24-11-2023, 10:57 PM
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पत्ते
इसलिए मैंने तय किया अभी मैं शांत रहूंगी , पहले जेठानी जी को उनके पत्ते खोलने दूंगी और फिर नहले पे दहला जड़ूंगी।
….
सब खाना गरम हो गया लेकिन रोटी ,
जेठानी जी की रोटी बनाना आसान नहीं था , पतली क्ररारी कड़क और गरम।
लेकिन एक कैसरोल में इन्होने रोटियां भी बना के रख दी थीं और मैंने बस उन्हें गरम कर दिया।
थोड़ी देर में हम खाने की टेबल पर थे ,
और मै प्यार से आदर से अपनी जेठानी को खाना परस रही थी।
न मुझे भूख थी न खाना खाने का मन , लेकिन मैं बस किसी तरह जबरन कौर घोंट रही थी।
वैसे भी इस घर में शादी के बाद से मुझे इसी तरह से खाना खाने की प्रैक्टिस हो गयी थ
पतली करारे और कड़क रोटियों ने जेठानी का मूड कुछ हद तक ठीक कर दिया था और कुछ मेरे बिना कुछ बोले जो उन्होंने अपनी भंडास निकाली थी।
मेरे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था ,सारे पत्ते तो मैंने सही फेंके थे।
सुबह उनके देवर के फोटो एक से एक , उन्ही के मोबाइल पे ,... उन्हें चिढ़ाया भी था की उनके मायके के ग्रुप[ में और मैं सोच रही थी की अब तो जेठानी मेरी मुट्ठी में ,
मैं बस अपने को समझा रही थी ,बी कूल बी कूल चिल चिल।
और अपने सारे स्ट्रेटजिक लेशन सोच रही थी जो मिसेज खन्ना ने उसे लेडीज क्लब के इलेक्शन में सिखाये थे।
" यूफोरिया ,यूफोरिया सबसे बड़ा दुश्मन है। जब बस लगता है दो चाल ,नहीं बस चार चाल और मात आप अपनी ओर का बोर्ड देखना भूल जाते हो। उसके साथ यही हो रहा था , वो सोच रही थी जेठानी को मात दे दी , अब गुड्डी उसके साथ चल रही है ,लेकिन जब तक आखिरी बाल न फेंक दी जाय ,आप नहीं जानते ,ड्रॉ ,हार या जीत क्या होगी। "
कोई तो बात है जो उसे नहीं मालूम है।
जिठानी जी का मूड अब नार्मल हो रहा था ,और मैं भी उन्हें भरपूर मक्खन लगा रही थी।
तबतक उनका फोन घनघनाया।
और मैं उठ गयी ,
"आप क्यों तकलीफ करती है ,ले आती हूँ मैं हूँ न। "
मैं शहद घोल के बोली।
जेठानी जी की ये आदत मुझे बहुत बुरी लगती थी , देवरानी के होते हुए उन्हें ऊँगली उठाना भी बुरा लगता था , कुछ सुधर गयीं थी अबकी लेकिन आज फिर ,
टेबल पर पानी रखा है ,ग्लास में सिर्फ डालना है , और वो मेरी जेठानी ग्लास के पास ऊँगली से ठक ठक करेंगी।
इसी लिए मोबाइल लेने बिना उनके कहे मैं उठी और
और , मोबाइल के साथ ही मुझे खजाने की चाभी मिल गयी।
व्हाट्सएप मैंने ही उन्हें आज सुबह ही सिखाया था और उनकी बहनों और भौजाइयों के ग्रुप में ज्वाइन भी कराया था।
उनकी एक छोटी कजिन का मेसेज था ,
" अरे आप की कोई ऐसी वैसी फोटो किसी ने खींच ली है न तो बस आप मना कर सकती हो , कह सकती हो मॉर्फ है। अगर कोई लम्बी चौड़ी फिल्म हो तो मुश्किल है लेकिन फोटो या एम् एम् एस तो आसानी से, कौन क्रिमीनल लैब से चेक कराएगा असली नकली। बस पहले आप स्कोर कर दो , प्रिवेंशन इस बेस्ट क्योर। "
दो घण्टे पहले का था मेसेज ,यानी सुबह जो थोड़ा बहुत ,... वो सब डर इसीलिए गायब।
फोन किसी ऐड का था। मैंने अपनी जेठानी को बता दिया। और फोन उनके हवाले।
खाने के बाद मैं तब तक उनके पास बैठी रही जब तक वो सो नहीं गयी। यानी अब दो तीन घंटे की छुट्टी और फिर मैं ऊपर अपने कमरे, में।
…….
पत्ते
इसलिए मैंने तय किया अभी मैं शांत रहूंगी , पहले जेठानी जी को उनके पत्ते खोलने दूंगी और फिर नहले पे दहला जड़ूंगी।
….
सब खाना गरम हो गया लेकिन रोटी ,
जेठानी जी की रोटी बनाना आसान नहीं था , पतली क्ररारी कड़क और गरम।
लेकिन एक कैसरोल में इन्होने रोटियां भी बना के रख दी थीं और मैंने बस उन्हें गरम कर दिया।
थोड़ी देर में हम खाने की टेबल पर थे ,
और मै प्यार से आदर से अपनी जेठानी को खाना परस रही थी।
न मुझे भूख थी न खाना खाने का मन , लेकिन मैं बस किसी तरह जबरन कौर घोंट रही थी।
वैसे भी इस घर में शादी के बाद से मुझे इसी तरह से खाना खाने की प्रैक्टिस हो गयी थ
पतली करारे और कड़क रोटियों ने जेठानी का मूड कुछ हद तक ठीक कर दिया था और कुछ मेरे बिना कुछ बोले जो उन्होंने अपनी भंडास निकाली थी।
मेरे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था ,सारे पत्ते तो मैंने सही फेंके थे।
सुबह उनके देवर के फोटो एक से एक , उन्ही के मोबाइल पे ,... उन्हें चिढ़ाया भी था की उनके मायके के ग्रुप[ में और मैं सोच रही थी की अब तो जेठानी मेरी मुट्ठी में ,
मैं बस अपने को समझा रही थी ,बी कूल बी कूल चिल चिल।
और अपने सारे स्ट्रेटजिक लेशन सोच रही थी जो मिसेज खन्ना ने उसे लेडीज क्लब के इलेक्शन में सिखाये थे।
" यूफोरिया ,यूफोरिया सबसे बड़ा दुश्मन है। जब बस लगता है दो चाल ,नहीं बस चार चाल और मात आप अपनी ओर का बोर्ड देखना भूल जाते हो। उसके साथ यही हो रहा था , वो सोच रही थी जेठानी को मात दे दी , अब गुड्डी उसके साथ चल रही है ,लेकिन जब तक आखिरी बाल न फेंक दी जाय ,आप नहीं जानते ,ड्रॉ ,हार या जीत क्या होगी। "
कोई तो बात है जो उसे नहीं मालूम है।
जिठानी जी का मूड अब नार्मल हो रहा था ,और मैं भी उन्हें भरपूर मक्खन लगा रही थी।
तबतक उनका फोन घनघनाया।
और मैं उठ गयी ,
"आप क्यों तकलीफ करती है ,ले आती हूँ मैं हूँ न। "
मैं शहद घोल के बोली।
जेठानी जी की ये आदत मुझे बहुत बुरी लगती थी , देवरानी के होते हुए उन्हें ऊँगली उठाना भी बुरा लगता था , कुछ सुधर गयीं थी अबकी लेकिन आज फिर ,
टेबल पर पानी रखा है ,ग्लास में सिर्फ डालना है , और वो मेरी जेठानी ग्लास के पास ऊँगली से ठक ठक करेंगी।
इसी लिए मोबाइल लेने बिना उनके कहे मैं उठी और
और , मोबाइल के साथ ही मुझे खजाने की चाभी मिल गयी।
व्हाट्सएप मैंने ही उन्हें आज सुबह ही सिखाया था और उनकी बहनों और भौजाइयों के ग्रुप में ज्वाइन भी कराया था।
उनकी एक छोटी कजिन का मेसेज था ,
" अरे आप की कोई ऐसी वैसी फोटो किसी ने खींच ली है न तो बस आप मना कर सकती हो , कह सकती हो मॉर्फ है। अगर कोई लम्बी चौड़ी फिल्म हो तो मुश्किल है लेकिन फोटो या एम् एम् एस तो आसानी से, कौन क्रिमीनल लैब से चेक कराएगा असली नकली। बस पहले आप स्कोर कर दो , प्रिवेंशन इस बेस्ट क्योर। "
दो घण्टे पहले का था मेसेज ,यानी सुबह जो थोड़ा बहुत ,... वो सब डर इसीलिए गायब।
फोन किसी ऐड का था। मैंने अपनी जेठानी को बता दिया। और फोन उनके हवाले।
खाने के बाद मैं तब तक उनके पास बैठी रही जब तक वो सो नहीं गयी। यानी अब दो तीन घंटे की छुट्टी और फिर मैं ऊपर अपने कमरे, में।
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