10-12-2023, 04:23 PM
हट बेशरम ! अब तुझे पाप की याद आ रही है. प्यासी को कूए के पास ले जा के पानी नहीं देना चाहता. मैं तेरे लंड की प्यासी हूँ, अब और मत तडपा प्लीज़…. चोद ना !” मैं चूतरो को पीछे की ओर उचका कर उसका लंड चूत में लेने की कोशिश करती हुई बोली.“ जैसा आपका हुकुम.” ये कह कर विकी ने चूत के छेड़ पे लंड को टीका के ज़ोरदार धक्का लगा दिया. मैं बुरी तरह से गीली थी. उसका मोटा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ 5 इंच अंडर घुस गया.
“ आआआआऐययईईईई……धीरे मेरे राजा. आआहह…..” विकी ने लंड सुपरे तक बाहर खींच के पूरी ताक़त से फिर धक्का लगाया. इस बार के धक्के से उसका लंड 10 इंच मेरी चूत में दाखिल हो गया.
“ इयियैआइयिमयया…..आआआआअ इसस्स्स्सस्स…..” विकी ने फिर पूरा लंड बाहर खींचा. मैं अब उसके आख़िरी धक्के के लिए तैयार थी. उसने मेरे चूतेर पकड़ के फिर ज़बरदस्त धक्का लगा दिया. इस बार पूरा 12 इंच का लॉडा मेरी चूत में समा गया.
“ ऊऊओिईईई…माआआ….. फार देगा क्या?” विकी कभी दोनो हाथों से मेरी लटकती हुई चूचिओ को पकड़ के धक्के लगाता तो कभी कमर पकड़ के और कभी मेरे चूतरो को मसल्ते हुए पूरा लंड बाहर निकाल के अंडर पेलने लगता. फ़च… फ़च… ….फ़च….फ़च….फ़च …… एयाया एयेए…. .इसस्स्स्स्सस्स…..ऊऊऊहह…….आआहह फ़च…फ़च…….ऊऊओिईईई…..ऊऊहह…आआअहह… फ़च… फ़च. बस सिर्फ़ ये ही आवाज़ें कमरे में गूँज़ रही थी. विकी का मूसल तो मानो मेरी छाती तक घुसा जा रहा था. मर्द का लंड औरत की चूत में सबसे ज़्यादा अंडर दो ही मुद्राओं में घुसता है. एक तो जब औरत मर्द के ऊपर बैठ के चुड़वाती है और जब मर्द औरत को घोड़ी या कुतिया बना कर चोद्ता है. इसका कारण ये है कि मर्द का लंड तो सामने की ओर होता है लेकिन औरत की चूत उसकी टाँगों के बीच पीछे की ओर गांद के छेद से सिर्फ़ एक इंच दूर होती है. इस कारण से जब औरत चित लेट के चुदवाती है तो मर्द को औरत की टाँगें मोड़ के उसकी छाति से लगानी पड़ती हैं ताकि आसानी से लंड पेल सके. कुतिया बनाने से चूत जो की गांद के छेद के नज़दीक होती है खूब उभर जाती है जिससे चूत में लंड जड़ तक आसानी से पेला जा सकता है. विकी के धक्के भयंकर होते जा रहेथे और जब उसका लॉडा मेरी चूत में जड़ तक घुसता तो उसकी जांघें मेरे विशाल चूतरो से टकरा जाती. ऊओफ़ क्या तगड़ा लॉडा था. मैं भी चूतेर पीछे की ओर उचका उचका के विकी के धक्कों का जबाब दे रही थी. मेरा पूरा बदन वासना की आग में जल रहा था. एक अजीब सा नशा छाता जा रहा था. विकी मेरी चूत को मुट्ठी में भरते हुए बोला,
“ दीदी चुदवाते वक़्त आप और आपकी चूत दोनो इतनी आवाज़ करते हैं कि पड़ोस में भी पता लग जाए कि किसी की चुदाई हो रही है.”
“ तो इसमे शरमाने की क्या बात है? पड़ोसी की बीवी अपने पति को नहीं देती क्या.?”
“ हां दीदी लेकिन आप तो अपने पति को नहीं अपने सगे भाई को दे रही हो.”
“ अच्छा ! अगर अपनी बेहन को चोदना इतना बुरा लग रहा है तो सांड़ की तरह क्यों चोद रहा है चार घंटे से?” मैने सिर उठा के घड़ी की ओर देखा. सुचमुच चार घंटे हो चुके थे. रात का एक बज रहा था. विकी ने अब मेरे चूतरो की दोनो फांकों को चौड़ा करना शुरू कर दिया. शायद वो मेरी गांद के छेद को निहार रहा था. फिर उसने एक उंगली चूत के रस में गीली की और ज़बरदस्त धक्के मारते हुए उंगली मेरी गांद में घुसेड दी. मैं और नहीं सह सकी और चौथी बार झाड़ गयी. मेरी चूत के रस से विकी के बॉल्स भी गीले हो गये थे. मेरा अंग अंग वासना की आग में जल रहा था.
“ आआआआऐययईईईई……धीरे मेरे राजा. आआहह…..” विकी ने लंड सुपरे तक बाहर खींच के पूरी ताक़त से फिर धक्का लगाया. इस बार के धक्के से उसका लंड 10 इंच मेरी चूत में दाखिल हो गया.
“ इयियैआइयिमयया…..आआआआअ इसस्स्स्सस्स…..” विकी ने फिर पूरा लंड बाहर खींचा. मैं अब उसके आख़िरी धक्के के लिए तैयार थी. उसने मेरे चूतेर पकड़ के फिर ज़बरदस्त धक्का लगा दिया. इस बार पूरा 12 इंच का लॉडा मेरी चूत में समा गया.
“ ऊऊओिईईई…माआआ….. फार देगा क्या?” विकी कभी दोनो हाथों से मेरी लटकती हुई चूचिओ को पकड़ के धक्के लगाता तो कभी कमर पकड़ के और कभी मेरे चूतरो को मसल्ते हुए पूरा लंड बाहर निकाल के अंडर पेलने लगता. फ़च… फ़च… ….फ़च….फ़च….फ़च …… एयाया एयेए…. .इसस्स्स्स्सस्स…..ऊऊऊहह…….आआहह फ़च…फ़च…….ऊऊओिईईई…..ऊऊहह…आआअहह… फ़च… फ़च. बस सिर्फ़ ये ही आवाज़ें कमरे में गूँज़ रही थी. विकी का मूसल तो मानो मेरी छाती तक घुसा जा रहा था. मर्द का लंड औरत की चूत में सबसे ज़्यादा अंडर दो ही मुद्राओं में घुसता है. एक तो जब औरत मर्द के ऊपर बैठ के चुड़वाती है और जब मर्द औरत को घोड़ी या कुतिया बना कर चोद्ता है. इसका कारण ये है कि मर्द का लंड तो सामने की ओर होता है लेकिन औरत की चूत उसकी टाँगों के बीच पीछे की ओर गांद के छेद से सिर्फ़ एक इंच दूर होती है. इस कारण से जब औरत चित लेट के चुदवाती है तो मर्द को औरत की टाँगें मोड़ के उसकी छाति से लगानी पड़ती हैं ताकि आसानी से लंड पेल सके. कुतिया बनाने से चूत जो की गांद के छेद के नज़दीक होती है खूब उभर जाती है जिससे चूत में लंड जड़ तक आसानी से पेला जा सकता है. विकी के धक्के भयंकर होते जा रहेथे और जब उसका लॉडा मेरी चूत में जड़ तक घुसता तो उसकी जांघें मेरे विशाल चूतरो से टकरा जाती. ऊओफ़ क्या तगड़ा लॉडा था. मैं भी चूतेर पीछे की ओर उचका उचका के विकी के धक्कों का जबाब दे रही थी. मेरा पूरा बदन वासना की आग में जल रहा था. एक अजीब सा नशा छाता जा रहा था. विकी मेरी चूत को मुट्ठी में भरते हुए बोला,
“ दीदी चुदवाते वक़्त आप और आपकी चूत दोनो इतनी आवाज़ करते हैं कि पड़ोस में भी पता लग जाए कि किसी की चुदाई हो रही है.”
“ तो इसमे शरमाने की क्या बात है? पड़ोसी की बीवी अपने पति को नहीं देती क्या.?”
“ हां दीदी लेकिन आप तो अपने पति को नहीं अपने सगे भाई को दे रही हो.”
“ अच्छा ! अगर अपनी बेहन को चोदना इतना बुरा लग रहा है तो सांड़ की तरह क्यों चोद रहा है चार घंटे से?” मैने सिर उठा के घड़ी की ओर देखा. सुचमुच चार घंटे हो चुके थे. रात का एक बज रहा था. विकी ने अब मेरे चूतरो की दोनो फांकों को चौड़ा करना शुरू कर दिया. शायद वो मेरी गांद के छेद को निहार रहा था. फिर उसने एक उंगली चूत के रस में गीली की और ज़बरदस्त धक्के मारते हुए उंगली मेरी गांद में घुसेड दी. मैं और नहीं सह सकी और चौथी बार झाड़ गयी. मेरी चूत के रस से विकी के बॉल्स भी गीले हो गये थे. मेरा अंग अंग वासना की आग में जल रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.