14-06-2019, 09:19 AM
भाभी एक ननदे तीन
ऐसा बहुत कम होता है की भाभी एक हो और ननदे तीन।
मैंने, रीमा और छुटकी की ओर देखा और दोनों ने इशारा समझ लिया
और एक ने रितू भाभी का एक हाथ पकड़ा और दूसरी ने, दूसरा, और रितू भाभी की दोनों चूचियां हाथ में थी।
जिस तरह से वो अपनी साली की चूचियों का मजा ले रही थीं, उसी तरह मैं उनकी सहलज के जोबन का।
कौन सा रंग, पेंट कीचड़ नहीं बचा होगा जो मैंने न लगाया हो भाभी के चूतड़ों और चूचियों पे।
मैं ससुराल में अपनी होली से पूरी तरह ट्रेंड होकर आयी थी, इसलिए चम्पा भाभी के यहाँ की होली की तरह, मैंने यहाँ भी, गुलाल भर के कंडोम के दर्जन भर डिल्डो बना रखे थे।
और कोई 8” इंच से कम नहीं था। बस वही एक डिल्डो, मैंने थोड़ी देर रितू भाभी की बुर पे पहले बहुत देर तक रगड़ा और फिर घचाक से अंदर।
वो लीला को चोद रहे थे, मैं रितू भाभी को।
और छुटकी और रीमा, भाभी की चूचियों पे रंग पोत रही थीं।
भाभी खूब मस्त गालियां हमको दे रही थी।
लेकिन रितू भाभी भी कम नहीं थी, अपने नइहर की पक्की छिनार, उन्होंने रीमा की चूची जोर से पकड़ ली
और जब मैं उसे छुड़ाने के लिये उठी, तो बस, उन्हें मौका मिल गया।
वो ऊपर, उनकी ननद रीमा नीचे। और अपनी दो उंगलियां, उन्होंने रीमा की चूत में पेल दी-
“अरे छिनार, हमार भतार चोदी, तुझे जिल्ला टाप रंडी न बनाया तो कहना, तोहरे लिए तो हमार उंगली ही बहुत है।
निक है की तोहरे जीजा की मलायी ऊपर तक भरी है, ले घोंट…”
और क्या चुदाई रितू भाभी ने उंगली से की, क्या कोई मर्द लण्ड से करेगा।
और मैं ये देखने में मगन थी की, उन्होंने रीमा को छोड़कर मुझे पकड़ लिया और अब की तीन उंगलियां, मेरी बुर में।
हचक-हचक, सटासट सटासट, गपागप-गपागप।
मैं भी हाथ पैर नहीं पटक रही थी चुपचाप रितू भाभी के नीचे दबी होली का मजा ले रही थी।
और मायके में आने के बाद मैं पहली बार झड़ी।
रितू भाभी भी मेरे साथ झड़ गईं। लेकिन मैंने मान लिया, रीमा छुटकी की सहेली, एकदम मेरी बहन की तरह ही है।
रीमा ने एक सबसे लम्बा डिल्डो उठाया और कचाक से भाभी की गाण्ड में।
और उनकी बुर में जो डिल्डो मैंने डाल रखा था वो अभी तक था।
मिलकर हम दोनों ने भाभी की सैंडविच बनायीं। और भाभी कि उंगलियां चालू हो गई थीं।
थोड़ी देर में हम तीनों फिर झड़ गए।
उधर उन्होंने उसी के साथ कटोरी भर मलायी लीला की चूत में छोड़ दी थी।
ऐसा बहुत कम होता है की भाभी एक हो और ननदे तीन।
मैंने, रीमा और छुटकी की ओर देखा और दोनों ने इशारा समझ लिया
और एक ने रितू भाभी का एक हाथ पकड़ा और दूसरी ने, दूसरा, और रितू भाभी की दोनों चूचियां हाथ में थी।
जिस तरह से वो अपनी साली की चूचियों का मजा ले रही थीं, उसी तरह मैं उनकी सहलज के जोबन का।
कौन सा रंग, पेंट कीचड़ नहीं बचा होगा जो मैंने न लगाया हो भाभी के चूतड़ों और चूचियों पे।
मैं ससुराल में अपनी होली से पूरी तरह ट्रेंड होकर आयी थी, इसलिए चम्पा भाभी के यहाँ की होली की तरह, मैंने यहाँ भी, गुलाल भर के कंडोम के दर्जन भर डिल्डो बना रखे थे।
और कोई 8” इंच से कम नहीं था। बस वही एक डिल्डो, मैंने थोड़ी देर रितू भाभी की बुर पे पहले बहुत देर तक रगड़ा और फिर घचाक से अंदर।
वो लीला को चोद रहे थे, मैं रितू भाभी को।
और छुटकी और रीमा, भाभी की चूचियों पे रंग पोत रही थीं।
भाभी खूब मस्त गालियां हमको दे रही थी।
लेकिन रितू भाभी भी कम नहीं थी, अपने नइहर की पक्की छिनार, उन्होंने रीमा की चूची जोर से पकड़ ली
और जब मैं उसे छुड़ाने के लिये उठी, तो बस, उन्हें मौका मिल गया।
वो ऊपर, उनकी ननद रीमा नीचे। और अपनी दो उंगलियां, उन्होंने रीमा की चूत में पेल दी-
“अरे छिनार, हमार भतार चोदी, तुझे जिल्ला टाप रंडी न बनाया तो कहना, तोहरे लिए तो हमार उंगली ही बहुत है।
निक है की तोहरे जीजा की मलायी ऊपर तक भरी है, ले घोंट…”
और क्या चुदाई रितू भाभी ने उंगली से की, क्या कोई मर्द लण्ड से करेगा।
और मैं ये देखने में मगन थी की, उन्होंने रीमा को छोड़कर मुझे पकड़ लिया और अब की तीन उंगलियां, मेरी बुर में।
हचक-हचक, सटासट सटासट, गपागप-गपागप।
मैं भी हाथ पैर नहीं पटक रही थी चुपचाप रितू भाभी के नीचे दबी होली का मजा ले रही थी।
और मायके में आने के बाद मैं पहली बार झड़ी।
रितू भाभी भी मेरे साथ झड़ गईं। लेकिन मैंने मान लिया, रीमा छुटकी की सहेली, एकदम मेरी बहन की तरह ही है।
रीमा ने एक सबसे लम्बा डिल्डो उठाया और कचाक से भाभी की गाण्ड में।
और उनकी बुर में जो डिल्डो मैंने डाल रखा था वो अभी तक था।
मिलकर हम दोनों ने भाभी की सैंडविच बनायीं। और भाभी कि उंगलियां चालू हो गई थीं।
थोड़ी देर में हम तीनों फिर झड़ गए।
उधर उन्होंने उसी के साथ कटोरी भर मलायी लीला की चूत में छोड़ दी थी।