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Incest ममेरी बहन की अन्तर्वासना
#14
मुझे रात में ब्रो फक सिस वाला सपना आया कि मैं बाथरूम में नहा रही थी और अचिंत अंदर आ गया.
वह बिल्कुल नंगा था और मैं उसको देख कर खुश हो रही थी।

अचिंत ने बाथरूम का दरवाजा बंद करके मुझे किस करना शुरू कर दिया था।
मैं भी बिल्कुल नंगी थी।

अचिंत मेरे बूब्स को चूसने लगा।
काफी देर रोमांस करने के बाद अचिंत ने मुझे चोदना शुरु कर दिया।
मुझे बहुत मजा आ रहा था.

तभी उसने जोर जोर से चोदना शुरू किया और मेरा माल निकल गया।
और तभी मेरी आंख खुल गई।

मैंने नीचे अपनी चूत पर हाथ लगाया तो मैं नीचे से गीली हो चुकी थी।
नीचे बिल्कुल चिपचिपा सा था मतलब मेरा असली में भी माल निकल गया था।

मुझे लग रहा था मैं अचिंत के करीब आने लगी हूं।
मैं रोजाना भाई बहन की चुदाई की कहानियां पढ़ने लगी थी।

इसी बीच मैं वापस अपने घर आ गई।
मेरा उससे किया हुआ वादा अधूरा रह गया।
मैंने उसको वादा किया था कि अगर वह साबित कर देगा तो वह जो कहेगा, वो मैं करूंगी।
लेकिन अचिंत ने साबित करके वादे में मेरी चूत मांग ली।

मैं अपना वादा तो अधूरा छोड़ आई लेकिन भाई-बहन के चुदाई के उस खूबसूरत रिश्ते को नहीं भुला पायी।
तब मैं रोजाना भाई-बहन की चुदाई की कहानियां पढ़ने लगी।
मेरा और मेरे सगे भाई अजय का उस समय एक ही कमरा हुआ करता था।
मुझे अब अजय से चुदने का ख्याल आने लगा।

मैंने इंस्टाग्राम का सहारा लिया और मेरी कक्षा की एक लड़की के नाम से खाता खोला।
मैं रात को स्कर्ट में भाई के सामने बैठ कर इंस्टाग्राम पर भाई से सेक्सी बातें किया करती थी और उसको भाई बहन की चुदाई की कहानी भेजा करती थी।
बहन भाई की चुदाई में मैं उसकी रुचि जगाने लगी।

उसके बाद की कहानी आपको पता ही है भाई ने अपने दोस्त आसिफ की मदद से मुझे चोद दिया था।
जिसको आप मेरी पिछली कहानी
भाई के दोस्त ने मेरी चूत मारीhttps://www.freesexkahani.com/antarvasna/mast-chudai-story-hindi/
में पढ़ सकते हो।

अब मैं आपको वर्तमान कहानी पर लाती हूँ।
मैं और मम्मी रक्षाबंधन पर 10 अगस्त 2022 को मामा जी के घर आए।
अगले दिन रक्षाबंधन था तो हम 10 तारीख को दोपहर 3 बजे तक मामा जी के घर पहुंच गए।
आते ही मुझे 2 साल पुराने दिन याद आ गए।
मैं सोच रही थी कि क्या अचिंत अब भी अपनी बहन इनारा को चोदता होगा।

मेरे मन में ये ख्याल चल रहे थे इसलिए मैं शाम होने का इंतजार कर रही थी ताकि छत पर जाकर अचिंत से मिलकर अपने अधूरे वादे को पूरा करने के लिए आगे कदम बढ़ा सकूं।
शाम को मैं और अचिंत छत पर मिले।
हम 2 साल बाद मिले तो सामान्य हाल-चाल पूछ रहे थे।

फिर मैंने अचिंत से पूछा- क्या तुम और इनारा अब भी चुदाई करते हो?
अचिंत- हां! बीच में थोड़ा कम कर दिया था लेकिन अब पहले जैसा ही चल रहा है।
कुछ देर ऐसे ही इनारा के बारे में बातें हुई.
फिर अचिंत ने कहा- अञ्जलि, पिछली बार वादा अधूरा छोड़ कर चली गई। मैंने तुझे अपने सारे राज बता दिए थे लेकिन तू अपने भाई की एक इच्छा पूरी नहीं कर सकी।
मैं- उस समय मैं तैयार नहीं थी यार। इस बार मैं अपना वादा पूरा करके जाऊंगी. यह वादा है मेरा!

अचिंत- हां देखे हैं तेरे वादे!
फिर अचिंत हंस दिया.

मैं- इस बार देख लेना आप!
फिर मैं नीचे आ गई और इनारा के कमरे में आकर सो गई।
उसी रात अचिंत हमारे कमरे में आया और मुझे कहा- मेरे पीछे पीछे आती जाओ।
मैं- क्या हुआ?
अचिंत- तुम्हें कुछ दिखाता हूँ। तुम्हें देखने की जरूरत है।
मैं- वह कैसे?
अचिंत- बस आती जाओ मेरे पीछे पीछे।

वह मुझे मामाजी के कमरे के बाहर ले आया।
अचिंत- आवाज मत करना, अंदर देखो।

मुझे वह गेट के छेद में से अंदर देखने को बोला।
मैंने अंदर देखा तो बेड पर मम्मी बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी और मामाजी मम्मी की चूत का रसपान कर रहे थे।
मम्मी बोल रही थी- उफ्फ आआह हहह जीभ अंदर डालो … मर जाऊंगी … रुकना मत प्लीज … सब कुछ डाल दो … आआह हह भाई कितने दिनों बाद मिल रहे हैं … चोद दो आज मुझे!

मामा जी भी बिल्कुल नंगे थे।
मैं देख ही रही थी तभी मेरे पीछे मुझे अचिंत का लंड रगड़ता हुआ महसूस हुआ।
मुझे मजा आ रहा था इसलिए मैं ऐसे ही अंदर देखती रही और अचिंत के लंड के रगड़ का मजा ले रही थी।
थोड़ी देर बाद मामाजी मम्मी को जोर जोर से चोदने लगे।
मम्मी की सिसकारियां की आवाज बाहर आ रही थी।

मामाजी मम्मी को बहुत जंगली तरीके से चोद रहे थे।
कुछ देर बाद मामाजी मम्मी को चोदते चोदते शांत हो गए लेकिन हमारे अंदर एक ज्वाला को जगा दिया।
फिर हम दोनों अचिंत के कमरे में आ गए।
मामाजी और मम्मी की चुदाई देख कर मैं पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।
मैंने अचिंत की तरफ देखा, वह मुझे देख रहा था।
उसकी हालत भी मेरी जैसी थी।

वह नजरों नजरों में मुझे समझा रहा था कि भाई-बहन के प्यार का एक रिश्ता ये भी होता है।
मैं अब अपने आप को अचिंत को सौंपने को तैयार थी।
अचिंत मेरे करीब आया और मुझे कमर से पकड़ लिया।
उसने अपने होठों को मेरे होठों से मिला दिया।
अचिंत आहिस्ता आहिस्ता मेरे होठों को चूसने लगा।

हम दोनों भाई बहन पूरी तरह से एक दूसरे में खो गए।
अचिंत मेरे होठों को मुंह में भर कर चूसने लगा।
मेरी हवस काबू से बाहर हो रही थी।

मैं भी अचिंत के होठों को चूसने लगी।
अचिंत ने मेरे होठों को अपने दांतों से पकड़ कर अपने मुंह में भर लिया और मेरे होठों की जबरदस्त चुसाई करते हुए बोला- अञ्जलि, आज की रात हम दोनों, भाई-बहन की चुदाई की एक नई कहानी रचते हैं। क्या तुम्हें मंजूर है?
मैंने उसकी आंखों में देख कर मुस्कुराते हुए कहा- मंज़ूर है भाई।

अचिंत ने अपना एक हाथ मेरे दाएं बूब पर रख दिया।
उसने आहिस्ता से मेरे कंधे से मेरे टॉप को थोड़ा सा नीचे खिसका दिया और मेरी गर्दन और कंधे को चूमने लगा।

अचिंत ने चूमते हुए मेरे हाथों को ऊपर करके मेरे टॉप को उतार दिया।
अब मैं ब्रा में बची थी।

मैं अचिंत को किस कर रही थी और अचिंत भी मेरे होठों को चूसते हुए आहिस्ता आहिस्ता मेरी ब्रा को खोल रहा था।
अचिंत ने मेरी ब्रा भी उतार दी।
तब अचिंत ने मुझे अपनी तरफ पलटा और मेरे बूब्स देखने लगा।

मुझे थोड़ी बहुत शर्म आ रही थी इसलिए मैंने अपने दोनों हाथ मेरे बूब्स पर रख दिए।
अचिंत मुस्कुराते हुए अपनी शर्ट उतारने लगा।
मैं उसको बड़े गौर से देख रही थी।

शर्ट उतारने के बाद अचिंत अपनी पैंट भी उतारने लगा और वह अंडरवियर में आ गया।
अचिंत मेरे करीब आया और मेरे हाथों को मेरे बूब्स से हटाने लगा।
मैंने कोई विरोध नहीं किया और अपने हाथ हटा लिए।

उसने मेरे बूब्स को अपने हाथों में ले लिया और हल्का हल्का मसलने लगा।
अचिंत ने थोड़ी देर मेरे बूब्स मसले, फिर मेरे बूब्स के निप्पल को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।
ओह माई गॉड … क्या फीलिंग थी!
सच में मेरी फीलिंग का अंदाजा वही लगा सकता है जिसने अपने भाई को अपना जिस्म सौंपा हो.
मैं दुनिया की सबसे बेस्ट फीलिंग महसूस कर रही थी।

वह मेरे बूब्स को चूस रहा था मैंने उसका सिर पकड़ा हुआ था और मेरा मुंह ऊपर की खिड़की से बाहर आसमान की तरफ था।
चांद भी हम दोनों के प्यार को निहार रहा था और अपनी खूबसूरत रोशनी बरसा रहा था।

रक्षांबधन के पूर्ण चांद के सामने भाई के साथ इस हालत में मेरे लिए जन्नत से कम नहीं थी।
अचिंत अभी भी मेरे बूब्स चूसने में लगा था।
इसी दौरान उसने मेरी जींस के बटन खोल दिये।
तब उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरी जींस को चैन खोलने लगा।
उसने मेरी टांगों को अपने कंधे पर रखकर मेरी जींस को उतार दिया।


अब मैं सिर्फ पैंटी में बची थी।
अचिंत अपने मुंह को मेरी चूत के पास लाया और मेरी पैंटी को अपने मुंह से पकड़ कर उतार दिया।
अब मैं बिल्कुल नंगी थी और वह भी अपने भाई के साथ।
मुझे नंगी देख कर भाई ने भी अपना अंडरवियर उतार दिया।
मुझे पहली बार अचिंत का लंड नजर आया।
मैं अचिंत का लंड देख कर आचर्यचकित थी क्योंकि मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरे भाईयों में किसी का इतना बड़ा लंड हो सकता है।

अचिंत का लंड देख कर मेरे मुंह से आह भरी आवाज में निकला- ओह माई गॉड … इतना बड़ा लंड … यह तो अजय भाई से भी बड़ा है।
वह यह सुन कर हंस पड़ा- चलो अच्छा है, मेरी और इनारा की चुदाई से कुछ तो अच्छा सीखी। बाहर किसी से चुदवाने से तो कई गुणा बेहतर है ये अञ्जलि!
फिर अचिंत ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और बोला- आज इस भाई के लंड को शांत करके अपना वादा पूरा कर लो।

अचिंत ने मुझे अपना लंड चूसने को बोला।
मैंने भी बिना देरी किए उसका लंड अपने मुंह में भर लिया और आईसक्रीम की तरह चूसने लगी।
अचिंत का लंड धीरे धीरे गर्म सरिया बनता जा रहा था जो मुझे आज बहुत बेरहमी से चोदने वाला था।
करीब 10 मिनट तक मैं अचिंत का लंड चूसती रही, फिर अचिंत ने मुझे बेड पर लिटा दिया और वह मेरे ऊपर आकर आ गया।
मेरी बदन में हलचल हो रही थी।
मैं मेरे जीवन के सबसे खास शख्स के नीचे थी।
अचिंत का लंड मेरी चूत को स्पर्श कर रहा था।

वह मेरे बूब्स को चूसते हुए मेरी चूत तक पहुंच गया।
उसने जैसे ही अपनी जुबान मेरी चूत पर रखी, मेरी बॉडी में बिजली दौड़ गई।
अचिंत जीभ डाल डालकर मेरी चूत को चाटने लगा।
मेरी सिसकियों भरी आह आह निकलने लगी।

जो सिसकारियां कुछ देर पहले मम्मी के मुंह से निकल रही थी, वही सिसकारियां अब उनकी बेटी के मुंह से निकल रही थी।
अचिंत का सिर पकड़ कर मैं अपनी चूत को चटवाने लगी।
मैं चाह रही थी कि वह हर पल ऐसे ही मेरी चूत चाटता रहे।
अचिंत अपनी जीभ को मेरी चूत में अंदर बाहर करके मेरी चूत को चोद रहा था।
करीब 8-10 मिनट तक वह मेरी चूत चाटता रहा।
मैं बिल्कुल अचिंत के नियंत्रण में थी।

उसका रॉड पहले से भी अधिक कठोर और गर्म हो गया था।
फिर वह मेरी दोनों टांगों को खोल कर उनके बीच में आ गया और मेरे कान में कहा- अञ्जलि, आज मेरे पापा तेरी मम्मी को खुश कर रहे हैं, उनका बेटा तुझे!।
मैं- आप जो करना चाह रहे हो कर लो! मैं भी अपना वादा पूरा करना चाहती हूं।

अचिंत अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा।
उसका लंड मेरी चूत की साइज से काफी बड़ा था क्योंकि डॉक्टर के कहने पर मैं एक साल तक लंड से दूर रही थी और अपनी चूत को फिर से सील पैक जैसी करवा रही थी।

अचिंत- अब इसका कमाल देखो अञ्जलि!
उसकी इन हरकतों से मुझे एक अजीब सा मजा आ रहा था।

फिर अचिंत अपने लंड को आहिस्ता से मेरी चूत में डालने लगा।
अचिंत का लंड थोड़ा सा मेरी चूत में घुस गया।

मुझे सच में बहुत दर्द हुआ लेकिन मैं अचिंत से वादा कर चुकी थी इसलिए अपने होठों को अपने दांतों में दबा कर चुपचाप लेटी रही।
अचिंत मेरी हालत देख कर बोला- अभी तो सिर्फ 10% ही गया है अञ्जलि! तू देख आज तेरे भाई का कमाल!
यह सुनकर मुझे मेरी सील टूटने के समय का वह दर्द याद आने लगा।
अगर 10% पर मेरा ये हाल है तो आगे क्या होगा।
लेकिन मैं फिर भी चुपचाप लेटी रही।

अचिंत अब धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत में अंदर डाल रहा था और मेरी दर्द से जान निकल रही थी।
भाई का आधा लंड मेरी चूत में जा चुका था.
तभी उसने जोर से धक्का दिया।
मैं दर्द के मारे जोर से चीख पड़ी।

अचिंत ने मेरे चीखते ही अपने होठों को मेरे होठों से मिला दिया.
जिससे मैं चुप हो गई।

आवाज इतनी तेज थी कि मुझे लगा मम्मी और मामाजी ने सुन ली होगी।
लेकिन कोई नहीं आया।
शायद वे दोनों अपनी मस्ती में मस्त थे।

मेरी चूत में अचिंत का लंड पूरा समा चुका था।
दर्द से मेरी बुरी हालत हो रही थी। दर्द मेरे बर्दाश्त से बाहर था।

मैं अचिंत को बोली- भाई, प्लीज थोड़ी देर के लिए निकाल लो।
अचिंत- बस मेरी जान, अब दर्द नहीं होगा. अगर अब लंड निकलूंगा तो वापस इतना ही दर्द होगा दुबारा डालने पर! कुछ देर में दर्द खत्म हो जाएगा और तू खुद मुझे अपनी चूत को जोर-जोर से चोदने के लिए बोलेगी।

अचिंत की बातों ने मुझे मजबूर कर दिया कि मैं चुपचाप लेट कर बर्दाश्त करूं।
वह भी चुपचाप मेरे ऊपर लेटा रहा और मेरे बूब्स मसलता रहा।
धीरे-धीरे मुझे दर्द कम होता हुए महसूस होने लगा।
मेरे चेहरे को देखकर अचिंत अंदाजा लगा चुका था कि मैं अब पहले से ठीक हूँ।
मुझे अचिंत का लंड मेरी चूत में एक गर्म सरिये की तरह महसूस हो रहा था।
अचिंत अब आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड को मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगा।
अब धीरे-धीरे मेरा दर्द मजे में बदलने लगा।

थोड़ी देर बाद मुझे बहुत मजा आने लगा।
एक ऐसा मजा जिसका मुझे अंदाजा भी नहीं था और जिसको मैंने पहले कभी इतना महसूस नहीं किया था।
मैं अपने ही भाई का लंड अपनी चूत में ले रही थी।

अचिंत अब अपनी स्पीड बढ़ाने लगा जिससे मुझे और ज्यादा मजा आने लगा।
अब मैंने अपनी टांगों से अचिंत को कमर से जकड़ लिया और जोर जोर से अपनी चूत को चुदवा रही थी।

कुछ ही देर में मेरे अंदर एक अजीब सा तूफान उठा।
मैं अचिंत को पीठ से पकड़ कर नौचने लगी।

अब अचिंत का पीछे हटना भी मुझे मंजूर नहीं था।
मेरा मन चाह रहा था कि वह मेरी चूत में अंदर तक जाता रहे।

मैं चरम सुख की प्राप्ति के करीब पहुंच रही थी।
अचिंत की जोरदार चुदाई से मेरे अंदर उठा तूफान थम गया।

मेरी चूत में उठे ज्वालामुखी से लावा बहने लगा।
मैंने अपनी दोनों टांगों से अचिंत को आजाद कर दिया और सीधी लेट गई।
लेकिन अचिंत मुझे अभी भी पेले जा रहा था।

अचिंत ने भी अपनी स्पीड बहुत तेज कर दी।
वह मुझे जोर जोर से चोदने लगा।

उसकी जोरदार चुदाई से पूरे कमरे में फच फच की आवाज होने लगी।
अचिंत भी आह … आह … मेरी रण्डी बहन … तेरी चूत फाड़ दूंगा बहन की लौड़ी … तुझे चोदने का सपना बचपन से था मेरा जो आज जाकर पूरा किया है तूने रण्डी … अब अपने भाई की रण्डी बनकर रहेगी ना हमेशा? बोल बहन की लौड़ी?
ऐसी गाली देकर अचिंत मुझे चोदता रहा।
मुझे उसकी गालियां भी अच्छी लग रही थी।
अचिंत मुझे फुल स्पीड में चोदते चोदते शांत हो गया और मेरे ऊपर लेट गया।
उसके लंड से टपकता हुआ गर्म गर्म माल मुझे अपनी चूत में गिरता हुआ महसूस होने लगा।

अचिंत थोड़ी देर ऐसे ही ऊपर लेटा रहा फिर पलट कर बेड पर लेट गया।
उसने उस रात मुझे 3 बार चोदा था।
फिर मैं कपड़े पहन कर धीरे से इनारा के कमरे में जाकर उसके बगल में सो गई।
मैं अब लेटी लेटी वह सारा मंजर याद कर रही थी कि कैसे उधर मामा जी मम्मी को चोद रहे थे और उनका बेटा मुझे चोद रहा था।
तब मैं सोच रही थी काश ये सीन एक कमरे में 2 अलग अलग बेड पर होता तो कितना मजेदार होता।
एक अजीब था सुकून था मेरे अंदर … जो शायद अपना वादा पूरा करने से भी कहीं ज्यादा था।
ये सब सोचते हुए मुझे एक बात अचानक याद आई कि जब अचिंत मुझे जगाने आया, तब इनारा कमरे में नहीं थी।
और जब मैं अचिंत से चुदवा कर आई तो वह सो रही थी।
तो उस समय वह कहाँ थी जब अचिंत मुझे जगाने आया।
इसका क्या मतलब है?

क्या इनारा उस समय भाई के कमरे में उससे चुदवा रही होगी?
भाई मुझे मम्मी और मामा जी की चुदाई दिखाने ले गया हो, तब इनारा अपने कमरे में आकर सो गई हो।
और भाई मुझे अपने कमरे में चोदने ले गया।
क्या इनारा को पता होगा उसके भाई ने मुझे चोद दिया?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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RE: ममेरी बहन की अन्तर्वासना - by neerathemall - 09-12-2023, 03:47 PM



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