Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Incest बहन - कंचन के बदन की गरमी
#78
विकी मेरी चूत बहुत प्यासी है, इसे अपना वीर्य पिला के इसकी प्यास बुझा दे प्लीज़ . उंड़ेल दे सारा वीर्य मेरी चूत में. भर दे इसे अपने वीर्य से. तू चाहे तो इसे चोद चोद के फाड़ डाल. लेकिन अब और तंग मत कर. ” मैं पूरी ताक़त से चूतेर पीछे की ओर उचकाते हुए और विकी के मूसल को अपनी चूत में पेलते हुए बोली. अब तो मैं शर्म हया बिल्कुउल भूल चुकी थी. मैं वासना की आग में इतना जल रही थी कि ये भी भूल गयी कि मैं ना सिर्फ़ एक औरत हूँ बल्कि ये जो मर्द मुझे चोद रहा है मेरा सगा भाई है. अब तो मैं ना केवल एक रंडी की तरह चुदवा रही थी बल्कि रंडी की तरह बातें भी कर रही थी. सिर्फ़ एक ही भूख थी – विकी के एक फुट लंबे और आठ इंच मोटे लॉड की और सिर्फ़ एक ही प्यास थी – विकी के वीर्य की.

“ हाई दीदी मेरी जान ! पूरी ज़िंदगी आपने मुझे तंग किया है. आज आप भी थोड़ा सा तंग हो लो. आपकी चूत की प्यास ज़रूर बुझाउन्गा, पहले अपने लंड की प्यास तो बुझा लूँ.”

“ ऊओफ़, चार घंटे से चोद रहा है अभी तक तेरे लंड की प्यास नहीं बुझी?”

“ नहीं मेरी जान आज तो पूरी रात चोदुन्गा.” ये कह कर विकी ने मेरी चूत के रस में सना हुआ लंड बाहर खींच लिया और मेरे पीछे फिर से घोड़ा बन के मेरी बुरी तरह गीली रस टपकाती चूत में मुँह दे दिया. थोरी देर तक चूत को चाटता चूमता रहा और जीभ चूत के अंडर पेलता रहा. फिर उसने जीभ मेरे चूतरो के बीच की दरार में फेरना शुरू कर दिया. अब वो चूत की दरार से ले कर चूतरो के बीच की दरार तक जीभ फेरने लगा. जब उसकी जीभ मेरी गांद के छेद के ऊपर से गुज़रती तो मैं काँप जाती. फिर उसने मेरे दोनो चूतरो को फैला दिया और गांद के छेद के चारों ओर जीभ फेरने लगा. अचानक विकी ने मेरे चूतरो को ज़ोर से फैला के जीभ को गांद के छेद में पेल दिया. अब तो वो ज़ोर ज़ोर से गांद चाटने लगा और गांद के छेद में जीभ अंडर बाहर करने लगा. ऊओफ़ बहुत मज़ा आ रहा था. मैं भी गांद पीछे की ओर उचका उचका के पूरा मज़ा लेने लगी. मैं समझ गयी कि विकी अब मेरी गांद मारने के चक्कर में है. शायद वो मेरी गांद को अपने लॉड के लिए तैयार कर रहा था. ऐसा कभी हो ही नहीं सकता कि कोई मर्द मुझे कुतिया बना के चोदे और उसके बाद मेरी गांद मारने का ख्याल उसके मन में ना आए. आख़िर मेरे इन विशाल चौड़े चौड़े चूतरो ने मर्दों की नींद ऐसे ही तो हराम नहीं कर रखी थी. मेरे फैले हुए चूतेर मर्दों का क्या हाल करते थे मैं अच्छी तरह से जानती थी. गांद मरवाने के लिए तो मैं भी बेताब थी लेकिन विकी का लॉडा इतना मोटा और लंबा था की मेरी गांद निश्चित रूप से फाड़ देता. जब मर्द का लंड गांद में जाता है तो मज़ा तो बहुत आता है. मेरा देवर रामू मेरी गांद बहुत ही अच्छी तरह से मारता था. वो कहता था, ‘ भाभी आपकी ये चौड़ी गांद तो एक फुट लंबे लॉड को भी लील जाए.’ उसका खुद का लंड भी 10 इंच लंबा और ख़ासा मोटा था. लेकिन एक फुट लंबा लंड और वो भी पेड़ के तने के समान मोटा ! बाप रे ! जाने क्या हाल होगा मेरी गांद का?

विकी ने पास रखी वासेलीन की बॉटल से खूब सारा वॅसलीन अपनी उंगली पे लगा के उंगली को मेरी गांद में पेल दिया. उसने तीन चार बार ढेर सारा वॅसलीन मेरी गांद के अंडर अच्छी तरह से लगा दिया. वो भी समझता था कि उसका मूसल मेरी गांद के लिए बहुत मोटा था. फिर मेरे हाथ में वॅसलीन देता हुआ बोला,

“ लो दीदी अपने हाथो से आप इसे मेरे लंड पे लगा दो.” मैने ढेर सारा वॅसलीन हाथ में ले कर उसके तने हुए लॉड पे लगाना शुरू कर दिया. बाप रे ! कितना लंबा और मोटा था! मेरी चूत के रस में सना हुआ बहुत ही भयंकर लग रहा था. उसके विशाल लंड पे वॅसलीन मलते हुए मैं सोच रही थी कि ये मूसल मेरी गांद के छ्होटे से छेद में कैसे जाएगा ? कैसे झेल पाउन्गि इसको ?

“ विकी तू सुचमुच मेरी गांद लेना चाहता है ? देख तेरा लंड बहुत बड़ा है मैं इसे झेल नहीं पाउन्गि.” मैं उसके विशाल लंड पे वॅसलीन मलते हुए बोली.

“ दीदी, जिस गांद ने पूरे शहर की नींद हराम कर रखी है उसे ले कर तो मैं धन्य हो जाउन्गा. फिर आपकी गांद के लिए तो मैं बचपन से तरस रहा हूँ. मैने एक फिल्म में एक कालू को एक 15 साल की लड़की की गांद में अपना मूसल पेलते देखा है. उस कालू का तो शायद मेरे लंड से भी बड़ा लंड था. आप डरो मत मैं बहुत प्यार से पेलुँगा.”

मैं बॉटल का सारा वॅसलीन विकी के लंड पे मलते हुए बोली,

“ ठीक है आज तू अपने मन की कर ले. लेकिन बहुत धीरे से डालना.”

“ ठीक है दीदी, बहुत धीरे से डालूँगा. अब चलो फिर से कुतिया बन जाओ” विकी मेरे होंठों को चूमता हुआ बोला. मैं फिर से कुतिया बन गयी. मैने अपनी छाति बिस्तेर पे टीका के चूतेर खूब ऊपेर हवा में कर दिए. इस मुद्रा में मेरी चूत का मुँह खुल गया और गांद का छेद भी विकी को निमंत्रण देने लगा. विकी ने मेरे दोनो चूतरो को पकड़ के खूब फैला दिया और अपने तने हुए लंड के मोटे सुपरे को मेरी गांद के छेद पे टीका दिया. मेरी तो साँस ही गले में अटक गयी. मैं उसके मोटे सुपरे का गांद में घुसने का इंतज़ार करने लगी. तभी विकी ने मेरे चूतेर पकड़ के एक धक्का लगाया. मेरी गांद में तो खूब वॅसलीन लगा ही हुआ था विकी का मूसल भी मेरी चूत के रस और ढेर सारी वॅसलीन से सना हुआ था. उसका मोटा सुपरा मेरी गांद के छेद को चीरता हुआ गुपप से 2 इंच गांद में धँस गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply


Messages In This Thread
RE: बहन - कंचन के बदन की गरमी - by neerathemall - 10-12-2023, 04:24 PM



Users browsing this thread: 7 Guest(s)