पेलने लगा. फ़च…फ़च …. फ़च….. ……आआआः ……ऊऊओह..फ़च…फ़च ….फ़च …आऐईयईई….फ़च…फ़च. बहुत ही मज़ा आ रहा था. मैं भी चूतेर उच्छल उच्छाल कर उसके धक्कों का जबाब दे रही थी. हर धक्के के साथ विकी का एक फुट लंबा लंड मेरी प्यासी चूत में जड़ तक समा जाता. आज तक किसी मर्द ने मुझे इस तरह नहीं चोदा था. आख़िर विकी मुझे चोदने वाला तीसरा मरद था. विकी के दमदार धक्कों के कारण मैं फिर झार गयी. मैं विकी के रस के लिए पागल हो रही थी. जब तक उसका लंड मेरी चूत को अपने वीर्य से भर नहीं देता तब तक मेरी चूत की प्यास नहीं बुझ सकती थी. आख़िर मैं बेशर्म होके बोल ही पड़ी,

“ विकी भर दे अपनी दीदी की प्यासी चूत को अपने वीर्य से. प्लीज़…विकी ..प्लीज़….अब बुझा दे मेरी प्यास नहीं तो मैं मर जाउन्गि.”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बहन - कंचन के बदन की गरमी - by neerathemall - 10-12-2023, 04:27 PM



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