24-11-2023, 10:50 PM
शलवार-नाड़ा
" कहौ ननदो, तू सोचत हो, नाड़ा खोलने में खाली तेरे भैया उस्ताद हैं, " भौजी ने मुझे कस के चिढ़ाया, और न सिर्फ नाड़ा खोला बल्कि शलवार से नाड़ा निकाल के एक सेकेण्ड में बाहर कर दिया। और वो नाड़ा पीछे खड़ी मेरी दोनों भौजाइयों के हाथ में, और उन दोनों भौजाइयों ने उस नाड़े से मेरी कलाई कस के बाँध दी, अब उन दोनों के हाथ भी खाली, और आगे रीतू भौजी, अब खड़ी मेरी शलवार पकडे, सब को दिखाते,
" देखिये शलवार न मैंने फाड़ी न मैं उतारूंगी। मेरी ये ननद इत्ती अच्छी हैं खुद ही अपनी भौजाइयों के सामने, भौजाइयों के देवरों के सामने के शलवार उतारने के लिए तैयार हैं, ननद रानी खोलोगी न शलवार मेरे सब देवरों के सामने,... "
नाड़ा न सिर्फ खुल गया था बल्कि शलवार से निकल के मेरी कलाइयों में कस के बंधा था, शलवार टिकता कैसे, जैसे ही भौजी ने छोड़ा सरसर करते मेरे पैरों में
भौजाइयों ने खूब जोर जोर से हो हो किया,
पर अभी भी, मेरी दोनों जाँघों के बीच अभी भी, एक जांघिये नुमा चड्ढी एलास्टिक वाली नहीं नाड़े वाली, जिसके नाड़े को भी मैंने कस कस के बांधा था, ...
मुझे लग रहा था रीतू भाभी अब इस पर नंबर लगाएंगी, लेकिन वो मेरे पीछे और मैं उसी तरह सिर्फ चड्ढी में खड़ी,
और जैसे इशारा पा कर के दोनों भौजाइयों ने एक साथ ही मेरी कुर्ती खींची , पर वो मेरे बंधे हाथों में अटक गयी.
रीतू भाभी इसीलिए थीं न उन्होंने नाड़े से बंधी कलाई खोली , कुर्ती बाहर निकाली और एक बार फिर कलाई मेरी ही शलवार के नाड़े में बंधी।
मैं लाख मचल रही थी पर दोनों भौजाइयों ने कस के कमर से पकड़ रखा और रीतू भाभी ने इतनी झटपट मेरी कलाई बाँधी , जो दर्जन भर गांठे मुझे आती थीं वो सब , और आधी दर्जन जो मुझे नहीं आती थीं , वो भी।
मान गयी मैं भी आज आ गया ऊंट पहाड़ के नीचे, मैं सिर्फ ब्रा और जांघिया नुमा नाड़े में,
मेरी दोनों कलाइयां मेरी ही शलवार के नाड़े से बंधी, लेकिन रीतू भाभी की हालत भी कुछ अच्छी नहीं थीं, मेरे घर में घुसते ही सब ननदों ने मिल के नयकी भौजी का चीर हरण कर लिया था, ब्लाउज पेटीकोट दोनों रंग से सराबोर देह से चिपका, ब्लाउज के भी ऊपर की दो तीन बटने टूटीं, सिर्फ एक बटन के सहारे दोनों भारी भारी उरोज किसी तरह टिके, ब्लाउज, ब्रा में बस फंसे,...
मैंने एक बार फिर से वही शरारत करने की कोशिश की, दोनों टांगों को कस के भींचने की, चिपकाने की, पर अबकी मेरे पीछे मेरी नयकी भौजी थीं और उन्हें उनकी सारी जेठानियों ने मेरी ( और बाकी ननदों की भी ) सब चालों से बता समझा दिया था,
एक जोर का चांटा मेरी चड्ढी में छिपे चूतड़ के ऊपर पड़ा और एक कस के चिकोटी भी, जब तक मैं सम्ह्लू, पीछे मुझसे चिपकी खड़ी, मेरी रीतू भाभी ने अपनी तगड़ी लम्बी टाँगे मेरी दोनों टांगों के बीच में डाल कर फैला दी, ... इत्ती ताकत थी उनके अंदर, बाकी भौजाइयों तो दो चार इंच भी नहीं खोल पाती थीं पर उन्होंने ऐसे जोर लगाया, जैसे कोई पंजा लड़ा रहा हो , मेरी दोनों टांगों के बीच डेढ़ दो फीट का फासला हो गया था और मैं चाह कर भी पैर जरा भी सिकोड़ नहीं सकती थी।
अब उनकी बदमाशियां शुरू हुयी, मेरी चड्ढी के ऊपर हाथ से सहलाते हुए उन्होंने सारी भौजाइयों से पूछा,
" खोल दूँ खजाना, दिखा दूँ प्यार की गली ,... "
एकदम, सब उनकी जेठानियाँ चिल्लाईं।
फिर उन्होंने जैसे मेरे कान में कुछ कहा , फिर अपना कान मेरे मुंह के और सबके सामने अनाउंस कर दिया,
" मेरी ननद नहीं खोलेगी , उसकी एक शर्त है , पहले सब लोग हाँ बोलो। "
" हाँ हाँ मंजूर, " चारों और से आवाज आयी.
और एक झटके में चड्ढी का नाड़ा खुल गया चड्ढी सरक के शलवार के ऊपर मेरे पैरों पर, सर सर,...
लेकिन चुनमुनिया नहीं दिखी , भौजी ने अपनी हथेली से ढँक लिया , एकदम अच्छी तरह से और सबसे बोली,
मेरी प्यारी ननद बहुत नाराज है, और मैं भी उसकी बात में हामी भरती हूँ , आप सब लोग उस की बात मानो तो झलक दिखलायेगी वो. "
" बोल दिया न मंजूर है अब बोलो भी , कई भाभियाँ चिल्लाई " लेकिन रीतू भौजी ने सबसे हामी भरवाई और तब बोलीं,
" मेरी ननद कह रही है मेरी भौजाई लोग अपने मरद के साथ , देवर के साथ मजा लेती हैं और ये बेचारी कोरी पड़ी है, तो अगली होली तक जितने मरद हैं, देवर हैं , भौजाइयों के भाई हैं सब मेरी इस ननद पर चढ़ जाने चाहिए, इस भूखी बुलबुल को चारा चाहिए, "
" अरे इत्ती सी बात , अभी आज ही अपने देवरों को चढाती हूँ इसके ऊपर, नाउन की बड़की बहू बोलीं,... और भौजी ने हथेली हटा दी , फिर तो बीसो बाल्टी रंग सीधे मेरी चूत पे , सब भाभियों ने ऊँगली भी की , अगवाड़े भी पिछवाड़े , और ब्रा दो भाभियों ने मिल के उतारा नहीं फाड़ दिया,
और उस होली के बाद से मेरी और रीतू भाभी की पक्की दोस्ती, पक्की जोड़ी हो गयी,
" कहौ ननदो, तू सोचत हो, नाड़ा खोलने में खाली तेरे भैया उस्ताद हैं, " भौजी ने मुझे कस के चिढ़ाया, और न सिर्फ नाड़ा खोला बल्कि शलवार से नाड़ा निकाल के एक सेकेण्ड में बाहर कर दिया। और वो नाड़ा पीछे खड़ी मेरी दोनों भौजाइयों के हाथ में, और उन दोनों भौजाइयों ने उस नाड़े से मेरी कलाई कस के बाँध दी, अब उन दोनों के हाथ भी खाली, और आगे रीतू भौजी, अब खड़ी मेरी शलवार पकडे, सब को दिखाते,
" देखिये शलवार न मैंने फाड़ी न मैं उतारूंगी। मेरी ये ननद इत्ती अच्छी हैं खुद ही अपनी भौजाइयों के सामने, भौजाइयों के देवरों के सामने के शलवार उतारने के लिए तैयार हैं, ननद रानी खोलोगी न शलवार मेरे सब देवरों के सामने,... "
नाड़ा न सिर्फ खुल गया था बल्कि शलवार से निकल के मेरी कलाइयों में कस के बंधा था, शलवार टिकता कैसे, जैसे ही भौजी ने छोड़ा सरसर करते मेरे पैरों में
भौजाइयों ने खूब जोर जोर से हो हो किया,
पर अभी भी, मेरी दोनों जाँघों के बीच अभी भी, एक जांघिये नुमा चड्ढी एलास्टिक वाली नहीं नाड़े वाली, जिसके नाड़े को भी मैंने कस कस के बांधा था, ...
मुझे लग रहा था रीतू भाभी अब इस पर नंबर लगाएंगी, लेकिन वो मेरे पीछे और मैं उसी तरह सिर्फ चड्ढी में खड़ी,
और जैसे इशारा पा कर के दोनों भौजाइयों ने एक साथ ही मेरी कुर्ती खींची , पर वो मेरे बंधे हाथों में अटक गयी.
रीतू भाभी इसीलिए थीं न उन्होंने नाड़े से बंधी कलाई खोली , कुर्ती बाहर निकाली और एक बार फिर कलाई मेरी ही शलवार के नाड़े में बंधी।
मैं लाख मचल रही थी पर दोनों भौजाइयों ने कस के कमर से पकड़ रखा और रीतू भाभी ने इतनी झटपट मेरी कलाई बाँधी , जो दर्जन भर गांठे मुझे आती थीं वो सब , और आधी दर्जन जो मुझे नहीं आती थीं , वो भी।
मान गयी मैं भी आज आ गया ऊंट पहाड़ के नीचे, मैं सिर्फ ब्रा और जांघिया नुमा नाड़े में,
मेरी दोनों कलाइयां मेरी ही शलवार के नाड़े से बंधी, लेकिन रीतू भाभी की हालत भी कुछ अच्छी नहीं थीं, मेरे घर में घुसते ही सब ननदों ने मिल के नयकी भौजी का चीर हरण कर लिया था, ब्लाउज पेटीकोट दोनों रंग से सराबोर देह से चिपका, ब्लाउज के भी ऊपर की दो तीन बटने टूटीं, सिर्फ एक बटन के सहारे दोनों भारी भारी उरोज किसी तरह टिके, ब्लाउज, ब्रा में बस फंसे,...
मैंने एक बार फिर से वही शरारत करने की कोशिश की, दोनों टांगों को कस के भींचने की, चिपकाने की, पर अबकी मेरे पीछे मेरी नयकी भौजी थीं और उन्हें उनकी सारी जेठानियों ने मेरी ( और बाकी ननदों की भी ) सब चालों से बता समझा दिया था,
एक जोर का चांटा मेरी चड्ढी में छिपे चूतड़ के ऊपर पड़ा और एक कस के चिकोटी भी, जब तक मैं सम्ह्लू, पीछे मुझसे चिपकी खड़ी, मेरी रीतू भाभी ने अपनी तगड़ी लम्बी टाँगे मेरी दोनों टांगों के बीच में डाल कर फैला दी, ... इत्ती ताकत थी उनके अंदर, बाकी भौजाइयों तो दो चार इंच भी नहीं खोल पाती थीं पर उन्होंने ऐसे जोर लगाया, जैसे कोई पंजा लड़ा रहा हो , मेरी दोनों टांगों के बीच डेढ़ दो फीट का फासला हो गया था और मैं चाह कर भी पैर जरा भी सिकोड़ नहीं सकती थी।
अब उनकी बदमाशियां शुरू हुयी, मेरी चड्ढी के ऊपर हाथ से सहलाते हुए उन्होंने सारी भौजाइयों से पूछा,
" खोल दूँ खजाना, दिखा दूँ प्यार की गली ,... "
एकदम, सब उनकी जेठानियाँ चिल्लाईं।
फिर उन्होंने जैसे मेरे कान में कुछ कहा , फिर अपना कान मेरे मुंह के और सबके सामने अनाउंस कर दिया,
" मेरी ननद नहीं खोलेगी , उसकी एक शर्त है , पहले सब लोग हाँ बोलो। "
" हाँ हाँ मंजूर, " चारों और से आवाज आयी.
और एक झटके में चड्ढी का नाड़ा खुल गया चड्ढी सरक के शलवार के ऊपर मेरे पैरों पर, सर सर,...
लेकिन चुनमुनिया नहीं दिखी , भौजी ने अपनी हथेली से ढँक लिया , एकदम अच्छी तरह से और सबसे बोली,
मेरी प्यारी ननद बहुत नाराज है, और मैं भी उसकी बात में हामी भरती हूँ , आप सब लोग उस की बात मानो तो झलक दिखलायेगी वो. "
" बोल दिया न मंजूर है अब बोलो भी , कई भाभियाँ चिल्लाई " लेकिन रीतू भौजी ने सबसे हामी भरवाई और तब बोलीं,
" मेरी ननद कह रही है मेरी भौजाई लोग अपने मरद के साथ , देवर के साथ मजा लेती हैं और ये बेचारी कोरी पड़ी है, तो अगली होली तक जितने मरद हैं, देवर हैं , भौजाइयों के भाई हैं सब मेरी इस ननद पर चढ़ जाने चाहिए, इस भूखी बुलबुल को चारा चाहिए, "
" अरे इत्ती सी बात , अभी आज ही अपने देवरों को चढाती हूँ इसके ऊपर, नाउन की बड़की बहू बोलीं,... और भौजी ने हथेली हटा दी , फिर तो बीसो बाल्टी रंग सीधे मेरी चूत पे , सब भाभियों ने ऊँगली भी की , अगवाड़े भी पिछवाड़े , और ब्रा दो भाभियों ने मिल के उतारा नहीं फाड़ दिया,
और उस होली के बाद से मेरी और रीतू भाभी की पक्की दोस्ती, पक्की जोड़ी हो गयी,