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Incest बहन - कंचन के बदन की गरमी
#70
दीदी सच मुझे नहीं पता ये कैसे हो गया. मैं तो आपके साथ खेल रहा था.”

“ क्यों झूट बोल रहा है. अगर तेरे मन में कोई खोट नहीं था तो तेरा ये खड़ा कैसे हो गया?” मैने फिर से उसका लंड दबाते हुए पूछा.

“ सच दीदी आपकी कसम, मुझे कुच्छ पता नहीं चला.”

“ नाटक करना बंद कर. ये खड़ा हो गया, तूने अपनी दीदी को नंगी कर दिया और इसे मेरे अंडर भी घुसेड दिया और तुझे पता ही नहीं चला? तेरे मन में हमेशा से ही खोट था. तू क्या समझता है मुझे कुच्छ पता नहीं? परसों जब मैं तेरे बाथरूम से नहा के आई, उसके बाद तूने मेरी पॅंटी के साथ क्या किया था?”

“ ज्ज्जीए, दीदी आपको कैसे पता?”

“ मुझे सब पता है. मुझे ये भी पता है कि तूने दरवाज़े में छेद कर रखा है और मेरे कमरे में झाकता है. सच बता तूने अभी तक क्या देखा है?”

“ सच दीदी मैने कुच्छ भी नहीं देखा.”

“ देख विकी, अगर झूट बोलेगा तो जो तूने आज मेरे साथ किया है मैं मम्मी को बता दूँगी.तुझे मेरी कसम सच सच सब कुच्छ बता दे. मुझे पता है तेरी उम्र में लड़के छुप छुप के लड़कियो को देखने की कोशिश करते हैं. सच बोलेगा तो माफ़ कर सकती हूँ.”

“ प्रॉमिस करो कि आप मम्मी से शिकायत नहीं करोगी.”

“ प्रॉमिस. लेकिन जो पूछुन्गि उसका सच सच जबाब देना. झूट बोला तो शिकायत कर दूँगी.”

“ ठीक है दीदी, मैं आपको सब बता दूँगा.”

“ तो बता, तुझे मेरी पॅंटी अच्छी लगती है?”

“ जी दीदी, बहुत अच्छी लगती है.”

“लेकिन मेरी अलमारी से तो तूने कभी मेरी पॅंटी निकाली नहीं.”

“ वो तो सब धूलि हुई पॅंटीस हैं ना.”

“ ओ ! तो तुझे पहनी हुई पॅंटी अच्छी लगती हैं?”

“जी.”

“ क्यों, मेरी पहनी हुई पॅंटी में ऐसा क्या है?”

“ उसमें आपकी …. उम्म… वो चीज़ च्छूपी होती है ना.” विकी शरमाता हुआ बोला.

“ वो चीज़ क्या?”

“ प्लीज़ दीदी …… आपको पता तो है.”

“ मैं तेरे मुँह से सुनना चाहती हूँ. नहीं बताना है तो बोल.”

“ नहीं नहीं दीदी ऐसी बात नहीं है. मेरा मतलब था कि आपकी पॅंटी में आपके टाँगों के बीच की चीज़ च्छूपी होती है इसलिए.”

“ टाँगों के बीच की क्या चीज़?”

“ ओफ दीदी! आपकी …..उम्म….बहुत गंदा शब्द है, बोला नहीं जा रहा.”

“ ये सब करते हुए शर्म नहीं आई अब बोलने में शर्म आ रही है. बोलता है या फिर…?”

“ दीदी प्लीज़! मेरा मतलब है आपकी वो… वो… उम्म….उम्म.. च… चू…….चूत.” विकी बुरी तरह शरमाता हुआ बोला.

“ ओह! तो चूत बोलने में इतनी शर्म आ रही है जनाब को.”

“ दीदी आपके सामने ऐसे शब्द कैसे बोल सकता हूँ?”

“ अच्छा ! दीदी की चूत देखने में तो शर्म आई नहीं , चूत बोलने में बड़ी शरम आ रही है. लेकिन पॅंटी को सूंघ क्यों रहा था?”

“ बस वैसे ही.”

“ वैसे ही ? पॅंटी कोई सूंघने की चीज़ है? या कोई खुशबूदार चीज़ है ?”

“ बहुत खुशबूदार चीज़ है दीदी. उसमे आपकी खुश्बू आती है.”

“ मेरी खुश्बू तो मेरे दूसरे कपड़ो में भी होती है.”

“ नहीं दीदी आपकी च….छ्च ….चूत की महक तो आपकी पॅंटी में ही आएगी ना.”

“ ओ ! तो तुझे मेरी चूत की महक बहुत पसंद है ? चल, सूंघने तक तो ठीक है लेकिन उसके बाद तूने क्या किया ?”

“ जी, उसके बाद मैने पनती को अपनी टाँगों के बीच में जो होता है उसके ऊपर रग्रा.”

“ फिर वोही बात. टाँगों के बीच में क्या होता है?”

“ आपको पता तो है.”

“ नहीं मुझे क्या पता लड़के उसे क्या बोलते हैं?”

“ दीदी उसे लंड बोलते हैं.” विकी शरमाता हुआ बोला.

“ अच्छा तो उसे लंड बोलते हैं. लंड के ऊपर रगड़ने में मज़ा आता है?”

“ दीदी बहुत मज़ा आता है. एक तो पॅंटी का कपड़ा इतना मुलायम होता है और फिर ये सोच के कि जो पॅंटी अभी अभी आपकी चूत पर थी अब मेरे लंड पर है. आपकी चूत का ध्यान करके लंड पे पॅंटी रगड़ने में बहुत ही मज़ा आता है. ”

तब तो तूने मुझे नंगी भी ज़रूर देखा होगा?”

“ सिर्फ़ आपकी शादी के बाद. अभी कुच्छ दिन पहले उस दरवाज़े के छेद में से आपको कई बार पूरी तरह नंगी देख चुक्का हूँ. लेकिन जब आप खड़ी हुई होती हो तब आपकी चूत आपकी झांतों से धक जाती है.”

“ अच्छा तो ट्रेन के बाद मेरी चूत के दर्शन नहीं कर सका?”

“ नहीं दीदी अभी दो दिन पहले आप सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लाउस में लेटी नॉवेल पढ़ रही थी. पेटिकोट आपकी जांघों तक उठा हुआ था. आपने टाँगें चौड़ी कर रखी थी. मैं दरवाज़े के छेद में से झाँक रहा था. पॅंटी पहनना तो शायद आपने छोड़ ही दिया है. आपकी गोरी गोरी टाँगों के बीच में से एक बार फिर आपकी चूत के दर्शन हो गये. लेकिन शादी से पहले और शादी के बाद आपकी चूत में बहुत फरक हो गया है.”

“ क्यों ऐसा क्या फरक देख लिया तूने?”

“ आपकी चूत पहले से ही फूली हुई थी लेकिन अब शादी के बाद तो किसी डबल रोटी से भी ज़्यादा फूल गयी है. चूत के होंठ भी बड़े बड़े लग रहे थे और कुच्छ ज़्यादा ही खुले हुए नज़र आ रहे थे. ऐसा क्यों हो गया दीदी?”

“ तू भूल गया मेरी शादी को दो साल हो चुके हैं, और तेरे जीजाजी का लंड ख़ासा मोटा है. दो साल तक मोटे लंड से चुदवाने के बाद चूत चौड़ी नहीं होगी तो और क्या होगा?” मेरे मुँह से ‘चूत’, ‘लंड’ और ‘चुदाई’ जैसे शब्द सुन के विकी का लंड फंफनाने लगा था. उसकी शरम अब ख़त्म हो गयी थी. मैने उसके लंड को सहलाते हुए पूचछा,

“पहले मेरी चूत ज़्यादा अच्छी लगती थी कि अब शादी के बाद?”

“ दीदी मुझे तो आपकी चूत हमेशा ही अच्छी लगती है, लेकिन शादी के बाद और भी खूबसूरत हो गयी है.”

“ कभी किसी को चोदा है तूने?”

“ नहीं दीदी अपनी ऐसी किस्मत कहाँ.”

“ किसी दूसरी लड़की की चूत तो ज़रूर देखी होगी? तान्क झाँक करने की आदत तो है ही तेरी.”

“ आपकी कसम दीदी आपके सिवा आज तक किसी लड़की की चूत भी नहीं देखी. सिर्फ़ फोटो में देखी है.”

“ क्यों सुधीर की बेहन की चूत नहीं देखी?”

“ नहीं दीदी. वो पहले आपकी पॅंटी माँग रहा था.”

“ अक्च्छा, कभी अपनी दीदी को चोदने का दिल किया तेरा?”

“ कैसी बातें कर रही हो दीदी. मैं तो ऐसा सपने में भी नहीं सोच सकता. आप तो मेरी सग़ी बेहन हो.”

“ फिर झूट बोला. मुझे नंगी देखने के लिए दरवाज़े में छेद किया, मेरी पॅंटी को सूँघता है और लंड पे रगड़ता है, तब मैं तेरी बहन नहीं हूँ?”

“ बेहन को नंगी देखना और बात है और सुचमुच चोदना दूसरी बात है.”

“ और बेहन की चुदाई देखना?”

“ क्या मतलब आपका दीदी?”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बहन - कंचन के बदन की गरमी - by neerathemall - 10-12-2023, 04:06 PM



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