24-11-2023, 10:48 PM
होली- रीतू भाभी
लेकिन जिस साल रीतू भाभी शादी के बाद उतरीं , उस साल वाली होली, मैं भूल नहीं सकती थी, उस के पहले भी होली में भाभियाँ मुझे पकड़तीं, दो चार मिल के , लेकिन मैं कॉलेज की कब्बडी टीम की कैप्टेन थी, चार पांच लड़कियां मुझसे उम्र में बड़ी तगड़ी पकड़ लेती तो भी मैं फिसल के बच निकल लेती, ....
और जब भाभियाँ किसी तरह पटक भी देतीं होली में, तो मैं अपनी टाँगे ऐसी कस के एक दूसरी टांग पर चढाती, पेट के बल लेट जाती और बोलती, भाभी कपडे मत फाड़िये ,... प्रेजिडेंट गाइड थी , नॉट बांधने में एक्सपर्ट, ...
तो एक तो पेट के बल, फिर डबल ट्रिपल गांठे ,बड़ी मुश्किल से कोई भाभी हाथ 'अंदर तक' घुसा पातीं,
लेकिन जिस साल रीतू भाभी आयीं मुझसे बड़ी उम्र वाली कई लड़कियों ने , औरतों ने पहले ही आगाह कर दिया था और होली में उस बार मैंने पहली बार शलवार पहनी, कस के वही डबल ट्रिपल नॉट और उस के अंदर गाँव में जैसे चड्ढी पहनी जाती है नाड़े वाली , वो भी कस के गाँठ बांध के,...
और होली में गाँव की बड़ी औरतें बजाय हम लोगों का साथ देने के नयी आयी बहुओं का साथ देती थीं और उनमे मेरी मंम्मी सबसे आगे थीं,
और उस बार भी सब से पहले उन्होंने ललकारा, नयी बहू को , रीतू भाभी को,
आज पहली होली में देखाय दो ननदों को अपनी ताकत, जब तक ननद निसूती न कर दो तब तक क्या भौजाई की होली,
बाकी लड़कियां पहले दबोच ली गयीं लेकिन मैं किसी तरह बची रही, कन्नी काट के, फिसल के पर रीतू भाभी भी सब को छोड़ के मेरे ही पीछे पड़ी थीं.
और जब हम दोनों आमने सामने हुए तो जो बात होली में मैं बोलती थी, वो उन्होंने खुद बोली,
" घबड़ा मत कपडे नहीं फाड़ूंगी, और फाड़ना भी होगा तो तेरी शलवार के अंदर वाला, वो मैं नहीं फाड़ूंगी अपने देवरों से फड़वाउंगी, आज तो तेरी चुनमुनिया को होली में हवा खिलाऊंगी। "
मैं भी श्योर थी, अपनी कब्बडी की चालों से, मैंने भी हंस के उनका चैलेन्ज कबूल कर लिया
पर मुझे पहली बार पता चला रीतू भाभी, रीतू भाभी थीं. वो मुझे बातों में उलझाए रहीं और पीछे से दो भाभियों ने,
और वो दोनों भाभियाँ भी पक्की उस्ताद थीं, चार चार बच्चो की माँ, ननदें भी उनसे पनाह मांगती थीं. रीतू भाभी ने जासूसी पक्की कर ली थीं, मुझे जबरदस्त गुदगुदी लगती है , और किस जगह छूने पर ही मैं बेकाबू हो जाती हूँ. बस दोनों भाभियों ने, जब तक रीतू भाभी ने मुझे बातों में उलझा रखा था, दोनों ने एक साथ मेरी कांख में गुदगुदी लगाई , मैं बेहाल और दोनों ने न सिर्फ मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए बल्कि पीछे कर के मेरी दोनों कलाइयों को क्रास कर के दोनों ने मिल के इतनी कस के जकड़ लिया की मैं हिल भी नहीं सकती थी.
उधर रीतू भाभी मेरे दोनों पैरों के पास बैठ के. अपनी उँगलियों से शलवार के ऊपर से मेरी जाँघों को हलके हलके सहला रही थीं, और जब तक मैं उनकी चाल समझूं, अपने दोनों घुटने मेरी टांगों के बीच में फंसा लिया, और मेरी सारी भौजाइयों को, मम्मी और गाँव की अपनी सब सासो को दिखाते मुझसे बोलीं,
" ननद रानी कउनो ख़ास चीज छुपा के रखले हउ का, इतना कस के बाँध के "
और उनका हाथ मेरे नाड़े पर, इत्ती मुश्किल से डबल ट्रिब्ल गाँठ पलक झपकते ही उन्होंने खोल दी,
" कहौ ननदो, तू सोचत हो, नाड़ा खोलने में खाली तेरे भैया उस्ताद हैं, "
भौजी ने मुझे कस के चिढ़ाया, और न सिर्फ नाड़ा खोला बल्कि शलवार से नाड़ा निकाल के एक सेकेण्ड में बाहर कर दिया। और वो नाड़ा पीछे खड़ी मेरी दोनों भौजाइयों के हाथ में, और उन दोनों भौजाइयों ने उस नाड़े से मेरी कलाई कस के बाँध दी, अब उन दोनों के हाथ भी खाली, और आगे रीतू भौजी, अब खड़ी मेरी शलवार पकडे, सब को दिखाते,
लेकिन जिस साल रीतू भाभी शादी के बाद उतरीं , उस साल वाली होली, मैं भूल नहीं सकती थी, उस के पहले भी होली में भाभियाँ मुझे पकड़तीं, दो चार मिल के , लेकिन मैं कॉलेज की कब्बडी टीम की कैप्टेन थी, चार पांच लड़कियां मुझसे उम्र में बड़ी तगड़ी पकड़ लेती तो भी मैं फिसल के बच निकल लेती, ....
और जब भाभियाँ किसी तरह पटक भी देतीं होली में, तो मैं अपनी टाँगे ऐसी कस के एक दूसरी टांग पर चढाती, पेट के बल लेट जाती और बोलती, भाभी कपडे मत फाड़िये ,... प्रेजिडेंट गाइड थी , नॉट बांधने में एक्सपर्ट, ...
तो एक तो पेट के बल, फिर डबल ट्रिपल गांठे ,बड़ी मुश्किल से कोई भाभी हाथ 'अंदर तक' घुसा पातीं,
लेकिन जिस साल रीतू भाभी आयीं मुझसे बड़ी उम्र वाली कई लड़कियों ने , औरतों ने पहले ही आगाह कर दिया था और होली में उस बार मैंने पहली बार शलवार पहनी, कस के वही डबल ट्रिपल नॉट और उस के अंदर गाँव में जैसे चड्ढी पहनी जाती है नाड़े वाली , वो भी कस के गाँठ बांध के,...
और होली में गाँव की बड़ी औरतें बजाय हम लोगों का साथ देने के नयी आयी बहुओं का साथ देती थीं और उनमे मेरी मंम्मी सबसे आगे थीं,
और उस बार भी सब से पहले उन्होंने ललकारा, नयी बहू को , रीतू भाभी को,
आज पहली होली में देखाय दो ननदों को अपनी ताकत, जब तक ननद निसूती न कर दो तब तक क्या भौजाई की होली,
बाकी लड़कियां पहले दबोच ली गयीं लेकिन मैं किसी तरह बची रही, कन्नी काट के, फिसल के पर रीतू भाभी भी सब को छोड़ के मेरे ही पीछे पड़ी थीं.
और जब हम दोनों आमने सामने हुए तो जो बात होली में मैं बोलती थी, वो उन्होंने खुद बोली,
" घबड़ा मत कपडे नहीं फाड़ूंगी, और फाड़ना भी होगा तो तेरी शलवार के अंदर वाला, वो मैं नहीं फाड़ूंगी अपने देवरों से फड़वाउंगी, आज तो तेरी चुनमुनिया को होली में हवा खिलाऊंगी। "
मैं भी श्योर थी, अपनी कब्बडी की चालों से, मैंने भी हंस के उनका चैलेन्ज कबूल कर लिया
पर मुझे पहली बार पता चला रीतू भाभी, रीतू भाभी थीं. वो मुझे बातों में उलझाए रहीं और पीछे से दो भाभियों ने,
और वो दोनों भाभियाँ भी पक्की उस्ताद थीं, चार चार बच्चो की माँ, ननदें भी उनसे पनाह मांगती थीं. रीतू भाभी ने जासूसी पक्की कर ली थीं, मुझे जबरदस्त गुदगुदी लगती है , और किस जगह छूने पर ही मैं बेकाबू हो जाती हूँ. बस दोनों भाभियों ने, जब तक रीतू भाभी ने मुझे बातों में उलझा रखा था, दोनों ने एक साथ मेरी कांख में गुदगुदी लगाई , मैं बेहाल और दोनों ने न सिर्फ मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए बल्कि पीछे कर के मेरी दोनों कलाइयों को क्रास कर के दोनों ने मिल के इतनी कस के जकड़ लिया की मैं हिल भी नहीं सकती थी.
उधर रीतू भाभी मेरे दोनों पैरों के पास बैठ के. अपनी उँगलियों से शलवार के ऊपर से मेरी जाँघों को हलके हलके सहला रही थीं, और जब तक मैं उनकी चाल समझूं, अपने दोनों घुटने मेरी टांगों के बीच में फंसा लिया, और मेरी सारी भौजाइयों को, मम्मी और गाँव की अपनी सब सासो को दिखाते मुझसे बोलीं,
" ननद रानी कउनो ख़ास चीज छुपा के रखले हउ का, इतना कस के बाँध के "
और उनका हाथ मेरे नाड़े पर, इत्ती मुश्किल से डबल ट्रिब्ल गाँठ पलक झपकते ही उन्होंने खोल दी,
" कहौ ननदो, तू सोचत हो, नाड़ा खोलने में खाली तेरे भैया उस्ताद हैं, "
भौजी ने मुझे कस के चिढ़ाया, और न सिर्फ नाड़ा खोला बल्कि शलवार से नाड़ा निकाल के एक सेकेण्ड में बाहर कर दिया। और वो नाड़ा पीछे खड़ी मेरी दोनों भौजाइयों के हाथ में, और उन दोनों भौजाइयों ने उस नाड़े से मेरी कलाई कस के बाँध दी, अब उन दोनों के हाथ भी खाली, और आगे रीतू भौजी, अब खड़ी मेरी शलवार पकडे, सब को दिखाते,