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Incest बहन - कंचन के बदन की गरमी
#76
चित लेट गयी और विकी घोड़ा बना हुआ मेरे मुँह के ऊपर आ गया. उसका एक फुट लंबा लंड अब मेरे मुँह के ऊपर झूल रहा था. बरसों पहले जब एक रात विकी सो रहा था तब मैने उसके लंड को चूमा था. उस दिन तो उसका लंड ढीला उसकी जांघों पर पड़ा हुआ था. लेकिन आज तो पूरा तना हुआ था और मेरी चूत का रस पी पी कर ख़ासा मोटा हो गया था. लंड का फूला हुआ सुपरा बहुत भयंकर लग रहा था. धीरे धीरे विकी ने अपने लंड के सुपरे को मेरे होंठों पे टीका दिया. बरसों की मेरी प्यास भाड़क उठी. मैने जीभ निकाल के उसके सुपरे को चाटना शुरू कर दिया. मेरी जीभ का स्पर्श मिलते ही विकी का लॉडा फंफनाने लगा. मैं थोड़ा सा उठ कर उसके पूरे लॉड को ऊपर से नीचे तक चाटने लगी. बाप रे ! कितना लंबा और मोटा था. सच ऐसा लॉडा तो बहुत किस्मत वाली औरत को ही नसीब होता है. बीच में उसके बड़े बड़े बॉल्स भी चाट लेती. मैं विकी के लंड को मुँह में लेने के लिए तरस रही थी लेकिन घबरा भी रही थी कि इतना मोटा लॉडा मेरे मुँह में जाएगा कैसे? मैने हिम्मत करके पूरा मुँह फाड़ के लंड के सुपरे को मुँह में डाल लिया. ऊओफ़ ! कितना अच्छा लग रहा था. बड़ी मुश्किल से करीब तीन इंच लंड मुँह में ले के चूसने लगी. विकी को जोश आ रहा था. उसने हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए. मेरा मुँह तो पूरी तरह खुला हुआ था. विकी इतना उत्तेजित हो गया की वो मेरा सिर पकड़ के अपने लंड से मेरे मुँह कोचोदने लगा. उसका लंड मेरे गले तक चला गया था. और अंडर पेलता तो मेरा दम ही घुट जाता. थोड़ी देर इस प्रकार मेरे मुँह में लंड पेलने के बाद विकी घूम गया और अब उसका मुँह मेरी टाँगों की ओर था. उसने झुक के मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया. अब विकी मेरे ऊपर था, उसका लंड मेरे मुँह में और मेरी चूत उसके मुँह में थी. बहुत ही मज़ा आ रहा था. विकी थोरी देर बाद उठता हुआ बोला,

“ दीदी अब इस घोड़े का लंड घोड़ी को चोदने के लिए तैयार है. चलो घोड़ी बन जाओ.” मैं उसके लंड को मुँह से निकाल के फिर से घोड़ी बन गयी. इस बार मैने अपनी छाती बिस्तेर पे टीका दी और टाँगें खूब चौड़ी करके चूतेर ऊपेर की ओर उचका दिए. मेरी चूत मुँह खोले विकी के लॉड के लिए तैयार थी. विकी भी घोड़ा बन गया और जल्दी से एक बार फिर मेरी चूत को चूम कर लॉड के सुपरे को चूत के मुँह पे टीका दिया. मैं विकी के विशाल लंड को लेने के लिए तैयार थी लेकिन वो भी मुझे तरसा रहा था. हल्के से लंड पे दबाव डाल के मेरी चूत के मुँह को फैला देता लेकिन अंडर घुसाने से पहले ही बाहर निकाल लेता. मुझसे नहीं सहा जा रहा था.

“ विकी तंग क्यों कर रहा है ? पेल दे ना प्लीज़ !”

“ क्यों दीदी ? मैं सोच रहा था कि आप ठीक ही कह रही थी. अपनी सग़ी बेहन को चोदना तो पाप होता है. हमे ऐसा नहीं करना चाहिए.” मेरी उत्तेजना जितनी बढ़ रही थी विकी उतना ही मुझे तरपा रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बहन - कंचन के बदन की गरमी - by neerathemall - 10-12-2023, 04:22 PM



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