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Incest बहन - कंचन के बदन की गरमी
#65
दीदी की मादक सिसकियाँ सुन के मेरा बुरा हाल था. तभी जीजाजी ने दीदी को उठा के बिस्तेर पे लिटा दिया. दीदी ने अपनी टाँगें मोड़ के चुदवाने की मुद्रा में चौड़ी कर ली. अब तो घनी झांतों के बीच से दीदी की चूत सॉफ नज़र आने लगी. टाँगों को फैलाने से चूत की दोनो फाँकें चौड़ी हो गयी थी और चूत के उभरे हुए होंठ खुले हुए थे. ट्रेन में जब मैने दीदी की कुँवारी चूत के दर्शन किए थे तब तो ये होंठ इतने उभरे हुए नहीं थे और खुले तो बिल्कुल भी नहीं थे. अब तो ऐसा लग रहा था जैसे दीदी की चूत मुँह फाडे लंड को निगलने का इंतज़ार कर रही हो. शायद दो साल की चुदाई से चूत की ये हालत हो गयी थी. इस मुद्रा में दीदी के विशाल चूतर भी फैल गये थे और उनके बीच में से छ्होटा सा गुलाबी छेद नज़र आ रहा था. दीदी की गांद देख कर तो मेरा लंड झरते झरते बचा. मुझे पूरा विषवास था कि दीदी की गांद ज़रूर मारी जाएगी. मुझे जीजाजी से जलन हो रही थी. मेरी दीदी की मेरे ही सामने चुदाई होने जा रही थी और मैं लंड हाथ में पकड़ के लाचार बैठा था. जीजाजी दीदी की फैली हुई टाँगों के बीच में बैठ गये और लंड का सुपरा चूत के खुले हुए होंठों के बीच टीका दिया. फिर उन्होने दीदी की चुचिओ को दोनो हाथों से पकड़ के करारा सा धक्का लगा दिया. जीजाजी का लंड दीदी की चूत को चीरता हुआ आधे से ज़्यादा अंडर घुस गया. दीदी के मुँह से ऊफ़ ऊफ़ अया…आआहह अया ऊओह ऊवू की आवाज़ें आ रही थी. जीजाजी लंड पूरा बाहर निकाल कर जड़ तक अंडर पेलने लगे. दीदी की चूत से फ़च फ़च फ़च का संगीत निकल रहा था. दीदी भी चूतरो को उछाल उछाल के लंड अंडर ले रही थी. करीब आधे घंटे की भयंकर चुदाई के बाद जीजाजी झाड़ गये. लगता था उनके लंड ने ढेर सारा वीर्य दीदी की चूत में उंड़ेल दिया था क्योंकि उनका वीर्य दीदी की चूत से निकल के उसकी गांद की ओर बहने लगा था. थोड़ी देर में दीदी की गांद का छेद वीर्य से धक गया. जीजाजी ने लंड को बाहर खींच लिया. लंड प्लॉप की आवाज़ के साथ बाहर आ गया. फिर जीजाजी ने टवल से दीदी की चूत को सॉफ किया और अपने लंड को भी सॉफ किया. दोनो लेटे हुए बातें कर रहे थे और दीदी धीरे धीरे जीजाजी के लंड को सहला रही थी. थोरी देर में लंड फिर से खरा हो गया और जीजाजी ने एक बार फिर दीदी की को चोदा. इस तरह रात में चार बार दीदी की चुदाई हुई. लेकिन यार जीजाजी ने एक बार भी दीदी की गांद नहीं मारी. चोदा भी सिर्फ़ एक ही मुद्रा में. लगता है जीजाजी काम कला में अनारी हैं.”“ तू सच कह रहा है यार विकी. इतनी खूबसूरत औरत के तो तीनो छेद चोदने में मज़ा आ जाए.”

“ सच यार, हम तो अपना लंड हाथ में पकड़े अपनी आँखों के सामने अपनी ही बहन की चुदाई देखते रहे. काश इस लॉड को भी दीदी की चूत नसीब हो जाए!” विकी आहें भरता हुआ बोला.

विकी और सुधीर की बातें सुन कर मैं दंग रह गयी. हे भगवान! विकी ने तो मेरी चुदाई तक देख ली.

अब तो मैने सोच लिया की इस एक महीने के अंडर ही मैं विकी से ज़रूर चुदवाउन्गि. विकी का लॉडा अब भी मेरी आँखों के सामने घूम जाता था. अब तो मुझे मालूम था कि विकी दरवाज़े के छेद में से मेरे कमरे में झँकता है. मैं रोज़ रात को कपड़े बदलने के बहाने नंगी हो कर केयी पोज़ में उसे अपने बदन के दर्शन कराने लगी. मेरी चूत के बॉल इतने लंबे थे की मेरी चूत पूरी तरह ढक जाती थी. मैने चूत के होंठों के चारों ओर के बॉल काट के छ्होटे कर दिए. अब मैं सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लाउस में बेड पर लेट कर नॉवेल पढ़ने का बहाना करती. पेटिकोट को इतना ऊपर चढ़ा लेती की दरवाज़े के छेद से झँकते हुए विकी को मेरी फूली हुई चूत के दर्शन आसानी से हो जाते.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बहन - कंचन के बदन की गरमी - by neerathemall - 10-12-2023, 03:58 PM



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