22-11-2023, 09:34 AM
पठान का लौंडा
और
ननदिया का पिछवाड़ा
मैंने कम्मो से पूछ लिया,
" मान लो कोल्हू का पर देसी कड़ुआ तेल लगा के तूने उसे दबोच के उसकी कसी गाँड़ में ये मोटा सुपाड़ा घुसवा भी लिया तो असली चीज तो गाँड़ का छल्ला, .."
कम्मो जोर जोर से हंसने लगी, फिर जब हंसी रुकी तो बोली,
"अरे तभी तो असली मजा आएगा, वो चीखेगी, चिल्लायेगी , लेकिन ये बांस तो निकलने वाला नहीं है और ताकत बहुत जबरदस्त है इसमें,... वो तड़पा तड़पा के रुला रुला के ठेलेगा, ... जब टसुए बहाना बंद कर देगी तो दुबारा , और कस के , ..."
सच में उसकी मसल्स देख के ही मैं समझ गयी थी जबरदस्त ताकत होगी इस लड़के में , और जब तक बेरहमी न हो, मारने वाला बेदर्द न हो , तो कच्ची गाँड़ मारी भी नहीं जा सकती , फाड़नी तो अलग बात है,
लेकिन मुझे एक डर लग रहा था और उसका जवाब भी था कम्मो के पास ,
यही सोच रही हों न की कहीं हम दोनों के इस भाई का औजार देख कर ननद रानी भड़क न जाये, तो उसका इलाज है कम्मो के पास,... कम्मो बोली और जो प्लानिंग उसने बताई तो मैं मान गयी.
जावेद को आठ बजे उसने इस लिए बुलाया था की ननद रानी से ब्रेकफास्ट पर अपना भाई कह के मिलवाती ( बनारस के रिश्ते से तो हम दोनों का भाई ही था ),
और गुड्डी की जो आदत थी, मैं खुद कई बार देखती थी, मेरे गाँव से कभी कई आया तो बस उसे स्साला, स्साला कह के चिढ़ाती, कहती तू मेरे भाई का साला तो स्साले मेरा भी साला हुआ न तो स्साले को साला बोलने में क्या। और उस लड़के की सूरत ऐसी की कोई भी लड़की फिसल पड़ती,
फिर कम्मो ने बताया की जावेद का रिकार्ड था बाइस मिनट के अंदर , ज्यादा से ज्यादा वो लड़की को पटा लेता, और यहाँ तो कम्मो भी थी आग में घी डालने के लिए, तो मामला वहीँ ब्रेकफास्ट टेबल पर ही,
और वो लड़का नम्बरी चूत चटोरा भी था,
तो फिर तो गुड्डी रानी मिनट भर में पिघल जातीं ,
उसके बाद खुद गोद में उठा के ऊपर कमरे में बिस्तर पर पेट के बल, ,,, कम्मो का मानना था कल रात कम्मो के देवर ने रात भर अपने बित्ते भर के मोटे मूसल से छह बार कूटा था, तो अब चूत में इतनी मुश्किल नहीं होगी, थोड़ी देर चोदने के बाद, सिर्फ सुपाड़े से, दोनों हाथ के अंगूठे से वो पिछवाड़े का छेद चियार देगा और कम्मो कडुआ तेल को बोतल से कम से कम आधा पाव तेल गाँड़ में ,.. फिर आगे से कम्मो कस के उसे दबोच लेगी, दोनों हाथों से उसके कंधे दबा देगी , पैरों से उसकी पीठ भींच देगी और पूरी ताकत से वो चूत से निकाल के गांड में,
बस किसी तरह थोड़ा सुपाड़ा भी घुस जाए उसके बाद वो खुद उसकी कटीली कमर पकड़ के वो जबरदस्त धक्का मारेगा उसकी कोरी गाँड़ में, ...
मैं सुन रही थी , मुझे लग रहा था मैं आँखों के सामने देख रहीं हूँ , सुन के ही इतना मज़ा आ रहा था , मुस्कराते हुए मैं बोली ,
" फिर, तुम उस को दबोच के ही रखोगी,... "
" एकदम नहीं , अरे आधा तीहा सुपाड़ा भी घुस जाए न बस,... फिर तो मैं छोड़ दूंगी और मैं भी मजे लुंगी , उसके बाद तो वो रोयेगी चिल्लायेगी कलपेगी , चूतड़ पटकेगी लेकिन कसम है जो एक सूत भी उसका सुपाड़ा सरक के बाहर जाए , जितना छटपटायेगी उतना ही सूत सूत कर के अंदर घुसेगा। "
अब मैं और कम्मो दोनों मुस्करा रहे थे , मैं बोल पड़ी और असली मजा तब आएगा जब गाँड़ का छल्ला पार होगा,...
"एकदम " कम्मो बोली और फिर जोड़ा,
" मैंने सोचा जब उसकी नथ मेरे देवर ने उतारी है तो पिछवाड़े का फीता भी ऐसा ही मरद काटे,... लेकिन बिना बेरहमी के गाँड़ नहीं मारी जा सकती और जावेद इस मामले में एकदम पक्का है , रुला रुला के गाँड़ मारने में तो उसकी महारत है। और एक बार अगर ऐसा मोटा मूसल उस की गाँड़ ने घोंट लिया तो ,... "
" एकदम " मैंने जोड़ा , " मैं भी यही सोच रही थी जैसे ननद रानी के अगवाड़े का रास्ता खुला न उसी तरह बल्कि उस से भी कस के पिछवाड़े का रास्ता खुल जाये तो डर ख़तम हो जाएगा। "
" एकदम , हरदम के लिए मन से हदस निकल जायेगी, गाँड़ मरवाने का डर ख़तम हो जाएगा बल्कि गाँड़ मरवाने में मजा मिलने लगेगा, तो खुद ही निहुर के, इसलिए दूसरा राउंड भी वो पिछवाड़े का ही लगाएगा, लेकिन अबकी पीठ के बल लिटा के पोज बदल बदल के , ... जिससे ननद रानी को दिखे भी की कैसे उसकी कसी गाँड़ गपागप लंड घोंट रही है, ... "
लेकिन तब तक मेरी दिमाग में दूसरी बात कौंधी,
" तू तो कह रही थी तेरे गाँव के तीन पठान के,... " मैंने पूछा
" सही ही कहा था। हंस के वो बोली।
बाकी दोनों जल्लाद हैं, ये जावेद तो लौंडा है, बातचीत में लौंडिया पटाने में माहिर, लेकिन वो दोनों अच्छे खासे मरद हैं ३० -३२ के होंगे बल्कि दो चार साल ज्यादे, बहुत तगड़े, साल दो साल पहले तक जब तक पहलवानी करते थे बीस तीस गाँव में उन दोनों से कोई जीत नहीं सकता, लेकिन औजार इतना जालिम है उन दोनों का की चार चार बच्चों की माँ पूरी भोंसडे वाली भी पनाह मांगती है, बस गाँव की चमाइन खेत में मजूरी करनेवाली किसी को दो चार कट्टा गेंहू देकर, ... बिना गाली दिए दो चार हाथ, ऐसे रगड़ रगड़ के चोदते हैं की ढेला पिस कर मट्टी का चूरा हो जाता है , रहम दया से मतलब नहीं, एकदम खब्बीस, शादी तो दोनों की हुयी है एक ही गाँव में लेकिन बीबी अक्सर मायके में रहती है और ये भी अब कतर में , तो अभी छुट्टी आये थे, आज कल अपनी ससुराल आये थे, अरे याहं से बीस पच्चीस मील भी नहीं होगा, सराय मीर वहीँ, अरे अच्छी बाजार है , सीधे वहां से बस चलती है , तो सोमवार को दस ग्यारह तक वो दोनों भी आ जाएंगे।
Togg
और
ननदिया का पिछवाड़ा
मैंने कम्मो से पूछ लिया,
" मान लो कोल्हू का पर देसी कड़ुआ तेल लगा के तूने उसे दबोच के उसकी कसी गाँड़ में ये मोटा सुपाड़ा घुसवा भी लिया तो असली चीज तो गाँड़ का छल्ला, .."
कम्मो जोर जोर से हंसने लगी, फिर जब हंसी रुकी तो बोली,
"अरे तभी तो असली मजा आएगा, वो चीखेगी, चिल्लायेगी , लेकिन ये बांस तो निकलने वाला नहीं है और ताकत बहुत जबरदस्त है इसमें,... वो तड़पा तड़पा के रुला रुला के ठेलेगा, ... जब टसुए बहाना बंद कर देगी तो दुबारा , और कस के , ..."
सच में उसकी मसल्स देख के ही मैं समझ गयी थी जबरदस्त ताकत होगी इस लड़के में , और जब तक बेरहमी न हो, मारने वाला बेदर्द न हो , तो कच्ची गाँड़ मारी भी नहीं जा सकती , फाड़नी तो अलग बात है,
लेकिन मुझे एक डर लग रहा था और उसका जवाब भी था कम्मो के पास ,
यही सोच रही हों न की कहीं हम दोनों के इस भाई का औजार देख कर ननद रानी भड़क न जाये, तो उसका इलाज है कम्मो के पास,... कम्मो बोली और जो प्लानिंग उसने बताई तो मैं मान गयी.
जावेद को आठ बजे उसने इस लिए बुलाया था की ननद रानी से ब्रेकफास्ट पर अपना भाई कह के मिलवाती ( बनारस के रिश्ते से तो हम दोनों का भाई ही था ),
और गुड्डी की जो आदत थी, मैं खुद कई बार देखती थी, मेरे गाँव से कभी कई आया तो बस उसे स्साला, स्साला कह के चिढ़ाती, कहती तू मेरे भाई का साला तो स्साले मेरा भी साला हुआ न तो स्साले को साला बोलने में क्या। और उस लड़के की सूरत ऐसी की कोई भी लड़की फिसल पड़ती,
फिर कम्मो ने बताया की जावेद का रिकार्ड था बाइस मिनट के अंदर , ज्यादा से ज्यादा वो लड़की को पटा लेता, और यहाँ तो कम्मो भी थी आग में घी डालने के लिए, तो मामला वहीँ ब्रेकफास्ट टेबल पर ही,
और वो लड़का नम्बरी चूत चटोरा भी था,
तो फिर तो गुड्डी रानी मिनट भर में पिघल जातीं ,
उसके बाद खुद गोद में उठा के ऊपर कमरे में बिस्तर पर पेट के बल, ,,, कम्मो का मानना था कल रात कम्मो के देवर ने रात भर अपने बित्ते भर के मोटे मूसल से छह बार कूटा था, तो अब चूत में इतनी मुश्किल नहीं होगी, थोड़ी देर चोदने के बाद, सिर्फ सुपाड़े से, दोनों हाथ के अंगूठे से वो पिछवाड़े का छेद चियार देगा और कम्मो कडुआ तेल को बोतल से कम से कम आधा पाव तेल गाँड़ में ,.. फिर आगे से कम्मो कस के उसे दबोच लेगी, दोनों हाथों से उसके कंधे दबा देगी , पैरों से उसकी पीठ भींच देगी और पूरी ताकत से वो चूत से निकाल के गांड में,
बस किसी तरह थोड़ा सुपाड़ा भी घुस जाए उसके बाद वो खुद उसकी कटीली कमर पकड़ के वो जबरदस्त धक्का मारेगा उसकी कोरी गाँड़ में, ...
मैं सुन रही थी , मुझे लग रहा था मैं आँखों के सामने देख रहीं हूँ , सुन के ही इतना मज़ा आ रहा था , मुस्कराते हुए मैं बोली ,
" फिर, तुम उस को दबोच के ही रखोगी,... "
" एकदम नहीं , अरे आधा तीहा सुपाड़ा भी घुस जाए न बस,... फिर तो मैं छोड़ दूंगी और मैं भी मजे लुंगी , उसके बाद तो वो रोयेगी चिल्लायेगी कलपेगी , चूतड़ पटकेगी लेकिन कसम है जो एक सूत भी उसका सुपाड़ा सरक के बाहर जाए , जितना छटपटायेगी उतना ही सूत सूत कर के अंदर घुसेगा। "
अब मैं और कम्मो दोनों मुस्करा रहे थे , मैं बोल पड़ी और असली मजा तब आएगा जब गाँड़ का छल्ला पार होगा,...
"एकदम " कम्मो बोली और फिर जोड़ा,
" मैंने सोचा जब उसकी नथ मेरे देवर ने उतारी है तो पिछवाड़े का फीता भी ऐसा ही मरद काटे,... लेकिन बिना बेरहमी के गाँड़ नहीं मारी जा सकती और जावेद इस मामले में एकदम पक्का है , रुला रुला के गाँड़ मारने में तो उसकी महारत है। और एक बार अगर ऐसा मोटा मूसल उस की गाँड़ ने घोंट लिया तो ,... "
" एकदम " मैंने जोड़ा , " मैं भी यही सोच रही थी जैसे ननद रानी के अगवाड़े का रास्ता खुला न उसी तरह बल्कि उस से भी कस के पिछवाड़े का रास्ता खुल जाये तो डर ख़तम हो जाएगा। "
" एकदम , हरदम के लिए मन से हदस निकल जायेगी, गाँड़ मरवाने का डर ख़तम हो जाएगा बल्कि गाँड़ मरवाने में मजा मिलने लगेगा, तो खुद ही निहुर के, इसलिए दूसरा राउंड भी वो पिछवाड़े का ही लगाएगा, लेकिन अबकी पीठ के बल लिटा के पोज बदल बदल के , ... जिससे ननद रानी को दिखे भी की कैसे उसकी कसी गाँड़ गपागप लंड घोंट रही है, ... "
लेकिन तब तक मेरी दिमाग में दूसरी बात कौंधी,
" तू तो कह रही थी तेरे गाँव के तीन पठान के,... " मैंने पूछा
" सही ही कहा था। हंस के वो बोली।
बाकी दोनों जल्लाद हैं, ये जावेद तो लौंडा है, बातचीत में लौंडिया पटाने में माहिर, लेकिन वो दोनों अच्छे खासे मरद हैं ३० -३२ के होंगे बल्कि दो चार साल ज्यादे, बहुत तगड़े, साल दो साल पहले तक जब तक पहलवानी करते थे बीस तीस गाँव में उन दोनों से कोई जीत नहीं सकता, लेकिन औजार इतना जालिम है उन दोनों का की चार चार बच्चों की माँ पूरी भोंसडे वाली भी पनाह मांगती है, बस गाँव की चमाइन खेत में मजूरी करनेवाली किसी को दो चार कट्टा गेंहू देकर, ... बिना गाली दिए दो चार हाथ, ऐसे रगड़ रगड़ के चोदते हैं की ढेला पिस कर मट्टी का चूरा हो जाता है , रहम दया से मतलब नहीं, एकदम खब्बीस, शादी तो दोनों की हुयी है एक ही गाँव में लेकिन बीबी अक्सर मायके में रहती है और ये भी अब कतर में , तो अभी छुट्टी आये थे, आज कल अपनी ससुराल आये थे, अरे याहं से बीस पच्चीस मील भी नहीं होगा, सराय मीर वहीँ, अरे अच्छी बाजार है , सीधे वहां से बस चलती है , तो सोमवार को दस ग्यारह तक वो दोनों भी आ जाएंगे।
Togg