30-11-2023, 03:54 PM
जेठानी और गुड्डी की रिजल्ट की पार्टी
और फिर नीचे जेठानी की ओर ,
मेरा शैतानी चरखा टाइप दिमाग तेजी से चल रहा था।
…………………………………..
जेठानी को पार्टी के लिए पटाना और वो भी गुड्डी के रिजल्ट के लिए आलमोस्ट इम्पॉसिबल था।
अचानक मुझे याद आया ,वो चार दिन पुराना अखबार, मैंने सैंडल लपेटी थी उसमे , बस निकाला झाड़ा और चल दी।
और जेठानी जी के सामने बिसूरता हुआ मुंह बना के खड़ी हो गयी,
" दीदी आज आपके चक्कर में सुबह सुबह आपके देवर से डांट पड़ गयी।
""तुमने काम ही कुछ ऐसा वैसा किया होगा , बेचारा मेरा देवर इतना सीधा साधा है , बिना बात के क्यों डाँटेगा तुझे , ... "
मेरे गाल सहलाते वो बोलीं।
बिचारी क्या मालूम उन्हें वो देवर उनका सो काल्ड धरम भरस्ट करने के लिए क्या क्या तैयारी कर रहा है। लेकिन ये भी साफ़ साफ था की सीरयल देखते देखते उन्होंने अपनी भौजाई को पटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
" बोल न क्या बोल रहा था वो , ... "
जेठानी जी के पेट में गैस बन रही थी।
" इतना दिन हम लोगों को यहाँ आये हो गया , तुम बस दिन भर घर में पड़े पड़े अलसाती रहती हो , ये नहीं की जा के भाभी को कुछ शॉपिंग वापिंग करा के ले आओ , दो चार साडी वाड़ी उनके लिए ले लो , अब तो यहां भी एक दो अच्छे माल खुल गए हैं , .... "
मैंने बोला।
" वो भी न ,मेरे लिए ,... " हलके से मुस्कराते हुए उनके मुंह से निकल गया।
" दीदी ,डांट तो मुझे पड़ गयी लेकिन मुझे भी लगा बात वो सही कह रहे हैं ,और ये देखिये कितनी अच्छी सेल का ऑफर निकला है २० से ५० % तक का डिस्काउंट , मानसून ऑफर , शिफॉन ,जार्जट ,चिकन , सिल्क ,... "
और मैंने वो पुराना धुराना अखबार जिसमें मैंने सैंडल लपेटी थी, उनके सामने निकाल के बस वही कोना खोल के दिखा दिया।
उन्होंने ये जहमत नहीं की देखने की ,कि अखबार कितना पुराना है।
" कहाँ है ये दूकान का नाम साफ़ साफ़ नहीं है "
वो बोलीं, पर,... उनके मुंह की चमक से लग रहा था उन्होंने दाना चुग लिया है।
"वो मैंने फोन कर के पूछ लिया है , वो जो है न फ़न माल नया खुला है बस उसी में। " मैंने जाल फेंक दिया।
" उसका नाम मैंने भी बहुत सूना है ,वहां एक मल्टीप्लेक्स भी खुला है ,आज तक मैंने , तुम्हारे जेठ ले भी नहीं जाते कभी " दुखी होके उन्होंने मुंह बनाया।
"तो चलिए चलते हैं न आज , मौसम भी अच्छा हो रहा है। वहीँ कुछ खा पी भी लेंगे, और बाद में पिक्चर, जो आप मल्टीप्लेक्स बोल रही थीं न उसी में। सेल की सेल और साथ में मस्ती , प्लीज दी मना मत करियेगा। "" मैंने लहकाया।
" एकदम ,... " वो मान गयी।
अब डिफिकल्ट पार्ट था ,उन्हें बताने का गुड्डी और उसकी सहेलियां भी साथ चलेंगी।
" दिया , वो गुड्डी की सहेली ,... "
" हाँ क्या हुआ उसको , वो पंजाबन न क्या हुआ उसको , फेल हो गयी क्या ," मुस्कराते हुए वोबोलीं ।
" नहीं नहीं फेल नहीं हुयी पास हो गयी बस जैसे तैसे करके ,लेकिन नंबर उसके भी कुछ ख़ास नहीं , लेकिन मैं दूसरी बात कह रही थी। वो दूकान जहां सेल चल रही हैं न उसके भाई के दोस्त की है , तो उसकी थोड़ी जान पहचान ,डिस्काउंट भी ठीक ठाक दिलवा देगी अब मैं भी तो यहाँ नयी नयी हूँ ,कोई जान पहचान तो है नहीं मेरी। अक्सर सेल में पुराने ,घिसे पिटे कपडे पकड़ा देते हैं , कहीं छेद वेद हो ,साडी कहीं ज्यादा घिसी हो ,.. "
मैंने बात आगे बढ़ाई, बिना दिया के तो कुछ हो भी नहीं सकता था।
" ये बात तो तुम्हारी सही है लेकिन कई बार सेल में अच्छा मॉल भी मिल जाता है। " वो मान गयीं
जाल खींचने का वक्त आ गया था।
" एकदम सही कह रही हैं आप , लेकिन थोड़ा जान पहचान वाला कोई साथ हो तो ,... धोखा नहीं होगा , और दिया को तो डायरेक्ट बोल नहीं सकती तो गुड्डी को भी ,... "
अब वो चैतन्य हो गयीं ,अब चंद्रमुखी से वो ज्वालामुखी होने ही वाली थी। बोलीं आलमोस्ट फुंफकारते हुए ,
" और उनको तो साथ नहीं ले चल रही हो ,मेरे देवर को। "
" अरे नहीं भाभी , सीधी हूँ लेकिन इतनी भी नहीं और फिर आप की बात , आप एकदम सही कह रही थीं ,फूस और आग एक साथ नहीं रह सकते ,ये जवान होती हुयी छोरियां ,भैय्या भैय्या कह के , वो कहते उसके पहले ही मैंने उन्हें मना कर दिया। "
" ठीक किया ,मैं यही तो तुम्हे समझा रही थी। अरे आदमी की कोई गलती नहीं ,उसका तो मन करेगा ही लड़की देख कर , हमीं लोगों की जिम्मेदारी है ये सब ,... अरे ये जवान होती लड़कियां, मर्द का मन तो करेगा ही न उठता हुआ उभार देख कर, और ये छिनार जान बूझ के छरछंद करती हैं, कभी दुप्पट्टा ठीक करेंगी , कभी गिराएंगी, जिससे निगाह वहीँ पड़ें,... अरे दूकान में मिठाई रखी हो , सजी शो केस में, ताज़ी गरम गरम इमरती हो, तो किसके मुंह में नहीं पानी आएगा, तो मरद की का गलती,... अरे हमीं लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए, गलती से भी कभी,... तुम बहुत सीधी हो, लेकिन चलो कुछ तो सीख रही हो, वरना वहीँ लिपटना चिपटना,... इस उमर की लड़कियों से मरद को बहुत बचाना चाहिए ,... अच्छा किया जो उसको नहीं ले चल रही हो,... ""
वो फिर एक बार समझाने वाले मोड में आ गयी थीं। "
" अरे दीदी मैं समझने में थोड़ा स्लो हूँ ,लेकिन आप समझाती हैं तो समझ जाती हूँ , जैसा ट्रेन में लिखा रहता है न यात्री अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें बस वैसे ही एकदम , डिब्बे घुसते ही चेन वेन में बाँध के जैसे अटैची रख देते हैं न वैसे ही। "
हँसते हुए मैंने उन्हें गले से लगा लिया।
उन्होंने भी जोर से भींचते बोला चल अब कुछ समझ तो रही है तू।
" आपके देवर , रात के डिनर की तैयारी करेंगे यहां , उनकी बहुत इच्छा थी की आप को पूरा खाना ,... असली बात तो दीदी ये है की वो आप पे लगता है लाइन मार रहे हैं , ये आपके गदराये उभारों पे नजर है इनकी ,फिर आपकी छुट्टी भी ख़तम ,.. साडी स्पेशल डिनर ,... असल में उन्हें बड़े बड़े ही अच्छे लगते हैं , आप जैसे , 36 डी डी। "
हलके से ब्लाउज के ऊपर से उनके प्लम्प जोबन दबाते मैं बोली।
" अरे सारे मर्दों को ही बड़े बड़े अच्छे लगते हैं , आज कल की लड़कियों की तरह नहीं ,ढूंढते रह जाओगे , पता ही नहीं लगता लड़का है की लड़की। "
बिना मेरा हाथ हटाए वो बोलीं।
बिचारी उन्हें क्या पता था की इन बड़े बड़े उभारों की आज रात उनके देवर क्या गत बनाने वाले हैं और मैं भी।
" तेरे इतने बड़े तो मेरे इंटर जब पास किया तब थे मेरे , सारे लड़के एकदम ,..."
ब्लाउज के ऊपर से मेरे उभारों को सहलाते वो बोलीं।
मेरा एक हाथ अब उनके ब्लाउज के अंदर घुस गया था ,ब्रा के ऊपर से बड़े बड़े कबूतरों को दबोच के मैंने भी उनके जुबना की तारीफ की ,
"सच्ची दी तब तो आपके कॉलेज के सारे लड़कों का बस आपको देखते ही , झंडा ऊंचा रहे हमारा ,हो जाता होगा। है न। "
"हाँ ,तू भी न और गाँव के लौंडे तो ,... शहर वालो की तरह नहीं की क्या होता है वो आज कल की लड़कियां करती रहती हैं , ... " वो बिना मेरा हाथ हटाए बोलीं
" फेसबुक " मैंने बात पूरी की ,
" हाँ वही , वो लौंडे तो ,... " उनकी अधूरी बात ने मुझे उनके बाल्य काल की सारी कहानीसुना दी।
खुद ही वो बता चुकी थी , गाँव से जहाँ उन्होंने इंटर किया था साढ़े चार किलोमीटर पैदल जाती थीं वो , अब गाँव है तो रास्ते में गन्ने के खेत ,अरहर के खेत , अमराई सब पड़ेंगे ही , तो इसका मलतब जिस उमर में अभी गुड्डी है ,उस उम्र में नीले गगन के तले उन्होंने खूब कबड्डी खेली होगी। और इसी लिए इन किशोरियों से उन्हें खतरा लगता था।
" अरे दीदी तभी तो आपके देवर , ... "
और अब मेरा हाथ ब्रा के अंदर सेंध लगा चुका था , सही बात थी ३६ डी डी के बाद भी एकदम कड़क पत्थर जैसे , उसे सहलाते मैं बोली ,
" अरे इत्ता मस्त माल छोड़ के कहाँ जहां मैग्नीफाइंग ग्लास लेके देखना पद वैसे ,के पीछे वो कहाँ जाने वाले , मेरे साथ भी न जब वो खूब मूड में होते हैं तो कितनी बार रात में ,...बोल देते हैं ,... अरे यार जोबन हो तो मेरी भाभी जैसे ,... बिचारे इतना ललचाते रहते हैं एक बार दे भी दीजिये न ,अब जेठ जी भी नहीं तो दे दीजिये न , आज रात को। फिर आपकी छुट्टी का भी बहाना आज नहीं रहा , अब देखिये आप के चक्कर में मुझे डांट पड़ गयी की आपको शॉपिंग करवा लाऊँ , और फिर खुद आज आप के लिए छपन भोग ,... सब इसी जुबना का जादू है ,... "
" तू भी न ," मुझसे अलग होती बोलीं।
उनकी मुस्कराहट कह रही थी की बात उन्हें पसंद आयी मेरी और हरकत भी।
" कब तक निकलना है , " उन्होंने पूछा
" बस आधे पौन घंटे में ,... मैं भी चल के तैयार हो रही हूँ ,आप भी ,... " मैं बोली और ऊपर अपने कमरे में।
बहुत काम था गुड्डी को बोलना था , इन्हे बताना था और सबसे बढ़ के दिया को।
और फिर नीचे जेठानी की ओर ,
मेरा शैतानी चरखा टाइप दिमाग तेजी से चल रहा था।
…………………………………..
जेठानी को पार्टी के लिए पटाना और वो भी गुड्डी के रिजल्ट के लिए आलमोस्ट इम्पॉसिबल था।
अचानक मुझे याद आया ,वो चार दिन पुराना अखबार, मैंने सैंडल लपेटी थी उसमे , बस निकाला झाड़ा और चल दी।
और जेठानी जी के सामने बिसूरता हुआ मुंह बना के खड़ी हो गयी,
" दीदी आज आपके चक्कर में सुबह सुबह आपके देवर से डांट पड़ गयी।
""तुमने काम ही कुछ ऐसा वैसा किया होगा , बेचारा मेरा देवर इतना सीधा साधा है , बिना बात के क्यों डाँटेगा तुझे , ... "
मेरे गाल सहलाते वो बोलीं।
बिचारी क्या मालूम उन्हें वो देवर उनका सो काल्ड धरम भरस्ट करने के लिए क्या क्या तैयारी कर रहा है। लेकिन ये भी साफ़ साफ था की सीरयल देखते देखते उन्होंने अपनी भौजाई को पटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
" बोल न क्या बोल रहा था वो , ... "
जेठानी जी के पेट में गैस बन रही थी।
" इतना दिन हम लोगों को यहाँ आये हो गया , तुम बस दिन भर घर में पड़े पड़े अलसाती रहती हो , ये नहीं की जा के भाभी को कुछ शॉपिंग वापिंग करा के ले आओ , दो चार साडी वाड़ी उनके लिए ले लो , अब तो यहां भी एक दो अच्छे माल खुल गए हैं , .... "
मैंने बोला।
" वो भी न ,मेरे लिए ,... " हलके से मुस्कराते हुए उनके मुंह से निकल गया।
" दीदी ,डांट तो मुझे पड़ गयी लेकिन मुझे भी लगा बात वो सही कह रहे हैं ,और ये देखिये कितनी अच्छी सेल का ऑफर निकला है २० से ५० % तक का डिस्काउंट , मानसून ऑफर , शिफॉन ,जार्जट ,चिकन , सिल्क ,... "
और मैंने वो पुराना धुराना अखबार जिसमें मैंने सैंडल लपेटी थी, उनके सामने निकाल के बस वही कोना खोल के दिखा दिया।
उन्होंने ये जहमत नहीं की देखने की ,कि अखबार कितना पुराना है।
" कहाँ है ये दूकान का नाम साफ़ साफ़ नहीं है "
वो बोलीं, पर,... उनके मुंह की चमक से लग रहा था उन्होंने दाना चुग लिया है।
"वो मैंने फोन कर के पूछ लिया है , वो जो है न फ़न माल नया खुला है बस उसी में। " मैंने जाल फेंक दिया।
" उसका नाम मैंने भी बहुत सूना है ,वहां एक मल्टीप्लेक्स भी खुला है ,आज तक मैंने , तुम्हारे जेठ ले भी नहीं जाते कभी " दुखी होके उन्होंने मुंह बनाया।
"तो चलिए चलते हैं न आज , मौसम भी अच्छा हो रहा है। वहीँ कुछ खा पी भी लेंगे, और बाद में पिक्चर, जो आप मल्टीप्लेक्स बोल रही थीं न उसी में। सेल की सेल और साथ में मस्ती , प्लीज दी मना मत करियेगा। "" मैंने लहकाया।
" एकदम ,... " वो मान गयी।
अब डिफिकल्ट पार्ट था ,उन्हें बताने का गुड्डी और उसकी सहेलियां भी साथ चलेंगी।
" दिया , वो गुड्डी की सहेली ,... "
" हाँ क्या हुआ उसको , वो पंजाबन न क्या हुआ उसको , फेल हो गयी क्या ," मुस्कराते हुए वोबोलीं ।
" नहीं नहीं फेल नहीं हुयी पास हो गयी बस जैसे तैसे करके ,लेकिन नंबर उसके भी कुछ ख़ास नहीं , लेकिन मैं दूसरी बात कह रही थी। वो दूकान जहां सेल चल रही हैं न उसके भाई के दोस्त की है , तो उसकी थोड़ी जान पहचान ,डिस्काउंट भी ठीक ठाक दिलवा देगी अब मैं भी तो यहाँ नयी नयी हूँ ,कोई जान पहचान तो है नहीं मेरी। अक्सर सेल में पुराने ,घिसे पिटे कपडे पकड़ा देते हैं , कहीं छेद वेद हो ,साडी कहीं ज्यादा घिसी हो ,.. "
मैंने बात आगे बढ़ाई, बिना दिया के तो कुछ हो भी नहीं सकता था।
" ये बात तो तुम्हारी सही है लेकिन कई बार सेल में अच्छा मॉल भी मिल जाता है। " वो मान गयीं
जाल खींचने का वक्त आ गया था।
" एकदम सही कह रही हैं आप , लेकिन थोड़ा जान पहचान वाला कोई साथ हो तो ,... धोखा नहीं होगा , और दिया को तो डायरेक्ट बोल नहीं सकती तो गुड्डी को भी ,... "
अब वो चैतन्य हो गयीं ,अब चंद्रमुखी से वो ज्वालामुखी होने ही वाली थी। बोलीं आलमोस्ट फुंफकारते हुए ,
" और उनको तो साथ नहीं ले चल रही हो ,मेरे देवर को। "
" अरे नहीं भाभी , सीधी हूँ लेकिन इतनी भी नहीं और फिर आप की बात , आप एकदम सही कह रही थीं ,फूस और आग एक साथ नहीं रह सकते ,ये जवान होती हुयी छोरियां ,भैय्या भैय्या कह के , वो कहते उसके पहले ही मैंने उन्हें मना कर दिया। "
" ठीक किया ,मैं यही तो तुम्हे समझा रही थी। अरे आदमी की कोई गलती नहीं ,उसका तो मन करेगा ही लड़की देख कर , हमीं लोगों की जिम्मेदारी है ये सब ,... अरे ये जवान होती लड़कियां, मर्द का मन तो करेगा ही न उठता हुआ उभार देख कर, और ये छिनार जान बूझ के छरछंद करती हैं, कभी दुप्पट्टा ठीक करेंगी , कभी गिराएंगी, जिससे निगाह वहीँ पड़ें,... अरे दूकान में मिठाई रखी हो , सजी शो केस में, ताज़ी गरम गरम इमरती हो, तो किसके मुंह में नहीं पानी आएगा, तो मरद की का गलती,... अरे हमीं लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए, गलती से भी कभी,... तुम बहुत सीधी हो, लेकिन चलो कुछ तो सीख रही हो, वरना वहीँ लिपटना चिपटना,... इस उमर की लड़कियों से मरद को बहुत बचाना चाहिए ,... अच्छा किया जो उसको नहीं ले चल रही हो,... ""
वो फिर एक बार समझाने वाले मोड में आ गयी थीं। "
" अरे दीदी मैं समझने में थोड़ा स्लो हूँ ,लेकिन आप समझाती हैं तो समझ जाती हूँ , जैसा ट्रेन में लिखा रहता है न यात्री अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें बस वैसे ही एकदम , डिब्बे घुसते ही चेन वेन में बाँध के जैसे अटैची रख देते हैं न वैसे ही। "
हँसते हुए मैंने उन्हें गले से लगा लिया।
उन्होंने भी जोर से भींचते बोला चल अब कुछ समझ तो रही है तू।
" आपके देवर , रात के डिनर की तैयारी करेंगे यहां , उनकी बहुत इच्छा थी की आप को पूरा खाना ,... असली बात तो दीदी ये है की वो आप पे लगता है लाइन मार रहे हैं , ये आपके गदराये उभारों पे नजर है इनकी ,फिर आपकी छुट्टी भी ख़तम ,.. साडी स्पेशल डिनर ,... असल में उन्हें बड़े बड़े ही अच्छे लगते हैं , आप जैसे , 36 डी डी। "
हलके से ब्लाउज के ऊपर से उनके प्लम्प जोबन दबाते मैं बोली।
" अरे सारे मर्दों को ही बड़े बड़े अच्छे लगते हैं , आज कल की लड़कियों की तरह नहीं ,ढूंढते रह जाओगे , पता ही नहीं लगता लड़का है की लड़की। "
बिना मेरा हाथ हटाए वो बोलीं।
बिचारी उन्हें क्या पता था की इन बड़े बड़े उभारों की आज रात उनके देवर क्या गत बनाने वाले हैं और मैं भी।
" तेरे इतने बड़े तो मेरे इंटर जब पास किया तब थे मेरे , सारे लड़के एकदम ,..."
ब्लाउज के ऊपर से मेरे उभारों को सहलाते वो बोलीं।
मेरा एक हाथ अब उनके ब्लाउज के अंदर घुस गया था ,ब्रा के ऊपर से बड़े बड़े कबूतरों को दबोच के मैंने भी उनके जुबना की तारीफ की ,
"सच्ची दी तब तो आपके कॉलेज के सारे लड़कों का बस आपको देखते ही , झंडा ऊंचा रहे हमारा ,हो जाता होगा। है न। "
"हाँ ,तू भी न और गाँव के लौंडे तो ,... शहर वालो की तरह नहीं की क्या होता है वो आज कल की लड़कियां करती रहती हैं , ... " वो बिना मेरा हाथ हटाए बोलीं
" फेसबुक " मैंने बात पूरी की ,
" हाँ वही , वो लौंडे तो ,... " उनकी अधूरी बात ने मुझे उनके बाल्य काल की सारी कहानीसुना दी।
खुद ही वो बता चुकी थी , गाँव से जहाँ उन्होंने इंटर किया था साढ़े चार किलोमीटर पैदल जाती थीं वो , अब गाँव है तो रास्ते में गन्ने के खेत ,अरहर के खेत , अमराई सब पड़ेंगे ही , तो इसका मलतब जिस उमर में अभी गुड्डी है ,उस उम्र में नीले गगन के तले उन्होंने खूब कबड्डी खेली होगी। और इसी लिए इन किशोरियों से उन्हें खतरा लगता था।
" अरे दीदी तभी तो आपके देवर , ... "
और अब मेरा हाथ ब्रा के अंदर सेंध लगा चुका था , सही बात थी ३६ डी डी के बाद भी एकदम कड़क पत्थर जैसे , उसे सहलाते मैं बोली ,
" अरे इत्ता मस्त माल छोड़ के कहाँ जहां मैग्नीफाइंग ग्लास लेके देखना पद वैसे ,के पीछे वो कहाँ जाने वाले , मेरे साथ भी न जब वो खूब मूड में होते हैं तो कितनी बार रात में ,...बोल देते हैं ,... अरे यार जोबन हो तो मेरी भाभी जैसे ,... बिचारे इतना ललचाते रहते हैं एक बार दे भी दीजिये न ,अब जेठ जी भी नहीं तो दे दीजिये न , आज रात को। फिर आपकी छुट्टी का भी बहाना आज नहीं रहा , अब देखिये आप के चक्कर में मुझे डांट पड़ गयी की आपको शॉपिंग करवा लाऊँ , और फिर खुद आज आप के लिए छपन भोग ,... सब इसी जुबना का जादू है ,... "
" तू भी न ," मुझसे अलग होती बोलीं।
उनकी मुस्कराहट कह रही थी की बात उन्हें पसंद आयी मेरी और हरकत भी।
" कब तक निकलना है , " उन्होंने पूछा
" बस आधे पौन घंटे में ,... मैं भी चल के तैयार हो रही हूँ ,आप भी ,... " मैं बोली और ऊपर अपने कमरे में।
बहुत काम था गुड्डी को बोलना था , इन्हे बताना था और सबसे बढ़ के दिया को।