14-06-2019, 09:00 AM
(This post was last modified: 04-10-2019, 04:18 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
होली ,... जीजा साली
जीजा साली रंगों में डूबे, नहाये, ‘असली होली’ का मजा ले रहे थे।
और जब उनकी पिचकारी ने रंग छोड़ा, अपनी प्यारी साली की कच्ची चूत में वो दो बार किनारे लग चुकी थी।
थोड़ी देर तक वो दोनों ऐसे ही चहबच्चे में पड़े रहे, खड़े।
और फिर जब वो निकले, उनकी सालियों, छुटकी और लीला ने उन्हें घेर लिया।
रितू भाभी ने दोनों हाथों से, पकड़कर अपनी छोटी ननद रीमा को निकाला।
उसमें जरा भी ताकत नहीं बची थी। निकलते ही वहीं वो आम के पेड़ के नीचे घास पे धम्म से लेट गई।
रितू भाभी, अभी-अभी ‘कली से फूल बनी’ अपनी ननद का प्यार से सर सहलाती तो
कभी छेड़ते हुए उसके टिकोरे।
मैं खाने पीने के इंतजाम में लग गई।
मम्मी ने ढेर सारी खाने पीने की चीजें बगीचें में रख दी थी। गुझिया, दहीबड़े, समोसे, ठंडाई
(कहने की बात नहीं कि सबमें भांग की गोलियां नहीं गोले थे)
और एक आइस बाक्स में चिल्ड बियर के ढेर सारे कैन।
होली शुरू होने के पहले ही रितू भाभी ने अपनी सारी ननदों को बियर का एक-एक कैन पिला दिया था (और साथ में भांग वाली गुझिया)।
मैंने भी बियर के कैन निकाल के फिर से सबको दिए और एक प्लेट में गुझिया,
और खुद दो कैन लाकर रीमा के पास बैठ गई।
रीमा ने कुछ देर तक तो ना-नुकुर किया, फिर कैन पकड़ लिया।
“क्यों कैसा लगा?” मैंने मुश्कुराकर उससे पूछा।
“दीदी दर्द बहुत हुआ…” फिर कुछ रुक के मुश्कुरा के बोली-
“लेकिन मजा भी बहुत आया…”
उसकी पीठ सहलाते मैं बोली-
“अरी यार, पहली बार था न… लेकिन आगे से सिर्फ मजा आएगा…”
और थोड़ी देर में उधर रितू भाभी चालू हो गईं, उन्होंने अपनी दोनों छोटी ननदों को उकसाया और थोड़ी देर में सपड़-सपड़, छुटकी और लीला, उनका लण्ड चाट चूसरही थीं।
और रितू भाभी तो और…
उन्होंने एक बियर का कैन खोला और सीधे उनके आधे, तन्नाये लण्ड पे बूँद-बूँद टपकाना शुरू किया और, नीचे से उनकी दोनों सालियों, छुटकी और लीला ने, घोंटनाशुरू किया।
पल भर में उनका लण्ड पागल हो गया।
लेकिन रितू भाभी इतनी आसानी से अपने नंदोई को नहीं छोड़ने वाली थी। उन्होंने इशारे से लीला और छुटकी को बुलाया और उनकी चूचियों पर से शराब बूँद-बूँदटपकाने लगीं।
अबकी पीने का काम ‘इनका’ था।
कुछ देर तक दूर से मैं और रीमा देख रहे थे, फिर हम दोनों पास आ गए।
उनका लण्ड इस छेड़खानी से सख्त हो गया था और इसी बीच ननद भाभी की भी छेड़खानी चालू हो गई।
हम लोगों ने रितू भाभी को निसूता कर दिया और उन्होंनेमुझे, छुटकी और लीला को।
रीमा और वो तो पहले ही।
रीमा ने उस लण्ड को जिसने थोड़ी देर पहले ही उसकी झिल्ली फाड़ के हम लोगों के दर्जे में लाकर खड़ा कर दिया था प्यार से देख रही थी
और फिर जब नहीं रहा गया तो जोर-जोर से मुठियाने लगी।
रितू भाभी ने अपनी ननदों को ललकारा-
हे… अब किस साल्ली का नंबर है। आ जा चढ़ जा मीठी शूली पे, मस्त खड़ा है गन्ना।
घोंट ले गन्ने को नीचे वाले मुँह में पी जा सारा रस…”
जीजा साली रंगों में डूबे, नहाये, ‘असली होली’ का मजा ले रहे थे।
और जब उनकी पिचकारी ने रंग छोड़ा, अपनी प्यारी साली की कच्ची चूत में वो दो बार किनारे लग चुकी थी।
थोड़ी देर तक वो दोनों ऐसे ही चहबच्चे में पड़े रहे, खड़े।
और फिर जब वो निकले, उनकी सालियों, छुटकी और लीला ने उन्हें घेर लिया।
रितू भाभी ने दोनों हाथों से, पकड़कर अपनी छोटी ननद रीमा को निकाला।
उसमें जरा भी ताकत नहीं बची थी। निकलते ही वहीं वो आम के पेड़ के नीचे घास पे धम्म से लेट गई।
रितू भाभी, अभी-अभी ‘कली से फूल बनी’ अपनी ननद का प्यार से सर सहलाती तो
कभी छेड़ते हुए उसके टिकोरे।
मैं खाने पीने के इंतजाम में लग गई।
मम्मी ने ढेर सारी खाने पीने की चीजें बगीचें में रख दी थी। गुझिया, दहीबड़े, समोसे, ठंडाई
(कहने की बात नहीं कि सबमें भांग की गोलियां नहीं गोले थे)
और एक आइस बाक्स में चिल्ड बियर के ढेर सारे कैन।
होली शुरू होने के पहले ही रितू भाभी ने अपनी सारी ननदों को बियर का एक-एक कैन पिला दिया था (और साथ में भांग वाली गुझिया)।
मैंने भी बियर के कैन निकाल के फिर से सबको दिए और एक प्लेट में गुझिया,
और खुद दो कैन लाकर रीमा के पास बैठ गई।
रीमा ने कुछ देर तक तो ना-नुकुर किया, फिर कैन पकड़ लिया।
“क्यों कैसा लगा?” मैंने मुश्कुराकर उससे पूछा।
“दीदी दर्द बहुत हुआ…” फिर कुछ रुक के मुश्कुरा के बोली-
“लेकिन मजा भी बहुत आया…”
उसकी पीठ सहलाते मैं बोली-
“अरी यार, पहली बार था न… लेकिन आगे से सिर्फ मजा आएगा…”
और थोड़ी देर में उधर रितू भाभी चालू हो गईं, उन्होंने अपनी दोनों छोटी ननदों को उकसाया और थोड़ी देर में सपड़-सपड़, छुटकी और लीला, उनका लण्ड चाट चूसरही थीं।
और रितू भाभी तो और…
उन्होंने एक बियर का कैन खोला और सीधे उनके आधे, तन्नाये लण्ड पे बूँद-बूँद टपकाना शुरू किया और, नीचे से उनकी दोनों सालियों, छुटकी और लीला ने, घोंटनाशुरू किया।
पल भर में उनका लण्ड पागल हो गया।
लेकिन रितू भाभी इतनी आसानी से अपने नंदोई को नहीं छोड़ने वाली थी। उन्होंने इशारे से लीला और छुटकी को बुलाया और उनकी चूचियों पर से शराब बूँद-बूँदटपकाने लगीं।
अबकी पीने का काम ‘इनका’ था।
कुछ देर तक दूर से मैं और रीमा देख रहे थे, फिर हम दोनों पास आ गए।
उनका लण्ड इस छेड़खानी से सख्त हो गया था और इसी बीच ननद भाभी की भी छेड़खानी चालू हो गई।
हम लोगों ने रितू भाभी को निसूता कर दिया और उन्होंनेमुझे, छुटकी और लीला को।
रीमा और वो तो पहले ही।
रीमा ने उस लण्ड को जिसने थोड़ी देर पहले ही उसकी झिल्ली फाड़ के हम लोगों के दर्जे में लाकर खड़ा कर दिया था प्यार से देख रही थी
और फिर जब नहीं रहा गया तो जोर-जोर से मुठियाने लगी।
रितू भाभी ने अपनी ननदों को ललकारा-
हे… अब किस साल्ली का नंबर है। आ जा चढ़ जा मीठी शूली पे, मस्त खड़ा है गन्ना।
घोंट ले गन्ने को नीचे वाले मुँह में पी जा सारा रस…”