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Incest बहन - कंचन के बदन की गरमी
#43
मायके में भाभी ने मेरी बहुत खातिरदारी की. दस दिन के बाद हम वापस लॉट आए. वापसी में मुझे भाभी के साथ लेटने का मोका नही लगा. भैया भाभी को देख कर बहुत खुश हुए और मैं समझ गया कि आज रात भाभी की चुदाई निश्चित है. उस रात को मैं पहले की तरह भाभी के दरवाज़े से कान लगा कर खड़ा हो गया.भैया कुच्छ ज़्यादा ही जोश में थे . अंडर से आवाज़े सॉफ सुनाई दे रही थी.

" कंचन मेरी जान, तुमने तो हमें बहुत सताया. देखो ना हमारा लंड तुम्हारी चूत के लिए कैसे तड़प रहा है. अब तो इनका मिलन करवा दो."

" हाई राम, आज तो यह कुच्छ ज़्यादा ही बड़ा दिख रहा है. ओह हो! ठहरिए भी, सारी तो उतारने दीजिए."

"ब्रा क्यों नही उतारी मेरी जान, पूरी तरह नंगी करके ही तो चोदने में मज़ा आता है. तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत को चोदना हर आदमी की किस्मत में नहीं होता."

"झूट! ऐसी बात है तो आप तो महीने में सिर्फ़ दो तीन बार ही …….."

" दो तीन बार ही क्या?"

" ओह हो, मेरे मुँह से गंदी बात बुलवाना चाहते हैं"

" बोलो ना मेरी जान, दो तीन बार क्या."

" अच्छा बाबा, बोलती हूँ; महीने में दो तीन बार ही तो चोद्ते हो. बस!!"

" कंचन, तुम्हारे मुँह से चुदाई की बात सुन कर मेरा लंड अब और इंतज़ार नहीं कर सकता. थोड़ा अपनी टाँगें और चौड़ी करो. मुझे तुम्हारी चूत बहुत अच्छी लगती है, मेरी जान."

" मुझे भी आपका बहुत……. अयाया…..मर गयी….ऊवू….आ…ऊफ़..वी मा, बहुत अच्छा लग रहा है….थोड़ा धीरे…हाँ ठीक है….थोडा ज़ोर से…आ..आह..आह ."

अंडर से भाभी के करहाने की आवाज़ के साथ साथ फूच..फूच..फूच जैसी आवाज़ भी आ रही थी जो मैं समझ नहीं सका.बाहर खड़े हुए मैं अपने आप को कंट्रोल नहीं कर सका और मेरा लंड झाड़ गया. मैं जल्दी से वापस आ कर अपने बिस्तर पर लेट गया. अब तो मैं रात दिन भाभी को चोदने के सपने देखने लगा. मैने आज तक किसी लड़की को नहीं चोदा था लेकिन चुदाई की कला से भली भाँति परिचित था. मैने इंग्लीश की बहुत सी गंदी वीडियो फिल्म्स देख रखी थी और हिन्दी तथा इंग्लीश के काई गंदे नॉवेल भी पढ़े थे. मैं अक्सर कल्पना करने लगा की भाभी बिल्कुल नंगी होकर कैसी लगती होगी. जितने लंबे और घने बाल उनके सिर पर थे ज़रूर उतने ही घने बाल उनकी चूत पर भी होंगे. भैया भाभी को कॉन कॉन सी मुद्राओं में चोद्ते होंगे. एकदम नंगी भाभी टाँगें फैलाई हुए चुदवाने की मुद्रा में बहुत ही सेक्सी लगती होगी. यह सूब सोच कर मेरी भाभी के लिए काम वासना दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी.

मैं भी लंबा तगड़ा आदमी हूँ. कद करीब 6 फुट है. अपने कॉलेज का बॉडी बिल्डिंग का चॅंपियन हूँ. रोज़ दो घंटे कसरत और मालिश करता हूँ. लेकिन सुबसे खास चीज़ है मेरा लंड. ढीली अवस्था में भी 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा किसी हथोदे के माफिक लटकता रहता है. यदि मैं अंडरवेर ना पहनूं तो पॅंट के उपर से भी उसका आकर साफ दिखाई देता है. खड़ा हो कर तो उसकी लंबाई करीब 10 इंच और मोटाई 4इंच हो जाती है. एक डॉक्टर ने मुझे बताया था कि इतना लंबा और मोटा लंड बहुत कम लोगों का होता है. मैं अक्सर वरांडे में अपनी लूँगी को घुटनों तक उठा कर बैठ जाता था और न्यूसपेपर पढ़ने का नाटक करता था. जब भी कोई लड़की घर के सामने से निकलती, मैं अपनी टाँगों को थोड़ा सा इस प्रकार से चौड़ा करता कि उस लड़की को लूँगी के अंडर से झँकता हुआ लंड नज़र आ जाए. मैने न्यूसपेपर में छ्होटा सा च्छेद कर रखा था. न्यूसपेपर से अपना चेहरा छुपा कर उस छेद में से लड़की की प्रतिक्रिया देखने में बहुत मज़ा आता था. लड़कियो को लगता था कि मैं अपने लंड की नुमाइश से बेख़बर हूँ. एक भी लड़की ऐसी ना थी जिसने मेरे लंड को देख कर मुँह फेर लिया हो. धीरे धीरे मैं शादीशुदा औरतों को भी लंड दिखाने लगा क्योंकि उन्हें ही लंबे ,मोटे लंड का महत्व पता था.

एक दिन मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था की भाभी ने आवाज़ लगाई,

" रामू, ज़रा बाहर जो कपड़े सूख रहे हैं उन्हें अंडर ले आओ. बारिश आने वाली है."

" अच्छा भाभी!" मैं कापरे लेने बाहर चला गया. घने बादल छाए हुए थे, भाभी भी जल्दी से मेरी हेल्प करने आ गयी. डोरी पर से कपड़े उतारते समय मैने देखा कि भाभी की ब्रा और कछि भी तन्गि हुई थी. मैने भाभी की ब्रा को उतार कर साइज़ पढ़ लिया; साइज़ था 38सी. उसके बाद मैने भाभी की कछि को हाथ में लिया. गुलाबी रंग की वो कछि करीब करीब पारदर्शी थी और इतनी छ्होटी सी थी जैसे किसी दस साल की बच्ची की हो. भाभी की कच्ची का स्पर्श मुझे बहुत आनंद दे रहा था और मैं मन ही मन सोचने लगा कि इतनी छ्होटी सी कछि भाभी के विशाल नितंबों और चूत को कैसे ढकति होगी. शायद यह कछि भाभी भैया को रिझाने के लिए पहनती होगी. मैने उस छ्होटी सी कछि को सूंघना शुरू कर दिया ताकि भाभी की चूत की कुच्छ खुश्बू पा सकूँ. भाभी ने मुझे करते हुए देख लिया और बोली

" क्या सूंघ रहे हो रामू ? तुम्हारे हाथ में क्या है?"

मेरी चोरी पकड़ी गयी थी. बहाना बनाते हुए बोला

" देखो ना भाभी ये छ्होटी सी कछि पता नहीं किसकी है? यहाँ कैसे आ गयी."

भाभी मेरे हाथ में अपनी कछि देख कर झेंप गयी और छीनती हुई बोली

" लाओ इधेर दो."

"किसकी है भाभी ?" मैने अंजान बनते हुए पूछा.

" तुमसे क्या मतलब, तुम अपना काम करो" भाभी बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली.

"बता दो ना . अगर पड़ोस वाली बच्ची की है तो लोटा दूं.

" जी नहीं, लेकिन तुम सूंघ क्या रहे थे?"

"अरे भाभी मैं तो इसको पहनने वाली की खुश्बू सूंघ रहा था. बरी मादक खुश्बू थी. बता दो ना किसकी है?’

भाभी का चेहरा ये सुन कर शर्म से लाल हो गया और वो जल्दी से अंडर भाग गयी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बहन - कंचन के बदन की गरमी - by neerathemall - 10-12-2023, 01:38 PM



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