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Incest बहन - कंचन के बदन की गरमी
#37
एयेए….ह. धीरे प्लीज़.” मैं इतना ज़्यादा शर्मा गयी थी कि मेरी चूत भी ठीक से गीली नहीं थी. उन्होने दो तीन बार फिर अपना लंड चूत में घुसेरने की कोशिश की, लेकिन नाकामयाब रहे. लेकिन उन्होने भी पूरी तैयारी कर रखी थी. पास में ही तैल का डब्बा पड़ा हुआ था. उन्होने अपना लॉडा तैल के डब्बे में डूबा दिया. अब अपने टेल में सने हुए लॉड को एक बार फिर मेरी चूत पे रख के ज़ोर का धक्का लगा दिया.

“ आआआअ…………….ईईईईईईई. ऊऊऊ….फ़.ह. ऊ..ओह. बहुत दर्द हो रहा है.” उनका लॉडा मेरी चूत के छेद को चौड़ा करता हुआ 2 इंच अंडर घुस चुक्का था. आज ज़िंदगी में पहली बार मेरी चूत का छेद इतना चौड़ा हुआ था.

“ बस मेरी रानी, थोड़ा सा और सह लो फिर बहुत मज़ा आएगा.” ये कहते हुए उन्होने लॉडा बाहर खीचा और फिर से एक ज़बरदस्त धक्का लगा दिया.

“ ऊऊओिईई माआआआ………..! मर गयी………मैं. ईइसस्स्स्स्स्सस्स…….. आआआआआआ…ऊऊऊऊहह. प्ली…….से, छ्चोड़ दीजिए. और नहीं सहा जा रहा.” उनका मोटा लॉडा इस धक्के के साथ शायद 4 इंच अंडर जा चुक्का था.

“ अच्छा ठीक है अब कुच्छ नहीं करूँगा बस!” वो बिना कुच्छ किए मेरे होंठों का रस चूसने लगे और चूचिओ को मसल्ने लगे. जब कुछ राहत मिली और मेरा करहाना बंद हुआ तो उन्होने धीरे से लंड को पूरा बाहर खींचा और मेरी टाँगों को मेरे सीने पे दबाते हुए बिना वॉर्निंग के पूरी ताक़त से ज़ोर का धक्का लगा दिया.

“ आआआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईई……………आआहह. ऊऊऊऊऊऊऊओह, ऊओफ़…. आआअहगह……….मुम्मय्ययययययययययययी……………मार डालाअ……छ्चोड़ दीजिए एयाया…ह प्लीईआसए….हाथ जोड़ती हूँ. ऊऊओिईईईईईईईईईईई…… माआ…….” इतना भयंकर दर्द ! बाप रे ! मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी चूत के अंडर कुच्छ फॅट गया था. उनका लंड पूरा का पूरा मेरी चूत में जा चुक्का था और उनके बॉल्स मेरी गांद पे टिक गये थे. मेरी आँखों में आँसू आ गये थे. दर्द सहा नहीं जा रहा था. उन्होने मेरे होंठ चूमते हुए कहा,

“ कंचन, मेरी रानी, बधाई हो. अब तुम कच्ची कली नहीं रही, फूल बुन चुकी हो.” मैं कुच्छ नहीं बोली. उन्होने काफ़ी देर तक लंड को अंडर ही पेले रखा और मेरी चूचिओ और होंठों को चूमते रहे. जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो उन्होने लॉडा पूरा बाहर खींच के पास पड़े तैल के डब्बे में फिर से डूबा दिया. उसके बाद तैल टपकता हुआ लॉडा मेरी चूत के छेद से टीका कर एक और ज़ोर आ धक्का लगा दिया. लॉडा मेरी चूत चीरता हुआ आधे से ज़्यादा धँस गया.

“ आआआहा…..ईईईईईईईई. ऊऊओफ़.”

“ बस मेरी जान पहली बार तो थोड़ा दर्द होता ही है. इसके बाद पूरी ज़िंदगी मज़े करोगी.” ये कहते हुए उन्होने धक्के लगाने शुरू कर दिए. लंड मेरी चूत में अंडर बाहर हो रहा था. दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा था. मैं ज़ोर ज़ोर से कराहती जा रही थी लेकिन वो बिना परवाह किए धक्के लगाते जा रहे थे. अब तो उन्होने पूरा लंड बाहर निकाल के एक ही धक्के में जड़ तक पेलना शुरू कर दिया. मेरी चूत तो बिल्कुल चरमरा गयी थी. बहुत दर्द हो रहा था. इतने में उनके धक्के एकदम से तेज़ हो गये और अचानक ही मेरे ऊपर ढेर हो गये. मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कोई मेरी चूत में पिचकारी चला रहा हो. वो शायद झाड़ चुके थे. थोरी देर मेरे ऊपर लेटे रहे फिर उठ के बाथरूम चले गये. मेरे अंग अंग में दर्द हो रहा था. मैने उठ के अपनी टाँगों के बीच में देखा तो बेहोश होते होते बची. मेरी चूत बुरी तरह से सूजी हुई थी और उसमे से खून और उनके वीर्य का मिश्रण निकल रहा था. बेड शीट भी खून से लाल हो गयी थी. मेरी चूत के बाल तैल, उनके वीर्य और खून से चिप चिप हो रहे थे. अपनी चूत की ये हालत देख के मैं रो पड़ी. मेरी समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ. इतने में ये बाथरूम से बाहर निकल आए. उनका लंड सिकुड के लटक रहा था लेकिन अभी भी काफ़ी ख़तरनाक लग रहा था. मुझे रोते देख मेरे पास आ कर बोले,“ क्या बात है कंचन ? बहुत दर्द हो रहा है?”

मेरी टाँगें चौड़ी करके मेरी चूत की हालत देख कर मुकुराते हुए बोले,

“ पहली, पहली चुदाई में ऐसा ही होता है मेरी जान. मेरा लॉडा भी तुम्हारी कुँवारी चूत को चोद्ते हुए छिल गया है. आओ बाथरूम में चल के सॉफ कर लो.”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बहन - कंचन के बदन की गरमी - by neerathemall - 10-12-2023, 01:29 PM



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