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Incest बहन - कंचन के बदन की गरमी
#74
ऐसे क्या देख रही हो ? आओ ना दीदी मेरे लंड पे बैठ जाओ. आपकी टाँगों को आराम मिलेगा.”“ बड़ा ख्याल है तुझे अपनी बेहन का ! लेकिन तेरे इस खंबे पे चढ़ने के लिए तो मुझे खड़ा होना पड़ेगा.” मैं विकी के दोनो ओर टाँगें कर के बिस्तेर पे खड़ी हो गयी. विकी की आँखें मेरी टाँगों के बीच में लगी हुई थी. उसके लंड का सुपरा भी मेरी चूत को ललचाई नज़रों से देख रहा था. मैने बहुत धीरे धीरे बैठना शुरू किया. जैसे जैसे मैं नीचे होने लगी वैसे वैसे मेरी टाँगें चौड़ी होने लगी. टाँगें चौड़ी होने के साथ साथ घनी झांतों के बीच से मेरी चूत नज़र आने लगी. अब मेरी चूत विकी के तने हुए लॉड से सिर्फ़ 6 इंच ऊपर थी. टाँगें खूब चौड़ी होने के कारण चूत की दोनो फाँकें भी फैल गयी और चूत के खुले हुए होंठ और च्छेद नज़र आने लगा. विकी के मोटे लंड ने मेरी चूत के छेद को खूब चौड़ा कर दिया था. विकी ऐसे कामुक नज़ारे को देख के बहाल हो रहा था. जुब मेरी चूत विकी के सुपारे से सिर्फ़ एक इंच ऊपर थी तो अचानक विकी बोला,

“ ठहरो दीदी, खड़ी हो जाओ.” मैं खड़ी हो गयी.

“ क्या हुआ ? दीदी को चोद के मन भर गया?”

“ नहीं दीदी ! आपको चोद के तो मेरा मन कभी नहीं भर सकता. ज़रा आगे आओ.” मैं आगे हो गयी.

“ और आगे” मैं और आगे हो गयी.

“ ओह हो ! और थोड़ा आगे.”

“ तू क्या चाहता है ?” मैं और आगे होते हुए बोली. अब मैं ठीक विकी के मुँह के ऊपर थी.

“ अब ठीक है. बैठ जाओ.” मैं समझ गयी विकी मेरी चूत चाटना चाहता था. मेरा दिल उत्तेजना से धक धक करने लगा. मैने फिर बैठना शुरू कर दिया. जैसे जैसे नीचे की ओर होती गयी मेरी टाँगें फैलने लगी और मेरी फूली हुई चूत झांतों के बीच से झाँकने लगी. चूत के चारों तरफ के बाल बुरी तरह से चूत के रस में सने हुए थे. विकी की आँखें मेरी चूत पे टिकी हुई थी जिसका मुँह विकी के मोटे लॉड ने चौड़ा कर दिया था. मैं ऐसे बैठ गयी जैसे लड़कियाँ पेशाब करने बैठती हैं. मेरी चूत विकी के होंठों से सिर्फ़ आधा इंच ऊपेर थी. विकी मेरी चूत के अंडर झाँक सकता था क्योंकि उसके मोटे लंड ने मेरी चूत के छेद को फैला जो दिया था.

“ ले बैठ गयी. ऐसे क्यों बैठा दिया ?”

“ अया ! क्या मादक खुश्बू है. इतनी मादक खुश्बू तो आपकी पॅंटी में भी कभी नहीं आई.”

“ अरे बुद्धू, मैं कितनी गीली हूँ. है तो तेरे लंड का है कमाल जो इतना गीला कर दिया.”

“ दीदी, इस खूबसूरत चूत को चाटने के सपने बचपन से ले रहा हूँ.” ये कहते हुए विकी ने दोनो हाथों से मेरे चूतर पकड़ के अपना मुँह मेरी चूत से चिपका दिया. विकी मेरी चूत को पागलों की तरह चाटने लगा. बीच बीच में अपनी जीभ चूत में घुसा देता. विकी का मुँह मेरी चूत और घनी झांतों में धक गया था. मैं भी बहुत उत्तेजित हो गयी और मैने विकी का सिर पकड़ के ज़ोर से अपनी चूत में मसल दिया. मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी और मैं एक बार फिर झाड़ गयी. विकी का मुँह मेरी चूत के रस से सुन गया. बेचारा साँस भी नहीं ले पा रहा था लेकिन मेरी चूत में मुँह धंसा के चाटता ही रहा.

“ विकी छ्चोड़ मुझे ये क्या कर रहा है ? तूने मुझे ये कैसे बैठा रखा है?”

“ सच दीदी मज़ा आ गया. ऐसे चूत फैला के बैठी हुई आप बहुत ही सेक्सी लग रही हो.”

“ हट पागल ! ऐसे तो पेशाब करने बैठते हैं.”

“ हाई…..दीदी. पेशाब करते वक़्त आपकी चूत से प्सस्ससस्स….. की आवाज़ सुन के तो मेरा लंड कयि बार खड़ा हो चुका है. जब भी आप बाथरूम में पेशाब करने जाती हो तो मैं दरवाज़े पे कान लुगा के सुनता हूँ. जब से आपकी शादी हुई है तब से आपकी चूत पेशाब करते हुए और भी ज़्यादा आवाज़ करने लगी है. ऐसा क्यों दीदी?”

“ शादी के बाद से मेरी चूत का छेद चौड़ा हो गया है, शायद इसीलिए ज़्यादा आवाज़ करने लगी होगी.”

“ आपकी चूत से निकलती हुई प्सस्सस्सस्स……. की आवाज़ बहुत ही मादक होती है. अब तो आपकी चूत इतने ज़ोर से आवाज़ करती है कि दरवाज़े से कान लगाने की भी ज़रूरत नहीं पड़ती. पूरे घर को पता लग जाता है कि मेरी प्यारी दीदी पेशाब कर रही है.”

“ अब तू चुप कर बदमाश, नहीं तो मैं तेरे ऊपर ही पेशाब कर दूँगी.”

“ कर दो ना दीदी. आपकी चूत से निकलती हुई अमृत की धार देखने के लिए बहुत तरस रहा हूँ. करो ना दीदी प्लीज़…” विकी दोनो हाथों से मेरे चूतरो को दबा कर मेरी चूत को चूमता हुआ बोला. विकी इस्कदर मेरी चूत का दीवाना था मुझे पहली बार पता चला.

“ तू दीदी को चोदना चाहता है या नहीं ? अगर नहीं चोदना है तो मुझे जाने दे.”

“ हां दीदी ज़रूर चोदुन्गा लेकिन उससे पहले आपकी इस खूबसूरत घनी झांतों से भरी चूत से निकलती अमृत की धार देख लूँ और प्सस्सस्स्सस्स…..का मधुर संगीत तो सुन लूँ. उसके बाद आपकी चूत चोदने में बहुत मज़ा आएगा.”

“ तू तो पागल हो गया है. मैं जा रही हूँ.” मैं झूठा गुस्सा करते हुए बोली.

“ कहाँ जा रही हो ? उतोगी तो मैं आपकी चूत काट लूँगा.” ये कहते हुए उसने मेरे चूतरो को पकड़ के मेरी चूत की दोनो फांकों को अपने दाँतों के बीच दबा दिया.

“ ऊओईई….अया..ये क्या कर रहा है नालयक!”

“ करो जल्दी से नहीं तो ज़ोर से काट लूँगा.” विकी मेरी चूत पे दाँतों का दबाव बरता हुआ बोला. बाप रे, ये तो सुचमुच ही मेरी चूत को काट लेगा. इस तरह चूत खोल के विकी के ऊपर पेशाब करने की कल्पना से ही मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धक धक करने लगा. अजीब तरह की उत्तेजना का अहसास हो रहा था.ये तो काम कला का एकदम नया नुस्ख़ा था. लेकिन विकी के ऊपर पेशाब कैसे कर देती, और वो भी उसके मुँह पे. हालाँकि पेशाब का प्रेशर ज़्यादा होता जा रहा था क्योंकि विकी करीब दो घंटे से चोद रहा था और मैं तीन बार झाड़ चुकी थी. विकी चूत की फांकों के बीच के कटाव में जीभ फेर रहा था और कभी कभी फूली हुई चूत को काट लेता.

“ विकी प्लीज़ मुझे छोड़ दे. अगर तू देखना ही चाहता है तो मैं तेरे सामने बाथरूम में पेशाब करने को तैयार हूँ.”

“ नहीं मेरी प्यारी दीदी, आपकी चूत से निकलती हुए धार देखने के लिए ये बिल्कुल सही मुद्रा है. अब कर भी डालो. उसके बाद तो आपकी चूत लेने में बहुत ही मज़ा आएगा.”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बहन - कंचन के बदन की गरमी - by neerathemall - 10-12-2023, 04:17 PM



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