03-12-2023, 10:46 PM
दिया
" कब तक निकलना है , "जेठानी जी ने पूछा
" बस आधे पौन घंटे में ,... मैं भी चल के तैयार हो रही हूँ ,आप भी ,... "
मैं बोली और ऊपर अपने कमरे में।
बहुत काम था गुड्डी को बोलना था , इन्हे बताना था और सबसे बढ़ के दिया को।
दिया लेकिन परफेक्ट पार्टनर इन क्राइम निकली।
मैंने दिया को सब कुछ समझा दिया, जेठानी की सारी खुराफात, गुड्डी को ले जाने में कैसे वो भरभद्ऱ करने की कोशिश कर रही थीं, वो व्हाट्सऐप वाली बात भी, जो उनकी मायके की किसी चतुर सुजान बालिका ने किया था की सिर्फ फोटो से डरने की कोई जरूरत नहीं है, बस कह दीजिए फेक है, मॉर्फ है,...
पहले तो हँसते हँसते लोटपोट हो गयी , फिर बोली ,
" अब आप अपनी जेठानी जी की चिंता मेरे ऊपर छोड़ दीजिये , अरे आप की तीन तीन ननदें रहेंगी न, बस भाभी आप खाली तमाशा देखिएगा,... उन्हें जैसा आप चाहती हैं वैसी शॉपिंग करवायेंगे ,साडी ही क्यों ब्लाउज भी , वो याद रखेंगी आज की शॉपिंग।
आधे घंटे में मैं नीचे पहुंची तो जेठानी तैयार।
जेठानी जी ,मुझसे पहले तैयार , खूब चटक साडी पहन के ,
मेरे मन में तो आया बोलूं , की मॉल में जाने के लिए आज आप खुद माल बनी हुयी हैं पर किसी तरह अपने पर कंट्रोल किया।
हाँ थोड़ी शरारत के बिना कैसे ,
" दी आपकी लिपस्टिक थोड़ी स्मज हो गयी लगता है देवर आपके चुम्मा चाटी कर रहे थे। "
और उन्ही के पर्स से लिपस्टिक निकाल के , डार्क रेड तो उन्होंने पहले ही लगा के रखी थी ,मैंने थोड़ी और ,... जैसे
इनके शहर के गंज वाले मोहल्ले में,रेड लाइट एरिया में शाम को बन ठन के इनकी मायकेवालियाँ खड़ी रहती हैं ,एकदम उसी तरह।
तय हुआ था की मैं गुड्डी और दिया को गुड्डी के घर से पिक करुँगी , बल्कि वो जिस गली में रहती है उसके सामने से।
( उस गली में कुछ धोबियों के भी घर थे और गली के बाहर हरदम दो चार गदहे बंधे रहते थे ,इसलिए गुड्डी को गारी गाते समय ,चिढ़ाते समय हरदम हम लोग गुड्डी का नाम गदहों से जरूर जोड़ते थे। )
आज भी दो चार गदहे थे वहां लेकिन गुड्डी वहां नहीं थी।
मेरी निगाह चुन्नू की दूकान पड़ी , वही वीडियों लाइब्रेरी वाला जिसके यहाँ से ये ब्ल्यू फ़िल्में लाये थे , और जो गुड्डी के मोहल्ले का केबल चलाता और रात में एक बजे से अच्छी अच्छी फ़िल्में भी दिखाता था।
दोनों लड़कियां वहीँ खड़ी थी ,मैं भी चुन्नू की दूकान पर पहुँच गयी।
पर मेरी आँखे फ़ैल गयीं ,दोनों ने रेनकोट पहन रखी थी ,
और मैं चालू हो गयी।
'सालियों ,कमीनियों बाहर एक बादल का टुकड़ा भी नहीं है और तुम दोनों , क्या अंदर से गीली हो रही हो , "
बिना इस बात की परवाह किये की चुन्नू वहीँ उन दोनों के साथ खड़ा है।
और गुड्डी भी चढ़ गयी चुन्नू के ऊपर तेल पानी ले के ,
" अरे तुझे कुछ शऊर वाउर है की नहीं ,नाक कटाएगा पूरे मोहल्ले की। भाभी पहली बार तेरी दूकान पे आयीं हैं ,न दुआ सलाम ,न चाय पानी ,... "
और रही सही कसर दिया ने पूरी कर दी चुन्नू की।
बेचारा , झट से उसने दो बार नमस्ते कर दिया , बैठने को स्टूल ऑफर किया।
लेकिन तब तक दोनों रेन कोट खुल गए , और ये तय होगया की आज तो पूरे शहर में बारिश होगी जम के ,सफ़ेद थक्केदार मलाई की।
आग लगा रही थीं दोनों ,
" कब तक निकलना है , "जेठानी जी ने पूछा
" बस आधे पौन घंटे में ,... मैं भी चल के तैयार हो रही हूँ ,आप भी ,... "
मैं बोली और ऊपर अपने कमरे में।
बहुत काम था गुड्डी को बोलना था , इन्हे बताना था और सबसे बढ़ के दिया को।
दिया लेकिन परफेक्ट पार्टनर इन क्राइम निकली।
मैंने दिया को सब कुछ समझा दिया, जेठानी की सारी खुराफात, गुड्डी को ले जाने में कैसे वो भरभद्ऱ करने की कोशिश कर रही थीं, वो व्हाट्सऐप वाली बात भी, जो उनकी मायके की किसी चतुर सुजान बालिका ने किया था की सिर्फ फोटो से डरने की कोई जरूरत नहीं है, बस कह दीजिए फेक है, मॉर्फ है,...
पहले तो हँसते हँसते लोटपोट हो गयी , फिर बोली ,
" अब आप अपनी जेठानी जी की चिंता मेरे ऊपर छोड़ दीजिये , अरे आप की तीन तीन ननदें रहेंगी न, बस भाभी आप खाली तमाशा देखिएगा,... उन्हें जैसा आप चाहती हैं वैसी शॉपिंग करवायेंगे ,साडी ही क्यों ब्लाउज भी , वो याद रखेंगी आज की शॉपिंग।
आधे घंटे में मैं नीचे पहुंची तो जेठानी तैयार।
जेठानी जी ,मुझसे पहले तैयार , खूब चटक साडी पहन के ,
मेरे मन में तो आया बोलूं , की मॉल में जाने के लिए आज आप खुद माल बनी हुयी हैं पर किसी तरह अपने पर कंट्रोल किया।
हाँ थोड़ी शरारत के बिना कैसे ,
" दी आपकी लिपस्टिक थोड़ी स्मज हो गयी लगता है देवर आपके चुम्मा चाटी कर रहे थे। "
और उन्ही के पर्स से लिपस्टिक निकाल के , डार्क रेड तो उन्होंने पहले ही लगा के रखी थी ,मैंने थोड़ी और ,... जैसे
इनके शहर के गंज वाले मोहल्ले में,रेड लाइट एरिया में शाम को बन ठन के इनकी मायकेवालियाँ खड़ी रहती हैं ,एकदम उसी तरह।
तय हुआ था की मैं गुड्डी और दिया को गुड्डी के घर से पिक करुँगी , बल्कि वो जिस गली में रहती है उसके सामने से।
( उस गली में कुछ धोबियों के भी घर थे और गली के बाहर हरदम दो चार गदहे बंधे रहते थे ,इसलिए गुड्डी को गारी गाते समय ,चिढ़ाते समय हरदम हम लोग गुड्डी का नाम गदहों से जरूर जोड़ते थे। )
आज भी दो चार गदहे थे वहां लेकिन गुड्डी वहां नहीं थी।
मेरी निगाह चुन्नू की दूकान पड़ी , वही वीडियों लाइब्रेरी वाला जिसके यहाँ से ये ब्ल्यू फ़िल्में लाये थे , और जो गुड्डी के मोहल्ले का केबल चलाता और रात में एक बजे से अच्छी अच्छी फ़िल्में भी दिखाता था।
दोनों लड़कियां वहीँ खड़ी थी ,मैं भी चुन्नू की दूकान पर पहुँच गयी।
पर मेरी आँखे फ़ैल गयीं ,दोनों ने रेनकोट पहन रखी थी ,
और मैं चालू हो गयी।
'सालियों ,कमीनियों बाहर एक बादल का टुकड़ा भी नहीं है और तुम दोनों , क्या अंदर से गीली हो रही हो , "
बिना इस बात की परवाह किये की चुन्नू वहीँ उन दोनों के साथ खड़ा है।
और गुड्डी भी चढ़ गयी चुन्नू के ऊपर तेल पानी ले के ,
" अरे तुझे कुछ शऊर वाउर है की नहीं ,नाक कटाएगा पूरे मोहल्ले की। भाभी पहली बार तेरी दूकान पे आयीं हैं ,न दुआ सलाम ,न चाय पानी ,... "
और रही सही कसर दिया ने पूरी कर दी चुन्नू की।
बेचारा , झट से उसने दो बार नमस्ते कर दिया , बैठने को स्टूल ऑफर किया।
लेकिन तब तक दोनों रेन कोट खुल गए , और ये तय होगया की आज तो पूरे शहर में बारिश होगी जम के ,सफ़ेद थक्केदार मलाई की।
आग लगा रही थीं दोनों ,