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Incest बहन - कंचन के बदन की गरमी
#64
होली पे ये मुझे मायके छ्चोड़ने आए. मम्मी ने मुझे इस बार कम से कम एक महीने रुकने के लिए कहा. एक महीने बिना चुदाई के गुज़ारना तो बड़ा मुश्किल मालूम पर रहा था. जाने से एक रात पहले इन्होने मुझे पूरी रात चोदा. मैने भी जी भर के चुडवाया क्योंकि अगला एक महीना तो सूखा ही जाने वाला था. शादी के बाद पहला मोका था जब मैं इतने लंबे समय के लिए मायके रहने आई थी. अगले दिन ये वापस चले गये. जिस दिन ये गये उसी दिन विकी का दोस्त सुधीर घर पे आया. केयी दिनों से मैने उनकी बातें नहीं सुनी थी. दरवाज़े के पीछे खड़ी हो गयी कान लगा के. सोचा था अब किसी और लड़की की बातें करते होंगे. लेकिन जो सुना वो सुन के तो मेरा पसीना छूट गया.

“ हाई, सुधीर बारे दिनों के बाद आया है. लगता है कुत्ते की तरह मेरी दीदी को सूघता हुआ आ गया.”

“ सूंघ कैसे सकता हूँ यार तूने कभी इस कुत्ते को अपनी दीदी की चूत सूँघाई ही नहीं. तेरी दीदी अगर एक बार भी मेरे सामने अपनी चूत खोल कर बैठ जाए तो तेरी कसम सारी उमर कुत्ता बनने को तैयार हूँ.”

“ हा हा. हा. कुत्ता बन के क्या करेगा?

“ सारी उमर तेरी दीदी की चूत चाटूंगा. कल बाज़ार में देखा था. सच शादी के बाद से तो जवानी और भी निखर आई है. चूटर क्या फैल गये हैं. तेरे जीजाजी ज़रूर उसकी गांद भी मारते होंगे.”

“ नहीं यार शायद जीजाजी दीदी की गांद नहीं मारते.”

“तुझे कैसे पता?”

“ क्योंकि कल रात मैने दीदी और जीजाजी की रास लीला देखी. पूरी रात चोदा उन्होने दीदी को लेकिन गांद नहीं मारी. ज़िंदगी में पहली बार किसी लड़की की चुदाई देखी, और वो भी अपनी बेहन की.”

“ वाह प्यारे! तू तो बहुत तेज़ निकला. लेकिन देखा कैसे? बता ना यार क्या क्या देखा.?”

“ ऐसे नहीं बताउन्गा. कुच्छ फीस देनी परेगी.”

“ जो तू कहेगा वो दूँगा.जल्दी बता.”

“ अगर तू अपनी बहन की चूत दिलवाएगा तो बताउन्गा.”

“ उसकी चूत तो मैने भी नहीं ली.”

“ अच्छा चल दर्शन ही करा दे.”

“ ठीक है यार करा दूँगा. कल मेरे घर चल. जब नहाने जाएगी तो देख लेना. अब तो बता दे”

“ यार मुझे मालूम था कि दीदी और जीजा जी आने वाले हैं और दीदी यहाँ एक महीने रहेगी. मेरे और दीदी के कमरे के बीच एक दरवाज़ा है. मैने दीदी के कमरे के दरवाज़े में बड़ा सा छेद कर दिया और उसमे लकड़ी का गुटका फँसा दिया. वैसे देखने में पता ही नहीं लगता है कि वहाँ इतना बड़ा छेद है. जीजा जी आज जाने वाले थे. मुझे मालूम था कि रात में दीदी की चुदाई ज़रूर होगी. मैने ही दीदी का कमरा उनके आने से पहले तैयार किया था. मैने उनका बेड ठीक छेद के सामने और दरवाज़े के नज़दीक इस प्रकार से लगाया की सोने वाले की टाँगें छेद की तरफ हों. छेद में से सब कुच्छ बिल्कुल सॉफ दिखाई देता है. रात में अगर वरामदे की लाइट ऑन कर दो तो अंडर काफ़ी रोशनी हो जाती है क्योंकि रोशनदान और खिड़की से काफ़ी लाइट अंडर जाती है. सुबसे अच्छी बात तो ये हुई की जीजाजी ने भी नाइट लॅंप ऑफ नहीं किया. नाइट लॅंप और रोशनदान से आती हुई रोशनी से अंडर काफ़ी उजाला हो गया था. इसके इलावा जीजाजी लेटने से पहले बाथरूम गये ओर बाथरूम का दरवाज़ा और लाइट दोनो खुले छोड़ आए. अब तो अंडर उजाला ही उजाला था. अपना प्लान ज़रूरत से ज़्यादा कामयाब हो गया.”

“ फिर क्या हुआ? जल्दी बता, मेरा लंड तो अभी से खड़ा हो रहा है.”

“ रात में खाना खाने के बाद जीजाजी जल्दी ही दीदी को ले कर अपने कमरे में चले गये. मैने भी अपने कमरे में पहुँच कर लाइट बंद कर दी और लकड़ी का गुटका दरवाज़े के छेद में से निकाल लिया. अब अंडर सब कुच्छ सॉफ नज़र आ रहा था और उनकी बातें भी सुनाई पड़ रही थी. जीजाजी काफ़ी उतावले लग रहे थे. उन्होने कमरे में घुसते ही अपने कपड़े उतार दिए और नंगे हो गये. काफ़ी मोटा लंड है उनका. अपने कपड़े उतार कर दीदी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगे. फिर उन्होने दीदी का कुर्ता उतार दिया और एक झटके से सलवार का नाडा खींच दिया. दीदी की सलवार खुल के नीचे गिर गयी. अब दीदी सिर्फ़ ब्रा और पॅंटी में थी. जीजाजी का लॉडा भी तन गया था. दीदी ने पंजों के बल थोड़ा सा ऊपर हो कर उनका लॉडा अपनी टाँगों के बीच में ले लिया. वो दीदी के होंठों का रास्पान करते हुए उसकी पीठ और चूतर सहला रहे थे. ऊफ़ क्या विशाल चूतर थे! शादी से पहले एक बार देखे थे लेकिन अब तो खूब निखर आए थे और फैल भी गये थे. दीदी की पॅंटी तो उसकी चूतरो की दरार में घुसी जा रही थी. जीजाजी ने दीदी पीठ पे हाथ फेरते हुए ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को उतार के बिस्तेर पे फेंक दिया. क्या ज़ालिम चूचियाँ थी! मैने कयि बार दीदी की ब्रा में झाँका था लॅकिन कल रात पहली बार दीदी की चुचियाँ नंगी देखी. जीजाजी दीदी की चुचिओ को मसल रहे थे और दीदी ने भी उनके लॉड को सहलाना शुरू कर दिया था. अब जीजाजी ने दीदी की पॅंटी भी उतार दी. ऊफ़ क्या ग़ज़ब का नज़ारा था. दीदी की चूत पे इतने घने बाल थे की पूरा जंगल लग रहा था. बाल दीदी की नाभि से आधा इंच नीचे ही शुरू हो गये थे और पूरी चूत को ढक रखा था. दीदी की चूत के दर्शन तो उसकी शादी से पहले भी कर चुक्का हूँ पर कल रात तो पहली बार पूरी तरह नंगी देखा. बहुत ही खूबसूरत लग रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बहन - कंचन के बदन की गरमी - by neerathemall - 10-12-2023, 03:55 PM



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