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Incest बहन - कंचन के बदन की गरमी
#33
विकी और सुधीर की बातें सुन कर मेरा पसीना छ्छूट गया. मेरा सगा भाई भी मुझे चोदना चाहता है. मैने अब अपनी पॅंटी बाथरूम में कभी नहीं छोड़ी. मुझे डर था की विकी मेरी पॅंटी सुधीर को ना देदे. मुझे विकी से कोई शिकायत नहीं थी. आख़िर वो मेरा छ्होटा भाई था. अगर विकी मुझे नंगी देखने के लिए इतना उतावला था तो हालाँकि मैं उसके सामने खुले आम नंगी तो नहीं हो सकती थी पर किसी ना किसी बहाने अपने बदन के दर्शन ज़रूर करा सकती थी. स्कूल ड्रेस में अपनी पॅंटी की झलक देना बड़ा आसान था. सोफा पर बैठ कर टीवी देखते वक़्त अपनी टाँगों को इस प्रकार फैला लेती की विकी को मेरी पॅंटी के दर्शन हो जाते. एक दिन मैं स्कूल ड्रेस में ही लेटी बुक पढ़ रही थी की विकी के कदमों की आहट सुनाई दी. मैने झट से टाँगें मोड़ कर ऊपर कर ली ओर बुक पढ़ने का नाटक करती रही. मेरी गोरी गोरी मांसल टाँगें पूरी तरह नंगी थी. स्कर्ट कमर तक ऊपर चढ़ गयी थी. मैने ज़्यादा ही छ्होटी पॅंटी पहन रखी थी जो बरी मुश्किल से मेरी चूत को ढके हुए थी. मेरी लंबी घनी झांटें पॅंटी के दोनो ओर से बाहर निकली हुई थी. इतने में विकी आ गया और सामने का नज़ारा देख कर हरबदा कर खड़ा हो गया. उसकी आँखें मेरी टाँगों के बीच में जमी हुई थी. इस मुद्रा की प्रॅक्टीस मैं शीशे के सामने पहले ही कर चुकी थी. मुझे भली भाँति पता था कि इस वक़्त मेरी चूत के घने बॉल पॅंटी के दोनो ओर से झाँक रहे थे. पॅंटी बड़ी मुश्किल से मेरी फूली हुई चूत के उभार को ढके हुए थी. मैने उसे जी भर के अपनी पॅंटी के दर्शन कराए. इतने में मैने बुक नीचे करते हुए पूछा “ विकी क्या कर रहा है? कुच्छ चाहिए?” विकी एकदम से हार्बारा गया. उसका चेहरा उत्तेजना से लाल था. “ कुच्छ नहीं दीदी. अपनी बुक ढूंड रहा था. उसकी पॅंट के उभार को देख कर मैं समझ गयी उसका लंड खड़ा हो गया है. लेकिन विकी के पॅंट का उभार देख कर ऐसा लगता था कि उसका लंड काफ़ी बड़ा था.

जब से विकी के पॅंट का उभार देखा तब से मेरे दिमाग़ में एक ही बात घूमने लगी कि किस तरह विकी का लंड देखा जाए. मुझे पता था कि विकी रात को लूँगी पहन कर सोता है. मेरे दिमाग़ में एक प्लान आया. मैं रोज़ सुबह जल्दी उठ कर विकी के कमरे में इस आस में जाती कि किसी दिन उसकी लूँगी खुली हुई मिल जाए या कमर तक उठी हुई मिल जाए और मैं उसके लंड के दर्शन कर सकूँ. कई दिन तक किस्मत ने साथ नहीं दिया. अक्सर उसकी लूँगी जांघों तक उठी हुई होती लेकिन लंड फिर भी नज़र नहीं आता. लेकिन मैने भी हार नहीं मानी. आख़िर एक दिन मैं कामयाब हो ही गयी. एक दिन जब मैं विकी के कमरे में घुसी तो देखा विकी पीठ पे लेटा हुआ है और उसकी लूँगी सामने से खुली हुई थी. सामने का नज़ारा देख कर तो मैं बेहोश होते होते बची. मैने तो सपने में भी ऐसे नज़ारे की कल्पना नहीं की थी. इतना लंबा! इतना मोटा! इतना काला लंड! जैसा की मैने बताया विकी पीठ के बल लेटा हुआ था, लेकिन उसके लंड का सुपरा बिस्तेर पे टीका हुआ था! बाप रे बाप! मैने अपने आप को नोचा, कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही थी. क्या भयंकर लग रहा था विकी का लंड. इसने तो साधु महाराज के लंड को भी मात दे दी. अब तक तो मैं लंड एक्सपर्ट हो चुकी थी. नीलम और मैने अब तक ना जाने कितने छ्होटे छ्होटे पेशाब करते भद्दे से लंड देखे थे. मैं मन ही मन सोचने लगी कि घर में इतना लंबा मोटा लंड मोज़ूद है और मैं बेकार में ही दूसरों का लंड देखने में अपना समय बर्बाद कर रही थी. मुझे तो जैसे साँप सूंघ गया था. अचानक विकी ने हरकत की, और मैं जल्दी से भाग गयी. उस दिन के बाद से तो मेरी नींद हराम हो गयी. रोज़ सुबह पागलों की तरह उठ के विकी के लंड के दर्शन करने उसके कमरे में जाती लेकिन हमेशा निराशा ही हाथ लगती. मैने सोच लिया था कि एक दिन ये लंड मेरी चूत में ज़रूर जाएगा.

मेरी उम्र 20 साल हो चुकी थी. मम्मी पापा मेरे लिए लड़का ढूंड रहे थे. एक बार हम सब कानपुर से एक लड़के को देख कर वापस आ रहे थे. ट्रेन में बहुत भीड़ थी. सिर्फ़ दो ही सीट मिली. वो भी अलग अलग कॉमपार्टमेंट में. पापा मम्मी एक कॉमपार्टमेंट में चले गये और मैं और विकी दूसरे में. मैने सोचा इससे अच्छा मोका कभी नहीं मिलेगा. रात को तो हम दोनो को एक ही सीट पर सोना पड़ेगा. मैं प्लान बनाने लगी की किस प्रकार इस सुनेहरे मोके का पूरा फ़ायदा उठाया जाए. एसी 2 टीएर में साइड वाली सीट थी. विकी मेरी सामने वाली सीट पर बैठा था. मैने लहंगा पहना हुआ था. आज तक काई बार विकी को पॅंटी के दर्शन करा चुकी थी और एक बार तो उसके मुँह पे भी पॅंटी से धकि अपनी चूत रगड़ चुकी थी. क्यों ना इस बार अपनी नंगी चूत के भी दर्शन करा दूं. विकी को इस प्रकार तड़पाने में मुझे बहुत मज़ा आने लगा था. मुझे मालूम था विकी मुझे चोदने के ख्वाब देखता है. मैने जब से उसका लंड देखा था तभी से ठान लिया था कि शादी के बाद विकी से ज़रूर चुदवाउन्गि. शादी से पहले मैं अपना कुँवारापन नहीं खोना चाहती थी. इसके इलावा किसी भी कुँवारी चूत के लिए विकी का मूसल बहुत ख़तरनाक था. मेरी कुँवारी चूत बुरी तरह से फॅट सकती थी, और अगर नहीं भी फटती तो इतनी चौरी हो जाती की मेरे होने वाले पति को पता लग जाता की मैं कुँवारी नहीं हूँ. पापा के मोटे लॉड ने मम्मी की चूत का क्या हाल कर रखा था वो तो मैं खुद ही देख चुकी थी. मैं पेशाब करने के बहाने बाथरूम गयी और अपनी पॅंटी उतार ली. अब मेरी चूत लहँगे के नीचे बिल्कुल नंगी थी. सामने की सीट पर विकी बैठा हुआ था. मैं अपनी सीट पर उसके सामने आ कर बैठ गयी, टाँगें विकी की सीट पर रख लीं, और अपनी सीट का परदा खींच लिया ताकि बाकी लोग मेरी हरकतें ना देख सकें. अगर मैं लहंगा थोड़ा भी ऊपर करती तो वो मेरी टाँगों के बीच झाँक सकता था. मैं नॉवेल पढ़ने का बहाना करने लगी. विकी पूरी कोशिश कर रहा था कि किसी तरह मेरी टाँगों के बीच की झलक मिल जाय. वो तो बेचारा मेरी पॅंटी की झलक पाने की आशा कर रहा था. उसे क्या मालूम कि आज तो उसे शॉक लगने वाला था. मैं भी उसे खूब उतावला करती रही. थोड़ा सा लहंगा ऊपर खींच लेती, लेकिन सिर्फ़ इतना ही की विकी को कुच्छ दिखने की आशा हो जाए पर दिखाई कुच्छ ना दे. फिर थोरी देर में टाँग खुजलाने के बहाने लहंगा थोड़ा और ऊपर कर लेती जिससे विकी को मेरी गोरी गोरी टाँगें नज़र आ जाती पर असली चीज़ नहीं. मेरा इरादा था कि रात को सोने से पहले ही उसे अपनी चूत के दर्शन कारवँगी, क्योंकि सोना तो हमने एक ही सीट पर था
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बहन - कंचन के बदन की गरमी - by neerathemall - 10-12-2023, 01:25 PM



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