30-11-2023, 03:45 PM
देवरानी -जेठानी
लेकिन मैंने उन्हें छेड़ कर बात बदलने की कोशिश की ,
" अरे दी आज का दिन स्पेशल है , आज आप की छुट्टी का आखिरी दिन , अब बहुत आराम कर लिया आपने , अब आपके देवर ,,..."
वो एकदम खुश ,मेरे गाल पे चिकोटी काटती बोलीं ,
" अरे देवर के लिए इत्ती प्यारी सी देवरानी तो ले आयी हूँ। रोज घचर घचर , "
वो मूड में आ रही थीं ,फिर थोड़ा सीरियस हो के बोलीं ,
" अरे यार अब नहा लूँ तो पता चलेगा ,की कहीं ,... "
" ठीक है दी , आप नहा धो लीजिये ,तबतक मैं नाश्ता बना देती हूँ ,आज मैंने उन्हें सुबह सुबह जगाया नहीं ,क्या पता आज उनकी लाटरी खुल जाय।"
,
जबतक आप नहा के आएँगी तब तक वो भी , फिर हम लोग साथ नाश्ता कर लेंगे , आज सोच रही हूँ कुछ हैवी ब्रेकफास्ट बनाऊं , आपकी पसंद का। "
" एकदम लंच में कुछ हल्का बना देना "
जेठानी जी अपने पुराने रूप में आती बोलीं। सुबह ही मुझे नाश्ते खाने का आर्डर मिल जाता था जैसे की कोई महराज होऊं।
आधे पौन घंटे बाद वो बाथरूम में गयीं और उसके पौन घंटे बाद निकलीं।
और मैं किचेन में आलू के पराठे ,मूंग का हलवा , तली भूनी चीजें मेरी जेठानी को बहुत पसंद थीं और इसलिए थोड़ा स्थूल ,मांसल उनकी देह हो भी गयी थी लेकिन ज्यादातर फैट सही जगहों पर था , भरे भरे बूब्स के साथ खूब बड़े चूतड़।
लेकिन उसी बीच मैंने मम्मी को फोन लगा दिया , दो बार इंगेज आया।
तीसरी बार खुद उन्ही का फोन था , खूब खुश।
अपनी समधन से गप्प मार रही थीं वो , और समधन समधन टाइप गाली गलौज से भरपूर।
पूरे आधे घंटे तक , और आज मेरी सास का मूड कल के मुकबले बेहतर था ,यानी जेठानी जी अपना प्वाइजन इंजेक्शन उन्हें नहीं लगा पायी थीं.
और मम्मी ने एडवांस में एंटीडोट लगा दिया था।
मम्मी ने मेरा सास का प्रोग्राम एकदम पक्का करवा दिया था ,
हमारे पहुँचने के ठीक १२ वे दिन।
उन्हें गुड्डी का प्रोग्राम गुड्डी के घर वालों से मिल गया था ,
बस वो एक बात से हिचक रही थीं की जब वो मेरे घर रहेंगी तो गुड्डी ,फिर उसके सामने कैसे खुल के ,...
और आज मम्मी ने बिना उनके कहे बता दिया था , की उनके आने के पहले ही गुड्डी मेरे गाँव आ जायेगी। कोचिंग में कुछ दिन की छुटियाँ है , सावन में गाँव का और दस पंद्रह दिन जब तक मेरी सासु जी मेरे साथ रहेंगी , गुड्डी मेरे मायके में। गाँव में शीला भाभी , मेरी छोटी कजिन बेला ,...
और सासु जी ने तुरंत हाँ कर दी।
तो अब गुड्डी का हमारे साथ जाना पक्का
सासु जी का हमारे यहाँ आना पक्का ,
और उसी समय वो किचेन में आ गए ,
हग्स ,किसेज
और मैंने उन्हें सारी खुशखबरी बता दी , बहनचोद मादरचोद बोल के।
मोर हग्स और किसेज
लेकिन तभी जेठानी जी बाथरूम से बाहर निकलीं ,
बाल खूब धुले ,छितराये , उनके नितम्बों तक
मैं उनकी ओर देख के मुस्करायी , और वो भी जवाब में मुस्करायी।
यानी बाल धुले यानी जेठानी जी की पांच दिन वाली छुट्टी अब ख़तम
"आप तैयार हो के आइये तब तक मैं नाश्ता लगाती हूँ ." मैं बोली और वो मुस्करती हुयी अपने कमरे में घुस गयीं।
लेकिन सबसे पहले मैंने गुड्डी को फोन लगाया , नहीं मिला तो दिया को।
रिजल्ट अभी तक नहीं आया था लेकिन बस कभी भी आ सकता था। दिया ने मुझे गुड्डी का रोल नंबर और साइट दोनों बता दीं। जित्ता गुड्डी परेशान हो रही होगी उतनी ही मैं भी उसकी परेशानी सोच के परेशान हो रही थी।
आलू के पराठे ,मक्खन लगे , दही ,चटनी ,अचार ,मूंग का हलवा ,चाय सब कुछ मैंने टेबल पर लगा दी। पौने दस बज गया था।
और फिर जेठानी जी आयीं।
लेकिन मैंने उन्हें छेड़ कर बात बदलने की कोशिश की ,
" अरे दी आज का दिन स्पेशल है , आज आप की छुट्टी का आखिरी दिन , अब बहुत आराम कर लिया आपने , अब आपके देवर ,,..."
वो एकदम खुश ,मेरे गाल पे चिकोटी काटती बोलीं ,
" अरे देवर के लिए इत्ती प्यारी सी देवरानी तो ले आयी हूँ। रोज घचर घचर , "
वो मूड में आ रही थीं ,फिर थोड़ा सीरियस हो के बोलीं ,
" अरे यार अब नहा लूँ तो पता चलेगा ,की कहीं ,... "
" ठीक है दी , आप नहा धो लीजिये ,तबतक मैं नाश्ता बना देती हूँ ,आज मैंने उन्हें सुबह सुबह जगाया नहीं ,क्या पता आज उनकी लाटरी खुल जाय।"
,
जबतक आप नहा के आएँगी तब तक वो भी , फिर हम लोग साथ नाश्ता कर लेंगे , आज सोच रही हूँ कुछ हैवी ब्रेकफास्ट बनाऊं , आपकी पसंद का। "
" एकदम लंच में कुछ हल्का बना देना "
जेठानी जी अपने पुराने रूप में आती बोलीं। सुबह ही मुझे नाश्ते खाने का आर्डर मिल जाता था जैसे की कोई महराज होऊं।
आधे पौन घंटे बाद वो बाथरूम में गयीं और उसके पौन घंटे बाद निकलीं।
और मैं किचेन में आलू के पराठे ,मूंग का हलवा , तली भूनी चीजें मेरी जेठानी को बहुत पसंद थीं और इसलिए थोड़ा स्थूल ,मांसल उनकी देह हो भी गयी थी लेकिन ज्यादातर फैट सही जगहों पर था , भरे भरे बूब्स के साथ खूब बड़े चूतड़।
लेकिन उसी बीच मैंने मम्मी को फोन लगा दिया , दो बार इंगेज आया।
तीसरी बार खुद उन्ही का फोन था , खूब खुश।
अपनी समधन से गप्प मार रही थीं वो , और समधन समधन टाइप गाली गलौज से भरपूर।
पूरे आधे घंटे तक , और आज मेरी सास का मूड कल के मुकबले बेहतर था ,यानी जेठानी जी अपना प्वाइजन इंजेक्शन उन्हें नहीं लगा पायी थीं.
और मम्मी ने एडवांस में एंटीडोट लगा दिया था।
मम्मी ने मेरा सास का प्रोग्राम एकदम पक्का करवा दिया था ,
हमारे पहुँचने के ठीक १२ वे दिन।
उन्हें गुड्डी का प्रोग्राम गुड्डी के घर वालों से मिल गया था ,
बस वो एक बात से हिचक रही थीं की जब वो मेरे घर रहेंगी तो गुड्डी ,फिर उसके सामने कैसे खुल के ,...
और आज मम्मी ने बिना उनके कहे बता दिया था , की उनके आने के पहले ही गुड्डी मेरे गाँव आ जायेगी। कोचिंग में कुछ दिन की छुटियाँ है , सावन में गाँव का और दस पंद्रह दिन जब तक मेरी सासु जी मेरे साथ रहेंगी , गुड्डी मेरे मायके में। गाँव में शीला भाभी , मेरी छोटी कजिन बेला ,...
और सासु जी ने तुरंत हाँ कर दी।
तो अब गुड्डी का हमारे साथ जाना पक्का
सासु जी का हमारे यहाँ आना पक्का ,
और उसी समय वो किचेन में आ गए ,
हग्स ,किसेज
और मैंने उन्हें सारी खुशखबरी बता दी , बहनचोद मादरचोद बोल के।
मोर हग्स और किसेज
लेकिन तभी जेठानी जी बाथरूम से बाहर निकलीं ,
बाल खूब धुले ,छितराये , उनके नितम्बों तक
मैं उनकी ओर देख के मुस्करायी , और वो भी जवाब में मुस्करायी।
यानी बाल धुले यानी जेठानी जी की पांच दिन वाली छुट्टी अब ख़तम
"आप तैयार हो के आइये तब तक मैं नाश्ता लगाती हूँ ." मैं बोली और वो मुस्करती हुयी अपने कमरे में घुस गयीं।
लेकिन सबसे पहले मैंने गुड्डी को फोन लगाया , नहीं मिला तो दिया को।
रिजल्ट अभी तक नहीं आया था लेकिन बस कभी भी आ सकता था। दिया ने मुझे गुड्डी का रोल नंबर और साइट दोनों बता दीं। जित्ता गुड्डी परेशान हो रही होगी उतनी ही मैं भी उसकी परेशानी सोच के परेशान हो रही थी।
आलू के पराठे ,मक्खन लगे , दही ,चटनी ,अचार ,मूंग का हलवा ,चाय सब कुछ मैंने टेबल पर लगा दी। पौने दस बज गया था।
और फिर जेठानी जी आयीं।