24-11-2023, 10:58 PM
जोरू का गुलाम भाग १०७
स्ट्रटेजी
क्या गड़बड़ हुआ , क्या गलत हुआ ,मैं सोचे जा रही थी।
फिर मैंने सोच बदली ,सबसे पहला काम ,मम्मी ,... स्ट्रेटजिक थिंकिंग का काम उनका था।
लेकिन मम्मी भी न ऐन मौके पर गायब , ये तो मुझे मालूम था की वो आजकल बॉम्बे में होंगी लेकिन न उनका पर्सनल फोन उठ रहा था न ऑफिसियल. अंत में उनकी सेक्रेटरी को मैंने पकड़ा तो पता चला की वो यंग इन्टप्रेन्योर्स को एड्ड्रेस करने गयी हैं और वहां फोन नहीं लगता। हाँ सेशन के बाद वो उन्हें मेसेज कर देगी , अभी ४२ मिनट बाकी हैं।
४२ मिनट बहुत होते हैं क्राइसिस में।
मैंने जेठानी जी के बारे में सोचना बंद किया और अपना वीक प्वाइंट सोचने लगी , क्या हो सकता है वर्स्ट केस सिनेरियो।
और पांच मिनट में मेरी चमकी।
गुड्डी।
वर्स्ट केस सिनेरियो , जेठानी जी गुड्डी को हमारे साथ नहीं जाने देंगी।
कैसे ये सब अलग बात थी। लेकिन यही था वर्स्ट केस। और अगर मैं आपरेशन गुड्डी में फेल होती तो इनके मायके में , मेरी बड़ी थू थू होने वाली थी।
गुड्डी को तो मुझे भूलना ही पड़ता ,उसके जरिये जो इनकी बाकी कजिन्स की टाँगे फैलवाने के चक्कर में थी वो सब भी।
और गुड्डी बिचारी भी , जेठानी जी उसकी जम के लेतीं। एकदम उसे बहिन जी बना के छोड़तीं।
और फिर ये भी एक बार वापस अपने कोकून में।
मैंने कई बार जेठानी जी की स्वाट ऐनेलिस फिर से करने की कोशिश की।
स्ट्रेंथ , क्या है उनकी स्ट्रेंथ ,
सास ,मेरी सास।
मुझे याद आया , खाते समय उन्होंने पूछा था ,
" तूने गुड्डी के ले जाने का प्रोग्राम सासु जी को बताया है न ?"
और मैंने बात टाल दी थी। उन्हें उनकी फेवरिट कड़वे करेले की सब्जी ऑफर कर के।
और मैंने अब जेठानी जी के एक एक शब्द पर गौर करना शुरू किया ,
ऊंच नीच ,बदनामी , खर्चा
बस यही तीन चीजें वो सासु माँ को समझाती। और यह भी की ये सब हमारे फायदे के लिए है ,
जवान लड़की कहीं ऊंच नीच हो जाय , कितनी बदनामी होगी ,फिर नहीं कोई सोचेगा बेचारी भाभी तो उसके फायदे के लिए ले ले गयी थी सब भैय्या भाभी को ही दोस देंगे लड़की की जब्बर जवानी और उसका खोट कोई नहीं देखेगा। फिर कोचिंग की फ़ीस , अब उसके घरवाले तो भरेंगे नहीं ,इतनी फ़ीस लगती है आज कल , फिर क्या सब लड़कियां डाक्टर इंजीनयर बनती हैं ,और जितनी पढ़ी लिखी लड़की उतना ही पढ़ा लिखा लड़का ढूंढो। जितना पढ़ा लिखा लड़का उतना बड़ा दहेज़ , फिर कहाँ से आएगा पैसा। और नहीं तो कुँवारी बैठी रहो पढ़ लिख कर।
मेरा दिमाग अब तेजी से चलने लगा था।
मैंने परकाया प्रवेश कर लिया था और अब मैं जेठानी जी की तरह सोच रही थी खास तौर से जब वो एकदम कार्नर्ड हों।
और क्या बातें कर के वो सासु जी को गुड्डी के हम लोगों के साथ जाने के खिलाफ कर सकती थीं। एक बात साफ़ थी की इसमें वो कोई ऐसी बात नहीं करेंगी जो मरे या इनके खिलाफ हो। क्योंकि सासु जी इसे तुरंत जेठानी देवरानी वाली बात मान लेती। हाँ वो हमारे फायदे की बात कह के ही उनसे हमारा नुकसान करवाने वाली थीं।
मेरे मन में बार बार ये बात बात आती थी की इस जेठानी की कैसे जबरदस्त ठुकाई की जाई की इनकी सात पुश्त याद रखें , लेकिन किसी तरह उस ख्याल को मैंने दिमाग से निकाला ,.
अभी सिर्फ और सिर्फ डिफेन्स , हमारी 'क्वीन ' खतरे में थी , उसे बचाना फर्स्ट टारगेट था।
अब प्राबलम कुछ कुछ समझ में आ रही थी ,लेकिन करूँ क्या , कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
और मम्मी भी उन नए लौंडों को , यंग एंटरप्रेन्योर्स ,... तभी फोन बजा , मम्मी का मेसेज बहुत शार्ट
एनीथिंग अर्जेन्ट
यस , मैंने तुरंत जवाब भेजा।
स्ट्रटेजी
क्या गड़बड़ हुआ , क्या गलत हुआ ,मैं सोचे जा रही थी।
फिर मैंने सोच बदली ,सबसे पहला काम ,मम्मी ,... स्ट्रेटजिक थिंकिंग का काम उनका था।
लेकिन मम्मी भी न ऐन मौके पर गायब , ये तो मुझे मालूम था की वो आजकल बॉम्बे में होंगी लेकिन न उनका पर्सनल फोन उठ रहा था न ऑफिसियल. अंत में उनकी सेक्रेटरी को मैंने पकड़ा तो पता चला की वो यंग इन्टप्रेन्योर्स को एड्ड्रेस करने गयी हैं और वहां फोन नहीं लगता। हाँ सेशन के बाद वो उन्हें मेसेज कर देगी , अभी ४२ मिनट बाकी हैं।
४२ मिनट बहुत होते हैं क्राइसिस में।
मैंने जेठानी जी के बारे में सोचना बंद किया और अपना वीक प्वाइंट सोचने लगी , क्या हो सकता है वर्स्ट केस सिनेरियो।
और पांच मिनट में मेरी चमकी।
गुड्डी।
वर्स्ट केस सिनेरियो , जेठानी जी गुड्डी को हमारे साथ नहीं जाने देंगी।
कैसे ये सब अलग बात थी। लेकिन यही था वर्स्ट केस। और अगर मैं आपरेशन गुड्डी में फेल होती तो इनके मायके में , मेरी बड़ी थू थू होने वाली थी।
गुड्डी को तो मुझे भूलना ही पड़ता ,उसके जरिये जो इनकी बाकी कजिन्स की टाँगे फैलवाने के चक्कर में थी वो सब भी।
और गुड्डी बिचारी भी , जेठानी जी उसकी जम के लेतीं। एकदम उसे बहिन जी बना के छोड़तीं।
और फिर ये भी एक बार वापस अपने कोकून में।
मैंने कई बार जेठानी जी की स्वाट ऐनेलिस फिर से करने की कोशिश की।
स्ट्रेंथ , क्या है उनकी स्ट्रेंथ ,
सास ,मेरी सास।
मुझे याद आया , खाते समय उन्होंने पूछा था ,
" तूने गुड्डी के ले जाने का प्रोग्राम सासु जी को बताया है न ?"
और मैंने बात टाल दी थी। उन्हें उनकी फेवरिट कड़वे करेले की सब्जी ऑफर कर के।
और मैंने अब जेठानी जी के एक एक शब्द पर गौर करना शुरू किया ,
ऊंच नीच ,बदनामी , खर्चा
बस यही तीन चीजें वो सासु माँ को समझाती। और यह भी की ये सब हमारे फायदे के लिए है ,
जवान लड़की कहीं ऊंच नीच हो जाय , कितनी बदनामी होगी ,फिर नहीं कोई सोचेगा बेचारी भाभी तो उसके फायदे के लिए ले ले गयी थी सब भैय्या भाभी को ही दोस देंगे लड़की की जब्बर जवानी और उसका खोट कोई नहीं देखेगा। फिर कोचिंग की फ़ीस , अब उसके घरवाले तो भरेंगे नहीं ,इतनी फ़ीस लगती है आज कल , फिर क्या सब लड़कियां डाक्टर इंजीनयर बनती हैं ,और जितनी पढ़ी लिखी लड़की उतना ही पढ़ा लिखा लड़का ढूंढो। जितना पढ़ा लिखा लड़का उतना बड़ा दहेज़ , फिर कहाँ से आएगा पैसा। और नहीं तो कुँवारी बैठी रहो पढ़ लिख कर।
मेरा दिमाग अब तेजी से चलने लगा था।
मैंने परकाया प्रवेश कर लिया था और अब मैं जेठानी जी की तरह सोच रही थी खास तौर से जब वो एकदम कार्नर्ड हों।
और क्या बातें कर के वो सासु जी को गुड्डी के हम लोगों के साथ जाने के खिलाफ कर सकती थीं। एक बात साफ़ थी की इसमें वो कोई ऐसी बात नहीं करेंगी जो मरे या इनके खिलाफ हो। क्योंकि सासु जी इसे तुरंत जेठानी देवरानी वाली बात मान लेती। हाँ वो हमारे फायदे की बात कह के ही उनसे हमारा नुकसान करवाने वाली थीं।
मेरे मन में बार बार ये बात बात आती थी की इस जेठानी की कैसे जबरदस्त ठुकाई की जाई की इनकी सात पुश्त याद रखें , लेकिन किसी तरह उस ख्याल को मैंने दिमाग से निकाला ,.
अभी सिर्फ और सिर्फ डिफेन्स , हमारी 'क्वीन ' खतरे में थी , उसे बचाना फर्स्ट टारगेट था।
अब प्राबलम कुछ कुछ समझ में आ रही थी ,लेकिन करूँ क्या , कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
और मम्मी भी उन नए लौंडों को , यंग एंटरप्रेन्योर्स ,... तभी फोन बजा , मम्मी का मेसेज बहुत शार्ट
एनीथिंग अर्जेन्ट
यस , मैंने तुरंत जवाब भेजा।