10-12-2023, 01:40 PM
चोरी पकड़ी जाने के कारण मैं सकपका गया और " कुच्छ नहीं भाभी" कहता हुआ छत पर भाग गया. अब तो रात दिन भाभी की सफेद कछि में छिपी हुई चूत की याद सताने लगी.
मेरे दिल में विचार आया, क्यों ना भाभी को अपने विशाल लंड के दर्शन कराऊ. भाभी रोज़ सवेरे मुझे दूध का ग्लास देने मेरे कमरे में आती थी. एक दिन सवेरे मैं अपनी लूँगी को घुटनों तक उठा कर न्यूसपेपर पढ़ने का नाटक करते हुए इस प्रकार बैठ गया की सामने से आती हुई भाभी को मेरा लटकता हुआ लंड नज़र आ जाए. जैसे ही मुझे भाभी के आने की आहट सुनाई दी,मैने न्यूसपेपर अपने चेहरे के सामने कर लिया, टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर लिया ताकि भाभी को पूरे लंड के आसानी से दर्शन हो सकें और न्यूसपेपर के बीच के छेद से भाभी की प्रतिक्रिया देखने के लिए रेडी हो गया. जैसे ही भाभी दूध का ग्लास लेकर मेरे कमरे में दाखिल हुई, उनकी नज़र लूँगी के नीचे से झाँकती मेरे 8 इंच लंबे मोटे हाथोरे के माफिक लटकते हुए लंड पे पर गयी. वो सकपका कर रुक गयी, आँखें आश्चर्या से बड़ी हो गयी और उन्होनें अपना नीचला होंठ दाँतों से दबा दिया. एक मिनिट बाद उन्होनें होश संभाला और जल्दी से ग्लास रख कर भाग गयी. करीब 5 मिनिट के बाद फिर भाभी के कदमों की आहट सुनाई दी. मैने झट से पहले वाला पोज़ धारण कर लिया और सोचने लगा, भाभी अब क्या करने आ रही है. न्यूसपेपर के छेद में से मैने देखा भाभी हाथ में पोचे का कपड़ा ले कर अंडर आई और मुझसे करीब 5 फुट दूर ज़मीन पर बैठ कर कुच्छ सॉफ करने का नाटक करने लगी. वो नीचे बैठ कर लूँगी के नीचे लटकता हुआ लंड ठीक से देखना चाहती थी. मैने भी अपनी टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर दिया जिससे भाभी को मेरे विशाल लंड के साथ मेरी बॉल्स के भी दर्शन अच्छी प्रकार से हो जाएँ. भाभी की आँखें एकटक मेरे लंड पर लगी हुई थी, उन्होनें अपने होंठ दाँतों से इतनी ज़ोर से काट लिए कि उनमे थोड़ा सा खून निकल आया. माथे पर पसीने की बूँदें उभर आई. भाभी की यह हालत देख कर मेरे लंड ने फिर से हरकत शुरू कर दी. मैने बिना न्यूसपेपर चेहरे से हटाए भाभी से पूछा
" क्या बात है भाभी क्या कर रही हो?"
भाभी हड़बड़ा कर बोली " कुच्छ नहीं, थोड़ा दूध गिर गया था उसे सॉफ कर रही हूँ." यह कह कर वो जल्दी से उठ कर चली गयी. मैं मन ही मन मुस्काया. अब तो जैसे मुझे भाभी की चूत के सपने आते हैं वैसे ही भाभी को भी मेरे विशाल लंड के सपने आएँगे. लेकिन अब भाभी एक कदम आगे थी. उसने तो मेरे लंड के दर्शन कर लिए थे पर मैने अभी तक उनकी चूत को नहीं देखा था.
मुझे मालूम था कि भाभी रोज़ हमारे जाने के बाद घर का सारा काम निपटा कर नहाने जाती थी. मैने भाभी की चूत देखने का प्लान बनाया. एक दिन मैं कॉलेज जाते समय अपने कमरे की खुली छोड़ गया. उस दिन कॉलेज से मैं जल्दी वापस आ गया. घर का दरवाज़ा अंडर से बंद था. मैं चुपके से अपनी खिड़की के रास्ते अपने कमरे में दाखिल हो गया. भाभी किचन में काम कर रही थी. काफ़ी देर इंतज़ार करने के बाद आख़िर मेरी तपस्या रंग लाई. भाभी अपने कमरे में आई. वो मस्ती में कुच्छ गुनगुना रही थी. देखते ही देखते उसने अपनी नाइटी उतार दी. अब वो सिर्फ़ आसमानी रंग की ब्रा और कछि में थी. मेरा लंड हुंकार भरने लगा. क्या बला की सुंदर थी. गोरा बदन, पतली कमर,उसके नीचे फैलते हुए भारी नितंब और मोटी जंघें किसी नमार्द का भी लंड खड़ा कर दें. भाभी की बड़ी बड़ी चुचियाँ तो ब्रा में समा नहीं पा रही थी. ओर फिर वही छ्होटी सी कछि, जिसने मेरी रातों की नींद उड़ा रखी थी. भाभी के भारी चूतर उनकी कछि से बाहर गिर रहे थे. दोनो चूतरो का एक चौथाई से भी कम भाग कछि में था. बेचारी कछि भाभी के चूतरो के बीच की दरार में घुसने की कोशिश कर रही थी. उनकी जांघों के बीच में कछि से धकि फूली हुई चूत का उभार तो मेरे दिल ओ दिमाग़ को पागल बना रहा था. मैं साँस थामे इंतज़ार कर रहा था कि कब भाभी कछि उतारे और मैं उनकी चूत के दर्शन करूँ. भाभी शीशे के सामने खड़ी हो कर अपने को निहार रही थी. उनकी पीठ मेरी तरफ थी. अचानक भाभी ने अपनी ब्रा और फिर कछि उतार कर वहीं ज़मीन पर फेंक दी. अब तो उनके नंगे चौड़े चूतर देख कर मेरा लंड बिल्कुल झरने वाला हो गया.
मेरे मन में विचार आया कि भैया ज़रूर भाभी की चूत पीछे से भी लेटे होंगे ओर क्या कभी भैया ने भाभी की गांद मारी होगी. मुझे ऐसी लाजबाब औरत की गांद मिल जाए तो मैं स्वर्ग जाने से भी इनकार कर दूं. लेकिन मेरी आज की योजना पर तब पानी फिर गया जब भाभी बिना मेरी तरफ़ घूमे बाथरूम में नहाने चली गयी. उनकी ब्रा और कछि वहीं ज़मीन पर पड़ी थी. मैं जल्दी से भाभी के कमरे में गया और उनकी कछि उठा लाया. मैने उनकी कछि को सूँघा. भाभी की चूत की महक इतनी मादक थी कि मेरा लंड और ना सहन कर सका और झाड़ गया. मैने उस कछि को अपने पास ही रख लिया और भाभी के बाथरूम से बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगा. सोचा जब भाभी नहा कर नंगी बाहर निकलेगी तो उनकी चूत के दर्शन हो ही जाएँगे. लेकिन किस्मत ने फिर साथ नहीं दिया. भाभी जब नहा के बाहर निकली तो उन्होने काले रंग की कछि और ब्रा पहन रखी थी. कमरे में अपनी कछि गायब पा कर सोच में पड़ गयी. अचानक उन्होनें जल्दी से नाइटी पहन ली और मेरे कमरे की तरफ आई. शायद उन्हें शक हो गया कि यह काम मेरे इलावा और कोई नहीं कर सकता. मैं झट से अपने बिस्तेर पर ऐसे लेट गया जैसे नींद में हूँ. भाभी मुझे कमरे में देखकर सकपका गयी. मुझे हिलाते हुए बोली
" रामू उठ. तू अंडर कैसे आया?"
मैने आँखें मलते हुए उठने का नाटक करते हुए कहा " क्या करूँ भाभी आज कॉलेज जल्दी बंद हो गया. घर का दरवाज़ा बंद था बहुत खटखटाने पर जब आपने नहीं खोला तो मैं अपनी खिरकी के रास्ते अंडर आ गया."
" तू कितनी देर से अंडर है?"
" यही कोई एक घंटे से."
अब तो भाभी को शक हो गया कि शायद मैने उन्हें नंगी देख लिया था. और फिर उनकी कछि भी तो गायब थी. भाभी ने शरमाते हुए पूछा " कहीं तूने मेरे कमरे से कोई चीज़ तो नहीं उठाई?’
" अरे हाँ भाभी! जब मैं आया तो मैने देखा कि कुच्छ कपड़े ज़मीन पर पड़े हैं. मैने उन्हें उठा लिया." भाभी का चेहरा सुर्ख हो गया. हिचकिचाते हुए बोली
" वापस कर मेरे कपड़े."
मैं तकिये के नीचे से भाभी की कछि निकालते हुए बोला " भाभी ये तो अब मैं वापस नहीं दूँगा."
"क्यों अब तू औरतों की कछि पहनना चाहता है?"
" नहीं भाभी" मैं कछि को सूँघता हुआ बोला
" इसकी मादक खुश्बू ने तो मुझे दीवाना बना दिया है."
" अरे पागला है? यह तो मैने कल से पहनी हुई थी. धोने तो दे."
" नहीं भाभी धोने से तो इसमे से आपकी महक निकल जाएगी. मैं इसे ऐसे ही रखना चाहता हूँ."
" धात पागल! अच्छा तू कब्से घर में है?" भाभी शायद जानना चाहती थी कि कहीं मैने उसे नंगी तो नहीं देख लिया. मैने कहा
मेरे दिल में विचार आया, क्यों ना भाभी को अपने विशाल लंड के दर्शन कराऊ. भाभी रोज़ सवेरे मुझे दूध का ग्लास देने मेरे कमरे में आती थी. एक दिन सवेरे मैं अपनी लूँगी को घुटनों तक उठा कर न्यूसपेपर पढ़ने का नाटक करते हुए इस प्रकार बैठ गया की सामने से आती हुई भाभी को मेरा लटकता हुआ लंड नज़र आ जाए. जैसे ही मुझे भाभी के आने की आहट सुनाई दी,मैने न्यूसपेपर अपने चेहरे के सामने कर लिया, टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर लिया ताकि भाभी को पूरे लंड के आसानी से दर्शन हो सकें और न्यूसपेपर के बीच के छेद से भाभी की प्रतिक्रिया देखने के लिए रेडी हो गया. जैसे ही भाभी दूध का ग्लास लेकर मेरे कमरे में दाखिल हुई, उनकी नज़र लूँगी के नीचे से झाँकती मेरे 8 इंच लंबे मोटे हाथोरे के माफिक लटकते हुए लंड पे पर गयी. वो सकपका कर रुक गयी, आँखें आश्चर्या से बड़ी हो गयी और उन्होनें अपना नीचला होंठ दाँतों से दबा दिया. एक मिनिट बाद उन्होनें होश संभाला और जल्दी से ग्लास रख कर भाग गयी. करीब 5 मिनिट के बाद फिर भाभी के कदमों की आहट सुनाई दी. मैने झट से पहले वाला पोज़ धारण कर लिया और सोचने लगा, भाभी अब क्या करने आ रही है. न्यूसपेपर के छेद में से मैने देखा भाभी हाथ में पोचे का कपड़ा ले कर अंडर आई और मुझसे करीब 5 फुट दूर ज़मीन पर बैठ कर कुच्छ सॉफ करने का नाटक करने लगी. वो नीचे बैठ कर लूँगी के नीचे लटकता हुआ लंड ठीक से देखना चाहती थी. मैने भी अपनी टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर दिया जिससे भाभी को मेरे विशाल लंड के साथ मेरी बॉल्स के भी दर्शन अच्छी प्रकार से हो जाएँ. भाभी की आँखें एकटक मेरे लंड पर लगी हुई थी, उन्होनें अपने होंठ दाँतों से इतनी ज़ोर से काट लिए कि उनमे थोड़ा सा खून निकल आया. माथे पर पसीने की बूँदें उभर आई. भाभी की यह हालत देख कर मेरे लंड ने फिर से हरकत शुरू कर दी. मैने बिना न्यूसपेपर चेहरे से हटाए भाभी से पूछा
" क्या बात है भाभी क्या कर रही हो?"
भाभी हड़बड़ा कर बोली " कुच्छ नहीं, थोड़ा दूध गिर गया था उसे सॉफ कर रही हूँ." यह कह कर वो जल्दी से उठ कर चली गयी. मैं मन ही मन मुस्काया. अब तो जैसे मुझे भाभी की चूत के सपने आते हैं वैसे ही भाभी को भी मेरे विशाल लंड के सपने आएँगे. लेकिन अब भाभी एक कदम आगे थी. उसने तो मेरे लंड के दर्शन कर लिए थे पर मैने अभी तक उनकी चूत को नहीं देखा था.
मुझे मालूम था कि भाभी रोज़ हमारे जाने के बाद घर का सारा काम निपटा कर नहाने जाती थी. मैने भाभी की चूत देखने का प्लान बनाया. एक दिन मैं कॉलेज जाते समय अपने कमरे की खुली छोड़ गया. उस दिन कॉलेज से मैं जल्दी वापस आ गया. घर का दरवाज़ा अंडर से बंद था. मैं चुपके से अपनी खिड़की के रास्ते अपने कमरे में दाखिल हो गया. भाभी किचन में काम कर रही थी. काफ़ी देर इंतज़ार करने के बाद आख़िर मेरी तपस्या रंग लाई. भाभी अपने कमरे में आई. वो मस्ती में कुच्छ गुनगुना रही थी. देखते ही देखते उसने अपनी नाइटी उतार दी. अब वो सिर्फ़ आसमानी रंग की ब्रा और कछि में थी. मेरा लंड हुंकार भरने लगा. क्या बला की सुंदर थी. गोरा बदन, पतली कमर,उसके नीचे फैलते हुए भारी नितंब और मोटी जंघें किसी नमार्द का भी लंड खड़ा कर दें. भाभी की बड़ी बड़ी चुचियाँ तो ब्रा में समा नहीं पा रही थी. ओर फिर वही छ्होटी सी कछि, जिसने मेरी रातों की नींद उड़ा रखी थी. भाभी के भारी चूतर उनकी कछि से बाहर गिर रहे थे. दोनो चूतरो का एक चौथाई से भी कम भाग कछि में था. बेचारी कछि भाभी के चूतरो के बीच की दरार में घुसने की कोशिश कर रही थी. उनकी जांघों के बीच में कछि से धकि फूली हुई चूत का उभार तो मेरे दिल ओ दिमाग़ को पागल बना रहा था. मैं साँस थामे इंतज़ार कर रहा था कि कब भाभी कछि उतारे और मैं उनकी चूत के दर्शन करूँ. भाभी शीशे के सामने खड़ी हो कर अपने को निहार रही थी. उनकी पीठ मेरी तरफ थी. अचानक भाभी ने अपनी ब्रा और फिर कछि उतार कर वहीं ज़मीन पर फेंक दी. अब तो उनके नंगे चौड़े चूतर देख कर मेरा लंड बिल्कुल झरने वाला हो गया.
मेरे मन में विचार आया कि भैया ज़रूर भाभी की चूत पीछे से भी लेटे होंगे ओर क्या कभी भैया ने भाभी की गांद मारी होगी. मुझे ऐसी लाजबाब औरत की गांद मिल जाए तो मैं स्वर्ग जाने से भी इनकार कर दूं. लेकिन मेरी आज की योजना पर तब पानी फिर गया जब भाभी बिना मेरी तरफ़ घूमे बाथरूम में नहाने चली गयी. उनकी ब्रा और कछि वहीं ज़मीन पर पड़ी थी. मैं जल्दी से भाभी के कमरे में गया और उनकी कछि उठा लाया. मैने उनकी कछि को सूँघा. भाभी की चूत की महक इतनी मादक थी कि मेरा लंड और ना सहन कर सका और झाड़ गया. मैने उस कछि को अपने पास ही रख लिया और भाभी के बाथरूम से बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगा. सोचा जब भाभी नहा कर नंगी बाहर निकलेगी तो उनकी चूत के दर्शन हो ही जाएँगे. लेकिन किस्मत ने फिर साथ नहीं दिया. भाभी जब नहा के बाहर निकली तो उन्होने काले रंग की कछि और ब्रा पहन रखी थी. कमरे में अपनी कछि गायब पा कर सोच में पड़ गयी. अचानक उन्होनें जल्दी से नाइटी पहन ली और मेरे कमरे की तरफ आई. शायद उन्हें शक हो गया कि यह काम मेरे इलावा और कोई नहीं कर सकता. मैं झट से अपने बिस्तेर पर ऐसे लेट गया जैसे नींद में हूँ. भाभी मुझे कमरे में देखकर सकपका गयी. मुझे हिलाते हुए बोली
" रामू उठ. तू अंडर कैसे आया?"
मैने आँखें मलते हुए उठने का नाटक करते हुए कहा " क्या करूँ भाभी आज कॉलेज जल्दी बंद हो गया. घर का दरवाज़ा बंद था बहुत खटखटाने पर जब आपने नहीं खोला तो मैं अपनी खिरकी के रास्ते अंडर आ गया."
" तू कितनी देर से अंडर है?"
" यही कोई एक घंटे से."
अब तो भाभी को शक हो गया कि शायद मैने उन्हें नंगी देख लिया था. और फिर उनकी कछि भी तो गायब थी. भाभी ने शरमाते हुए पूछा " कहीं तूने मेरे कमरे से कोई चीज़ तो नहीं उठाई?’
" अरे हाँ भाभी! जब मैं आया तो मैने देखा कि कुच्छ कपड़े ज़मीन पर पड़े हैं. मैने उन्हें उठा लिया." भाभी का चेहरा सुर्ख हो गया. हिचकिचाते हुए बोली
" वापस कर मेरे कपड़े."
मैं तकिये के नीचे से भाभी की कछि निकालते हुए बोला " भाभी ये तो अब मैं वापस नहीं दूँगा."
"क्यों अब तू औरतों की कछि पहनना चाहता है?"
" नहीं भाभी" मैं कछि को सूँघता हुआ बोला
" इसकी मादक खुश्बू ने तो मुझे दीवाना बना दिया है."
" अरे पागला है? यह तो मैने कल से पहनी हुई थी. धोने तो दे."
" नहीं भाभी धोने से तो इसमे से आपकी महक निकल जाएगी. मैं इसे ऐसे ही रखना चाहता हूँ."
" धात पागल! अच्छा तू कब्से घर में है?" भाभी शायद जानना चाहती थी कि कहीं मैने उसे नंगी तो नहीं देख लिया. मैने कहा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.