22-11-2023, 09:30 AM
२१ दिन ननदिया के.
और,...रोज बिना नागा
तब तक चाय बन गयी थी , मैंने जोड़ घटाना भी कर लिया , कम्मो के पास पूरा मौका था , होली की शाम तो हम दोनों की ननदिया आ ही जायेगी। दस बजे जेठ जेठानी सासू जी की ट्रेन है तो वो लोग पौने नौ बजे ही घर से निकल जाएंगे , फिर तो वो और कम्मो, ऊपर के कमरे में ननद रानी रहेंगी, और उससे सटी बड़ी सी खुली छत है , जिस पर कितनी बार मैंने कम्मो के देवर के साथ कबड्डी खेली है, बस उसी छत पर ननद को निसूती कर के, चांदनी से ढकी ननद के अगवाड़े पिछवाड़े भसम डालना तो कम्मो भौजी के बाएं हाथ का खेल हैं , और अगले दिन ही कम्मो के गाँव के पठान के तीन लौंडे , अगले दिन गुड्डी रानी ने अपने भौंरे को दावत दे दी है, तो पांच दिन क्या अब तो एक्कीसों दिन अगवाड़ा पिछवाड़ा रबड़ी मलाई से बजबजाती रहेगी।
तो असर तो उस भस्म का पूरा होगा लेकिन होगा क्या ?
और चाय की चुस्की लेते हुए मैंने कम्मो से पूछ लिया, लेकिन वो देर तक खिलखिलाती रही. फिर हंसी रुकी तो बोली,
" वही होगा जो हम तुम और हमारे तुम्हारे सारे देवर और भाई चाहते हैं."
मेरी समझ में अभी भी कुछ नहीं आया और मैंने पूछा भी नहीं। मैं जानती थी वो खुद ही बताएगी और यही हुआ, वो खुद बोली,
" अरे तुम यही चाहते हैं की अब वो टांगें न सिकोड़े, तो बस पांच दिन भसम अगर लग गयी न रानी जी को , तो बस, टाँगे सिकोड़ने को कौन कहे, खुद टाँगे फैलाने को बेताब रहेंगी, खुद ही निहुर जाएंगी, कातिक क कुतिया की तरह हरदम चौबीसो घंटा गरमाई रहेंगी। किसी को मना नहीं करेंगी बल्कि खुद लौंडे फ़साने लगेंगी। सुबह से ही बिलिया में अगले हफ्ते से इतनी जोर जोर से मोटे मोटे चींटे काटेंगे की खुद ही मुझे कहेंगी की उसे नए नए यार चाहिए। "
अब खिलखिलाने की बारी मेरी थी पर कम्मो चुप नहीं हुयी और बाकी फायदे भी गिनाने लगी,
दूसरा सबसे बड़ा फायदा ये की चाहे जिससे करवाए, मरवाये लेकिन कोई रोग दोष नहीं होगा न गाभिन होगी। लेकिन असली चीज ये है की दिन रात चलने से कोई भी उसकी बिल को भोंसड़ा बनते देर नहीं लगेगी, लेकिन सोलह साल की कुँवारी मात इतनी कसी चूत और गाँड़ रहेगी, कानी उँगरी भी कोई पेलना चाहे न तो बिना सुध देसी कड़ुआ तेल लगाए नहीं घुसेगा,
मैं बोले बिना नहीं रह सकी,
" तो इतनी कसी होने का मतलब हर बार ननद रानी खूब चिल्लायेगीं, रोयेंगी, चूतड़ पटकेंगी,... "
"एकदम, और भौजाई के लिए ननद क रोई रोहट चिल्लाहट से बढ़ के कौन म्यूजिक होता है,... " कम्मो हँसते हुए बोली, लेकिन तब तक कम्मो का फ़ोन बज गया और मैंने झांक के देखा, फोटो भी था काल करने वाले का कोई मस्त चिकना लौंडा था,...
कम्मो समझ गयी और हलके से मुस्कराते हुए ,अपना फोन का स्पीकर ऑन कर दिया और मुझे जोर से आँख मारी।
" हे सुन भूलना मत, होली के अगले दिन, सोमवार के दिन, सुबह आठ बजे, ... "
" अरे मैं भूल सकता हूँ , क्या मस्त माल है, एकदम कच्ची कली, फोटो मैंने अपने मोबाइल में सेव कर ली है. अभी से सांडे का तेल लगा के मुठिया रहा हूँ, लेकिन झेल पायेगी वो? " उस लड़के की आवाज आयी.
" तुझे ठोंकने से मतलब, अरे यार मैं रहूंगी न सम्हालने के लिए, ... ऐसी चिड़िया आज तक नहीं मिली होगी, अच्छा चल सोमवार की सुबह। "
और यह कह के कम्मो ने फोन काट दिया, और मेरी ओर देख के जोर से मुस्करायी और अपने फोन में उस की पिक खोल दी,
सच्च में एकदम मस्त माल, पूरा पठान का लौंडा, खूब चिकना, एकदम गोरा मूछों की जगह बस हलकी सी रेख, लेकिन सबसे जबरदस्त बात थी उसकी आँखों की चमक और मीठी मुस्कान, सच में एक बार उस मुस्कान को देख के ही कोई लौंडिया खुद नाड़ा खोल देती।
और,...रोज बिना नागा
तब तक चाय बन गयी थी , मैंने जोड़ घटाना भी कर लिया , कम्मो के पास पूरा मौका था , होली की शाम तो हम दोनों की ननदिया आ ही जायेगी। दस बजे जेठ जेठानी सासू जी की ट्रेन है तो वो लोग पौने नौ बजे ही घर से निकल जाएंगे , फिर तो वो और कम्मो, ऊपर के कमरे में ननद रानी रहेंगी, और उससे सटी बड़ी सी खुली छत है , जिस पर कितनी बार मैंने कम्मो के देवर के साथ कबड्डी खेली है, बस उसी छत पर ननद को निसूती कर के, चांदनी से ढकी ननद के अगवाड़े पिछवाड़े भसम डालना तो कम्मो भौजी के बाएं हाथ का खेल हैं , और अगले दिन ही कम्मो के गाँव के पठान के तीन लौंडे , अगले दिन गुड्डी रानी ने अपने भौंरे को दावत दे दी है, तो पांच दिन क्या अब तो एक्कीसों दिन अगवाड़ा पिछवाड़ा रबड़ी मलाई से बजबजाती रहेगी।
तो असर तो उस भस्म का पूरा होगा लेकिन होगा क्या ?
और चाय की चुस्की लेते हुए मैंने कम्मो से पूछ लिया, लेकिन वो देर तक खिलखिलाती रही. फिर हंसी रुकी तो बोली,
" वही होगा जो हम तुम और हमारे तुम्हारे सारे देवर और भाई चाहते हैं."
मेरी समझ में अभी भी कुछ नहीं आया और मैंने पूछा भी नहीं। मैं जानती थी वो खुद ही बताएगी और यही हुआ, वो खुद बोली,
" अरे तुम यही चाहते हैं की अब वो टांगें न सिकोड़े, तो बस पांच दिन भसम अगर लग गयी न रानी जी को , तो बस, टाँगे सिकोड़ने को कौन कहे, खुद टाँगे फैलाने को बेताब रहेंगी, खुद ही निहुर जाएंगी, कातिक क कुतिया की तरह हरदम चौबीसो घंटा गरमाई रहेंगी। किसी को मना नहीं करेंगी बल्कि खुद लौंडे फ़साने लगेंगी। सुबह से ही बिलिया में अगले हफ्ते से इतनी जोर जोर से मोटे मोटे चींटे काटेंगे की खुद ही मुझे कहेंगी की उसे नए नए यार चाहिए। "
अब खिलखिलाने की बारी मेरी थी पर कम्मो चुप नहीं हुयी और बाकी फायदे भी गिनाने लगी,
दूसरा सबसे बड़ा फायदा ये की चाहे जिससे करवाए, मरवाये लेकिन कोई रोग दोष नहीं होगा न गाभिन होगी। लेकिन असली चीज ये है की दिन रात चलने से कोई भी उसकी बिल को भोंसड़ा बनते देर नहीं लगेगी, लेकिन सोलह साल की कुँवारी मात इतनी कसी चूत और गाँड़ रहेगी, कानी उँगरी भी कोई पेलना चाहे न तो बिना सुध देसी कड़ुआ तेल लगाए नहीं घुसेगा,
मैं बोले बिना नहीं रह सकी,
" तो इतनी कसी होने का मतलब हर बार ननद रानी खूब चिल्लायेगीं, रोयेंगी, चूतड़ पटकेंगी,... "
"एकदम, और भौजाई के लिए ननद क रोई रोहट चिल्लाहट से बढ़ के कौन म्यूजिक होता है,... " कम्मो हँसते हुए बोली, लेकिन तब तक कम्मो का फ़ोन बज गया और मैंने झांक के देखा, फोटो भी था काल करने वाले का कोई मस्त चिकना लौंडा था,...
कम्मो समझ गयी और हलके से मुस्कराते हुए ,अपना फोन का स्पीकर ऑन कर दिया और मुझे जोर से आँख मारी।
" हे सुन भूलना मत, होली के अगले दिन, सोमवार के दिन, सुबह आठ बजे, ... "
" अरे मैं भूल सकता हूँ , क्या मस्त माल है, एकदम कच्ची कली, फोटो मैंने अपने मोबाइल में सेव कर ली है. अभी से सांडे का तेल लगा के मुठिया रहा हूँ, लेकिन झेल पायेगी वो? " उस लड़के की आवाज आयी.
" तुझे ठोंकने से मतलब, अरे यार मैं रहूंगी न सम्हालने के लिए, ... ऐसी चिड़िया आज तक नहीं मिली होगी, अच्छा चल सोमवार की सुबह। "
और यह कह के कम्मो ने फोन काट दिया, और मेरी ओर देख के जोर से मुस्करायी और अपने फोन में उस की पिक खोल दी,
सच्च में एकदम मस्त माल, पूरा पठान का लौंडा, खूब चिकना, एकदम गोरा मूछों की जगह बस हलकी सी रेख, लेकिन सबसे जबरदस्त बात थी उसकी आँखों की चमक और मीठी मुस्कान, सच में एक बार उस मुस्कान को देख के ही कोई लौंडिया खुद नाड़ा खोल देती।