22-11-2023, 09:29 AM
कम्मो संग पिलानिंग
जब पैकिंग करने के बाद मैं उठी तो सास जी की नाक जोर जोर से बज रही थी. जेठानी जी अपने कमरे में सो रही थीं.
मैं बाहर निकली तो बस मेरे मन में मेरी ननदिया बसी थी, वही कच्ची कली. फट तो उसकी गयी थी, और कम्मो के भरोसे तो, ...
अब उसकी जबरदस्त रगड़ाई होना भी तय थी, लेकिन मैं कुछ और सोच रही थी, इन २१ दिनों को फायदा उठा के कैसे उसे मशहूर कर दूँ उस के शहर में , सारे लौंडों को पता चल जाए, ... जितने ठरकी हैं न सिर्फ उसके गली मोहल्ले के बल्कि, जिल्ला टॉप माल तो है ही वो, खुल के चलती है ये भी पता चल जाए सबको, और फिर दुबारा अपनी टाँगे न सिकोड़ पाए.
सासू जी और जेठानी जी कस के नींद के चंगुल में थीं, कम से कम डेढ़ दो घंटे। ये बाजार गए थे, मेरी सासू जी की पौने दो फिट लम्बी लिस्ट और मिठाई की शॉपिंग के लिए , घर में मैं अकेली जग रही और मेरे दिमाग में उथलपुथल चल रही थी, ...
किचेन में कुछ खटर पटर की आवाज आयी तो मैं वहीँ चल पड़ी, कम्मो थी, उसे देख के मेरे चेहरे पे हजार वाट की मुस्कान चमक गयी.
" चाय चलेगी ? " हँसते हुए कम्मो ने पूछा।
मैंने उसे कस के अँकवार में भींच लिया और बोली , दौड़ेगी, लेकिन तब तक मैं एकदम डबल खुशखबरी सुनाती हूँ.
कम्मो ने चाय चढ़ा दी और मैंने उसे खुशखबरी सुना दी, वही अभी जो अनुज से पक्की कर के आ रही थी.
अनुज एक्जाम के बाद भी २० -२१ दिन बनारस रुकेगा, ... उसकी कोई १२ दिन की कोचिंग और है , एक्जाम के पांच दिन बाद शुरू होगी।
कम्मो मुझसे भी ज्यादा समझदार थी , उसका चेहरा खशी से चमक गया , वो बोल पड़ी, इसका मतलब ?
" मतलब यही की अपनी अनारकली ऑफ़ आजमग़ढ २१ दिन तक यहीं अकेले बस अपनी कम्मो भौजी के हवाले,... अनुज तो आएगा नहीं तो ये जो डर था की कहीं उसका भाई आ गया तो वो भी यही आ जाये या घर रखाने का काम उसके जिम्मे पड़ जाय, ... तो इसलिए बस अपनी ननदिया और उनकी कम्मो भौजी पूरे तीन हफ्ते , ... "
मैंने खिलखिलाते हुए पोल खोल दी।
" अब देखना तीन हफ्ते में उसे तीन लोक न दिखा दिया तो, मेरे पास एक थी कई साल से लेकिन उसका आज तक इस्तेमाल नहीं कर पायी थी, अब सही मौका मिला है ,... "
चाय की पत्ती डालते हुए कम्मो ने एक राज की बात बताई , और अजब तक चाय खौल रही थी कम्मो ने उसका राज भी खोल दिया।
कम्मो मैंने बताया था न की मेरी तरह पक्की बनारस वाली, तो बनारस में ही किसी अघोड़ी ने , एकदम माने हुए लेकिन कम्मो पर खुश थे और उन्होंने बहुत सी चीजें दी भी थीं और कम्मो को सिखायीं भी थीं।
उसी में से एक कामिनी कामचूर्ण भस्म थी, लेकिन उसकी शर्तें बहुत बेढब थी,
पहली तो जिस कन्या पर उसका इस्तेमाल किया जाये वो किशोरी हो, और इस्तेमाल पहली बार पूनो की रात में और पूरे असर के लिए होली वाली पूनो को, उसे नंग्न कर के उसकी योनि में चार चुटकी एकदम अंदर तक, वो भी कम्मो को ही डालना था. लेकिन अगली शर्त उससे भी कठिन थी, अगले दिन से उस किशोरी की योनि और गुदा दोनों के अंदर वीर्य भरा होना चाहिए , सिर्फ एक दिन नहीं पांच दिन, और पांचो दिन उसे अलग अलग पुरुषों से सम्भोग करना होगा, और रोज सुबह भी सोने के पहले वही भस्म चुटकी भर अगवाड़े पिछवाड़े अंदर।
जब पैकिंग करने के बाद मैं उठी तो सास जी की नाक जोर जोर से बज रही थी. जेठानी जी अपने कमरे में सो रही थीं.
मैं बाहर निकली तो बस मेरे मन में मेरी ननदिया बसी थी, वही कच्ची कली. फट तो उसकी गयी थी, और कम्मो के भरोसे तो, ...
अब उसकी जबरदस्त रगड़ाई होना भी तय थी, लेकिन मैं कुछ और सोच रही थी, इन २१ दिनों को फायदा उठा के कैसे उसे मशहूर कर दूँ उस के शहर में , सारे लौंडों को पता चल जाए, ... जितने ठरकी हैं न सिर्फ उसके गली मोहल्ले के बल्कि, जिल्ला टॉप माल तो है ही वो, खुल के चलती है ये भी पता चल जाए सबको, और फिर दुबारा अपनी टाँगे न सिकोड़ पाए.
सासू जी और जेठानी जी कस के नींद के चंगुल में थीं, कम से कम डेढ़ दो घंटे। ये बाजार गए थे, मेरी सासू जी की पौने दो फिट लम्बी लिस्ट और मिठाई की शॉपिंग के लिए , घर में मैं अकेली जग रही और मेरे दिमाग में उथलपुथल चल रही थी, ...
किचेन में कुछ खटर पटर की आवाज आयी तो मैं वहीँ चल पड़ी, कम्मो थी, उसे देख के मेरे चेहरे पे हजार वाट की मुस्कान चमक गयी.
" चाय चलेगी ? " हँसते हुए कम्मो ने पूछा।
मैंने उसे कस के अँकवार में भींच लिया और बोली , दौड़ेगी, लेकिन तब तक मैं एकदम डबल खुशखबरी सुनाती हूँ.
कम्मो ने चाय चढ़ा दी और मैंने उसे खुशखबरी सुना दी, वही अभी जो अनुज से पक्की कर के आ रही थी.
अनुज एक्जाम के बाद भी २० -२१ दिन बनारस रुकेगा, ... उसकी कोई १२ दिन की कोचिंग और है , एक्जाम के पांच दिन बाद शुरू होगी।
कम्मो मुझसे भी ज्यादा समझदार थी , उसका चेहरा खशी से चमक गया , वो बोल पड़ी, इसका मतलब ?
" मतलब यही की अपनी अनारकली ऑफ़ आजमग़ढ २१ दिन तक यहीं अकेले बस अपनी कम्मो भौजी के हवाले,... अनुज तो आएगा नहीं तो ये जो डर था की कहीं उसका भाई आ गया तो वो भी यही आ जाये या घर रखाने का काम उसके जिम्मे पड़ जाय, ... तो इसलिए बस अपनी ननदिया और उनकी कम्मो भौजी पूरे तीन हफ्ते , ... "
मैंने खिलखिलाते हुए पोल खोल दी।
" अब देखना तीन हफ्ते में उसे तीन लोक न दिखा दिया तो, मेरे पास एक थी कई साल से लेकिन उसका आज तक इस्तेमाल नहीं कर पायी थी, अब सही मौका मिला है ,... "
चाय की पत्ती डालते हुए कम्मो ने एक राज की बात बताई , और अजब तक चाय खौल रही थी कम्मो ने उसका राज भी खोल दिया।
कम्मो मैंने बताया था न की मेरी तरह पक्की बनारस वाली, तो बनारस में ही किसी अघोड़ी ने , एकदम माने हुए लेकिन कम्मो पर खुश थे और उन्होंने बहुत सी चीजें दी भी थीं और कम्मो को सिखायीं भी थीं।
उसी में से एक कामिनी कामचूर्ण भस्म थी, लेकिन उसकी शर्तें बहुत बेढब थी,
पहली तो जिस कन्या पर उसका इस्तेमाल किया जाये वो किशोरी हो, और इस्तेमाल पहली बार पूनो की रात में और पूरे असर के लिए होली वाली पूनो को, उसे नंग्न कर के उसकी योनि में चार चुटकी एकदम अंदर तक, वो भी कम्मो को ही डालना था. लेकिन अगली शर्त उससे भी कठिन थी, अगले दिन से उस किशोरी की योनि और गुदा दोनों के अंदर वीर्य भरा होना चाहिए , सिर्फ एक दिन नहीं पांच दिन, और पांचो दिन उसे अलग अलग पुरुषों से सम्भोग करना होगा, और रोज सुबह भी सोने के पहले वही भस्म चुटकी भर अगवाड़े पिछवाड़े अंदर।