30-11-2023, 03:46 PM
जेठानी - छुट्टी खत्म
बाल खूब धुले ,छितराये , उनके नितम्बों तक
मैं उनकी ओर देख के मुस्करायी , और वो भी जवाब में मुस्करायी।
मतलब हर महीने की पांच दिन वाली छुट्टी ख़तम।
"आप तैयार हो के आइये तब तक मैं नाश्ता लगाती हूँ ." मैं बोली और वो मुस्करती हुयी अपने कमरे में घुस गयीं।
लेकिन सबसे पहले मैंने गुड्डी को फोन लगाया , नहीं मिला तो दिया को।
रिजल्ट अभी तक नहीं आया था लेकिन बस कभी भी आ सकता था। दिया ने मुझे गुड्डी का रोल नंबर और साइट दोनों बता दीं। जित्ता गुड्डी परेशान हो रही होगी उतनी ही मैं भी उसकी परेशानी सोच के परेशान हो रही थी।
आलू के पराठे ,मक्खन लगे , दही ,चटनी ,अचार ,मूंग का हलवा ,चाय सब कुछ मैंने टेबल पर लगा दी। पौने दस बज गया था।
और फिर जेठानी जी आयीं।
उनके चेहरे की चमक , मुस्कान और लम्बे खुले अभी भी थोड़े थोड़े गीले बालों से साफ़ साफ़ लग रहा था की उनकी आंटी जी चली गयी हैं।
जैसे ही हम लोगो की आँखे मिली ,वो जोर से मुस्करायीं और मै भी ,
अभी कुछ देर तक तो ये सीज फायर चलने ही वाला था , जबतक उनके अगवाड़े पिछवाड़े मैं ,... और सरप्राइज वाज माय बेस्ट वेपन।
आफ कोर्स उनके देवर उनके बगल में बैठे और इसरार करके खिला रहे थे।
" देवर के रहते हुए भाभी को अपनी उँगलियों का इस्तेमाल करना पड़े, घोर कलियुग , "मैंने उन्हें उकसाया।
फिर क्या था पराठा सीधे इनके हाथों से जेठानी जी के मुंह में , और वो लाख ना नुकुर करती रहीं पर , वो कहाँ मानने वाले थे , और
कुछ देर में उनका एक हाथ जेठानी जी के कंधे पर ,
" आपके लिए एक खुशखबरी है ,आपकी भौजाई की ओर से , .... "
जेठानी जी के प्लेट में ढेर सारा मूंग का हलवा डालते मैं बोली।
जेठानी जी मेरा मतलब समझ के मुझे पहले तो आँख से बरजती रहीं ,फिर मुस्कराते हुए डांटने की मुद्रा में बोली ,
" तू भी न ,कुछ भी कहीं भी बोलती रहती है। "
" तो ठीक है आप ही बता दीजिये न ,बिचारे इतने दिन से इन्तजार कर रहे थे ,रोज मन मसोस कर ,... " मैंने और रगड़ाई की।
अच्छी तो उन्हें खूब लग रहा थी ये छेड़छाड़ , पर तबतक उनकी निगाह उनकी प्लेट में रखे मूंग के हलवे पर पड़ी और वो बोल पड़ीं ,
" अरे इतना ज्यादा डाल दिया , एक साथ। "
"दी ,आपके देवर इतनी देर से डाल रहे हैं तो कुछ नहीं और ज़रा सा मैंने डाल दिया तो ,... अरे देखिये कितना घी पड़ा है ,सटासट चला जाएगा। "
मैंने चिढ़ाया।
मन में तो आया की बोलूं ,अगर ऊपर वाले मुंह से खाने में दिक्कत हो रही हो तो नीचे वाले मुंह से , पिछवाड़े से ,... जाएगा तो दोनों ओर से पेट में ही। पर लगा की बस अब थोड़ी देर का इन्तजार है तबतक जेठानी जी को बिचकने से बचाना था।
और ये भी अपना रोल बखूबी निभा रहे थे , खिलाते हुए कभीअपनी भौजाई के मालपुवा ऐसे गाल सहला दे रहे थे तो कभी होंठ छू देते और भाभी भी उनकी पक्की पतुरिया ऐसे , सिहरने लजाने की ऐसी एक्टिंग करतीं जैसे नयी बहुरिया हों।
और इस चक्कर में उनकी भौजाई का आँचल थोड़ा ढलक गया ,और दोनों पथरीले बड़े बड़े जोबन झलक गए ,
और जैसे ही वो ठीक करने लगीं मैंने मना कर दिया।
" अरे दी आपके देवर इतनी सेवा कर रहे हैं तो थोड़ा सा टिप ,मेरा मतलब टिट दर्शन बनता है न। " मैंने छेड़ा।
नाश्ता आलमोस्ट ख़तम होने के कगार पे था ,मैं चाय पोर कर रही थी।
जेठानी जी बनावटी गुस्से से मुस्कराती बोलीं ,
तू भी न
और अपना आँचल ठीक कर लिया पर पूरा नहीं , क्लीवेज अभी भी दिख रहा था। बड़े बड़े दूध के कटोरे जैसे छलक रहे हों।
नाश्ते के बाद इनका और जेठानी जी का कोई सीरियल देखने का प्लान था। १० मिनट में शुरू होने वाला था।
और तब तक दिया का फोन बजा, मैंने तुरंत काट दिया , तब तक दिया का टेक्स्ट भी आ गया। वो गुड्डी और छन्दा एक साथ गुड्डी के घर पे थे ,
मैंने जेठानी की नजर बचा के टेक्स्ट देख लिए।
बाल खूब धुले ,छितराये , उनके नितम्बों तक
मैं उनकी ओर देख के मुस्करायी , और वो भी जवाब में मुस्करायी।
मतलब हर महीने की पांच दिन वाली छुट्टी ख़तम।
"आप तैयार हो के आइये तब तक मैं नाश्ता लगाती हूँ ." मैं बोली और वो मुस्करती हुयी अपने कमरे में घुस गयीं।
लेकिन सबसे पहले मैंने गुड्डी को फोन लगाया , नहीं मिला तो दिया को।
रिजल्ट अभी तक नहीं आया था लेकिन बस कभी भी आ सकता था। दिया ने मुझे गुड्डी का रोल नंबर और साइट दोनों बता दीं। जित्ता गुड्डी परेशान हो रही होगी उतनी ही मैं भी उसकी परेशानी सोच के परेशान हो रही थी।
आलू के पराठे ,मक्खन लगे , दही ,चटनी ,अचार ,मूंग का हलवा ,चाय सब कुछ मैंने टेबल पर लगा दी। पौने दस बज गया था।
और फिर जेठानी जी आयीं।
उनके चेहरे की चमक , मुस्कान और लम्बे खुले अभी भी थोड़े थोड़े गीले बालों से साफ़ साफ़ लग रहा था की उनकी आंटी जी चली गयी हैं।
जैसे ही हम लोगो की आँखे मिली ,वो जोर से मुस्करायीं और मै भी ,
अभी कुछ देर तक तो ये सीज फायर चलने ही वाला था , जबतक उनके अगवाड़े पिछवाड़े मैं ,... और सरप्राइज वाज माय बेस्ट वेपन।
आफ कोर्स उनके देवर उनके बगल में बैठे और इसरार करके खिला रहे थे।
" देवर के रहते हुए भाभी को अपनी उँगलियों का इस्तेमाल करना पड़े, घोर कलियुग , "मैंने उन्हें उकसाया।
फिर क्या था पराठा सीधे इनके हाथों से जेठानी जी के मुंह में , और वो लाख ना नुकुर करती रहीं पर , वो कहाँ मानने वाले थे , और
कुछ देर में उनका एक हाथ जेठानी जी के कंधे पर ,
" आपके लिए एक खुशखबरी है ,आपकी भौजाई की ओर से , .... "
जेठानी जी के प्लेट में ढेर सारा मूंग का हलवा डालते मैं बोली।
जेठानी जी मेरा मतलब समझ के मुझे पहले तो आँख से बरजती रहीं ,फिर मुस्कराते हुए डांटने की मुद्रा में बोली ,
" तू भी न ,कुछ भी कहीं भी बोलती रहती है। "
" तो ठीक है आप ही बता दीजिये न ,बिचारे इतने दिन से इन्तजार कर रहे थे ,रोज मन मसोस कर ,... " मैंने और रगड़ाई की।
अच्छी तो उन्हें खूब लग रहा थी ये छेड़छाड़ , पर तबतक उनकी निगाह उनकी प्लेट में रखे मूंग के हलवे पर पड़ी और वो बोल पड़ीं ,
" अरे इतना ज्यादा डाल दिया , एक साथ। "
"दी ,आपके देवर इतनी देर से डाल रहे हैं तो कुछ नहीं और ज़रा सा मैंने डाल दिया तो ,... अरे देखिये कितना घी पड़ा है ,सटासट चला जाएगा। "
मैंने चिढ़ाया।
मन में तो आया की बोलूं ,अगर ऊपर वाले मुंह से खाने में दिक्कत हो रही हो तो नीचे वाले मुंह से , पिछवाड़े से ,... जाएगा तो दोनों ओर से पेट में ही। पर लगा की बस अब थोड़ी देर का इन्तजार है तबतक जेठानी जी को बिचकने से बचाना था।
और ये भी अपना रोल बखूबी निभा रहे थे , खिलाते हुए कभीअपनी भौजाई के मालपुवा ऐसे गाल सहला दे रहे थे तो कभी होंठ छू देते और भाभी भी उनकी पक्की पतुरिया ऐसे , सिहरने लजाने की ऐसी एक्टिंग करतीं जैसे नयी बहुरिया हों।
और इस चक्कर में उनकी भौजाई का आँचल थोड़ा ढलक गया ,और दोनों पथरीले बड़े बड़े जोबन झलक गए ,
और जैसे ही वो ठीक करने लगीं मैंने मना कर दिया।
" अरे दी आपके देवर इतनी सेवा कर रहे हैं तो थोड़ा सा टिप ,मेरा मतलब टिट दर्शन बनता है न। " मैंने छेड़ा।
नाश्ता आलमोस्ट ख़तम होने के कगार पे था ,मैं चाय पोर कर रही थी।
जेठानी जी बनावटी गुस्से से मुस्कराती बोलीं ,
तू भी न
और अपना आँचल ठीक कर लिया पर पूरा नहीं , क्लीवेज अभी भी दिख रहा था। बड़े बड़े दूध के कटोरे जैसे छलक रहे हों।
नाश्ते के बाद इनका और जेठानी जी का कोई सीरियल देखने का प्लान था। १० मिनट में शुरू होने वाला था।
और तब तक दिया का फोन बजा, मैंने तुरंत काट दिया , तब तक दिया का टेक्स्ट भी आ गया। वो गुड्डी और छन्दा एक साथ गुड्डी के घर पे थे ,
मैंने जेठानी की नजर बचा के टेक्स्ट देख लिए।